मत:आंकड़े झुठला रहे है कि कोई उत्तर -दक्षिण भारत विभाजन है
चुनाव नतीजों के बाद छिड़ी साउथ-नॉर्थ की बहस, जानिए इसे आंकड़े कैसे झुठला रहे हैं?
चार राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम आ गए हैं. भाजपा ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत हासिल की है. इससे पहले राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी. हालांकि, कांग्रेस तेलंगाना में जीती है. कांग्रेस की अब तीन राज्यों में खुद की सरकार है. बाकी तीन राज्यों में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल है।
नई दिल्ली,04 दिसंबर 2023।विधानसभा चुनाव में चार राज्यों के परिणाम आ गए हैं. भारतीय जनता पार्टी ने तीन राज्यों में प्रचंड जीत हासिल की है. मध्य प्रदेश में फिर से सत्ता में वापसी हुई है. जबकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ से कांग्रेस की विदाई हो गई. हालांकि,तेलंगाना कांग्रेस के लिए खुशखबरी लेकर आया.केसीआर की पार्टी बीआरएस चुनाव हार गई. वहां पहली बार कांग्रेस सरकार बना रही है.इस बीच, सोशल मीडिया पर एक बार फिर नॉर्थ-साउथ राज्यों में जीत-हार को लेकर चर्चा है. कहा जाने लगा कि दक्षिण से भाजपा साफ हो गई और उत्तर में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है. हालांकि, आंकड़े इसके उलट हैं. जानिए…
रविवार को उत्तर भारत के हिंदी पट्टी राज्य छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दक्षिण के तेलुगु राज्य तेलंगाना के चुनाव नतीजे आए हैं. तीनों राज्यों में भाजपा जीती है. जबकि तेलंगाना में कांग्रेस जीती है.इस दौरान सोशल मीडिया पर कई ऐसे पोस्ट देखे गए,जिसमें लोगों को उत्तर-दक्षिण भारत में हार-जीत के बारे में बहस करते देखा गया.
नॉर्थ-साउथ फिर चर्चा में क्यों आया?
दरअसल, कांग्रेस नेता प्रवीण चक्रवर्ती ने एक्स पर एक पोस्ट लिखा और कहा, ‘साउथ-नॉर्थ बाउंड्री लाइन गहरी और स्पष्ट होती जा रही है.’ हालांकि, बाद में उन्होंने पोस्ट डिलीट कर दी. भाजपा नेता सीआर केसवन ने उसी ट्वीट का एक स्क्रीनशॉट शेयर किया और कांग्रेस पर देश को जाति के आधार पर विभाजित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया. इसे कांग्रेस की जातीय जनगणना की मांग से भी जोड़ा गया.
सोशल मीडिया पर छिड़ी नॉर्थ-साउथ की बहस
केशवन ने कहा, भारत को जाति के आधार पर विभाजित करने और सनातन धर्म को उखाड़ फेंकने के वंशवादी कांग्रेस पार्टी के एजेंडे को हमारे लोगों ने सिरे से खारिज कर दिया है. अब उनकी विषैली योजना भारत पर नार्थ-साउथ विभाजन करके आक्रमण करने की है. 2024 में कांग्रेस इतिहास के कूड़ेदान में फेंक दी जाएगी. वहीं, कांग्रेस के तहसीन पूनावाला ने चेतावनी दी कि उत्तर-दक्षिण-विभाजन के तर्क में शामिल होने से उल्टा असर पड़ेगा. नेताओं और पत्रकारों समेत कई लोगों ने विधानसभा चुनाव परिणामों में उत्तर-दक्षिण विभाजन का आरोप लगाया.
पूरे उत्तर भारत में कांग्रेस साफ!
उत्तर भारत में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और केंद्र शासित दिल्ली और जम्मू-कश्मीर आते हैं. ताजा नतीजे के बाद कांग्रेस की अब पूरे उत्तर भारत में सिर्फ हिमाचल प्रदेश में सरकार है. जबकि दक्षिण में कांग्रेस को कर्नाटक के बाद तेलंगाना में सरकार बनाने का मौका मिला है. यानी देशभर में कुल तीन राज्यों में खुद की सरकार है. इसके अलावा, झारखंड, बिहार, तमिलनाडु की सरकार में कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा है.
‘दक्षिण में खुला कांग्रेस के लिए दूसरा दरवाजा’
बताते चलें कि 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग करके तेलंगाना नया राज्य बनाया गया था. 2023 में वहां तीसरी बार विधानसभा चुनाव हुआ है. लगातार दो चुनाव केसीआर की पार्टी बीआरएस ने जीते हैं. ये तीसरा चुनाव कांग्रेस की झोली में आया है. 2014 में केंद्र में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने तेलंगाना को अलग राज्य बनाने का ऐलान किया था. इससे पहले मई में कर्नाटक में कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई थी.
