क्या है डंकी रूट जिससे यात्री कराते हैं अमेरिका में भारत का अपमान
जंगल, नदियां, रेगिस्तान और खतरनाक रास्तों से होकर अमेरिका पहुंचे थे भारतीय, जानिए क्या होता है ‘डंकी रूट’
अमेरिका से अवैध रूप से प्रवेश करने वाले 104 भारतीय नागरिक अपने देश लौट चुके हैं. ये लोग अवैध तरीके से डंकी रूट के जरिए यूएस पहुंचे थे. डंकी रूट क्या है और इससे दूसरे देश कैसे पहुंचते हैं. आइए बताते हैं आपको
नई दिल्ली,06 फरवरी 2025,अमेरिका से निर्वासित किए गए 104 भारतीय अब घर लौट चुके हैं. जानकारी के मुताबिक, अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों को मेक्सिको-अमेरिकी सीमा से पकड़ा गया था. कहा जा रहा है कि ये लोग भारत से वैध तरीके से रवाना हुए थे, लेकिन इन्होंने डंकी रूट के जरिए अमेरिका में घुसने की कोशिश की थी. निर्वासित लोगों में हरियाणा और गुजरात से 33-33, पंजाब से 30, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से तीन-तीन और चंडीगढ़ से दो लोग हैं.
क्या होता है डंकी रूट?
इसी बीच, लोगों के मन में यह सवाल है कि डंकी रूट होता क्या है. अगर आपने शाहरुख खान की फिल्म *डंकी* देखी है, तो आप समझ जाएंगे कि डंकी रूट क्या है और इस रास्ते दूसरे देशों तक पहुंचने वाले लोग किस तरह अपनी जान जोखिम में डालते हैं. डंकी रूट यानी गैरकानूनी तरीके से विदेश जाने का रास्ता. इसमें लोग कई देशों से होते हुए गैरकानूनी रूप से अमेरिका, कनाडा या यूरोप में घुसने की कोशिश करते हैं. ये लोग टूरिस्ट वीजा या एजेंट्स की मदद से लैटिन अमेरिका के किसी देश (जैसे ब्राजील, इक्वाडोर, पनामा, या मैक्सिको) तक पहुंचते हैं. वहां से जंगलों, नदियों और रेगिस्तानों के रास्ते पैदल चलकर अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर तक पहुंचते हैं. इसके बाद दलालों की मदद से अमेरिका में अवैध रूप से घुसने की कोशिश करते हैं.
What is Donkey Route?
मानव तस्करों को देने पड़ते हैं लाखों रुपये
डंकी शब्द की उत्पत्ति पंजाब के डुंकी शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है एक जगह से दूसरी जगह कूदना. डंकी रूट एक लंबा और बेहद मुश्किल सफर होता है. डंकी रूट से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने में कई बार महीनों लग जाते हैं. इसमें लोग अवैध तरीके से ट्रक, विमान या नाव, पैदल चलकर या जंगलों के रास्ते एक देश से दूसरे देश जाते हैं. इस दौरान उन्हें खराब मौसम, भूख, बीमारी, दुर्व्यवहार और कभी-कभी मौत का भी सामना करना पड़ता है. इस यात्रा के दौरान लोगों को छुपकर रहना पड़ता है, क्योंकि अगर किसी की नजरों में आए तो पकड़े जाने का खतरा रहता है. डंकी रूट अपनाने के लिए लोगों को मानव तस्करों को लाखों रुपये देने पड़ते हैं. मानव तस्कर भी यह काम छुपकर और अवैध तरीके से करते हैं.
Dunkey Route प्रतीकात्मक
इसमें भागने वाले लोग एक या दो देशों से नहीं, बल्कि कई देशों से होते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं. इस यात्रा के लिए केवल एक देश का वीजा लिया जाता है, और फिर दूसरे देशों में जाने के लिए डंकी रूट शुरू हो जाता है. डंकी रूट तब सुर्खियों में आया जब फ्रांस ने दुबई से निकारागुआ जा रहे 303 भारतीय यात्रियों से भरे एक चार्टर विमान को मानव तस्करी के संदेह में रोक लिया था. इन यात्रियों में से अधिकांश को भारत वापस भेज दिया गया था. आमतौर पर, तस्कर इन यात्रियों को यह आश्वासन देते हैं कि वे उन्हें यूरोप के देशों में वीजा दिलवाएंगे या अवैध तरीके से वहां पहुंचने में मदद करेंगे.
