उप्र भाजपा महामंत्री संगठन सुनील बंसल बने राष्ट्रीय महासचिव, संभालेंगे बंगाल, उड़ीसा और तेलंगाना

UP Politics: उत्तर प्रदेश भाजपा में बड़ा फेरबदल, धर्मपाल बने प्रदेश महामंत्री संगठन; सुनील बंसल को मिला प्रमोशन
UP BJP Organization उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्ची में बड़ा सांगठनिक बदलाव किया गया है। उत्तर प्रदेश संगठन की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी महामंत्री संगठन सुनील बंसल को राष्ट्रीय महासचिव बनााया गया है। उनके स्थान पर झारखंड में भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल नियुक्त किये गये हैं।

उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी संगठन में बुधवार को बड़ा बदलाव किया गया है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने झारखंड में भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह (Dharampal Singh) को उत्तर प्रदेश में सुनील बंसल (Sunil Bansal) के स्थान पर प्रदेश महामंत्री संगठन नियुक्त किया है। वहीं, उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल को प्रमोशन देते हुए राष्ट्रीय महासचिव बनाया है। वह बंगाल, ओडिशा और तेलंंगाना के प्रदेश प्रभारी नियुक्त किए गए हैं।

उत्तर प्रदेश में भाजपा को एक के बाद एक ऐतिहासिक सफलताएं दिलाने वाले सुनील बंसल को गृहमंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है। उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश से बड़ी जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने यूपी में 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान अमित शाह के साथ यूपी संगठन को दुरुस्त करते हुए चुनावी रणनीति सेट की थी।

सुनील बंसल ने 2014 लोकसभा चुनाव के बाद 2017 यूपी विधानसभा चुनाव, 2019 लोकसभा चुनाव और फिर 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत दिलाने का काम किया है। यूपी में 2014 से पहले पार्टी संगठन की स्थिति बहुत दयनीय थी, लेकिन सुनील बंसल ने बूथ स्तर पर संगठन के ढांचे को मजबूत किया।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने धर्मपाल सिंह को उत्तर प्रदेश में प्रदेश महामंत्री संगठन नियुक्त किया है। धर्मपाल सिंह को लंबे समय तक उत्तर प्रदेश में काम करने का अनुभव है। वह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बिजनौर के ही रहने वाले हैं। मैकेनिकल इंजीनियर की पढ़ाई करने के बाद धर्मपाल ने 1986 में राजनीति में प्रवेश किया था।

धर्मपाल वर्ष 1986 में विद्यार्थी परिषद में आए थे और 1990 में पूर्णकालीन कार्यकर्ता के रूप में कार्य शुरू किया था। उनको सबसे पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उनके कार्यों के देखते हुए ही 2017 में झारखंड का भाजपा संगठन महामंत्री बनाया गया था। उन्होंने पांच वर्षों तक झारखंड में संगठन को मजबूती प्रदान की और अब उनको नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनकी जगह झारखंड प्रदेश सह संगठन महामंत्री कर्मवीर को पदोन्नत किया गया है।

एक नजर में पढ़ें धर्मपाल की प्रोफाइल

धर्मपाल 1990 से विद्यार्थी परिषद में पूर्णकालिक रहे। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के संयुक्त क्षेत्रीय संगठन मंत्री रहे। उत्तराखंड, पश्चिम उत्तर प्रदेश, ब्रज और पूर्वी उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री रहे। 2017 के विधानसभा चुनावों में संघ की ओर से बीजेपी के लिए काम किया। जुलाई 2017 में झारखंड में भाजपा के संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी मिली। पहली बार नगर निगमों, जिला परिषदों में भाजपा को जीत दिलाई। 2020 के बिहार विधानसभा, 2021 के असम विधानसभा और 2022 के उत्तर विधानसभा चुनावों में भी भाजपा को जीत दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई।   .

उत्तर प्रदेश में प्रमुख भूमिका निभाने वाले सुनील बंसल पर तीन प्रमुख राज्यों की जिम्मेदारी

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उभार में प्रमुख भूमिका निभाने वाले सुनील बंसल को केंद्र की सत्ताधारी पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने के साथ ही पूर्वी भारत और दक्षिणी भारत के तीन प्रमुख राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी है, जो 2024 के लोकसभा चुनाव की दृष्टि से उसके लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
भाजपा ने बंसल को बुधवार को पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और तेलंगाना का प्रभारी नियुक्त किया। पश्चिम बंगाल में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रखर आलोचक ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस की सरकार है वहीं तेलंगाना में केसीआर के नाम से मशहूर के चंद्रशेखर राव की अगुवाई में तेलंगाना राष्ट्र समिति की सरकार है। ममता की ही तरह राव भी प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के खिलाफ आग उगलने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैंं।