‘भाजपा की कुल 12 राज्यों में खुद की सरकार’
बाकी उत्तर भारत और हिंदी पट्टी के अन्य राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा में भाजपा सरकार है. भाजपा की असम, गोवा,गुजरात,त्रिपुरा, मणिपुर,अरुणाचल प्रदेश में भी सरकार है.चार राज्यों महाराष्ट्र,नागालैंड,सिक्किम,मेघालय और पुडुचेरी में सत्तारूढ़ गठबंधन में है.पंजाब और केंद्र शासित दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है.
दोनों पार्टियों की उत्तर भारत में क्या स्थिति है?
उत्तर भारत के 6 राज्य और 2 केंद्र शासित राज्यों में हिमाचल प्रदेश में 4,हरियाणा में 10,उत्तर प्रदेश में 80, उत्तराखंड में 5,पंजाब में 13,राजस्थान में 25,दिल्ली में 7 और जम्मू कश्मीर में 6 लोकसभा सीटें हैं.उत्तर भारत में भाजपा के कुल 118 लोकसभा और 35 राज्यसभा सांसद हैं.इसके अलावा,447 विधायक हैं.जबकि कांग्रेस के कुल 9 लोकसभा और 7 राज्यसभा सांसद हैं.इसके अलावा,217 विधायक हैं.
दक्षिण भारत में क्या स्थिति है…
– दक्षिण की बात करें तो 6 राज्यों में 130 लोकसभा सीटें हैं, जिसमें से फिलहाल भाजपा के पास 29 सीटें हैं. 7 राज्यसभा सांसद हैं. इसके अलावा, 77 विधायक हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बंपर जीत तो मिली, लेकिन दक्षिण के कई राज्यों में खाता तक नहीं खुल पाया. कर्नाटक एक अपवाद है, जहां भाजपा को 28 में से 25 सीटों पर जीत मिली थी. विधायकों की बात करें तो भाजपा के तमिलनाडु में चार, कर्नाटक में 65, तेलंगाना में 8 विधायक हैं. दक्षिण में कांग्रेस के कुल 27 लोकसभा और 7 राज्यसभा सांसद हैं. इसके अलावा, 239 विधायक हैं. विधानसभा में कांग्रेस की केरल में 21, तमिलनाडु में 18, कर्नाटक में 136, तेलंगाना में 64 सीटें हैं.
दक्षिण के पांचों राज्यों में क्या स्थिति है…
– दक्षिण के पांचों राज्यों में कुल 129 लोकसभा सीटें हैं. इनमें आंध्र प्रदेश में 25,केरल में 20,कर्नाटक में 28, तमिलनाडु में 39,तेलंगाना में 17 सीटें हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इन सभी 129 सीटों में से कुल 29 पर ही जीत हासिल की थी.कर्नाटक में सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा था.बाकी चारों राज्यों में निराशा हाथ लगी थी.
– आंध्र प्रदेश में 25 लोकसभा,11 राज्यसभा और 175 विधानसभा सीटें हैं.यहां भाजपा का सिर्फ एक राज्यसभा सांसद है.जबकि कांग्रेस का किसी सदन का सदस्य नहीं है. बाकी सीटें दूसरे दलों के पास हैं.
– केरल में 20 लोकसभा,9 राज्यसभा और 140 विधानसभा सीटें हैं. यहां भाजपा का एक भी सांसद-विधायक नहीं है. कांग्रेस के 21 विधायक,14 लोकसभा सीटें और एक राज्यसभा सदस्य है.बाकी सीटें अन्य पार्टियों के पास हैं.
– तमिलनाडु में 39 लोकसभा,18 राज्यसभा और 234 विधानसभा सीटें हैं.यहां भाजपा के 4 विधायक हैं.जबकि कांग्रेस के 18 विधायक,8 लोकसभा और एक राज्यसभा सदस्य है.
– कर्नाटक में 28 लोकसभा,12 राज्यसभा और 224 विधानसभा सीटें हैं.यहां भाजपा के 25 सांसद,अब 65 विधायक और 6 राज्यसभा सदस्य हैं.जबकि कांग्रेस के 136 विधायक,एक लोकसभा और 5 राज्यसभा सदस्य हैं.
– तेलंगाना में 17 लोकसभा,7 राज्यसभा और 119 विधानसभा सीटें हैं.यहां भाजपा के 4 सांसद,एक विधायक है.कांग्रेस के 64 विधायक,तीन लोकसभा सदस्य हैं.यहां दोनों पार्टियों के राज्यसभा सदस्य नहीं हैं.
