आईसीसी ट्राफी भले गंवाई लेकिन भारतीय क्रिकेट ने प्राप्त किये नये सौपान
टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप का ख़िताब तो गँवा दिया, लेकिन हासिल किए कई मकाम
अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेले गए विश्व कप 2023 के फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत पर छह विकेटों से आसान जीत हासिल की.
पहले बैटिंग करते हुए भारतीय टीम 240 के औसत स्कोर पर ऑल आउट हो गई, जो इस पिच पर स्कोर के लिहाज से कम से कम 30-40 रन दूर थी.
जवाब में भारत ने शुरूआती तीन विकेट जल्दी ही झटक लिए, लेकिन फिर ट्रैविस हेड का शानदार शतक और लाबुशान के साथ उनकी 192 रनों की साझेदारी की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने ये मैच 6 विकेटों से जीत लिया और रिकॉर्ड छठी बार वर्ल्ड कप पर कब्ज़ा किया.
हालाँकि, भारतीय टीम 2011 के बाद एक बार फिर कप जीतने में असमर्थ रही, लेकिन फिर भी रोहित शर्मा की इस टीम ने फ़ाइनल तक अपने सफर में कुछ ऐसे रिकॉर्ड्स तोड़े और कुछ ऐसे नए मकाम हासिल किए, जिनकी उन्हें बरसों से तलाश थी.
लगातार 10 मैचों में जीत का रिकॉर्ड
इस वर्ल्ड कप में अपने पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया को हराने के साथ ही भारतीय टीम नें जीत का बेहतरीन सफ़र शुरू किया, जो फाइनल में जाकर ऑस्ट्रेलिया के हाथों ही टूटा.
इस दौरान भारतीय टीम ने 10 लगातार जीतें हासिल की, जो भारत का किसी भी एक आईसीसी वर्ल्ड कप में सबसे ज़्यादा लगातार जीत का नया रिकार्ड रहा.
इससे पहले 2003 और 2015 में भारतीय टीम ने लगातार आठ जीत हासिल की थी. वैसे किसी एक टूर्नामेंट में सबसे ज़्यादा 11 जीत का रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के नाम है जिन्होंने ये कारनामा 2003 और 2007 में करके दिखाया था.
विश्व कप 2023 में भारतीय जीत के सफ़र में एक और बात ने सबको भारतीय टीम का मुरीद बना दिया, वो था जीत का अंतर.
भारतीय टीम ना सिर्फ़ जीत रही थी, बल्कि बड़े अंतरों के साथ जीत रही थी और विपक्षी टीमों का मनोबल भी बुरी तरह से तोड़ रही थी.
पहले मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को छह विकेटों से हराया, फिर दूसरे मैच में अफ़ग़निस्तान को भारत ने आठ विकेटों से धोया.
भारत ने अपना तीसरा मैच पाकिस्तान से सात विकेटों से जीता और 31वें ओवर में ही मैच ख़त्म कर दिया.
इसके बाद भारत को बांग्लादेश के ख़िलाफ़ सात विकेटों से जीत मिली. न्यूजीलैंड के साथ सबसे क़रीबी मुक़ाबला हुआ, जिसे भी भारत ने 4 विकेटों से जीत लिया.
इंग्लैंड के विरुद्ध भारतीय बैटिंग डगमगाई, लेकिन गेंदबाज़ों ने ये मैच भी भारत को 100 रनों से जिता दिया.
उसके बाद भारत को टूर्नामेंट की दो सबसे बड़ी जीतें मिली. श्रीलंका को भारत ने केवल 55 रनों पर आउट कर दिया और मैच 302 रनों से जीत लिया.
वहीं फ़ॉर्म में चल रही साउथ अफ्रीका भी भारत से 243 रनों से मैच हार गई. अपने आख़िरी लीग मैच में भारत ने नीदरलैंड्स को 160 रनों से हराया और फिर सेमी फ़ाइनल में भी न्यूज़ीलैंड पर 70 रनों की बड़ी जीत हासिल की.
हालाँकि, विश्व चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया की टीम बनी, लेकिन किसी को कोई शक़ नहीं था कि इस विश्व कप की सबसे मज़बूत टीम भारत की ही थी. व
भारतीय गेंदबाज़ मोहम्मद शमी
भारतीय टीम की सफलता में शानदार भूमिका टीम की गेंदबाज़ी ने निभाई. एक समय था जब भारतीय टीम की बैटिंग को को फ़ैब फाइव यानी जब़रदस्त पाँच के नाम से जाना जाता था.
