उत्तरांचल विवि में छात्र की मौत को विवि प्रशासन पर हत्या का मुकदमा, पुलिस ने भी किया अनसुना
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उत्तरांचल विश्वविद्यालय में एक छात्र की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में पुलिस ने विश्वविद्यालय प्रशासन हॉस्टल वार्डन और एक अन्य के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। छात्र के परिजनों का आरोप है कि उनके बेटे की हत्या की गई है और विश्वविद्यालय प्रशासन इसे छिपाने की कोशिश कर रहा है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
प्रेमनगर थाना पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। (सांकेतिक तस्वीर)
बिहार के गया जिले का रहने वाला था छात्रा, विश्वविद्यालय से कर रहा था बीएएलएलबी की पढ़ाई
देहरादून। बिहार के गया जिले के एक छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में पुलिस ने उत्तरांचल विश्वविद्यालय के प्रशासन, होस्टल वार्डन व एक अन्य के विरुद्ध गैर इरादातन हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। स्वजनों का आरोप है कि बेटे की हत्या की गई है, विश्वविद्यालय प्रशासन ने घटना को छिपाने के लिए इसे सड़क हादसा दर्शाने का प्रयास किया है। मुकदमा दर्ज करने के बाद प्रेमनगर थाना पुलिस ने मामले की जांच में जुट गई है।
पुलिस को दी लिखित शिक़ायत में पार्षद ओम प्रकाश सिंह निवासी पुलिस लाइन थाना रामपुर जिला गया (बिहार) ने बताया कि उनका बेटा सत्य प्रकाश प्रेमनगर स्थित उत्तरांचल विश्वविद्यालय के हॉस्टल में ही रहकर बीएएलएलबी की पढाई कर रहा था। उन्होंने इसी वर्ष बेटे का एडमिशन करवाया था।
15 दिसंबर की सुबह करीब 4 बजे उनके बेटे के मोबाइल नंबर से युवराज नामक व्यक्ति ने फाेन किया सत्य प्रकाश की हालत बहुत खराब है और वह दून अस्पताल में भर्ती है। उसने जल्द से जल्द देहरादून पहुंचने के लिए कहा। शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्होंने युवराज से कहा कि आप इलाज करवाओ और अपना मोबाइल नंबर दो इलाज के लिए वह रुपये भेज रहे हैं।
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फोन को काटकर तत्काल उन्होंने हास्टल वार्डन को फोन कि बेटे सत्य प्रकाश से बात कराओ तो वार्डन ने कहा कि इतनी सुबह वह तो सो रहा होगा। बार-बार हालचाल पूछने व बात करवाने को कहा लेकिन कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। इसके बाद दूसरे मोबाइल नंबर से फिर फोन आया तो बेटे के गंभीर होने की बात कही गई लेकिन फिर भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई।
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15 दिसंबर की सुबह हास्टल वार्डन का फोन आया और उसने बताया कि आपके बच्चे का तबीयत बहुत खराब है और दुन अस्पताल में भर्ती है। घंटों बाद उन्हें सूचना दी कि उनके बेटे की मृत्यु हो चुकी है। इस मामले में प्रेमनगर थाना पुलिस ने युवराज, विश्वविद्यालय प्रशासन व हास्टल वार्डन के विरुद्ध गैर इरादातन हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है।
पुलिस मामले की जांच में जुटी जांच। जागरण
एक दिन का था आउटपास, छह दिन तक कैसे रहा बाहर?
शिकायतकर्ता ने बताया कि दाखिले के समय कालेज प्रशासन ने उनसे कहा कि हास्टल में रहने वाले छात्र सुरक्षित रहते हैं। बिना स्वजनों की अनुमति के उन्हें बाहर नहीं जाने दिया जाता। नौ दिसंबर को सत्यप्रकाश एक दिन के आउटपास पर बाहर गया था, क्योंकि उनके दोस्त की तबीयत खराब थी और वह उसका इलाज करने के लिए गया था। इस दिन हास्टल से उनकी पत्नी को जानकारी दी गई थी।
कॉलेज प्रशासन का कहना है कि 14 दिसंबर की देर रात को सत्याप्रकाश की मृत्यु सड़क हादसे में हुई तो छात्र के हास्टल के छह दिन बाहर रहने की सूचना स्वजनों को क्यों नहीं दी गई। आरोप है कि छुट्टी की एक दिन की अप्लीकेशन में छेड़छाड़ करके इसे छह दिन दर्शाया गया है। अप्लीकेशन ओवरराइटिंग बनाकर गुमराह कर साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ की गई है।
बिना सोचे समझे हत्या करने का आरोप
शिकायतकर्ता का आरोप है कि बेटे के साथ घटित घटना को वार्डन, विश्वविद्यालय के संबंधित पदाधिकारियों एवं अन्य के सहयोग से जानबुझकर गलत सूचना देकर गुमराह करने की कोशिश की गई है। सत्य प्रकाश की मृत्यु एक षड्यंत्र प्रतीत होती है, तथा हत्या की घटना को अलग रूप देने की सोची षड़यंत्र किया गया है। हास्टल के वार्डन को पता ही नहीं कि बच्चा कहां है जबकि बिना स्वजनों की अनुमती के बिना बच्चे को हास्टल से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। उनके बेटे के आइ फोन मोबाइल के साथ भी छेड़छाड़ की गई है। मोबाइल को फार्मेट मारा गया है।
गुहार लगाने के बावजूद बोर्ड से नहीं कराया पोस्टमार्टम
ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि बेटे की मौत को संदिग्ध देखते हुए उन्होंने कई बार पुलिस प्रशासन से चिकित्सकों के पैनल से पोस्टमार्टम करवाने की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें इधर-उधर घुमाने के बाद भी पैनल से पोस्टमार्टम नहीं कराया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण लीवर में चोट बताया जा रहा है जबकि बेटे के शरीर पर एक भी चोट का निशान नहीं था। यदि सड़क दुर्घटना होती तो शरीर के अन्य हिस्सों में भी चोट के निशान होने चाहिए थे।