उत्तर भारत में किस पार्टी की क्या स्थिति है?
हिमाचल प्रदेश में भाजपा के 24 और कांग्रेस के 40 विधायक हैं. उत्तराखंड में 47 भाजपा, 19 कांग्रेस विधायक हैं.हरियाणा में भाजपा के 41,कांग्रेस के 30 विधायक हैं. पंजाब में भाजपा के दो, कांग्रेस के 18 विधायक हैं. राजस्थान में भाजपा के 115 और कांग्रेस के 69 विधायक हैं. उत्तर प्रदेश में भाजपा के 255, कांग्रेस के दो विधायक चुनाव जीते हैं. दिल्ली में भाजपा के सात और कांग्रेस को कोई विधायक नहीं है.
उत्तर भारत में लोकसभा में क्या स्थिति?
2019 में भाजपा ने कई राज्यों की सभी लोकसभा सीटें जीतीं.इनमें गुजरात की सभी 26,हरियाणा की 10, हिमाचल की 4,उत्तराखंड की 5,दिल्ली की सातों सीटें जीतीं.राजस्थान की 25 में 24 सीटों पर जीत मिली.एक सीट पर सहयोगी दल को जीत हासिल हुई.बिहार की 17 सीटें,छत्तीसगढ़ की 11 में से 9 सीटें जीती,जम्मू-कश्मीर की 6 में से 3 सीटें जीती.झारखंड की 14 में से 11 सीटें, मध्य प्रदेश की 29 में से 28 सीटें,महाराष्ट्र की 48 में से 23 सीटें,ओडिशा की 21 में से 8 सीटें,उत्तर प्रदेश की 80 में से 62 सीटें,पश्चिम बंगाल की 42 में से 18 सीटों पर भाजपा को जीत मिली. नार्थ ईस्ट में त्रिपुरा की दोनों सीटों पर भाजपा का कब्जा है.अरुणाचल प्रदेश की दोनों सीटों पर भी भाजपा के ही सांसद हैं. आंकड़ों को देखने के बाद साफ जाहिर है कि भाजपा उत्तर भारत के कई राज्यों में सेचुरेशन पर पहुंच चुकी है.
दक्षिण से होगी नुकसान की भरपाई, जानिए कैसे?
– यह संभावना नकारी नहीं जा सकती है कि लोकसभा चुनाव के बीच उत्तर भारत के कुछ राज्यों में भाजपा की सीटें कम हो सकती हैं.ऐसे में उस नुकसान की भरपाई सिर्फ दक्षिण भारत के राज्यों से ही हो सकती है.
– 2019 के लोकसभा चुनाव में इन राज्यों में भाजपा का प्रदर्शन काफी खराब रहा था.आंध्र प्रदेश की 25 सीटों में से वाईएसआरसीपी के खाते में 22 सीटें आई थीं.जबकि तीन सीटों पर टीडीपी का कब्जा रहा था.भाजपा का खाता भी नहीं खुल सका था.केरल में भाजपा शून्य पर ही रही थी, लेकिन,इस बार चुनाव से पहले केरल में सामाजिक समीकरण सुधारे जा रहे हैं.वहां भाजपा क्रिश्चियन अल्पसंख्यकों पर फोकस कर रही है.
– पिछली बार तेलगांना में भाजपा को 4 सीटें मिली थीं, जिसके चलते इस राज्य से उम्मीद जगी है.तमिलनाडु में 2021 के विधानसभा चुनाव में एआईएडीएमके से गठबंधन में भाजपा ने 4 सीटें जीती थी. तमिलनाडु में लोकसभा की 39 सीटें हैं.तमिलनाडु में सभी दल इस समय तमिल सेंटीमेंटस की बात कर रहे हैं,जबकि भाजपा वन नेशन और राष्ट्रवादी के फॉर्मूले पर फोकस किए है.
ट्रिपल सी फॉर्मूले पर कर रही है काम भाजपा
– दक्षिण में भाजपा इस समय ट्रिपल सी फॉर्मूले पर काम कर रही है.इसका मतलब है- कल्चरल नेशनलिज्म यानी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर जोर,करप्शन पर चोट और दक्षिण के लोगों के बीच अपनी क्रेडिबिलिटी (विश्वसनीयता) बनाने की कोशिश.इसके अलावा,कांग्रेस के वोटरों को अपनी ओर खींचने की कोशिश की जा रही है.
– जानकार कहते हैं कि भाजपा की कोशिश है कि जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत किया जाए.अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़ी लोकप्रिय हस्तियों को पार्टी से जोड़ा जाए और वोटर्स के बीच अपनी विश्वसनीयता स्थापित करना शामिल है.