तब भारतीय टीम में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण और वीरेंदर सहवाग एक साथ खेलते थे. इन्हें भारत की सबसे मज़बूत बैटिंग लाइन अप भी मानते हैं.
इस वर्ल्ड कप में भी एक बार फिर फ़ैब फ़ाइव की चर्चा हुई, लेकिन ये फ़ैब फ़ाइव बल्लेबाज़ नहीं बल्कि 5 बेमिसाल बॉलर रहे.
जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज़ इस वर्ल्ड कप में सबसे ख़तरनाक पेस और सीम अटैक के बेताज बादशाह के रूप में उभरे. वहीं, रवींद्र जडेजा और कुलदीप यादव की जोड़ी सबसे ख़तरनाक स्पिन बॉलर्स के रूप में उभरी.
इंग्लैड के पूर्व क्रिकेटर नासिर हुसैन ने इन्हें फ़ैब फ़ाइव के नाम से संबोधित किया तो रिकी पोंटिंग ने इसे भारत का सर्वकालीन सबसे ख़तरनाक बॉलिंग अटैक बताया.
इस टूर्नामेंट में शमी ने सर्वाधिक 24 विकेट लिए, बुमराह ने 20, जडेजा ने 16, कुलदीप यादव ने 15 और सिराज ने 14 सफलताएँ हासिल की.
विश्वस्तरीय बैटिंग का ताज वापस जीता
विराट कोहली
भारतीय बल्लेबाज़ लंबे समय से दुनिया के अव्वल बल्लेबाज़ों में गिनती रखते हैं.
इस वर्ल्ड कप में आईसीसी की वनडे रैंकिंग में भारत के शुभमन गिल ने पाकिस्तान के बाबर आज़म से आगे निकल कर पहला नंबर हासिल किया.
वहीं, विराट कोहली ने कई रिकॉर्डों से साथ एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया, जिसे तोड़ना असंभव लगता है.
कोहली
कोहली ने वनडे में अपने आदर्श सचिन तेंदुलकर के 49 शतकों के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए 50 शतक लगाया.
उन्होंने ये रिकॉर्ड मुंबई के खचाखच भरे स्टेडियम में सचिन तेंदुलकर और डेविड बेकहम जैसे खिलाड़ियों के सामने न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ सेमी फ़ाइनल मैच में बनाया.
कोहली और सचिन के बाद इस सूची में तीसरे नंबर पर 31 शतकों के साथ रोहित शर्मा हैं.
टॉप फ़ाइव में रिटायर हो चुके रिकी पोंटिंग और सनथ जयसूर्या चौथे और पाँचवें स्थान पर हैं.
कोहली का ये रिकॉर्ड लंब समय तक क़ायम रहेगा और शायद कभी भी ना टूट पाए, जिस तरह टी20 क्रिकेट वनडे से आगे निकल चुकी है.
नंबर चार की समस्या का किया निदान
श्रेयस अय्यर
भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप में अपनी बरसों की एक समस्या का निदान कर लिया.
युवराज सिंह और सुरेश रैना के रिटायर होने के बाद भारतीय टीम को नंबर चार पर कोई भी सफल बल्लेबाज़ नहीं मिल पाया और ये समस्या लगभग 10 साल से भारतीय टीम को सालती रही.
इस नंबर पर भारत ने मनीष पांडे, अजिंक्या रहाणे, एमएस धोनी, केदार जाधव, अंबाती रायडू जैसे कई बल्लेबाज़ों को आजमाया लेकिन कोई भी इस नंबर पर जम नहीं पाया.
लेकिन इस वर्ल्ड कप में श्रेयस अय्यर ने शानदार बैटिंग करके नंबर चार को अपना बना लिया.
कोहली
उन्होंने विराट कोहली के साथ मिलकर कई बार भारतीय पारी को मुश्किल से निकाला, वहीं केएल राहुल के साथ उन्होंने आख़िरी ओवरों में ज़बरदस्त प्रहार करके टीम के स्कोर को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया.
श्रेयस अय्यर के टैलेंट पर किसी को शक नहीं था, लेकिन इस वर्ल्ड कप में उन्होंने अपनी मज़बूत मानसिकता का भी परिचय दिया.