ओड़िशा में नवीन पटनायक के नेतृत्व में बीजू जनता दल (बीजद) की सरकार है, जिसके पास लोकसभा में 12 और राज्यसभा में नौ सांसद हैं। बीजद का रुख भाजपा और कांग्रेस से बराबर दूरी बनाए रखने का रहता है लेकिन अक्सर यह भी देखा गया है कि उसके नेता प्रधानमंत्री मोदी पर सीधा हमला करने से बचते हैं और महत्वपूर्ण मौकों पर संसद में सरकार का साथ भी देते हैं।

बहरहाल, भाजपा ने राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के स्थान पर पश्चिम बंगाल का प्रभार बंसल को सौंपा है। विजयवर्गीय के पास 2015 से बंगाल का प्रभार था। उनके नेतृत्व में राज्य में भाजपा का उभार भी हुआ और पिछले लोकसभा चुनाव में उसने राज्य की 18 सीटों पर कब्जा जमाया और आज वह राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी की भूमिका में है।

हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में बाबुल सुप्रियो और अर्जुन सिंह जैसे सांसदों के अलावा भाजपा के कई नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी का कद बढ़ाए जाने से भी वहां की राज्य इकाई में असंतोष है। ऐसे में बंसल के सामने सबसे बड़ी चुनौती 2019 के प्रदर्शन को दोहराने की होगी।

तेलंगाना में भी भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। हाल ही में पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक भी वहां आयोजित की थी। भाजपा भ्रष्टाचार और परिवारवाद के मुद्दे पर अक्सर मुख्यमंत्री राव पर हमलावर रहती है।

राव भी प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। पिछले कुछ समय से वह 2024 के लोकसभा चुनाव के मुद्देनजर विपक्षी दलों को एकजुट करने के अभियान में लगे हुए है। राज्य की 17 लोकसभा सीटों में से नौ पर फिलहाल टीआरएस का, चार पर भाजपा का, तीन पर कांग्रेस का और एक पर एआईएमआईएम का कब्जा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में चार सीटों पर जीत मिलने और उसके बाद हैदराबाद नगरपालिका के चुनाव तथा कुछ उपचुनावों में भी शानदार प्रदर्शन करने से तेलंगाना में भाजपा की उम्मीदों को बल मिला है।

तेलंगाना में बंसल ने प्रभारी के रूप में राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग का स्थान लिया है जबकि ओड़िशा में वह पार्टी महासचिव डी पुरंदेश्वरी का स्थान लेंगे।

ओड़िशा में भी भाजपा लंबे समय से अपनी स्थिति मजबूत करने में लगी हुई है। राज्य विधानसभा के चुनाव में वह बीजद को मात देने में अब तक विफल रही है लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने राज्य की 21 में से आठ सीटों पर कब्जा जमाया था जबकि बीजद को 12 और कांग्रेस को एक ही सीट पर जीत मिली थी।

हाल ही में देश की राष्ट्रपति निर्वाचित हुईं द्रौपदी मुर्मू ओड़िशा की हैं और संथाल आदिवासी समाज से ताल्लुक रखती हैं। भाजपा ने उन्हें जब राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया था तब उसके इस कदम को ओड़िशा और देश के आदिवासियों के बीच पकड़ मजबूत करने की उसकी रणनीति के रूप में देखा गया था।

बंसल को 2014 में उत्तर प्रदेश में संगठन महासचिव नियुक्त किया गया था। उस साल के लोकसभा चुनाव में अमित शाह के पास उत्तर प्रदेश का प्रभार था। बंसल ने उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया और राज्य में भाजपा की दशा और दिशा बदलने में प्रमुख योगदान दिया।

वर्ष 2014 के चुनाव में राज्य की 80 में से 71 सीटों पर कब्जा जमाया जबकि दो सीटों पर सहयोगी अपना दल (एस) को जीत मिली। बंसल के कार्यकाल में ही भाजपा ने 2014 के अलावा 2019 का भी चुनाव जीता और लगातार दो विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज करने का रिकार्ड भी बनाया।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि नयी जिम्मेदारी मिलने से उत्तर प्रदेश भाजपा में बंसल युग की समाप्ति तो हो गई है लेकिन उनके लिए अब तीन प्रमुख राज्यों में पार्टी की स्थिति मजबूत कर 2024 में नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने में योगदान देने की चुनौती बड़ी हो गई है।

Sunil Bansal, Who Played A Major Role In Uttar Pradesh, Has The Responsibility Of Three Major States.

 

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