छोटे परिवार

छोटा परिवार भी दुख का आधार-बड़ा परिवार दुख का आधार, छोटा परिवार सुखी परिवार

लगभग 25- 30 साल पहले की बात है जब सरकार ने नारा दिया था – बड़ा परिवार दुख का आधार, छोटा परिवार सुखी परिवार। वक्त बीतता गया और सभी बड़े परिवार छोटे हो गए, पर क्या इन छोटे परिवारों में सुख के कुछ क्षण बचे हैं मुझे नहीं लगता । पहले परिवार बड़े होते थे परिवार बड़े मतलब संयुक्त परिवार होते थे दादा दादी, ताऊ ताई चाचा चाची और हम सब बच्चे सब एक साथ मिलजुल कर रहते थे, सबके दिल इतने बड़े होते थे कि एक दूसरे का सुख-दुख बांटते थे, घर में किसी को कुछ हो जाता था तो जैसे कभी कोई कभी कोई देखभाल के लिए खड़ा ही रहता था और अगर कोई खुशी की बात होती थी तो सब एक दूसरे की खुशी में हर्षोल्लास के साथ खुश रहते थे पैसे कम होते थे पर घर में किसी चीज की कभी भी कमी नहीं होती थी और संयुक्त परिवार में रहकर बच्चों को स्वत: ही समाज के सारे रीति रिवाज निभाने आ जाते थे और अगर बच्चो से कभी भूल से भी अपने बड़ों का अनादर हो जाता था तो उन्हे लगता था कि जैसे पता नही उनसे कितना बड़ा अपराध हो गया है, मगर अब परिवार छोटे होते होते इतने छोटे हो गए हैं कि 3 लोगों के परिवार है, सब कमाने वाले है पर दिल , दिल इतने छोटे हो गए है कि घर में भी जरा भी सुख नहीं है कोई भी एक दूसरे की बात सुनने को तैयार नहीं है किसी के पास समय ही नही है, सब एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगे पड़े रहते हैं बच्चे मोबाइल में या फिर टीवी में लगे रहते हैं उन्हें मतलब ही नहीं है कि बड़े उन्हें क्या कह रहे हैं, क्या समझा रहे है। समाज के रीति रिवाजों से तो उन्हे कोई लेना देना ही नही है, तो ये छोटे परिवार सुखी हुए या दुखी।
आने वाली नई पीढ़ियां समाज के लिए क्या छाप छोड़ेंगी कुछ पता नहीं।
पर 25-30 साल पहले जो स्लोगन दिया गया था ” बड़ा परिवार दुख का आधार, छोटा परिवार सुखी परिवार” बिल्कुल गलत साबित हुआ।

Meenakshi Tyagi

कम बच्चे होने का सबसे बड़ा खमियाजा आपके बच्चों को ही भुगतना पड़ता है ।।
1. बच्चों का शारीरिक विकास रुक जाता हैं अगर तीन चार बच्चे हों तो आपस में खेलते रहते हैं लड़ते झगड़ते कब बड़े हो जाते हैं पता ही नहीं चलता । एक बच्चा गुमसुम सा एक कोने पड़ा हुआ meggi खाकर मोबाइल देखता है या टीवी देखता रहता हैं ।खाने में कोई कंपटीशन नहीं होता जिससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है ।
2. माता पिता के जाने के बाद जब कोई विपत्ति आती है तो उनके पास कोई भाई बहन नहीं होता जिसके पास वह जा सकें।
3. अगर तीन चार बच्चे हैं तो एक बच्चे के आईएएस बनने के अधिक चांस हैं ।
4.अगर एक ही बच्चा है और वह जिंदगी में फैल हो गया तो उसको कोई सफल नहीं बना सकता अगर तीन चार बच्चे हैं तो एक बच्चा भी सब को कामयाब कर सकता है ।
5 फैमिली based business के लिए बड़े परिवार की बहुत अधिक महतता है । एक बिजनेस के लिए कम से कम दो तीन भाई चाहिए ही होतें हैं अकेला बच्चा सारी टाई लगाकर 9 to 5 की जॉब के काबिल ही रह जाता है ।
6. कई बार एक बच्चे की फैमिली टूट जाती है या उसकी पत्नी उसको तलाक देकर चली जाती है या उसके बच्चा नहीं होता । तो उसकी बहुत बुरी हालत होती हैं उसकी सारी उम्र अवसाद ,अकेलेपन में निकल जाती हैं ।
इसलिए छोटा परिवार सुखी परिवार के प्रोपेगंडा से बाहर निकले । छोटे परिवार से दुखी परिवार और कोई नहीं।
बड़ा परिवार सुख का आधार के नियम पर चलें ।

मूर्ख हिंदुओ के दिमाग में यह बात घुसी हुई है कि अगर हम एक बच्चा पैदा करेंगे तो उसको पढ़ा लिखा कर आईएएस बना देंगे

साभार राजीव कुमार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *