बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर कमेटी से जोशीमठ को पांच लाख, अजेंद्र सीएम के वहां विशेष प्रतिनिधि
Joshimath: बीकेटीसी ने मदद को दिए पांच लाख रुपए, मुख्यमंत्री ने अध्यक्ष अजेंद्र अजय को बनाया विशेष प्रतिनिधि
श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने जोशीमठ भूधंसाव क्षेत्र में प्रभावितों की सहायता के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में पांच लाख रुपए का चेक सौंपा। वहीं मुख्यमंत्री ने मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय को अपना विशेष प्रतिनिधि तय किया है।
देहरादून 20 जनवरी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने जोशीमठ भूधंसाव क्षेत्र में प्रभावितों की सहायता के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में पांच लाख रुपए का चेक सौंपा।
यह धनराशि मंदिर समिति के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष किशोर पंवार के एक माह के वेतन तथा अधिकारियों व कर्मचारियों के एक दिन के वेतन से दी गई है।
वहीं मुख्यमंत्री ने मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय को अपना विशेष प्रतिनिधि तय किया है। अजेंद्र अजय जोशीमठ में चलाए जा रहे राहत और बचाव कार्यों के पर्यवेक्षण में मुख्यमंत्री के विशेष प्रतिनिधि के रूप में कार्य करेंगे। वह प्रतिदिन मुख्यमंत्री कार्यालय को जोशीमठ में चल रहे राहत बचाव कार्यों का ब्यौरा देंगे।
जोशीमठ को नजरंदाज करना संभव नहीं: कर्नल कोठियाल
वरिष्ठ भाजपा नेता कर्नल अजय कोठियाल का कहना है कि जोशीमठ में राहत व पुनर्वास के लिए सरकार हर संभव कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। जोशीमठ की महत्ता को देखते हुए इसको नजरंदाज करना संभव ही नहीं है।
भाजपा नेता कर्नल अजय कोठियाल ने कहा कि सभी जोशीमठ वासियों के साथ हैं। उन्होंने कहा कि जोशीमठ की जमीनी बनावट ऐसी है कि उसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता। कारण यह कि चीन सीमा तक पहुंच के लिए जोशीमठ प्रमुख रास्ता है।
बदरीनाथ धाम व हेमकुंड साहिब का रास्ता भी यहीं से निकलता है। नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व का रास्ता भी जोशीमठ से होकर ही गुजरता है। ऐसे में जोशीमठ कहीं से नजरंदाज नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि सरकार आपदा राहत के लिए हर संभव कदम उठा रही है। विज्ञानियों की टीमें अपने कार्य में जुटी हुई हैं।
Joshimath Sinking: Government Stop Drainage Plan Project And Will Move Forward On Helang Bypass
Joshimath: धंसते शहर में ड्रेनेज प्लान पर फिलहाल ब्रेक…अब बाईपास पर आगे बढ़ेगी सरकार, कोई भी निर्णय जियोफिजिकल -जियोटैक्निकल रपट के बाद
जोशीमठ में रोज बदलते हालात के बीच सरकार भी असमंजस की स्थिति में है। शासन ने नए ड्रेनेज प्लान पर आगे बढ़ने से फिलहाल इनकार कर दिया है। वहीं, हेलंग बाईपास निर्माण पर लगाई गई रोक हटाई जा सकती है। इस संबंध में आईआईटी रुड़की को एक सप्ताह में जियोटेक्निकल सर्वे रिपोर्ट देने को कहा गया है।
सचिव आपदा प्रबंधन डॉक्टर रंजीत सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में ड्रेनेज प्लान पर अभी शासन स्तर पर मंथन किया जा रहा है। इसलिए ड्रेनेज प्लान को फिलहाल रोक दिया गया है। तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट आने के बाद जब एक प्रारुप तैयार हो जाएगा, इसके बाद ही इस पर कोई फैसला लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बाईपास निर्माण के काम पर रोक लगाई गई है। इस पर पुनः काम शुरू करने से कोई दिक्कत तो नहीं होगी, इस संबंध में आईआईटी रुड़की को जियोटेक्निकल सर्वे कर एक सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा गया है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो बाईपास निर्माण का काम पुनः शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अलकनंदा के किनारे हो रहे टो-एरोजन(कटाव) से बचाव को लेकर रिटेनिंग वॉल बनाने की प्रक्रिया अभी जारी रहेगी।
दरारें
जोशीमठ में भू-धंसाव को लेकर शहर में ड्रेनेज सिस्टम का न होना इसका बड़ा कारण बताया जा रहा था। आनन-फानन में सरकार ने ड्रेनेज प्लान तैयार कर इसे लागू करने के निर्देश भी दिए, लेकिन अब इस पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। जबकि इसके टेंडर भी खुल गए हैं। इसमें चार संस्थाओं ने रूचि दिखाई है। इसके अलावा वित्तीय निविदाएं भी खोल दी गई हैं।
आपदा प्रबंधन सचिव डॉक्टर रंजीत कुमार सिन्हा
सचिव आपदा प्रबंधन डॉक्टर रंजीत सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ भू-धंवाव को लेकर अभी कई तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट आनी हैं। वहां रोज हालात बदल रहे हैं। यदि जोशीमठ का पुनर्निर्माण किया जाता है तो उसका भी एक अलग प्लान बनेगा।
जोशीमठ को लेकर बैठक लेते मुख्यमंत्री धामी
तमाम तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट मिलने के बाद जोशीमठ के पुनर्निर्माण पर फैसला लिया जाएगा। जोशीमठ का पुर्निर्माण होगा, भूधंसाव वाले हिस्से में किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक और दरारों वाले भवनों के भविष्य पर जियोटेक्निकल और जियोफिजिकल रिपोर्ट आने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने ली मीटिंग
उन्होंने बताया कि इन सर्वे रिपोर्ट के बाद ही पता चल पाएगा कि वहां की जमीन किसी भी नए भार को उठाने लायक है या नहीं। इसके अलावा सभी दरार वाले भवनों को हटाने का फैसला लिया जा सकता है।