कोरोना के अल्फा वैरिएंट के सुपर स्प्रैडर थे किसान आंदोलनकारी: स्टडी
किसान आंदोलन से भारत में आई कोरोना की लहर, अल्फा वैरिएंट के सुपरस्प्रेडर थे प्रदर्शनकारी: देश-दुनिया के 7 संस्थानों की स्टडी से खुलासा, साल भर वैज्ञानिकों ने किया रिसर्च
राकेश टिकैत किसान आंदोलन
देश में कोरोना वायरस फैलने को लेकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) समेत 7 रिसर्च संस्थानों की स्टडी रिपोर्ट सामने आई है। इंटरनेशनल जर्नल ‘एमडीपीआई कोविड’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार देश में कोरोना की पहली लहर (First wave of corona) का कारण किसान आंदोलन बना था। कोरोना के अल्फा वेरिएंट पर की गई रिसर्च के आधार पर यह दावा किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, किसान आंदोलन की वजह से कोरोना के मामलों में अचानक वृद्धि हुई थी। साल 2020-21 में देश में कोरोना के अल्फा वेरिएंट का प्रसार असामान्य तरीके से हुआ था। आमतौर पर यह वेरिएंट तेजी से नहीं फैलता, लेकिन आंदोलनकारियों ने देश में खासकर उत्तर भारतीय राज्यों में कोरोना का यह वेरिएंट फैलाया था।
रिसर्च में शामिल जाह्नवी के मुताबिक दिल्ली, पंजाब और चंडीगढ़ में अल्फा वैरिएंट की 44 जेनेटिक शाखाएँ मौजूद थीं। यही वजह थी कि पूरे भारत के बजाय सिर्फ उत्तर भारत में कोरोना का यह प्रकार तेजी से फैला। पंजाब में किसान आंदोलन के लिए हुए इवेंट्स, बैठक और सभाओं के कारण संक्रमण सामान्य से 5 से 10 गुना तेजी से बढ़ा था।
अध्ययन करने वाली टीम का नेतृत्व कर रहे बीएचयू में जूलॉजी के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि 3085 अल्फा वैरिएंट के जीनोमिक सीक्वेंस का विश्लेषण किया गया। इससे पता चला कि पंजाब समेत उत्तरी भारत के राज्यों में कोरोना के मामलों में आया उछाल अचानक नहीं था। इसके पीछे किसान आंदोलन की भूमिका थी।
स्टडी से पता चला है कि अल्फा वेरिएंट (SARS-CoV-2) का पहला मामला दिसंबर 2020 में दक्षिण पूर्वी ब्रिटेन में पाया गया था। इसके बाद यह पंजाब समेत उत्तरी भारत में फैलने लगा। इस रिसर्च और रिपोर्ट को तैयार करने में लगभग एक साल का समय लगा है।
इस रिसर्च में बीएचयू, बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान लखनऊ, आनुवंशिक विभाग उस्मानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद, जैव प्रौद्योगिकी विभाग स्वास्थ्य सम्बद्ध विज्ञान संस्थान गाजियाबाद, क्षेत्रीय फोरेंसिक प्रयोगशाला भोपाल, कलकत्ता यूनिवर्सिटी और अमृता स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के 15 वैज्ञानिक और रिसर्चर शामिल थे।