केंद्र की टीम पहुंची जोशीमठ, राज्य ने शहर बांटा तीन हिस्सों में

जोशीमठ पहुंची केंद्र की टीम, आज ही रिपोर्ट सौंपेगी:शहर बांटा 3 हिस्सों में, डेंजर जोन के घर ढहाए जाएंगे, बफर जोन भी खतरनाक

देहरादून 09 जनवरी। उत्तराखंड के जोशीमठ में स्थिति गंभीर बनी है। सोमवार शाम इमारतों को हुए नुकसान का जायजा लेने केंद्र की एक टीम यहां पहुंची है। टीम आज ही राज्य सरकार को रिपोर्ट सौपेंगी।

उधर, राज्य सरकार ने जोशीमठ को तीन जोन में बांटने का फैसला किया है। ये जोन डेंजर, बफर और सेफ जोन होंगें। जोन के आधार पर शहर के मकान चिह्नित किये जायेंगें।

डेंजर जोन में ऐसे मकान होंगे जो ज्यादा जर्जर हैं और रहने लायक नहीं हैं। ऐसे मकान मैन्युअली गिराये जाएगें, जबकि सेफ जोन में हल्की दरारों वाले घर होंगें जिनके टूटने की आशंका बेहद कम है। वहीं, बफर जोन में हल्की दरारों वाले घर होंगें, लेकिन दरारें बढ़ने का खतरा है। बता दें कि एक्सपर्ट्स की टीम दरार वाले मकानों को गिराने की सिफारिश कर चुकी है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक की 4 बड़ी बातें

1-3 चरणों में पूरी होगी विस्थापन की प्रक्रिया
2-478 घर और 2 होटल चिह्नित किए गए
3-असुरक्षित बहुमंजिला होटल मैकेनिकल तरीके से गिराए जाएंगे।
4-81 परिवारों को अब तक विस्थापित किया गया।
5-जोशीमठ के मकानों पर रेड क्रॉस

जोशीमठ के सिंधी गांधीनगर और मनोहर बाग एरिया डेंजर जोन में हैं। यहां के मकानों पर रेड क्रॉस लगाए गए हैं। प्रशासन ने इन मकानों को रहने लायक नहीं बताया है। चमोली DM हिमांशु खुराना ने बताया कि जोशीमठ और आसपास के इलाकों में कंस्ट्रक्शन बैन कर दिया गया है।

यहां 603 घरों में दरारें आई हैं। ज्यादातर लोग डर के चलते घर के बाहर ही रह रहे हैं। किराएदार भी लैंड स्लाइड के डर से घर छोड़कर चले गए हैं। अभी तक 70 परिवारों को वहां से हटाया गया है। बाकियों को हटाने का काम चल रहा है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे रिलीफ कैंप में चले जाएं।

जोशीमठ में दरार वाले घरों पर रेड क्रॉस मार्क लगाया गया। लोगों से वहां से निकलने की अपील की गई है।
जोशीमठ में दरार वाले घरों पर रेड क्रॉस मार्क लगाया गया। लोगों से वहां से निकलने की अपील की गई है।
बड़े अपडेट्स…

दिल्ली हाईकोर्ट में जोशीमठ से जुड़ी याचिका पहुंची, लेकिन बेंच ने कहा- पहले सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका का स्टेटस पता करें।
सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका को मंगलवार के दिन लिस्टिंग करने कहा है। स्वमी 22 जनवरी से एक यज्ञ भी करने वाले हैं
चमोली DM हिमांशु खुराना ने जोशीमठ क्षेत्र को आपदा संभावित क्षेत्र घोषित कर दिया है।
जोशीमठ के प्रभावित परिवारों को राशन किट बांटी जा रही है। उन्हें 5 हजार रुपए दिए गए हैं। साथ ही हेल्थ चेकअप कैम्प भी लगाए गये

जोशीमठ में अब तक 68 परिवारों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है।
जोशीमठ में मकानों में दरार आने के चलते कई लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हैं।

जोशीमठ में जमीन धंसने के चलते वहां मौजूद एक मंदिर गिर गया।

जोशीमठ के हालात पर सरकार और एक्सपर्ट…4 पॉइंट

1. PM मोदी ने CM से पूछा- कितने लोग प्रभावित है
प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फोन कर जानकारी ली। धामी ने बताया कि PM ने कई तरह के प्रश्न पूछे जैसे कितने लोग इससे प्रभावित हुए हैं, कितना नुकसान हुआ, लोगों के विस्थापन के लिए क्या किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने जोशीमठ को बचाने के लिए हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है।

2. एक्सपर्ट बोले- लैंडस्लाइड का रिस्क बड़ा
PMO से मीटिंग के दौरान एक्सपर्ट ने जोशीमठ में बड़े रिस्क की आशंका जाहिर की गई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ब्लास्टिंग और शहर के नीचे सुरंग बनाने की वजह से पहाड़ धंस रहे हैं। अगर इसे तुरंत नहीं रोका गया, तो शहर मलबे में बदल सकता है। सुखवीर सिंह संधू ने कहा कि हमारी कोशिश है कि बिना किसी नुकसान के लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट कराया जाए। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक यह पता लगाने में लगे हैं कि लैंडस्लाइड को कैसे रोका जा सकता है। जल्द ही समाधान ढूंढ लिया जाएगा। इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाने शुरू कर दिए गए हैं, हालांकि अभी के हालात को देखते हुए लोगों को डेंजर जोन से निकालना ज्यादा जरूरी है।

3. सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, शंकराचार्य ने PIL दाखिल की

ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल की है। उन्होंने कहा- पिछले एक साल से जमीन धंसने के संकेत मिल रहे थे। सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया गया। ऐतिहासिक, पौराणिक और सांस्कृतिक नगर जोशीमठ खतरे में हैं।

4. NTPC का बयान- हमारी सुरंग जोशीमठ से गुजरती ही नहीं

एनटीपीसी ने एक बयान में कहा- “एनटीपीसी की बनाई गई सुरंग जोशीमठ शहर के नीचे से नहीं गुजरती है। यह टनल एक टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) द्वारा खोदी गई है और वर्तमान में कोई ब्लास्टिंग नहीं की जा रही है।”

5. जब छत गिर जाए तब आना… SDM बोलीं- ऐसा कुछ कहा ही नहीं

जोशीमठ के मनोहर वार्ड के लोगों ने SDM कुमकुम जोशी के पुराने बयान जमकर बवाल मचाया। कुमकुम पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। लोगों ने एसडीएम को उनका बयान याद दिलाया कि उन्होंने कहा था जब छत गिर जाए तो आ जाना 5 हजार रुपए मिलेंगे। हालांकि एसडीएम ने ऐसे किसी भी बयान से इंकार किया है। वे बोलीं- ऐसा कुछ मैंने कहा ही नहीं।

CM धामी जोशीमठ पहुंचे, बिलखकर रोए लोग

मुख्यमंत्री के सामने अपना दर्द बयां करने के लिए लोग इतने बेकाबू हो रहे थे कि सुरक्षाकर्मियों के लिए उन्हें संभालना भी मुश्किल हो रहा था।
मुख्यमंत्री के सामने अपना दर्द बयां करने के लिए लोग इतने बेकाबू हो रहे थे कि सुरक्षाकर्मियों के लिए उन्हें संभालना भी मुश्किल हो रहा था।
CM धामी ने प्रभावितों से कहा कि उत्तराखंड सरकार हर मुश्किल में उनके साथ खड़ी है।

CM धामी ने जोशीमठ में डेंजर जोन वाले इलाकों में बने मकानों को तुरंत खाली कराने को कहा है।

लोगों का दर्द बांटने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रविवार को जोशीमठ पहुंचे। लोग उनके सामने बिलखकर रोने लगे। महिलाओं ने उन्हें घेर लिया। वे बोलीं- हमारी आंखों के सामने ही हमारी दुनिया उजड़ रही है, इसे बचा लीजिए। हमें अपने घरों में रहने में डर लग रहा है।

जोशीमठ में जमीन लगातार धंस रही है। घरों से लेकर सड़कों तक मोटी दरारें नजर आ रही है।
13 साल पहले दरार आने की शुरुआत, जानिए ये इतना सेंसटिव क्यों…7 पॉइंट

1. जोशीमठ ग्लेशियर के मलबे पर बसा- रिपोर्ट

जोशीमठ के मकानों में दरार आने की शुरुआत 13 साल पहले हो गई थी। हिमालय के ईको सेंसेटिव जोन में मौजूद जोशीमठ बद्रीनाथ, हेमकुंड और फूलों की घाटी तक जाने का एंट्री पॉइंट माना जाता है। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी ने अपनी रिसर्च में कहा था- उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में पड़ने वाले ज्यादातर गांव ग्लेशियर के मटेरियल पर बसे हैं। जहां आज बसाहट है, वहां कभी ग्लेशियर थे। इन ग्लेशियरों के ऊपर लाखों टन चट्टानें और मिट्टी जम जाती है। लाखों साल बाद ग्लेशियर की बर्फ पिघलती है और मिट्टी पहाड़ बन जाती है।

2. एमसी मिश्रा कमेटी ने कहा था- जोशीमठ के नीचे मिट्टी-पत्थर के ढेर

1976 में गढ़वाल के तत्कालीन कमिश्नर एमसी मिश्रा की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने कहा था कि जोशीमठ का इलाका प्राचीन भूस्सखलन क्षेत्र में आता है। यह शहर पहाड़ से टूटकर आए बड़े टुकड़ों और मिट्टी के ढेर पर बसा है, जो बेहद अस्थिर है। कमेटी ने इस इलाके में ढलानों पर खुदाई या ब्लास्टिंग कर कोई बड़ा पत्थर न हटाने की सिफारिश की थी। साथ ही कहा था कि जोशीमठ के पांच किलोमीटर के दायरे में किसी तरह का कंस्ट्रक्शन मटेरियल डंप न किया जाए।

3. हिमालय में पैरा-ग्लेशियल जोन की विंटर स्नो लाइन पर बसाहट
जोशीमठ हिमालयी इलाके में जिस ऊंचाई पर बसा है, उसे पैरा ग्लेशियल जोन कहा जाता है। इसका मतलब है कि इन जगहों पर कभी ग्लेशियर थे, लेकिन बाद में ग्लेशियर पिघल गए और उनका मलबा बाकी रह गया। इससे बना पहाड़ मोरेन कहलाता है। वैज्ञानिक भाषा में ऐसी जगह को डिस-इक्विलिब्रियम (disequilibrium) कहा जाता है। इसके मायने हैं- ऐसी जगह जहां जमीन स्थिर नहीं है और जिसका संतुलन नहीं बन पाया है।

एक वजह यह भी है कि जोशीमठ विंटर स्नो लाइन की ऊंचाई से भी ऊपर है। विंटर स्नो लाइन या शीत हिमरेखा वह सीमा होती है, जहां तक सर्दियों में बर्फ रहती है। ऐसे में भी बर्फ के ऊपर मलबा जमा होते रहने पर वहां मोरेन बन जाता है।

4. शहर की आबादी बढ़ जाने से दो हजार फीट घट गया फॉरेस्ट कवर
मिश्रा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि डेवलपमेंट ने जोशीमठ इलाके में मौजूद रहे जंगल को तबाह कर दिया है। पहाड़ों की पथरीली ढलानें खाली और बिना पेड़ों के रह गई हैं। जोशीमठ करीब 6 हजार फीट की ऊंचाई पर बसा है, लेकिन बसाहट बढ़ने से फॉरेस्ट कवर 8 हजार फीट तक पीछे खिसक गया है। पेड़ों की कमी से कटाव और लैंड स्लाइडिंग बढ़ी है। इस दौरान खिसकने वाले बड़े पत्थरों को रोकने के लिए जंगल बचे ही नहीं हैं।

5. ब्लास्ट और कंस्ट्रक्शन की वजह से मोरेन के खिसकने में इजाफा
वाडिया इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट में पाया था कि मोरेन पहाड़ का एक तय वक्त के बाद खिसकना तय होता है। हालांकि, अंधाधुंध ब्लास्ट्स और बेतरतीब कंस्ट्रक्शन ने इसकी रफ्तार में इजाफा कर दिया है। वहीं, इसके वैज्ञानिकों ने कहा था कि जोशीमठ शहर के नीचे एक तरफ धौली गंगा और दूसरी तरफ अलकनंदा नदी है। दोनों नदियों की वजह से पहाड़ के कटाव ने भी पहाड़ को कमजोर किया है।

लैंडस्लाइड की वजह से जोशीमठ की सड़कों में जगह-जगह ऐसी दरारें नजर आ रही हैं।

6. प्रोजेक्ट्स पर रोक के बावजूद बड़ी मशीनें पहाड़ खोद रहीं
NTPC के हाइडल प्रोजेक्ट की 16 किमी लंबी सुरंग जोशीमठ के नीचे से गुजर रही है। यह सुरंग मलबा घुस जाने के बाद बंद है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सुरंग में गैस बनने पर इससे बना दबाव मिट्टी को अस्थिर कर रही है। इस वजह से जमीन धंस रही है।

हालात बिगड़ने पर सरकार ने NTPC के हाइडल प्रोजेक्ट की सुरंग और चार धाम ऑल-वेदर रोड (हेलंग-मारवाड़ी बाइपास) का काम रोकने का आदेश दिया था, लेकिन कागजों पर जहां काम बंद है, लेकिन मौके पर बड़ी मशीनें लगातार पहाड़ खोद रही हैं।

यह फोटो जोशीमठ की विष्णुपुरम मारवाड़ी कालोनी की है। शुक्रवार को यहां दरारें देखी गईं
7. तुरंत हालात नहीं संभले तो जोशीमठ का अस्तित्व मिट सकता है
भूगर्भ वैज्ञानिकों का कहना है कि जोशीमठ अलकनंदा नदी की ओर खिसक रहा है। इसकी जद में सेना की ब्रिगेड, गढ़वाल स्काउट्स और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की बटालियन भी है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि तुरंत असरदार कदम नहीं उठाए गए, तो बड़ी प्राकृतिक आपदा आ सकती है। इसमें जोशीमठ का वजूद ही मिट सकता है।

फोटो जोशीमठ के एक शेल्टरहोम की है। अनहोनी की आशंका से लोगों ने घर छोड़ दिए हैं।

उत्तराखंड के जोशीमठ पर डूबने का खतरा:बद्रीनाथ के प्रवेश द्वार के कई घर-दुकानों और होटलों में दरारें

वैज्ञानिक, इंजीनियर और अफसरों की पांच मेंबर वाली टीम पहले दरारों की जांच कर चुकी है।

चार धाम के प्रमुख धाम बद्रीनाथ के प्रवेश द्वार कहलाने वाले उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशी मठ के शहर पर डूबने का खतरा है। यहां एक साल में करीब 500 घरों, दुकानों और होटलों में दरारें आई हैं। इस वजह से यह रहने योग्य भी नहीं बचे हैं। शहर के लोगों की आंदोलन की चेतावनी के बाद मंगलवार को प्रशासन ने भूवैज्ञानिक, इंजीनियर और अफसरों की 5 सदस्यीय टीम ने दरारों की जांच की।

तेजी से धंसने लगे हैं उत्तराखंड के पहाड़:देश के सबसे लंबे जोशीमठ-औली रोप वे पर खतरा

उत्तराखंड के जोशीमठ में पहाड़ धंस रहे हैं। जोशीमठ और मशहूर स्की रिसोर्ट औली के बीच देश के सबसे लंबे 4.15 किमी के रोप-वे पर खतरा मंडरा रहा है। रोप-वे के टावरों के पास भूस्खलन शुरू हो चुका है। पहाड़ खिसकने से डेढ़ सौ से ज्यादा रिहायशी मकानों में दरारें आ गई हैं। जोशीमठ में 36 परिवारों को शिफ्ट किया गया है।

जोशीमठ में 500 से ज्यादा घरों में दरारें, एशिया का सबसे लंबा रोपवे बंद

सरकार की कार्यशैली से नाराज लोगों ने मशाल जुलूस निकालकर प्रोटेस्ट किया।

जोशीमठ में बने 500 से ज्यादा घरों में दरारें आ चुकी हैं। अब तक 66 परिवार पलायन कर चुके हैं। सुरक्षा के मद्देनजर 38 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। जमीन धंसने के बाद जोशीमठ में एशिया का सबसे लंबा रोपवे बंद करने का फैसला लिया गया है।

जोशीमठ में बनेगा अस्थायी पुनर्वास केंद्र: धामी ने कहा- तत्काल खाली कराएं डेंजर जोन

उत्तराखंड के जोशीमठ में बड़ा अस्थायी पुनर्वास केंद्र बनेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को हाई लेवल मीटिंग में कहा कि पुनर्वास केंद्र सुरक्षित जगह बनाया जाए। साथ ही, उन्होंने डेंजर जोन तत्काल खाली कराने को कहा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *