आआपा को मिलता है विदेशों से अनुचित धन
दिल्ली
अमेरिका, कनाडा और अरब देशों से AAP को मिली करोड़ों की अवैध फंडिंग, ED ने गृह मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट
ईडी ने गृह मंत्रालय को आम आदमी पार्टी की विदेशी फंडिंग से जुड़ी रिपोर्ट सौंपी है. इसमें बताया गया है कि आम आदमी पार्टी को संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान और अन्य देशों के कई दानदाताओं से धन प्राप्त हुआ. फंड ट्रांसफर करने के लिए विभिन्न दानदाताओं द्वारा एक ही पासपोर्ट नंबर, क्रेडिट कार्ड, ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया है।
नई दिल्ली,20 मई 2024,
दिल्ली के शराब नीति घोटाला मामले में फंसी आम आदमी पार्टी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पहले से ही कोर्ट में चल रहे मामले के बीच अब ई़डी ने आम आदमी पार्टी के विदेश फंड को लेकर बड़ा खुलासा किया है. जानकारी के मुताबित ईडी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को बताया है कि AAP को 2014-2022 के दौरान 7.08 करोड़ रुपये का विदेशी फंड प्राप्त हुआ है. जांच एजेंसी ने पार्टी पर इस विदेश फंड को हासिल करने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए), और विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. इस फंड को हासिल करने के लिए विदेशी दानदाताओं की पहचान और राष्ट्रीयता के साथ-साथ कई अन्य तथ्यों को छिपाने जैसे आरोप ईडी ने अपनी रिपोर्ट में लगाए हैं.
ईडी ने बताया कि आम आदमी पार्टी को संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान और अन्य देशों के कई दानदाताओं से धन प्राप्त हुआ. फंड ट्रांसफर करने के लिए विभिन्न दानदाताओं द्वारा एक ही पासपोर्ट नंबर, क्रेडिट कार्ड, ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया है.
ईडी ने अपनी जांच में AAP और उसके नेताओं द्वारा विदेशी फंड जुटाने में अनियमितताओं के कई मामलों का जिक्र किया है. इसमें पार्टी विधायक दुर्गेश पाठक सहित कई नेताओं पर 2016 में कनाडा में फंड रेजिंग प्रोग्राम से जुटाए गए पैसे का व्यक्तिगत लाभ के लिए दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है. साथ ही अनिकेत सक्सेना (आप ओवरसीज इंडिया के कॉर्डिनेटर), कुमार विश्वास (आप ओवरसीज इंडिया के तत्कालीन संयोजक, कपिल भारद्वाज (आप सदस्य) और पाठक सहित विभिन्न आप स्वयंसेवकों और पदाधिकारियों के बीच भेजे किए गए ई-मेल की सामग्री के जरिए आरोपों की पुष्टि की है.
अब तक की जांच से पता चला है कि संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में फंड रेजिंग कैंपेन के जरिए न केवल पैसा एकत्र किया गया, बल्कि विदेशी फंड पर FCRA के तहत लगाए गए प्रतिबंधों से बचने के लिए AAP ने बुक ऑफ अकाउंट्स में वास्तविक दानदाताओं की पहचान भी छिपाई. विदेशी फंड के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि-
1. कई दानदाताओं ने दान के लिए एक ही पासपोर्ट नंबर का इस्तेमाल किया है.
2. कई दानदाताओं ने दान के लिए एक ही ई-मेल आईडी का इस्तेमाल किया है.
3. कई दाताओं ने एक ही मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया है;
4. कई दानदाताओं ने दान के लिए एक ही क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया है.
ईडी ने अपनी जांच से संबंधित सभी जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय को दानकर्ताओं के विवरण के साथ शेयर की है. जैसे फंडिंग करने वाले के नाम, दानकर्ता का देश, पासपोर्ट नंबर, दान की गई राशि, दान का तरीका और प्राप्तकर्ता का बैंक खाता नंबर, बिलिंग नाम, बिलिंग पता, बिलिंग टेलीफोन नंबर, बिलिंग ई-मेल, दान का समय और तारीख और पेमेंट के लिए इस्तेमाल किए गए गेटवे आदि, जो कि पीएमएलए, 2002 में जांच के दौरान एकत्र किए गए हैं.
ड्रग तस्करी से जुड़े केस का भी जिक्र
ईडी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि AAP द्वारा विदेशी फंड हासिल करने में एफसीआरए उल्लंघन और अन्य अनियमितताएं पाकिस्तान से भारत में बॉर्डर के जरिए हेरोइन की तस्करी में शामिल एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स कार्टेल के खिलाफ पंजाब के फाजिल्का जिले में दर्ज एक मामले की जांच के दौरान सामने आई है. इस संबंध में फाजिल्का की एक विशेष अदालत ने पंजाब के भोलाथ से तत्कालीन आप विधायक सुखपाल सिंह खैरा को आरोपी के रूप में समन जारी किया था. पीएमएलए के तहत ईडी द्वारा जांच के दौरान, खैरा और उसके सहयोगियों के आवासीय परिसरों में तलाशी ली गई, जिसके परिणामस्वरूप विदेशी फंड के विवरण वाले आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए. इसमें अमेरिका में दानदाताओं की सूची वाले कंप्यूटर से लिखे चार पेज और हाथ से लिखे आठ पेज की डायरी शामिल है.
2017 के चुनाव से पहले AAP ने अमेरिका से जुटाए 1,19,000 अमेरिकी डॉलर
ईडी ने आरोप लगाया कि जब्त दस्तावेजों की जांच से कुल 1,19,000 अमेरिकी डॉलर के विदेशी फंड मिलने की जानकारी मिली है. खैरा ने अपने बयान में खुलासा किया कि 1,19,000 डॉलर की विदेशी फंडिंग 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले अप्रैल-मई, 2015 में AAP ने अमेरिका में आयोजित फंड रेजिंग कैंपेन के दौरान जुटाई थी. ईडी ने कहा कि इस संदर्भ में AAP के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता को बुलाया गया था, जिन्होंने स्वीकार किया कि पार्टी को चेक या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से विदेशी चंदा मिलता रहा है. गुप्ता के प्रस्तुत विदेशी फंड के आंकड़ों के विश्लेषण से विदेशी फंड की प्राप्ति में चार विसंगतियों का पता चला है, जो एफसीआरए के प्रावधानों का उल्लंघन है:
-कई दानदाताओं ने दान को एक ही पासपोर्ट नंबर का उपयोग किया है.
-विदेश में रहने वाले 155 व्यक्तियों ने 55 पासपोर्ट नंबरों का उपयोग करके 404 मौकों पर कुल मिलाकर 1.02 करोड़ रुपये का फंड दिया है.
-विदेश में रहने वाले 71 दानदाताओं ने 21 मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल करके 256 मौकों पर कुल मिलूकर 99,90,870/- रु.का फंड दिया.
-विदेश में रहने वाले 75 दानदाताओं ने 148 अवसरों पर कुल 19,92.123/- रुपये का दान देने को 15 क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया है.
AAP पर विदेशी फंड के नियमों का उल्लंघन का आरोप
ये तथ्य दान को इस्तेमाल धन के वास्तविक स्रोत की पहचान और राष्ट्रीयता छुपाना साबित करते हैं. यह विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 का उल्लंघन है.
जांच से यह भी पता चला कि AAP ने एक संस्था का गठन किया है. AAP ओवरसीज़ इंडिया के साथ-साथ अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में वॉलंटियर भी शामिल थे, जिनका प्राथमिक कार्य AAP इंडिया के लिए विदेशी धन जुटाना था. यह भी पता चला है कि करोड़ रुपये के विदेशी दान का लक्ष्य रखा गया है. साल 2016 में इन वॉलंटियर्स के लिए 50 करोड़ रुपये तय किए गए थे.
19 कनाडाई नागरिकों की ईमेल आईडी और मोबाइल नंबरों का उपयोग करके कुल 51,15,044/- रुपये का दान प्राप्त हुआ है. हालांकि, इन कनाडाई नागरिकों के नाम और उनकी राष्ट्रीयता छिपा दी गई है और रिकॉर्ड में सही ढंग से प्रतिबिंबित नहीं हुई है. इसके बजाय, इस फंड के लिए अलग-अलग नामों का उल्लेख किया गया है और यह जानबूझकर AAP द्वारा विदेशी नागरिकों द्वारा दान को छिपाने के लिए किया गया था जो एफसीआरए, 2010 की धारा 3 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 298 का उल्लंघन है.
AAP पदाधिकारियों और वॉलंटियर्स द्वारा की गईं अनियमितताएं और अनुचितताएं-
जांच में विदेशी फंड जुटाने के अभियानों के दौरान AAP पदाधिकारियों और वॉलंटियर्स की ओर से अनियमितताओं और अनुचितताओं का भी पता चला है, जिन्हें निम्नानुसार संक्षेप में प्रस्तुत किया जा सकता है:
2016 में कनाडा में AAP द्वारा आयोजित एक फंड-रेजिंग कैंपेन के दौरान, अनिकेत सक्सेना (आप ओवरसीज इंडिया के समन्वयक) और AAP ओवरसीज इंडिया के तत्कालीन संयोजक कुमार विश्वास के बीच एक ई-मेल बातचीत हुई, जिससे पता चला कि दुर्गेश पाठक (वर्तमान में दिल्ली विधानसभा में AAP विधायक) और कपिल भारद्वाज (AAP सदस्य) ने अनिकेत को जुटाए गए 29000 डॉलर के फंड को भगवंत तूर के जरिए से सीधे दुर्गेश पाठक और कपिल भारद्वाज को ट्रांसफर करने के लिए कहा था.
ई-मेल से कई खुलासे होने का दावा
ये तथ्य साबित करते हैं कि विदेशों में प्रचार के दौरान जुटाए गए फंड को आप नेताओं और उसके पदाधिकारियों के निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया. स्पष्टता के लिए, ई-मेल की सामग्री निम्नानुसार पुन: प्रस्तुत की गई है-
22.11.2015 को कनाडा के टोरंटो में AAP द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान, जिसमें दुर्गेश पाठक (वर्तमान में दिल्ली विधानसभा में AAP विधायक) ने भाग लिया था, 15,000 कनाडाई डॉलर जुटाए गए थे और इस संबंध में, हाथ से लिखी गई डेटा शीट जिसमें दानकर्ताओं का विवरण था और दान की गई राशि कनाडा में AAP के वॉलंटियर्स द्वारा AAP ओवरसीज इंडिया को ई-मेल के माध्यम से भेजी गई थी.
हालांकि, जांच के दौरान यह पाया गया कि हाथ से लिखी डेटा शीट में उल्लिखित इन वास्तविक दानदाताओं के नाम AAP द्वारा प्रस्तुत आधिकारिक रिकॉर्ड में प्रतिबिंबित नहीं थे, इससे यह साबित होता है कि विदेशी दानदाताओं की वास्तविक पहचान छुपाई गई थी और रिकॉर्ड AAP द्वारा विदेशी फंडिंग में हेरफेर किया गया है.
AAP ने 30.01.2016 को टोरंटो, कनाडा में एक कार्यक्रम आयोजित किया था जिसमें कुल 11786 डॉलर का दान जुटाने का दावा किया गया था, जिसमें से 3821 डॉलर कार्यक्रम के आयोजन के खर्च के रूप में दावा किया गया था. 11 AAP कनाडा वॉलंटियर्स (भारतीय नागरिकों) के पासपोर्ट का उपयोग करके AAP इंडिया को उनके IDBI बैंक खाता संख्या में 7955 डॉलर की राशि भेजी गई थी, हालांकि उक्त दान 200 से अधिक व्यक्तियों द्वारा किए जाने का दावा किया गया था जो उस कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इस प्रकार, AAP का यह दावा कि उसे केवल अपने ऑनलाइन पोर्टल या चेक के माध्यम से विदेशी चंदा प्राप्त हुआ है, गलत है.
क्या है FCRA?
एफसीआरए (FCRA ) का पूरा नाम फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट है. जिसे हिंदी में विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम कहा जाता है. इसे साल 1976 में बनाया गया था और 2010 में इसमें संशोधन किया गया. एफसीआरए विदेशी चंदा लेने के लिए इजाजत तो देती ही है साथ ही विदेश से मिल रहे फंडिंग पर नजर भी रखती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जो फंडिंग मिल रही है उसका उद्देश्य क्या है और क्या वह किसी तरह की आतंकी फंडिंग तो नहीं है. इसके अलावा सुरक्षा संबंधी जानकारी भी रखना एफसीआरए का काम है.