नौकरी माफिया के दम पर ठेकेदार तक बन गये दरोगा, कुछ और राडार पर
Daroga Bharti Scam: तीन माह में खंगाली कुंडली, ठेकेदारी करने वाले बने दारोगा, कुछ तो टापर लिस्ट में भी थे
Daroga Bharti Scam: दारोगा भर्ती घोटाले में 20 दारोगा पर निलंबन की कार्रवाई एकदम से नहीं हुई।
Daroga Bharti Scam पिछले वर्ष अक्टूबर में इस मामले में मुकदमा दर्ज करने के बाद विजिलेंस ने सभी अभ्यर्थियों की कुंडली खंगालनी शुरू की। प्रारंभिक चरण में 20 दारोगा पर गाज गिरी हो लेकिन अभी कुछ और दारोगा रडार पर हैं। इनके निलंबन की कार्रवाई जल्द हो सकती है।
देहरादून17 जनवरी। दारोगा भर्ती घोटाले में 20 दारोगा पर निलंबन की कार्रवाई एकदम से नहीं हुई। इसके लिए विजिलेंस ने करीब तीन माह खाक छानी।
पिछले वर्ष अक्टूबर में इस मामले में मुकदमा दर्ज करने के बाद विजिलेंस ने सभी अभ्यर्थियों की कुंडली खंगालनी शुरू की। इसमें जिन पर विजिलेंस को शक था, उनकी जांच के लिए अलग-अलग टीमें गठित की गईं।
स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा, स्वजन, करीबी मित्र समेत आर्थिक स्थिति की बारीकी से पड़ताल की गई। सूत्रों की मानें तो भले प्रारंभिक चरण में 20 दारोगा पर गाज गिरी हो, लेकिन अभी कुछ और दारोगा भी रडार पर हैं। इनके निलंबन की कार्रवाई भी जल्द हो सकती है।
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जन्मस्थल से लेकर शैक्षिक संस्थानों तक का पूरा ब्योरा जुटाया
भर्ती घोटाले की जांच के दौरान विजिलेंस की टीमों ने संदिग्ध दारोगा के जन्मस्थल से लेकर उनके शैक्षिक संस्थानों तक का पूरा ब्योरा जुटाया। वह किस स्कूल में पढ़ा, किस कोचिंग सेंटर से कोचिंग ली, गांव व मोहल्ले में उसका आचरण, वह पढ़ाई में कैसा था, इन सभी बिंदुओं की जांच की गई।
यही नहीं, दारोगा भर्ती से पूर्व संदिग्ध दारोगा व उसके स्वजन के बैंक खातों में कितनी धनराशि थी और भर्ती के बाद खातों में कितना बैलेंस था, यह तक पता लगाया गया।
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विजिलेंस को संदेह था कि यदि अभ्यर्थी ने मोटी रकम देकर परीक्षा पास की है तो रुपयों का इंतजाम कहीं न कहीं से किया गया होगा। विजिलेंस ने जमीनों तक की जानकारी जुटाई कि कहीं भर्ती के दौरान किसी ने जमीन या मकान आदि बेचकर तो रकम नहीं जुटाई।
इसके साथ ही विजिलेंस ने अपनी जांच उत्तरकाशी जिले पर अधिक केंद्रित रखी, क्योंकि नकल माफिया हाकम सिंह रावत के गिरफ्तार होने के बाद यह सामने आया था कि दारोगा भर्ती में उत्तरकाशी के काफी युवक सफल हुए थे। इनमें से कुछ का हाकम सिंह के साथ काफी मिलना-जुलना था।
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केस डायरी तक लिखना नहीं जानते दारोगा
भर्ती पर सवाल उठने के बाद पुलिस विभाग की ओर से जब कुछ चयनित दारोगा की गोपनीय जांच कराई गई तो पता चला कि 15 प्रतिशत दारोगा ऐसे हैं, जो केस डायरी तक लिखना नहीं जानते।
अधिकतर दारोगा अपने साथियों और जूनियरों को प्रलोभन देकर केस डायरी लिखवाते मिले। यही नहीं, कई दारोगा ने तो अपने साथ सेवानिवृत्त दारोगा को रखा हुआ था, ताकि बड़ा केस आने पर वह उसकी मदद कर सके।
चौकी इंचार्ज की जिम्मेदारी निभा रहे हैं अधिकतर दारोगा
पुलिस मुख्यालय की ओर से निलंबित किए गए 20 दारोगा में से अधिकतर के पास चौकी इंचार्ज की जिम्मेदारी है। देहरादून जिले में ही निलंबित हुए पांच दारोगा में से तीन चौकी इंचार्ज थे।
विभागीय अधिकारियों पर भी आ सकती है आंच
दारोगा भर्ती में कुछ विभागीय अधिकारियों पर भी आंच आ सकती है। आरोप लग रहे कि अधिकारियों की मिलीभगत के बिना भर्ती में गड़बड़ी करना संभव नहीं है। ऐसे में कुछ सेवानिवृत्त और कुछ वर्तमान अधिकारी भी इसकी जद में आ सकते हैं।
कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी
निलंबन की कार्रवाई के बाद अब संदिग्ध दारोगा भी कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि लंबे समय से चल रही जांच के दौरान कुछ दारोगा संगठित हो गए थे और खुद को फंसता देख कोर्ट जाने की तैयारी भी शुरू कर दी थी।