– जानकार यह भी कहते हैं कि केरल,आंध्र प्रदेश,कर्नाटक और आंध्रप्रदेश की चार प्रमुख हस्तियों पीटी उषा,इलैयाराजा, वीरेंद्र हेगड़े और वी.विजयेंद्र प्रसाद को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया जाना भी इसी रणनीति का हिस्सा है.
– तेलंगाना को छोड़कर आंध्र प्रदेश,तमिलनाडु और केरल में कांग्रेस की हालत खस्ता है.कांग्रेस के कैडर,लीडर और वोटर तेजी से दूसरी पार्टियों में जा रहे हैं.
– कांग्रेस यहां भाजपा का डर दिखाकर पैठ बनाने की कोशिश कर रही है.पुरानी पार्टी होने के नाते लोगों को अपने काम याद दिला रही है.कोशिश कर रही है कि पार्टी का पुनर्गठन किया जा सके.
भाजपा के राजनीतिक नक्शे में भी बड़ा विस्तार
इधर, तीन राज्यों में भाजपा की शानदार जीत के साथ पार्टी की एनडीए गठबंधन समेत कुल 17 राज्यों में सरकार हो गई है.12 राज्यों में खुद की सरकार है.हमने 2014 से 3 दिसंबर,2023 तक का डेटा एकत्र किया है,जिससे पता चलता है कि भाजपा के राजनीतिक नक्शे में काफी तेजी से विस्तार हुआ है.दिसंबर 2023 तक का डेटा कहता है कि देश में भाजपा की सरकारें 57 प्रतिशत जनसंख्या के साथ करीब 58 प्रतिशत भूभाग कवर करती हैं.वहीं,कांग्रेस शासित राज्यों को देखें तो 43 प्रतिशत आबादी के साथ देश के 41 प्रतिशत भूभाग कवर करते हैं.
जानकार कहते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में भाजपा के राजनीतिक मानचित्र और राजस्थान,छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में शानदार प्रदर्शन ने 2024 के आम चुनावों के लिए भी मंच तैयार कर दिया है. प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को अपने बयान में भी कहा, चुनावों में भाजपा की ‘हैट-ट्रिक’ 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की ‘हैट-ट्रिक’ की गारंटी है.
भाजपा के पास लोकसभा की आधी सीटें…
लोकसभा की बात करें तो 543 सीटों में से इस समय लगभग आधी सीटें भाजपा के पास हैं.संसद में कांग्रेस की सिर्फ 82 सीटें हैं.वहीं,दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाने के बाद अब तीसरी सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी बनकर उभरी है.हालांकि कांग्रेस ने तेलंगाना में जीत हासिल की,जो इस साल दक्षिण में उसकी दूसरी जीत है,लेकिन रविवार के नतीजों को एक झटके के रूप में देखा जा रहा है.
कैसे बढ़ता गया भाजपा का राजनीतिक मानचित्र
2014 में जब पहली बार प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सरकार केंद्र में आई तब भाजपा राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश,गोवा और छत्तीसगढ़ समेत कुछ राज्यों में सत्ता में थी.तब से भाजपा ने 17 राज्यों तक अपना विस्तार कर लिया है.इतना ही नहीं,प्रधानमंत्री मोदी देश में सबसे लंबे समय तक रहने वाले प्रधानमंत्रियों में से एक हो गए हैं. दिसंबर 2017 तक भाजपा शासित या गठबंधन वाले राज्यों का भूभाग बढ़कर 78 प्रतिशत हो गया.यहां भारत की 69 प्रतिशत जनसंख्या रहती है.कांग्रेस शासित राज्य 31 प्रतिशत जनसंख्या के साथ मात्र 22 प्रतिशत भूभाग में सरकार चला रहे हैं.
‘नॉर्थ ईस्ट में भी भाजपा का ध्वज!’
भाजपा की 9 साल की राजनीतिक यात्रा में सबसे बड़ी उपलब्धि पूरे उत्तर पूर्व में उपस्थिति भी मानी जाती है. इससे पहले 2014 तक भाजपा की वहां ना के बराबर उपस्थिति थी. लेकिन 2023 तक पार्टी अकेले दम पर चार राज्यों में शासन करती है. इस समय असम,त्रिपुरा,मेघालय और नगालैंड के अलावा सिक्किम,अरुणाचल प्रदेश, मणि पुर में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की सरकार है. यानी 8 पूर्वोत्तर राज्यों में से सात में भाजपा ने जीत का ध्वज लहराया है. सिर्फ मिजोरम में अन्य दल की सरकार है.