बांग्लादेश में शेख हसीना का पतन,भारत में शरण, सेना बनायेगी अंतरिम सरकार
Bangladesh Prime Minister Sheikh Hasina Reached Ghaziabad, Plane Landed At Hindon Airport
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शेख हसीना पहुंचीं भारत, गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरा विमान
Bangladesh Prime Minister Sheikh Hasina In india: शेख हसीना भारत पहुंच गई हैं। उनका विमान गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरा। माना जा रहा है कि वो यहां से लंदन के लिए रवाना हो जाएंगी।
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है। शेख हसीना भारत पहुंच गई हैं और यहां से लंदन रवाना होने वाली हैं। थोड़ी देर पहले उनका प्लेन गाजियाबाद के हिंंडन एयरबेस पर उतरा। उधर, बांग्लादेश के सेना प्रमुख ने ऐलान किया कि सेना ने देश की कमान संभाल ली है।
शेख हसीना भारत के रास्ते लंदन जा रही हैं। कई राजनयिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है. शेख हसीना वायुसना के एक परिवहन विमान से हिंडन एयरबेस पहुंची हैं। इस विमान के कुछ देर भारत में रुकने की संभावना है। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि अगर शेख हसीना भारत से लंदन जाएंगी तो उसी विमान का इस्तेमाल करेंगी या किसी दूसरी फ्लाइट का सहारा लेंगी।
बांग्लादेश में क्यों फैली है हिंसा?
आपको बता दें कि पिछले दो दिनों में, हसीना सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में बांग्लादेश में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं। बांग्लादेश में छात्रों का विरोध प्रदर्शन पिछले महीने एक विवादास्पद नौकरी आरक्षण योजना के खिलाफ शुरू हुआ था। यह प्रदर्शन अब सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया है। वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम में भाग लेने वालों के परिवारों के लिए सिविल सेवा नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान इस विवादास्पद आरक्षण व्यवस्था में किया गया था। इसी का विरोध हो रहा है।
बांग्लादेश में बनेगी अंतरिम सरकार, शेख़ हसीना के देश छोड़ने के बाद आर्मी चीफ़ का एलान
प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने इस्तीफ़ा दे दिया और देश छोड़ दिया है. बताया जा रहा है कि देश छोड़ते वक़्त उनके साथ उनकी बहन शेख़ रेहाना भी थीं. शेख़ हसीना भारत के शहर अगरतला की ओर एक हेलीकॉप्टर से रवाना हुई हैं.
प्रधानमंत्री हसीना के देश छोड़ने के बाद आर्मी चीफ़ जनरल वकार-उज़-ज़मान ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार बनाई जाएगी.
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हजारों प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के आधिकारिक आवास पर धावा बोल रहे हैं.
बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर चल रहा आंदोलन सोमवार को और व्यापक हो गया है.
छात्र नेताओं की ओर से किए गए ‘ढाका तक लॉंग मार्च’ के आह्वान पर हज़ारों लोग ढाका के उपनगरीय इलाक़ों की ओर कूच कर रहे हैं.
ढाका में हज़ारों लोग शाहबाग़ की ओर पैदल और रिक्शा से मार्च कर रहे हैं.
मार्च करने वालों में काफ़ी संख्या में महिलाएं भी हैं.
शाहबाग़ का इलाक़ा आवागमन का एक बड़ा हब है और शहर का केंद्र है, यहां कई पार्क और विश्वविद्यालय हैं.
सेना सड़कों पर तैनात है लेकिन वो मार्च करने वलों को रोक नहीं रही है और दोपहर बाद से ही सड़कों पर पुलिस की मौजूदगी बहुत कम देखी जा रही है.
आर्मी चीफ़ ने क्या कहा?
आर्मी चीफ़ जनरल वकार-उज़-ज़मान ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि देश में एक अंतरिम सरकार की स्थापना होगी. इसके लिए उन्होंने अलग अलग पक्षों से बात भी की है.
आर्मी चीफ़ ने देश को संबोधित करते हुए लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है.सैन्य प्रमुख ने कहा कि बांग्लादेश में आंदोलन में जो लोग मारे गए हैं, उनके लिए इंसाफ़ होगा.
सरकारी आवास पर प्रदर्शनकारियों का धावा
प्रदर्शनकारियों ने ढाका में हसीना के आधिकारिक आवास पर धावा बोल दिया है.ऐसे वीडियो फ़ुटेजे सामने आ रहे हैं जिसमें दिख रहा है कि प्रदर्शनकारी शेख़ हसीना के आधिकारिक आवास गण भवन में घुसकर लूटपाट कर रहे हैं.
कुछ प्रदर्शनकारी कुर्सियां और सोफ़े ले जाते दिख रहे हैं.
सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच भिड़ंत में पिछले महीने में लगभग 300 लोग मारे गए थे.
रविवार को दोबारा शुरू हुई हिंसा में 10 पुलिस जनों समेत 100 लोग मारे गए हैं.
बांग्लादेश में जुलाई महीने से ही छात्र आंदोलन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि देश में ज़्यादातर बड़े सरकारी नौकरी में मौजूद आरक्षण को ख़त्म किया जाए.
हालाँकि छात्रों के आंदोलन के बाद शेख़ हसीना सरकार ने कुछ कोटे को कम ज़रूर किया है, लेकिन लगातार जारी हिंसा के बीच छात्र प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के इस्तीफ़े की मांग पर अड़े हुए थे.
छात्रों के हिंसक आंदोलन में बांग्लादेश में अब तक 300 लोगों की मौत हो चुकी है. इस आंदोलन पर काबू पाने को पिछले महीने ही सरकार ने सेना को बुलाया था. रविवार से छात्रों ने ‘सविनय अवज्ञा’ आंदोलन की अपील कर रखी थी.
इसमें लोगों से सरकारी टैक्स ने देने की अपील की गई थी.
इंटरनेट शटडाउन
खबरों के मुताबिक, बांग्लादेश सरकार ने पूरे देश में इंटनेट सेवाओं को बंद करने के आदेश दिए हैं.
बांग्लादेश में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली न्यूज़ वेबसाइट ढाका ट्रिब्यून और उसकी सहयोगी प्रकाशन कंपनी बांग्ला ट्रिब्यून दोनों ऑफलाइन हो गई हैं.
एक और न्यूज़ वेबसाइट द डेली बांग्ला स्टार भी डाउन है.
रेगुलेटरी आंकड़ों के मुताबिक़- बांग्लादेश की एक बड़ी आबादी लगभग 17 करोड़ लोग इंटरनेट सेवाओं का प्रयोग करते हैं.
अंशाति को देखते हुए यह सप्ताह में दूसरी बार है जब देश के एक हिस्से में इंटरनेट सेवाओं को रोका गया है.
एएफपी समाचार एजेंसी मुताबिक बांग्लादेश में प्रदर्शन शुरू होने के बाद से अब तक 300 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें रविवार को हुए प्रदर्शन के दौरान हुई मौतें भी शामिल हैं.
एएफपी के आंकड़े पुलिस की ओर से जारी की गई रिपोर्ट्स पर आधारित हैं.
बांग्लादेश प्रदर्शन को लेकर भारत क्यों चुप है?
संवाददाता सौतिक बिस्वास के अनुसार, विशेषज्ञों का कहना है कि बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा पर दिल्ली की चुप्पी आश्चर्यजनक नहीं है.
एक तो, भारत आम तौर पर उन देशों में राजनीतिक संकटों या संवेदनशील आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने से बचता है जिनके साथ उसके घनिष्ठ संबंध हैं.
इसके अलावा, बांग्लादेश में अस्थिर समय के दौरान, दिल्ली का लक्ष्य अपने कर्मियों और हितों की रक्षा करना है.
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत विरोधी भावना भड़क सकती है, खासकर सरकारी आलोचकों में जो दिल्ली के साथ ढाका के करीबी संबंधों का विरोध करते हैं.
इस प्रकार, भारतीय अधिकारी ऐसे कार्यों से बचते हैं जो बांग्लादेश के साथ उनके संबंधों को उजागर कर सकते हैं, खासकर जब ढाका में गुस्सा और विरोध बढ़ रहा हो.
पिछले महीने शुरू हुआ था विरोध प्रदर्शन
1971 में बांग्लादेश की आज़ादी के लिए लड़ने वालों स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए कई सिविल सेवा नौकरियों में दिए गए आरक्षण को लेकर पिछले महीने छात्र सड़कों पर उतर आए थे.
अब एक फैसले के बाद सरकार ने अधिकांश कोटा वापस ले लिया है, लेकिन छात्रों ने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा है.
छात्र मारे गए लोगों और घायलों के लिए इंसाफ़ की मांग कर रहे हैं. अब वे चाहते हैं कि पीएम हसीना अपने पद से इस्तीफ़ा दे दें.
हालांकि हसीना के समर्थकों ने उनके इस्तीफे से इनकार किया है. इससे पहले, पीएम शेख़ हसीना ने हिंसा को समाप्त करने की इच्छा जताते हुए छात्र नेताओं के साथ बिना शर्त बातचीत की पेशकश की थी.
उन्होंने कहा, “मैं आंदोलनरत छात्रों के साथ बैठना चाहती हूं और उनकी बातें सुनना चाहती हूं. मैं कोई संघर्ष नहीं चाहती.”
लेकिन छात्र प्रदर्शनकारियों ने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. पीएम हसीना ने विरोध प्रदर्शन के दौरान कई पुलिस स्टेशनों और सरकारी इमारतों में आग लगने के बाद व्यवस्था बहाल करने के लिए पिछले महीने सेना को बुलाया था.
पिछले महीने जुलाई में हुई हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए थे, जिनमें से कई लोगों की मौत पुलिस की गोली से हुई थी.
पिछले दो सप्ताह में सुरक्षा बलों ने 10,000 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें विपक्षी समर्थक और छात्र प्रदर्शनकारी भी शामिल हैं.