इसी तरह से इस टूर्नामेंट में भारत ने नंबर पाँच पर भी दुनिया के ज़बरदस्त खिलाड़ी को मौक़ा दिया.
इस टूर्नामेंट में केएल राहुल नंबर पाँच पर भारत के लिए खेलते हुए नज़र आए.
इस पोजिशन पर दोनों ही खिलाड़ियों ने काबिलियत का उदाहरण दिया.
एक तरफ़ तो वो मुश्किल घड़ियों में टिककर खेलते हुए नज़र आए, तो दूसरी तरफ़ मौक़ा मिलने पर बड़े शॉट्स भी लगाए और वर्ल्ड कप में भारत के लिए सबसे तेज़ शतक भी पूरा किया.
चोट के बाद ज़बरदस्त वापसी
भारतीय गेंदबाज जसप्रीत बुमराह
इस विश्व कप से पहले भारतीय टीम चोट की गंभीर समस्या से जूझ रही थी.
बॉलिंग अटैक के लीडर जसप्रीत बुमराह लंबे समय से टीम से बाहर थे, वहीं श्रेयस अय्यर और केएल राहुल जैसे खिलाड़ी भी सर्जरी या चोट से रिकवरी की वजह से टीम से अंदर बाहर हो रहे थे.
पूरी तरह से फ़िट न होने के बावजूद भारतीय मैनेजमेंट ने उन पर पूरा भरोसा जताया और ये सभी खिलाड़ी भरपूर मेहनत करके वर्ल्ड कप से ठीक पहले भारतीय टीम में वापस भी आ गए.
और ये न सिर्फ़ वापस आए बल्कि इन तीनों ने ज़बरदस्त प्रदर्शन किया ओर टीम मैनेजमेंट के भरोसे को सही साबित किया.
मोहम्मद शमी ने दिखाया जलवा
मोहम्मद शमी
इस वर्ल्ड कप की शुरुआत में तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद शमी भारतीय टीम के इलेवन में शामिल नहीं थे.
उनकी जगह टीम प्रबंधन ने शार्दुल ठाकुर को प्राथमिकता दी थी.
लेकिन जब मोहम्मद शमी को मौक़ा मिला तो पहले ही मैच में उन्होंने पाँच विकेट लेकर सबको चौंका दिया.
इसके बाद शमी ने तो हर मैच में शानदार गेंदबाज़ी की. न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ सेमी फ़ाइनल मैच में तो उन्होंने सात विकेट लिए.
देखा जाए तो ये वर्ल्ड कप मोहम्मद शमी के लिए यादगार बन गया.
भारत ने इस वर्ल्ड कप में कुल 11 मैच खेले और शमी ने सिर्फ़ सात. लेकिन इन सात मैचों में शमी ने 20 विकेट मिले.
दर्शकों के लिहाज से रिकॉर्ड
मैच देखने के लिए पहुंचे लोग
इस वर्ल्ड कप में मैदान पर दर्शक ख़ूब आए ओर मीडिया ब्रॉडकास्टर्स ने भी रिकॉर्ड नंबर्स हासिल किए.
डिज़िटल ब्रॉडकास्टर हॉटस्टार पर फ़ाइनल मैच के दौरान एक वक़्त एक साथ 5.9 करोड़ लोग मैच देख रहे थे जो एक रिकॉर्ड है.
वही अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेले गए फ़ाइनल में 1,00,000 से भी ज्यादा दर्शक मैदान पर मैच देखने आए, जिसने 2015 में मेलबर्न के फ़ाइनल के लगभग 90,000 के दर्शकों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया.
यह रिकॉर्ड नंबर्स भारतीय टीम की लोकप्रियता को ही दर्शाते हैं.
फ़ाइनल मैच के बाद निराश कप्तान रोहित शर्मा ने कहा, “नतीजा हमारे पक्ष में नहीं आया लेकिन मुझे गर्व है जिस तरह का क्रिकेट हमने पूरी टूर्नामेंट में खेला.”
जल्द ही टीम के कोच राहुल द्रविड़ से बीसीसीआई टूर्नामेंट की रिपोर्ट मांगेगी और एक बार फिर फ़ाइनल नहीं जीतने के कारणों पर बहस शुरु होगी.
भारतीय टीम को नकारात्मकता को भुलाकर इस टूर्नामेंट से मिली सफलताओं और असफलताओं को नज़र में रखते हुए नई शुरुआत करनी होगी.