सिर पर कफन बांधकर चलते हैं लोग; फिर जंगलों को पार कर मेक्सिको होते हुए ऐसे पहुंचते हैं अमेरिका
डंकी रूट (Donkey Route) से अमेरिका जाने वाले लोगों को बेहद खतरनाक सफर तय करना पड़ता है। अमेरिका जाने की चाह में डंकी रूट अपानाने वाले पंजाबियों को जोखिम भरी और लंबी यात्रा करनी होती है। आइए जानते हैं कि इस जोखिम भरी यात्रा में उन्हें किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और कैसे ट्रैवल एजेंट उन्हें तीन अलग-अलग पैकेज ऑफर करते हैं।
बेदह खतरनाक है डंकी रूट से अमेरिका जाने का सफर। फोटो सोर्स- सोशल मीडिया
अमेरिका में बसने को हैं तीन डंकी रूट
डंकी रूट के लिए 35-40 लाख करने पड़ते हैं खर्च
सिंगर भी कबूतरबाजी के जरिए भी ले जाते हैं अमेरिका
रोहित कुमार, चंडीगढ़। डंकी रूट (Donkey Route) से विदेश यात्रा करने वालों को मानव तस्करों को अच्छी खासी रकम चुकानी पड़ती है। इसके लिए 35 से 40 लाख रुपये प्रति व्यक्ति वसूले जाते हैं।
इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि अमेरिका जाने के लिए ट्रैवल एजेंटों की ओर से तीन पैकेज दिए जाते हैं।
इस वजह से अवैध तरीके से जाते हैं अमेरिका
पहला पैकेज मेक्सिको बार्डर के जरिए है। ट्रैवल एजेंट मेक्सिको बॉर्डर पर पहुंचा देते हैं, जहां उन्हें अमेरिकन पुलिस पकड़ कर कैंप में ले जाती है। फिर चार-पांच दिन बाद उन्हें कोई जानकार लेने आ जाता है, तो ठीक नहीं तो छोड़ दिया जाता है लेकिन अमेरिकन पुलिस इन पर पूरी तरह निगाह रखती है।
दूसरा रास्ता पनामा के जंगलों से है, जोकि बहुत खतरनाक है। तीसरा रास्ता कनाडा के रास्ते है, क्योंकि अमेरिका में वर्क वीजा की डिमांड बहुत कम है, इसलिए लोग अवैध तरीके से ही जाते हैं। वहीं, अगर पर्यटक वीजा की बात की जाए तो किसी सिंगर के साथ शो के बहाने भी कबूतरबाजी के जरिए लोग अमेरिका पहुंचते हैं।
उत्पीड़न का हवाला देकर शरण का करते हैं दावा
बता दें कि बीते वर्ष डंकी रूट से अमेरिका जाने वाले भारतीयों के बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक जो डंकी रूट अपनाकर अमेरिका गए थे, उनके परिवारों ने बताया था कि मानव तस्कर दिल्ली और मुंबई से पर्यटक वीजा पर यूएई ले जाते हैं।
वहां से उन्हें वेनेजुएला, निकारागुआ और ग्वाटेमाला जैसे कई ट्रांजिट बिंदुओं से होकर अमेरिका-मेक्सिको सीमा तक पहुंचाया जाता है। वहां इन लोगों को हैंडलर की ओर से यह भी बताया जाता है कि सीमा पार करते समय पकड़े जाने पर कैसे उत्पीड़न का हवाला देकर शरण का दावा किया जाए।
एक ट्रैवल एजेंट ने कहा कि डंकी रूट से यात्रा करने के लिए हाल के दिनों में फीस बढ़ गई है। अब अमेरिका पहुंचने के लिए 45-50 लाख रुपये खर्चने पड़ेंगे लेकिन वहां पहुंचने की कोई गारंटी नहीं होती है।
45 लाख देकर अवैध तरीके से गया था अमेरिका पलवीर
जालंधर कैंट के रहमानपुर के मरीन एन्क्लेव में रहने वाला 22 वर्षीय पलवीर सिंह इसी साल सात जनवरी को 45 लाख रुपये देकर नवांशहर के एक ट्रैवल एजेंट के माध्यम से अमेरिका गया था। मेक्सिको बॉर्डर से अमेरिका में अवैध तरीके से घुसते ही उसे पकड़ लिया गया था। तब से वह अमेरिका में कैंप में ही था। उसे बुधवार को अमेरिका से डिपोर्ट कर दिया गया है।
पलवीर के पिता राजवंत सिंह किसान हैं। राजवंत सिंह ने बताया कि पलवीर ने 12वीं तक पढ़ाई की है। इसके बाद वह खेती में उनका हाथ बंटाता था। उसे विदेश जाने का बहुत शौक था। पढ़ाई छोड़ने के बाद से वह अमेरिका जाने की जिद पकड़े हुए था। बेटे की जिद को देखते हुए उन्होंने इमीग्रेशन कंसल्टेंट को 45 लाख रुपये देना तय हुआ।
