उत्तराखंड कैबिनेट: कोरोना गतिरोध से भर्तियों में ऊपरी आयुसीमा में छूट
Uttarakhand Cabinet Meet: सरकारी नौकरी के लिए अभ्यर्थियों को आयु सीमा में एक साल की छूट, जानें- कैबिनेट के अन्य फैसले
लंबे अरसे से ठप भर्तियां खुलने का इंतजार कर रहे बेरोजगार युवाओं को धामी मंत्रिमंडल ने बड़ी राहत दी है। राज्य लोक सेवा आयोग की परिधि के अंदर और बाहर समूह-ग के पदों पर होने वाली भर्तियों में उन्हें ऊपरी आयु सीमा में एक बार छूट मिलेगी।
देहरादून14 जुलाई। कोविड-19 महामारी की वजह से लंबे अरसे से ठप भर्तियां खुलने का इंतजार कर रहे बेरोजगार युवाओं को पुष्कर सिंह धामी मंत्रिमंडल ने बड़ी राहत दी है। राज्य लोक सेवा आयोग की परिधि के अंदर और बाहर समूह-ग के पदों पर होने वाली भर्तियों में उन्हें ऊपरी आयु सीमा में एक बार छूट मिलेगी। यह छूट 30 जून, 2022 तक लागू रहेगी। मंत्रिमंडल ने अन्य महत्वपूर्ण फैसले में प्रदेश में कमजोर आय वर्ग के दिव्यांगजनों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अभियान (एनएफएसए) में शामिल करने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को सचिवालय में मंत्रिमंडल की बैठक में युवाओं, दिव्यांगों, कर्मचारियों के हित में फैसले लिए गए। मंत्रिमंडल के समक्ष 11 बिंदु रखे गए। इनमें से नौ पर फैसले लिए गए, जबकि गन्ना एवं चीनी विकास विभाग के चीनी मिलों से संबंधित दो प्रस्ताव स्थगित कर दिए गए। मंत्रिमंडल के फैसलों को ब्रीफ करते हुए कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि राज्य लोक सेवा आयोग की परिधि के अंतर्गत और बाहर समूह-ग के रिक्त पदों पर भर्ती के प्रस्ताव आयोगों को भेजे गए हैं। कोरोना संकट के चलते वर्ष 2019-2020 एवं वर्ष 2021 में भी चयन की कार्यवाही बाधित हुई है। बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों के निर्धारित आयु सीमा पूरी करने के कारण उन्हें आवेदन की पात्रता से वंचित होना पड़ सकता है। इसे देखते हुए मंत्रिमंडल ने इन पदों पर चयन में केवल और एक बार के लिए ऊपरी आयु सीमा में छूट देने का निर्णय लिया है। वर्तमान में यह आयु सीमा 42 वर्ष है।
दरअसल वर्ष 2020 में कोविड-19 की वजह से लागू लाकडाउन के कारण बड़ी संख्या में विभिन्न चयन प्रक्रियाओं में पात्र बेरोजगार आवेदन नहीं कर पाए। ऐसे अभ्यर्थियों को राहत देने को नौ दिसंबर, 2020 को ऊपरी आयु सीमा में केवल एक बार के लिए आयु की गणना एक जनवरी, 2020 के आधार पर करने की छूट दी गई थी। इस छूट को बढ़ाकर 30 जून, 2022 करने का निर्णय मंत्रिमंडल ने किया है। इससे सैकड़ों युवाओं को राहत मिलना तय है।
मंत्रिमंडल के इस फैसले से राज्य लोक सेवा आयोग के अंतर्गत व्यवस्थापक पद और सचिवालय में समीक्षा अधिकारी (लेखा) पद व सहायक समीक्षा अधिकारी (लेखा) पद के लिए प्रारंभिक परीक्षा 23 मई, 2021 को लाकडाउन के कारण स्थगित की जा चुकी है। इन दोनों परीक्षाओं को आयु सीमा में छूट के दायरे से अलग रखने का निर्णय भी मंत्रिमंडल ने लिया है। यह निर्णय आयोग से मिले परामर्श पर लिया गया है।
मंत्रिमंडल ने तय किया है कि एनएफएसए के तहत ऐसे परिवार, जिसके किसी सदस्य को दिव्यांग पेंशन के लिए पात्र माना गया है और परिवार की मासिक आय चार हजार रुपये से कम है, उसे अंत्योदय योजना में शामिल किया जाएगा। दिव्यांग पेशन के लिए न्यूनतम दिव्यांगता 40 फीसद होनी चाहिए। साथ ही ऐसे परिवार जिनका कोई भी सदस्य दिव्यांग हो एवं परिवार की मासिक आय 15 हजार रुपये से कम हो, को प्राथमिक परिवार मानते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ दिया जाएगा।
कैबिनेट फैसले:
समूह-ग के पदों पर भर्ती आयु सीमा में छूट 30 जून 2022 तक बढ़ाने पर मुहर उत्तराखंड वन विकास निगम में स्केलर संवर्ग में दो वर्ष की दैनिक श्रम अवधि सेवा को पदोन्नत वेतनमान में जोड़ने को विभागीय मंत्री डा हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में उपसमिति के गठन को मंजूरी देहरादून महायोजना-2025 के जोनल प्लान में सरकारी भवनों के भवन निर्माण के लिए भूमि पर छूट का प्रविधान सभी राष्ट्रीय दलों पर भी लागू करने पर सहमति परिवहन विभाग के कर्मचारियों के वेतन संबंधी विषय पर एकमुश्त सहायता पर निर्णय लेने को मुख्यमंत्री को किया अधिकृत श्रीनगर, देहरादून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में 501 पद सृजित
लखवाड परियोजना भमि का फैसला वापस, त्रिवेंद्र सरकार ने कर दिया था स्थगित
दरअसल, तीन जनवरी 2017 को विकासनगर के लोहारी गांव के परिवारों को हरीश रावत सरकार ने राजकीय रेशम फार्म जीवनगढ़ और रेशम फार्म अम्बाड़ी की जमीन बतौर विस्थापन आवंटित करने का फैसला कैबिनेट बैठक में लिया था।
उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार में लखवाड़-ब्यासी परियोजना में पूर्ण रूप से विस्थापित होने जा रहे लोहारी गांव वालों को रेशम विभाग की जमीन बतौर विस्थापन आवंटन का फैसला लिया गया था। त्रिवेंद्र सरकार में इसे स्थगित किया गया और बुधवार को हुई धामी सरकार की कैबिनेट बैठक में इस फैसले को वापस ले लिया गया।
दरअसल, तीन जनवरी 2017 को विकासनगर के लोहारी गांव के परिवारों को हरीश रावत सरकार ने राजकीय रेशम फार्म जीवनगढ़ और रेशम फार्म अम्बाड़ी की जमीन बतौर विस्थापन आवंटित करने का फैसला कैबिनेट बैठक में लिया था। इसके बाद 13 जून 2017 को हुई त्रिवेंद्र सरकार की कैबिनेट बैठक में इस आवंटन पर फैसला स्थगित करने का निर्णय लिया गया था।
रेशम विभाग की जीवनगढ़ में 11 हेक्टेयर और अम्बाड़ी में करीब साढ़े तीन हेक्टेयर भूमि है। धामी कैबिनेट ने माना कि राजकीय रेशम फार्म जीवनगढ़ विभागीय गतिविधियों के संचालन के लिए अति महत्वपूर्ण उद्यान है। जिसमें विभाग द्वारा आवश्यक अवस्थापना सुविधाएं जैसे विभागीय तीन भवन, चाकी कीटनालन भवन, फार्म की सिंचाई के लिए नलकूप, नर्सरी एवं बुनाई केंद्र स्थापित किए गए हैं, जो बहुत उपयोगी है। इस जमीन में लगभग 38 हजार पेड़ शहतूत, दो लाख पेड़ों की नर्सरी, दो ट्यूबवेल, तीन चाकी केंद्र तथा एक बुनाई सेंटर है।
अम्बाड़ी फार्म स्थित रेशम फार्म में लगभग आठ हजार शहतूत पेड़, तीन लाख पेड़ों की नर्सरी, एक ट्यूबवेल, एक चाकी केंद्र तथा एक बुनाई केंद्र है। कैबिनेट ने माना कि यह दोनों ही फार्म रेशम विकास के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान रखते हैं। लिहाजा, इस जमीन को किसी और को देना उचित नहीं है।
सरकार ने यह भी माना कि इन दोनों ही रेशम फार्म से आसपास के 14 गांवों के 235 अनुसूचित जाति, जनजाति तथा निर्बल गरीब वर्ग के परिवारों की महिला एवं पुरुषों का जीविकोपार्जन मिलता है। लिहाजा, मंत्रिमंडल ने इस भूमि आवंटन का फैसला वापस ले लिया है। सरकार के शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा कि विस्थापितों को नियमानुसार मुआवजा दिया जाएगा।