पीओके खुद पाकिस्तान से आजाद हो ना हो,2035 तक पाक और चीन भारत पर हमला करेंगें जरूर

Pok Will Be Independent From Pakistan Like Boston Tea Party, What Is The Strategy Of Indian Army To Win In The Mountains?
Explained: POK बोस्टन टी-पार्टी जैसा पाकिस्तान से आजाद होगा!पहाड़ों में जीत को भारतीय सेना की क्या है रणनीति, Pok जीत को जटिल होगा युद्ध,चीन के भी कूदने के आसार
पाक अधिकृत कश्मीर यानी POK में इन दिनों पाकिस्तान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। ये प्रदर्शन पाकिस्तान से आजादी को हो रहे हैं। ऐसी खबरें हैं कि पीओके के लोग पाकिस्तान सरकार की दमनकारी नीतियों से बेहद नाराज हैं।

2035 तक भारत पर चीन-पाक के हमले की भविष्यवाणी
नई दिल्ली: जब भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी अपने पांव पसार रही थी, तभी क्रिस्टोफर कोलंबस के खोजे गए नए देश अमेरिका में गुलामी की रात बीत रही थी। 16 दिसंबर, 1773 की रात ब्रिटेन के औपनिवेशिक टैक्स कानूनों के विरोध में गुस्साए अमेरिका के बोस्टन बंदरगाह पर करीब 70 लोग ईस्ट इंडिया कंपनी के तीन जहाजों पर चढ़ गए। ब्रिटिश संसद के चाय अधिनियम (1773) के विरोध में समूह ने 90 हजार पाउंड से अधिक की चाय आननफानन समंदर में फेंक दी। इसे इतिहास में बोस्टन टी पार्टी कहा गया। इसने अमेरिका में अंग्रेजी राज के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया। बोस्टन टी पार्टी के 16 महीने बाद अमेरिकी क्रांति की पहली गोली चली। इस क्रांति की आंच में अंग्रेज इतना झुलसे कि आखिरकार बोस्टन टी पार्टी के 10 साल बाद यानी 1783 में पेरिस की संधि से ब्रिटेन को संयुक्त राज्य अमेरिका की स्वतंत्रता को मान्यता देनी पड़ी। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में इन दिनों पाकिस्तान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि पीओके के लोग भी एक दिन पाकिस्तान के चंगुल से आजाद हो जाएंगे।
POK हमारे लिए क्यों मायने रखता हे
डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक एनालिस्ट लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) जेएस सोढ़ी बताते हैं कि ऑपरेशन गुलमर्ग में पाकिस्तान कबायलियों की मदद से जम्मू-कश्मीर का एक तिहाई हिस्सा अपने कब्जे में ले लिया। भारत तब संयुक्त राष्ट्र नहीं जाता तो आज हालात कुछ और होते। पीओके रणनीतिक रूप से भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ कई अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है। इसमें पश्चिम में पाकिस्तान का पंजाब और उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत यानी खैबर-पख्तूनख्वा, उत्तर-पश्चिम में अफगानिस्तान का लाखन हॉल और उत्तर में चीन का शिंजियांग प्रांत शामिल है। करीब 13 हजार वर्ग किमी के इस इलाके में तकरीबन 30 लाख आबादी रहती है।

पीओके में हो रहे प्रदर्शनों में शामिल लोग पाकिस्तान सरकार की नीतियों से खुश नहीं हैं

क्या पीओके हासिल करना आसान है
डिफेंस एक्सपर्ट जेएस सोढ़ी के अनुसार, पीओके हासिल करना इतना आसान नहीं है। 2019 में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर ने बयान दिया था कि पीओके को हासिल करना बेहद मुश्किल है। 9 अगस्त, 2023 बीते साल एक लेख में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल नरवणे ने भी कहा था कि आज के जमाने में टू-फ्रंट वॉर कोई नहीं जीत पाया है। अगर पीओके के लिए जंग होगी तो उसमें सिर्फ पाकिस्तान से जंग नहीं होगी, उसमें चीन भी कूदेगा। रूस को यूक्रेन से जंग करते दो साल से ज्यादा वक्त हो गया, मगर वह अभी तक यूक्रेन को हरा नहीं पाया। वहीं, 7 महीने से ज्यादा का समय हो गया छोटे से गाजा पट्टी में हमला करते हुए, मगर इजरायल को अभी तक कामयाबी नहीं मिली। ऐसे में पीओके भी हासिल करना उतना आसान नहीं होगा।

पहाड़ों की लड़ाई में सेना क्या अपनाती है रणनीति
डिफेंस एक्सपर्ट सोढ़ी बताते हैं कि अगर पीओके में जंग होती है तो यह उतना आसान नहीं होगा। वहां के लिए सेना अलग रणनीति अपनाती है। आमतौर पर सेना किसी भी लड़ाई के लिए अटैकर टू डिफेंडर रेश्यो 3:1 होता है यानी कि अटैकर तीन होते हैं और डिफेंडर एक होता है। वहीं पहाड़ों में अटैकर टू डिफेंडर रेश्यो 9:1 होता है। इसे ऐसे समझिए कि अगर मैदानों में किसी जमीन के टुकड़े को कब्जा करने के लिए दुश्मन के 100 सैनिक हैं तो हमारी सेना को उन्हें खदेड़ने के लिए 100 के मुकाबले 300 जवान लगाने पड़ते हैं। वहीं पहाड़ों में यह अनुपात तीन गुना बढ़ जाता है। यानी पहाड़ों में दुश्मन के 100 जवानों से मुकाबला करने के लिए हमें 900 सैनिकों को तैनात करना पड़ता है।

कारगिल में भी अपनाई गई थी यही रणनीति
1999 में जब कारगिल जंग हुई थी, उस समय पहाड़ों पर मुट्ठी भर पाकिस्तानी फौजें थीं। जिन्होंने पहाड़ों पर भारतीय सेना की जमीन ले ली थी। उन्हें हराने के लिए भारतीय सेना को कई बटालियन भेजनी पड़ी थी। वहां भी जीत के लिए 9:1 का अनुपात अपनाया जाता है। आज के जमाने में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल और लाइन ऑफ कंट्रोल दोनों ही जगहों पर भारत को मुकाबला करना पड़ रहा है।

2035 तक पाकिस्तान-चीन से जंग की भविष्यवाणी
लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) जेएस सोढ़ी बताते हैं कि 8 जुलाई, 2013 में चीन के सरकारी अखबार विनवीपू ने एक भविष्यवाणी की थी कि 2035 में टू-फ्रंट वॉर होगी, जिसमें चीन-पाकिस्तान मिलकर भारत पर हमला करेंगे। पीओजेके में चीन का भी इंटरेस्ट भी है। 65 बिलियन डॉलर का इकोनॉमिक कोरिडोर प्रोजेक्ट भी पीओके से होकर ही गुजरेगा। चीन ने पीओके में कई पनबिजली परियोजनाओं में पैसा लगाया है। 5,180 वर्ग किमी की शक्सगाम घाटी को पाकिस्तान ने 1963 में एक गैरकानूनी समझौते के तहत चीन को दे दी थी। इससे पहले पाकिस्तान ने अक्साई चिन का 38 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र चीन को दे दिया था।

क्या कहा था चीन के सरकारी अखबार में
चीन का एक सरकारी अखबार है विनविपू, जो हांगकांग से प्रकाशित होता है। इस अखबार में 8 जुलाई, 2035 को एक लेख के जरिए भविष्यवाणी की थी कि अगले 50 साल में चीन 6 जंग लड़ेगा। इस कड़ी में पहली जंग चीन और अमेरिका के बीच ताइवान को लेकर होगी। इसकी पुष्टि 3 फरवरी, 2023 में अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए के डायरेक्टर विलियम बर्न्स ने कहा कि 2027 में ताइवान को लेकर अमेरिका के साथ चीन की जंग हो सकती है। इसी कड़ी में तीसरी जंग 2035 में भारत के साथ जंग होगी, जिसमें पाकिस्तान और चीन एकसाथ भारत पर हमला करेंगे। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी बयान दिया था कि चीन की पाकिस्तान से दोस्ती पहाड़ों से भी ऊंची और समुद्र से भी गहरी है।

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