दंगों से संभल में हिंदू जनसंख्या 45% से रह गई 15-20%
जिस हवन कुंड के पास होता था कीर्तन, आज वहीं हाथ-पैर धो रहे मुस्लिम: संभल के ‘हरिहर मंदिर’ में शफीकुर्रहमान बर्क ने बंद करवाया था हिंदुओं का प्रवेश
संभल हरिहर मंदिर वजू
सपा नेता शफीकुर्रहमान बर्क और वजू करने की प्रतीकात्मक तस्वीर (साभार: AI/Bing)
संभल के मुस्लिम जिसे ‘जामा मस्जिद’ कहते हैं, उसके सर्वे के दौरान हुई हिंसा के बाद स्थानीय हिंदुओं ने बताया था कि यह जगह ‘हरिहर मंदिर’ ही है। कुआँ पूजन, शादी-ब्याह, पूजा-पाठ सब कुछ यहाँ होता था। लेकिन बाद में इस मंदिर में हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
संभल जिला प्रशासन की एक इंटरनल रिपोर्ट से पता चलता है कि 1978 के दंगों की आड़ में इस मंदिर में हिंदुओं का प्रवेश बंद किया गया था। इसके पीछे शफीकुर्रहमान बर्क था, जो संभल से समाजवादी पार्टी का सांसद रहा है। इस समय उसका बेटा संभल का सपा सांसद है और सर्वे के दौरान हुई हिंसा को लेकर उसके खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।
ऑपइंडिया के पास मौजूद इंटरनल रिपोर्ट से पता चलता है कि इस मंदिर परिसर की जिस हवन कुंड के पास कभी कीर्तन हुआ करता था, अब वहाँ मुस्लिम हाथ-पैर धोते हैं। रिपोर्ट में स्पष्ट शब्दों में लिखा गया है, “इसी दंगे की आड़ लेकर शफीकुर्रहमान बर्क ने जामा मस्जिद/हरिहर मंदिर में जाने से हिंदुओं को प्रतिबंधित कर दिया। इससे पहले हिंदू इस परिसर के मध्य में बने हवन कुंड के चारों ओर कीर्तन करते थे। आज इस हवन कुंड का प्रयोग वजू के लिए किया जा रहा है।”
1978 के दंगों में किस तरह हिंदुओं का कत्लेआम किया गया था, इसके बारे में हम पिछली रिपोर्ट में बता चुके हैं। हम बता चुके हैं इन दंगों में जिस कारोबारी बनवारी लाल गोयल की मुस्लिम दंगाइयों ने हाथ-पैर और गला काटकर हत्या कर दी थी, उनके परिवार पर भी शफीकुर्रहमान बर्क ने दबाव डाला था और आखिर में वह परिवार संभल छोड़कर ही चला गया।
दुकान जले हिंदुओं के, पर बर्क ने ज्यादा मुआवजा मुस्लिमों को दिलवाया
1978 के दंगों में शफीकुर्रहमान बर्क ने इतने ही कारनामे नहीं किए। इंटरनल रिपोर्ट के अनुसार मुस्लिम दंगाइयों ने पूरी सब्जी मंडी जला दी। हिंदुओं के करीब 40 दुकानों में आगजनी और लूटमार की। लेकिन शफीकुर्रहमान बर्क के दबाव में हिंदुओं से अधिक मुस्लिमों को मुआवजा मिला, जबकि उनकी दुकानों को कोई नुकसान नहीं हुआ था।
प्रशासन ने यह रिपोर्ट संभल में हुए दंगों पर तैयार की है। इससे पता चलता है कि दंगों के कारण संभल में धीरे-धीरे हिंदुओं की आबादी कम होती जा रही है। देश की स्वतंत्रता के समय संभल नगरपालिका क्षेत्र में हिंदुओं की आबादी 45 प्रतिशत थी जो आज घटकर 15-20% रह गई है। उस समय मुस्लिम 55% थे। आज वे बढ़कर 80-85 प्रतिशत हो गए हैं।
गौरतलब है कि हालिया हिंसा के बाद बीजेपी विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने भी एक्स/ट्विटर पर एक पोस्ट करते हुए बताया था कि जिसे मुस्लिम जामा मस्जिद कहते हैं, वह कभी हरि मंदिर ही था। उन्होंने बताया था कि समाजवादी पार्टी की सरकार ने शफीकुर्रहमान बर्क के दबाव में 2012 में इसे पूरी तरह जामा मस्जिद में बदलवा दिया था। उससे पहले हिंदू इस जगह पर पूजा-पाठ के लिए जाते थे। उन्होंने इस जगह पर धार्मिक कार्यक्रमों की कुछ तस्वीर भी साझा की थी।
इस जगह पर बदलाव की बात आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने कोर्ट को भी बताई थी। बताया गया था कि 1920 में इसे ‘संरक्षित स्मारक’ घोषित किया गया। लेकिन मुस्लिमों ने इसमें अवैध निर्माण किए। यहाँ तक कि एएसआई की टीम को भी प्रवेश से रोका गया।
बनवारी लाल के लिए ‘भाई’ थे मुस्लिम… फिर भी पहले पैर काटा, फिर हाथ और आखिर में गला: संभल में जब 24 हिंदुओं को दंगाइयों ने एक साथ फूँक दिया
संभल 1978 दंगा
संभल में 1978 में सबसे बड़ा दंगा हुआ था (प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार: AI/Dall-E)
संभल में दंगों का पुराना इतिहास रहा है। इन्हीं दंगों के बल पर संभल नगरपालिका क्षेत्र से धीरे-धीरे हिंदुओं को मिटाया गया। देश की स्वतंत्रता के समय संभल नगरपालिका क्षेत्र में हिंदुओं की आबादी 45 प्रतिशत थी जो आज घटकर 15-20% रह गई है। उस समय मुस्लिम 55% थे। आज वे बढ़कर 80-85 प्रतिशत हो गए हैं।
संभल के खग्गूसराय मोहल्ले में एक ऐसा मंदिर मिला है जिसे 1978 के दंगों के बाद गायब कर दिया गया था। संभल में दंगों को लेकर प्रशासन ने एक इंटरनल रिपोर्ट तैयार की है। इसकी कॉपी ऑपइंडिया के पास मौजूद है। इससे पता चलता है कि 1978 में संभल में सबसे बड़ा दंगा हुआ था। इसी दंगे के बाद खग्गूसराय में रहने वाले करीब 100 हिंदू परिवार इस इलाके को छोड़कर चले गए।
हिंदू शिक्षक की बेटी से बलात्कार, पत्नी को किया किडनैप
यह दंगा होली के बाद 29 मार्च से शुरू हुआ था। इसमें करीब 184 लोगों की हत्या की गई थी। करीब 30 दिनों तक कर्फ्यू लगा रहा था। इसी दंगे के दौरान संभल के जाने माने कारोबारी बनवारी लाल गोयल की तड़पा-तड़पाकर हत्या की गई थी। इसी दंगे के दौरान एक हिंदू शिक्षक की बेटी और पत्नी को मंजर शफी ने उठा लिया था। इस दंगे को भड़काने के पीछे भी शफी की बड़ी भूमिका थी। हिंदू शिक्षक की बेटी को बलात्कार के बाद छोड़ा गया। उनकी पत्नी को हिंदुओं ने बचा लिया था। आज न तो इस शिक्षक और न ही बनवारी लाल गोयल का परिवार संभल में रहता है।
गन्ने की खोई और टायर का ढेर लगाकर 24 हिंदुओं को जलाया
दंगे भड़कने के बाद बनवारी लाल गोयल ने कई हिंदू दुकानदारों को अपने साले मुरारी लाल की कोठी में छिप जाने को कहा था। मुस्लिम आढ़तियों ने इसकी सूचना दंगाइयों को दी। इसके बाद मुस्लिम दंगाइयों की भीड़ ने ट्रैक्टर लगाकर मुरारी लाल की कोठी का गेट तोड़ दिया। यहाँ 24 हिंदुओं की हत्या कर उन्हें गन्ने की खोई और टायर का ढेर लगाकर मुस्लिम दंगाइयों ने जला दिया। हालात इतने बदतर थे कि अधिकतर हिंदुओं ने कपड़ों के पुतले बनाकर बृजघाट पर अपनों का अंतिम संस्कर किया था।
दैनिक भास्कर ने संभल के इतिहास के जानकार 58 साल के संजय शंखधर के हवाले से भी इस घटना के बारे में बताया है। शंखधर के अनुार इस दंगे से पहले संभल में हिंदुओं की आबादी 35% थी, अब करीब 20 प्रतिशत ही है। उन्होंने कहा, “1978 का दंगा संभल का सबसे बड़ा दंगा है। लाला मुरारी लाल की कोठी में दंगे से बचने के लिए कई लोग छिपे थे। इसका पता चलते ही दंगाइयों ने उनकी कोठी पर हमला कर दिया। जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई। इनमें 24 हिंदू थे।”
184 लोगों की मौत, हिंदुओं का पलायन… आखिर हुआ क्या था, संभल के शिव मंदिर का पूरा सच
संभल में 1978 में दंगे हुए थे, जिसमें काफी लोग मारे गए. इलाके में इतनी दहशत थी कि लोग रातोंरात अपना घर बेचकर भागने को मजबूर हो गए. हिंदू आबादी लगभग खत्म होने के बाद यहां स्थित शिव मंदिर के कपाट भी बंद हो गए, जो 4 दशक से ज्यादा तक बंद रहे.
