कनाडा में ही बने खालिस्तान:दोसांझ,विपक्षी नेता ने कहा,ट्रूडो प्रमाणों से करें बात
‘हमारे देश में ही बनाया जाए खालिस्तान’: कनाडा के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने ट्रुडो को परेशानी में डाला, नेता प्रतिपक्ष भी बोले – बिना सबूत-तथ्य के बात कर रहे ट्रूडो
पियरे पोलिवर, उज्जल दोसांझ
कनाडा के नेताओं ने जस्टिन ट्रूडो से साक्ष्य सामने रखने को कहा है
कनाडा के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री उज्जल दोसांझ ने कहा है कि कनाडा में खालिस्तान बनाया जाना चाहिए। वहीं कनाडा के नेता प्रतिपक्ष पियरे पोलिवर ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को परेशानी में डाल दिया है।
उज्जल पंजाबी मूल के हैं और उनका जन्म जालंधर में हुआ था। वह वर्ष 2004 से 2005 के बीच कनाडा के स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं। कनाडा की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे नेता उज्जल दोसांझ ने कहा है कि यदि सिख खालिस्तान चाहते हैं तो उसे कनाडा में ही बनाया जाना चाहिए। उज्जल ने अंग्रेजी समाचार पत्र ‘इंडियन एक्सप्रेस‘ को दिए गए साक्षात्कार में कहा है कि सिख कनाडा की जनसंख्या में मात्र 2% है, यदि इस छोटे से समुदाय का एक हिस्सा खालिस्तान चाहता है तो उनको अल्बर्टा या ससकतच्वन में बनाने दिया जाए। इससे भारत को क्या खतरा होगा?
उज्जल ने कहा है कि जस्टिन ट्रूडो ने कोई भी साक्ष्य इस सम्बन्ध में सामने नहीं रखे हैं। यह अच्छा होता कि वह तब सारी बात सामने रखते जब कनाडा की पुलिस अपनी जाँच पूरी कर लेती और आरोपों की पुष्टि कर लेती। उज्जल ने यह भी कहा है कि इस बात में कुछ सच हो सकता है कि ट्रूडो के खालिस्तानियों के साथ सम्बन्ध हैं।
उज्जल ने खालिस्तान के प्रश्न पर कहा कि कनाडा में खालिस्तान माँग रहे सिख भारत को नहीं तोड़ेंगे और जो भारत में हैं वह खालिस्तान की माँग नहीं कर रहे हैं। खालिस्तान की माँग करने वालों में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो कि कभी भारत नहीं गए।
कनाडा की जनता के सामने साक्ष्य रखें ट्रूडो: पियरे
कनाडा के नेता प्रतिपक्ष पोलिवर पियरे ने कहा है कि जस्टिन ने उन्हें खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार से जुड़े व्यक्तियों को लेकर कोई ठोस सबूत नहीं दिखाए हैं।
जस्टिन ट्रूडो ने 19 सितम्बर को कनाडा की संसद में जून माह में हुई खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत सरकार पर मढ़ा था और कहा था कि हमारे पास इसको लेकर विश्वसनीय सबूत हैं। पियरे कनाडा के प्रमुख विपक्षी दल कंजरवेटिव के नेता हैं। इसी को लेकर पियरे ने ट्रूडो से इस मामले को लेकर और जानकारी सामने रखने को कहा है। पियरे का कहना है कि ट्रूडो को विश्वसनीय जानकारी सामने रखनी चाहिए जिससे कनाडाई नागरिक सही निर्णय ले सकें। पियरे का कहना है कि ट्रूडो ने अभी इस मामले तथ्य उपलब्ध नहीं कराए हैं।
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भारत और कनाडा विवाद पर बोले कनाडाई पत्रकार।
पत्रकार बोले- ट्रूडो को उठानी पड़ सकती है शर्मिंदगी
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के भारत पर लगाए गए गंभीर आरोपों पर विवाद अब बढ़ता ही जा रहा है। इस मामले में भारत सरकार भी एक्शन मोड में है। इस बीच प्रधानमंत्री ट्रूडो के दावे पर कनाडाई पत्रकार ने प्रतिक्रिया दी है।
कनाडाई पत्रकार मिलेवस्की टेरी ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री ट्रूडो ने जो दावा किया है अगर वह सही साबित नहीं होता है तो उन्हें शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि जांच के बाद ही इस मामले से जुड़े तथ्य सामने आ पाएंगे।
कनाडा के आरोपों पर चुप नहीं बैठने वाले भारतीय
पत्रकार मिलेवस्की टेरी ने कहा कि कनाडा ने भारत पर जो आरोप लगाए हैं। उसे लेकर भारतीय चुप बैठने वाले नहीं है। उन्होंने कहा कि कनाडा सरकार को अपने दावे को साबित करने के लिए सबूत पेश करने होंगे। पत्रकार ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री ट्रूडो ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी।
खालिस्तानी नेता नहीं जुटा पाए एक भी सबूत
मिलेवस्की ने आगे कहा कि स्थानीय खालिस्तानी नेता इस मामले में एक भी ऐसा सबूत जुटा नहीं पाए है, जिससे ये दावा किया जा सके कि इस हत्याकांड के पीछे भारत का हाथ है। बता दें कि कनाडा में भारतीय अधिकारियों के खिलाफ पोस्टर लगाए गए हैं, जिसमें उन्हें इस हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
पत्रकार ने कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री का सिर्फ यह कहना कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ हो सकता है। यह एक चिंता की बात है। इससे दोनों देशों के संबंध खराब होंगे, क्योंकि जो आरोप लगाए गए हैं। अभी तक वह साबित नहीं हुए हैं।
जहाँ कनाडा के विपक्ष ने ट्रूडो के दावे पर प्रश्न उठाए हैं वहीं भारत के विपक्ष ने सरकार के स्टैंड का समर्थन किया है। कॉन्ग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने सरकार द्वारा दिए गए जवाब और कार्रवाई पर अपना समर्थन दिया है और कनाडा की बचकानी कूटनीतिक हरकत की आलोचना की है। ट्रूडो के बयान पर विपक्ष के प्रश्न और अन्य देशों का समर्थन नहीं मिलने के कारण अब कनाडा, भारत के विरुद्ध परेशानी में पड़ता दिखाई दे रहा है।
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