इसके बाद उसने सात जनवरी को पलवीर को चार अन्य युवकों के साथ अवैध तरीके से अमेरिका भेजा। अमेरिका पहुंचने के बाद उन्होंने कंसल्टेंट को सारी राशि का भुगतान भी कर दिया। परिवार में माता-पिता के अलावा पलवीर की दो बहनें भी हैं। एक बहन की शादी हो चुकी है, जबकि दूसरी बहन प्राइवेट नौकरी करती है।
आकाशदीप ने अमेरिका जाने के बेच दी थी जमीन
अटारी में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित राजाताल के सीमावर्ती गांव के स्वर्ण सिंह का बेटा आकाशदीप सिंह सात महीने पहले अमेरिका गया था। अमेरिका से भारत डिपोर्ट होने वालों में वह भी शामिल है। आकाशदीप सिंह दुबई होते हुए मेक्सिको गया और मेक्सिको से संयुक्त राज्य अमेरिका पहुंचा। आकाशदीप सात महीने पहले घर से गया था। परिवार के सदस्य मोबाइल पर बात करते रहे, लेकिन जब वह अमेरिका चला गया तो बेटे से कोई बात नहीं हुई।
आकाशदीप को 12 दिन पहले मेक्सिको से सीमा पार करते समय गिरफ्तार कर लिया गया था। इसी कारण परिवार ने आकाशदीप सिंह से बातचीत बंद कर दी थी। आकाशदीप के पिता स्वर्ण सिंह के पास तीन एकड़ जमीन थी, जिसमें से उन्होंने ढाई एकड़ जमीन बेचकर 18 लाख रुपये कर्ज लिया था ताकि बेटा विदेश जा सके। उसे विदेश भेजने में 65 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किया गया।
इंग्लैंड से एक महीने पहले अमेरिका पहुंचा था जसपाल
अमेरिका से डिपोर्ट किए गए पंजाब के 30 लोगों में निकटवर्ती गांव हरदोरवाल खुर्द के 36 वर्षीय जसपाल सिंह भी शामिल है। जसपाल सिंह दो वर्ष पहले एजेंट के माध्यम से करीब 30 लाख रुपये खर्च कर इंग्लैंड गया था। इसके लिए उसे अपने हिस्से की तीन एकड़ में से दो एकड़ जमीन बेचनी पड़ी थी। करीब एक माह पहले ही इंग्लैंड से अवैध तरीके से अमेरिका गया था।
जसपाल इंग्लैंड जाने से पहले आठ वर्ष सऊदी अरब और चार वर्ष तक कतर में भी रह चुका है। वह लगातार विदेश इसलिए गया ताकि परिवार की आर्थिक स्थित सुधर सके। जसपाल के चचेरे भाई जसबीर सिंह ने बताया कि जसपाल एक माह पहले ही अमेरिका पहुंचा था।
क्या है डंकी रूट?
अमेरिका में बसने की चाह में पंजाबी अवैध तरीके से विदेश जाने के लिए जो रास्ता अपनाते हैं, उसे डंकी रूट (Donkey Route) कहते हैं। डंकी शब्द पंजाबी भाषा के ‘डुंकी’ से आया है, जिसका अर्थ एक से दूसरे स्थान पर कूदना होता है।
विदेश में जाने के लिए यह जोखिम भरी और लंबी यात्रा होती है। इस रास्ते के लिए किसी तरह के पासपोर्ट की आवश्यकता नहीं होती, इसमें खराब मौसम, भूख, बीमारी, दुर्व्यवहार और कभी-कभी मौत का भी सामना करना पड़ता है।
डिपोर्ट किए गए लोगों पर नहीं होगी कार्रवाई
डिपोर्ट किए गए लोगों पर भारत में कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी, क्योंकि उन्होंने भारत के किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया है. वे कानूनी रूप से भारत से बाहर गए थे, लेकिन अमेरिका में अवैध रूप से घुसने की कोशिश के कारण उन्हें वापस भेजा गया है. हालांकि, अगर इन लोगों के पास पासपोर्ट उपलब्ध नहीं हैं, तो उनकी पहचान बायोमेट्रिक्स के जरिए की जाएगी. इसके अलावा जिन दलालों ने इन लोगों को भेजा है उनकी पहचान की जाएगी.
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