कबाड़ी ने विधवा का चार बच्चों समेत कराया मुस्लिम धर्मांतरण, मुकदमा
Uttarakhand: विधवा से शादी कर उसके चार बेटों का कराया जबरन मतांतरण, डीएम लेवल की जांच के बाद मुकदमा दर्ज़
पुलिस ने कबाड़ी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
कबाड़ का काम करने वाले एक मुस्लिम व्यक्ति ने पहले तो प्रशासनिक अनुमति लिए बगैर विधवा महिला का मतांतरण करा उससे शादी कर ली। इसके बाद उसने महिला के चार नाबालिग बच्चों का भी जबरन मतांतरण करा दिया।
डोईवाला, 13 अप्रैल: कबाड़ का काम करने वाले एक मुस्लिम व्यक्ति ने पहले तो प्रशासनिक अनुमति लिए बगैर विधवा महिला का मतांतरण करा उससे शादी कर ली। इसके बाद उसने महिला के चार नाबालिग बच्चों का भी जबरन मतांतरण करा दिया। हिंदू संगठनों की शिकायत पर जिलाधिकारी के स्तर से कराई गई जांच में इसकी पुष्टि हुई, जिसके बाद पुलिस ने कबाड़ी के विरुद्ध उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
प्रकरण डोईवाला का है। डोईवाला कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक राजेश शाह ने बताया कि विश्व हिंदू परिषद के जिला धर्माचार्य प्रमुख संतोष राजपूत निवासी सिमलास ग्रांट देहरादून ने इसी वर्ष जनवरी में इस संबंध में शिकायत की थी, जिसमें बताया गया कि झारखंड की एक महिला केशवपुरी बस्ती में अपने चार बेटों के साथ रहने आई। महिला के पति की मृत्यु हो चुकी है। वह यहां कबाड़ बीनकर गुजर-बसर कर रही थी।
इसी दौरान इंदिरा कालोनी केशवपुरी बस्ती निवासी नईम के संपर्क में आई। नईम पेशे से कबाड़ी है। महिला उसके पास कबाड़ बेचने जाती थी। आरोप है कि गत वर्ष उसने महिला को बहला-फुसलाकर मतांतरण कराया और फिर छह मई को उससे निकाह कर लिया। कुछ महीने बाद उसने महिला के चारों बेटों का भी मतांतरण करा दिया।
इस प्रकरण की जिलाधिकारी देहरादून ने जांच कराई तो शिकायत सही पाई गई। कोतवाली प्रभारी ने बताया कि नए कानून उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम के तहत इस तरह के मामलों में मतांतरण के लिए जिलाधिकारी से अनुमति लेना आवश्यक है, लेकिन जांच में पता चला कि आरोपित नईम ने इस तरह की कोई अनुमति नहीं ली। उन्होंने बताया कि मामले में जांच चल रही है। इस कृत्य में शामिल अन्य व्यक्तियों के विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी।
सामूहिक मतांतरण पर 10 साल कारावास का है प्रावधान
उत्तराखंड में जबरन मतांतरण पर रोक लगाने के लिए लाए गए नए कानून उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम में सामूहिक मतांतरण के मामलों में 10 साल तक कारावास के साथ अधिकतम 50 हजार जुर्माना राशि का प्रावधान किया गया है। इसके तहत जबरन मतांतरण गैर जमानती अपराध है। मतांतरण के पीड़ित को समुचित प्रति कर के रूप में पांच लाख रुपये की राशि भी न्यायालय के माध्यम से दिलाई जाएगी।