संभल दंगे की फाइलें फिर खुलेंगी…संभल:
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में खग्गू सराय इलाके में स्थित भस्म शंकर मंदिर पिछले 46 वर्षों तक बंद क्यों रहा? इस सवाल को लेकर सियासत गरमाई हुई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी विधानसभा सत्र के दौरान भी संभल मंदिर का मुद्दा उठाया. ये शायद संयोग ही है कि शिव मंदिर संभल की शाही जामा मस्जिद से सिर्फ एक किलोमीटर दूर है, जहां पिछले दिनों बवाल हुआ था. संभल में शिव मंदिर के कपाट 1978 के बाद कैसे खोले गए, वो घटना भी हैरान करने वाली है. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, संभल के बनिया मोहल्ले में 1978 को दंगा भड़का था, जिसमें 184 से ज्यादा लोग मारे गए थे. इसके बाद यहां स्थित शिव मंदिर बंद कर दिया है. अब 46 साल पहले संभल में हुए दंगे की फ़ाइल फिर खुलेगी. आइए आपको बताते हैं, संभल मंदिर से जुड़े कुछ और सच…
संभल दंगे की फाइलें फिर खुलेंगी
यूपी विधानसभा में सीएम योगी आदित्यनाथ ने संभल के शिव मंदिर का मुद्दा उठाया और कई सवाल पूछे? सीएम योगी के इस बयान के बाद ये फ़ैसला हुआ कि संभल दंगे की फाइल एक बार फिर खुलेगी. संभल में 29 मार्च 1978 को दंगा हुआ था. दंगा कई दिनों तक चला था. दो महीने तक शहर में कर्फ़्यू लगा रहा. कुल 184 लोगों की जान इस दंगे में चली गई थी. इस दंगे में 169 मुकदमें दर्ज हुए थे, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि 184 लोगों को 46 सालों तक न्याय नहीं मिला, लेकिन अब उसकी उम्मीद है. मुरादाबाद के कमिश्नर आंजनेय सिंह ने सोमवार संभल के डीएम राजेन्द्र पेनसिया से दंगे से जुड़े सभी रिकॉर्ड अपने पास मंगवाए. सूत्र बताते हैं कि कुछ लोगों की शिकायतों पर फिर से कई केस खोले जा सकते हैं. इस मामले में कमिश्नर आंजनेय सिंह ने मंगलवार को एक अहम मीटिंग भी बुलाई है.
मंदिर के कुएं में क्या मिला?
संभल जिले के भस्म शंकर मंदिर के परिसर में एक कुआं था. इससे जल लेकर मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती थी, लेकिन मंदिर बंद होने के बाद इस पर अतिक्रमण हो गया. इसे पाट दिया गया. अब इस कुएं की खुदाई की जा रही है. अब तक कुएं में तीन खंडित मूर्तियां मिली हैं. अधिकारियों ने सोमवार यह जानकारी दी. श्री कार्तिक महादेव मंदिर (भस्म शंकर मंदिर) को 13 दिसंबर को पुनः खोल दिया गया था, जब अधिकारियों ने कहा था कि अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान उन्हें यह ढांचा मिला था. मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति और शिवलिंग स्थापित था. यह 1978 से बंद था. मंदिर के पास एक कुआं भी है जिसे अधिकारियों ने फिर से खोलने की योजना बनाई थी. संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने पत्रकारों से कहा, ‘प्राचीन मंदिर और जो कुआं हमें मिला है, उसकी खुदाई की जा रही है. करीब 10 से 12 फीट खुदाई की गई है. इस दौरान आज सबसे पहले पार्वती जी की मूर्ति मिली, जिसका सिर टूटा हुआ मिला, फिर गणेश जी और मां लक्ष्मी जी की मूर्तियां मिलीं.
क्या मूर्तियों को तोड़कर फेंका गया?
यह पूछे जाने पर कि क्या मूर्तियों को तोड़कर अंदर रखा गया था, जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि यह सब जांच का विषय है. उन्होंने कहा, ‘मूर्तियां अंदर कैसे गईं? क्या हुआ और क्या नहीं हुआ, यह विस्तृत जांच के बाद पता चलेगा.’ मंदिर के आसपास अतिक्रमण के सवाल पर उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने खुद ही अतिक्रमण हटा लिया है, कुछ से अनुरोध किया गया है, आगे की प्रक्रिया अपनाई जाएगी और फिर नगरपालिका के माध्यम से इसे हटाया जाएगा. यह पूछे जाने पर कि क्या मंदिर का सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा, उन्होंने कहा कि पहले मंदिर की प्राचीनता सुनिश्चित की जाएगी.
संभल मंदिर की हो रही कड़ी सुरक्षा, सीसीटीवी से रखी जा रही नजर
यह मंदिर खग्गू सराय इलाके में स्थित है, जो शाही जामा मस्जिद से सिर्फ एक किलोमीटर दूर है. इस मस्जिद में 24 नवंबर को अदालत के आदेश पर किए गए सर्वे के दौरान विरोध प्रदर्शन होने पर हिंसा हुई थी. जिला प्रशासन ने कुंए और मंदिर की ‘कार्बन डेटिंग’ के वास्ते भारतीय पुरात्व सर्वे को पत्र लिखा है. ‘कार्बन डेटिंग’ प्राचीन स्थलों से मिली पुरातात्विक कलाकृतियों के काल निर्धारण की एक प्रविधि है. प्रशासन ने कहा कि भक्तों ने मंदिर में जाना शुरू कर दिया है और इसकी चौबीसों घंटे सुरक्षा की जा रही है. डीएम पेंसिया ने कहा था, ‘यह कार्तिक महादेव का मंदिर है. यहां एक कुआं मिला है. यह अमृत कूप है. यहां सुरक्षा गार्ड स्थायी रूप से तैनात किए गए हैं और सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. मंदिर में पूजा भी शुरू हो गई है. यहां अतिक्रमण है, जिसे हटाया जा रहा है.’
संभल का सच बाहर आना जरूरी…
यूपी बीजेपी के नेताओं का कहना है कि संभल का सच बाहर आना चाहिए. संभल का सच पूरे देश के सामने आना चाहिए कि कैसे संभल के हिंदुओं का पलायन हुआ, कैसे संभल के लोग यहां से जाने के लिए मजबूर हुए. उन्होंने कहा कि यह मंदिर इस बात का बहुत बड़ा प्रमाण है, क्योंकि जिस मोहल्ले में मंदिर होगा तो (आप) स्वयं ही हिसाब लगा सकते हैं उस मोहल्ले में हिंदू जरूर ही होंगे. उन्होंने कहा कि एक एक हिंदू का पलायन किस परिस्थिति में हुआ, यह सच पूरे देश के सामने आना चाहिए. कश्मीर के पंडितों का दर्द सबने सुना है, लेकिन अब संभल के हिंदुओं का दर्द भी सबके सामने आना चाहिए. उस समय की भयावह तस्वीर सबके सामने आ रही है. उन्होंने कहा कि उस समय मीडिया इतनी नहीं थी, साधन भी इतने नहीं थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, संभल में 1978 में हुए दंगे में काफी लोग मारे गए थे. इलाके में दहशत थी. इसके बाद मंदिर के पंडित अपना घर बेचकर चले गए और मंदिर में ताला लगा गए
संभल मंदिर के कपाट कैसे खोले गए
संभल में प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीम बिजली चोरी पर नकेल कसने के लिए गई थी. इस दौरान छतों पर फैले कटिया कनेक्शन और धार्मिक स्थलों पर अवैध कनेक्शन मिलने से अधिकारियों ने सख्त रुख कई घरों और मस्जिदों के अवैध बिजली कनेक्शन काटे गए. इस दौरान घरों के बीच में दबा एक मंदिर दिखा. पुलिस ने जब आसपास से पूछताछ की, तो पता चला कि ये एक मंदिर है, जो सालों से बंद पड़ा है. प्रशासन ने इसके बाद मंदिर के कपाट खोले और अंदर साफ-सफाई की गई. इसके बाद पता चला कि ये मंदिर 1978 में संभल में हुए दंगे के बाद से कभी खोला ही नहीं गया है.
