गर्भावस्था में योगासन का पडता है सकारात्मक प्रभाव
गर्भावस्था में योगासन से शिशु के विकास पर पड़ता है सकारात्मक प्रभाव
हरिद्वार 26 अप्रैल-कोविड काल में गर्भावस्था के दौरान की चुनौतियों से निपटने को कराया आनलाइन योगाभ्यास हरिद्वार। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम में निरामया योगम रिसर्च फ़ाउंडेशन हरिद्वार और नीलकंठ मल्टी स्पेशिएलिटी हास्पिटल हल्द्वानी ने संयुक्त रूप से प्रसूताओं के लिए “गर्भायोगासन” विषय पर ऑनलाइन वर्कशाप का आयोजन किया गया। इसका प्रमुख उद्देश्य प्रसव काल को सरल बनाकर शिशु के विकास पर सकारात्मक असर लाना था।
कार्यक्रम की सचिव और संचालक डॉक्टर प्रेक्षा ने बताया की कोविद-19 की परिस्थितियों में गर्भवती महिलाएं योगाभ्यास के माध्यम से इस दौरान आने वाली जटिलताओं और मुश्किलों को बेहद कम कर सकती है। इसका प्रभाव यह होगा कि गर्भावस्था के दौरान उन्हें कम दवाई का उपयोग करना पड़ेगा। जो जननी और शिशु दोनों की सुरक्षा रहेगी। संरक्षक डॉक्टर स्वाति सिंघल ने बताया कि गर्भावस्था की चुनौतियों को आसान बनाने में योगाभ्यास महिलाओं के लिए काफ़ी मददगार साबित हो रहा है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ के दौरान भी योगाभ्यास की महत्ता और कोविड काल में लोगों को तनावमुक्त कराने के लिए मीडिया सेंटर में प्रतिदिन योगाभ्यास कराया गया जो एक सराहनीय और प्रेरणादायक पहल है। इससे देश विदेश में योग को और ख्याति मिली है।
रिसोर्स पर्सन डॉक्टर उर्मिला ने बताया कि योगाभ्यास श्वास -प्रश्वास पर आधारित क्रियात्मक चिंतन है। इसके प्रभाव से हमारे अंर्तमन और बाहरी वातावरण के साथ बेहतर समन्वय स्थापित होता है। जिससे माँ एवं शिशु के शारीरिक मानसिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। डाक्टर. पांडे ने ऑनलाइन दो सत्र में अपने विचार रखे। जिसमे योगाभ्यास के साथ ही कास्मिक हीलिंग के माध्यम से डिस्टेंस थेरेपी भी किया गया। उन्होंने प्रसूताओं को कोविड -19 के प्रभाव को समाप्त करने के लिए योगाभ्यास कराया। जिसमें विष्णुशयन मुद्रासन एवं नीलकंठासन -प्राणायाम विशेष रूप से शामिल रहा। कार्यशाला में 100 प्रतिभागियों के साथ विभिन्न स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डाक्टर के साथ ही डाक्टर. स्वाति, डाक्टर. भूपेंद्र, डाक्टर.अक्षय, डाक्टर. वैशाली, डाक्टर.दीक्षा, तनु आदि ने भी सहभागिता की।