बनवारी लाल बोले गोली मार दो, पर दंगाइयों ने काट-काटकर मारा
ऑपइंडिया के पास मौजूद इंटरनल रिपोर्ट बताती है कि दंगे भड़कने की सूचना मिलने पर बनवारी लाल गोयल प्रभावित इलाके में जाने लगे। उनकी पत्नी और बेटे ने उन्हें रोका। लेकिन वे यह कहते हुए दंगा प्रभावित इलाके में चले गए,
सारे मुस्लिम मेरे मित्र और भाई जैसे हैं। सब मेरे साथ काम करते हैं। मुझे कुछ नहीं होगा।
लेकिन बनवारी लाल गोयल को मुस्लिम दंगाइयों ने पकड़ लिया। उनसे कहा कि तुम इन पैरों से पैसे लेने आए हो और उनके पैर काट दिए। फिर कहा कि तुम इन हाथों से पैसे लेने आए हो और हाथ भी काट दिए। इसके बाद गर्दन काट कर उनकी हत्या कर दी गई। इस दौरान मुस्लिम दंगाइयों के सामने बनवारी लाल गिड़गिड़ाते रहे कि मुझे काटो मत, गोली मार दो। पर किसी ने नहीं सुनी। इस घटना को हरद्वारी लाल शर्मा और सुभाष चंद्र रस्तोगी ने अपनी आँखों से देखा था। इस कत्लेआम के दौरान दोनों ने एक ड्रम में छिपकर अपनी जान बचाई थी। हाई स्कूल में पढ़ने वाले हरद्वारी लाल के सगे भाई को भी मुस्लिम दंगाइयों ने चाकू से गोदकर इसी दौरान मार डाला था।
शर्मा और रस्तोगी भी इस कत्लेआम के गवाह थे। इरफान, वाजिद, जाहिद, मंजर, शाहिद, कामिल, अच्छन जैसे नाम आरोपित थे। लेकिन 2010 में यह केस बंद करना पड़ा, क्योंकि गवाह ही हाजिर नहीं हुए। जज ने यह टिप्पणी करते हुए केस बंद किया कि मैं सोच भी नहीं सकता कि इन लोगों (आरोपितों) को फाँसी नहीं हो रही है।
गवाहों पर किस तरह का दबाव रहा होगा इसे इस बात से समझा जा सकता है कि बनवारी लाल के बेटे विनीत गोयल के कारोबारी साझेदार रहे प्रदीप अग्रवाल के भाई की वसीम ने गोली मारकर हत्या कर दी। साथ ही धमकी दी कि यदि उसके खिलाफ किसी ने एफआईआर करवाई तो उसकी भी हत्या कर दी जाएगी। उसके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं हुआ।
इंटरनल रिपोर्ट के अनुसार बनवारी लाल के परिवार पर डॉक्टर शफीकुर रहमान बर्क की ओर से भी दबाव डाला गया था। बर्क संभल से समाजवादी पार्टी से सांसद रहे हैं। फिलहाल उनके बेटे जियाउर रहमान बर्क इस सीट से सपा के सांसद हैं। जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हुई हिंसा में जियाउर रहमान बर्क के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है। 1995 के आसपास बनवारी लाल गोयल के परिवार ने संभल ही छोड़ दिया।
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