भारत छोड़ कर कहां कहां जाते हैं लोग?

 

Where Are People Going After Leaving India Destination Countries Settlement In Trumps America
भारत छोड़कर कहां जा रहे हैं लोग, कौन सा देश बन रहा ठिकाना, ट्रंप के अमेरिका में कितनी है यह मुश्किल
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों अपनी आव्रजन नीति को लेकर चर्चा में हैं। भारतीयों में इस बात की टेंशन है कि अब उनका भविष्य क्या होगा। अमेरिका जाने का सपना पाले बैठे भारतीयों को यह डर सताने लगा है। ऐसे में बात करते हैं-

Authored byदिनेश मिश्र | नवभारतटाइम्स.कॉम 24 Jan 2025, 4:00 pm

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हाइलाइट्स
भारत की नागरिकता छोड़कर कहां जा रहे हैं भारतीय
किस देश की नागरिकता सबसे ज्यादा ले रहे हैं भारतीय
भारतीय क्यों अपनी नागरिकता छोड़ रहे हैं, यहां जानिए
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नई दिल्ली: अमेरिका, कनाडा जैसे देशों में भारतीय बड़ी संख्या में बस रहे हैं। वजह यह है कि इन देशों में गए भारतीय अपनी भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं। वर्ष 2023 में भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या 2 लाख के पार पहुंच चुकी थी। बीते कुछ बर्षों से भारतीयों के नागरिकता छोड़ने में बड़ा इजाफा हो रहा है। बस कोरोना महामारी के दौर में इसमें गिरावट आई थी, मगर उसके बाद से ये लगातार बढ़ रही है। आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये चर्चा अभी क्यों? दरअसल, हाल ही में अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप गैरकानूनी तरीकों से अमेरिका आ रहे लोगों पर लगाम लगाने की तैयारी में हैं। साथ ही अमेरिका की आव्रजन नीति और सख्त करने जा रहे ट्रंप को लेकर यह सवाल भी उठ रहा है कि आखिर, भारतीय अपना वतन क्यों छोड़ रहे हैं? क्या वजह है कि इसमें इजाफा ही हो रहा है। जानते हैं पूरी बात।

भारतीय क्यों छोड़ रहे हैं अपनी नागरिकता
भारतीय अपनी नागरिकता लगातार छोड़ रहे हैं। यह संख्या पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ रही है। भारतीयों के नागरिकता छोड़ने की कई बड़ी वजहें हैं। जिनमें विदेशों में अच्छी सैलरी और बेहतर काम करने का माहौल का होना, विदेशों में हायर एजुकेशन का स्तर भारत के मुकाबले ज्यादा होना, अपने देश में अपराध दर का बढ़ना या देश में व्यावसायिक अवसरों की कमी का होना है। इसके अलावा, भारत की एकल नागरिकता का प्रावधान और दोहरी नागरिकता न होना भी महत्वपूर्ण कारण है।

भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ कहां ज्यादा बस रहे हैं
भारतीय अपनी नागरिकता छोड़कर अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके, जर्मनी, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, पेरू, नाइजीरिया, जांबिया जैसे देशों में बस रहे हैं। कुछ भारतीय पाकिस्तान और चीन में भी अपनी नागरिकता छोड़कर बस रहे हैं।

हर साल करीब 1.5 लाख भारतीय छोड़ रहे नागरिकता
हर साल करीब डेढ़ लाख भारतीय अपने देश की नागरिकता छोड़ रहे हैं। भारत की नागरिकता छोड़कर इन लोगों ने 135 देशों की नागरिकता हासिल की है। इनमें अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े देशों से लेकर थाईलैंड, मलेशिया, पेरू, नाइजीरिया और जांबिया जैसे छोटे देश भी शामिल हैं। इनमें से अधिकतर लोग रोजगार के चलते ही भारत की नागरिकता छोड़े हैं।

किन देशों में ज्‍यादा बस रहे हैं भारतीय?
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में रहने वाले औसतन 44 फीसदी भारतीय लोग नागरिकता छोड़ देते हैं। वहीं, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में रह रहे 33 फीसदी भारतीय नागरिकता छोड़ देते हैं। इसका मतलब यह साफ है कि अमेरिका जाने वाले 44 फीसदी भारतीय बाद में वहां की नागरिकता हासिल कर वहीं बस जाते हैं। वहीं, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जाने वाले 33 फीसदी भारतीय भी ऐसा ही करते हैं। इसी तरह ब्रिटेन, सऊदी अरब, कुवैत, यूएई, कतर, सिंगापुर जैसे देशों में भी बड़ी संख्या में भारतीय लोग बस रहे हैं।

भारतीय नागरिकता छोड़ने के बाद क्या करना होता है
विदेशी नागरिकता पाने के बाद आपको अपना अंतिम भारतीय पासपोर्ट रद्द करने के लिए भारतीय वाणिज्य दूतावास को सौंपना होगा। वाणिज्य दूतावास इसे रद्द कर देगा और त्याग/समर्पण प्रमाणपत्र के साथ आपको वापस कर देगा।

कितने दिन में त्याग प्रमाणपत्र हासिल करना होता है
विदेशी नागरिकता प्राप्त करने के बाद किसी भारतीय मूल के व्यक्ति को त्याग प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए 3 वर्ष के भीतर यह प्रमाणपत्र हासिल कर लेना होगा। त्याग के लिए आवेदन करते समय आपके अमेरिकी पासपोर्ट की एक प्रति अनिवार्य दस्तावेजों में से एक होनी चाहिए। साथ ही ऑनलाइन सरकारी आवेदन पत्र भरते समय आपको अपना अमेरिकी पासपोर्ट नंबर प्रदान करना आवश्यक है।

चीन और पाकिस्तान के लिए भी भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता
गृह मंत्रालय के मुताबिक साल 2021 में 1,63,370 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी। संसद में पेश किए गए दस्तावेज में कहा गया था कि इन लोगों ने निजी वजहों से नागरिकता छोड़ी है। सबसे ज्यादा 78,284 लोगों ने अमेरिकी नागरिकता के लिए भारत की नागरिकता छोड़ी। इसके बाद 23,533 लोगों ने ऑस्ट्रेलिया और 21,597 लोगों ने कनाडा की नागरिकता ली। चीन में रह रहे 300 लोगों ने वहां की नागरिकता ले ली और 41 लोगों ने पाकिस्तान की नागरिकता हासिल कर ली। साल 2020 में नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या 85,256 थी और साल 2019 में 144,017 लोगों ने नागरिकता छोड़ी थी।

कोरोना महामारी के दौर में कम लोगों ने छोड़ी नागरिकता
साल 2015 से 2020 के बीच 8 लाख से ज्यादा लोगों ने नागरिकता छोड़ दी। वहीं, 2020 में इन आंकड़ों में कमी देखने को मिली थी, लेकिन इसके पीछे की वजह कोरोना माना जा रहा है। गृह मंत्रालय के अनुसार, विदेश में 1.25 करोड़ भारतीय नागरिक रह रहे हैं, जिसमें 37 लाख लोग ओसीआई यानी ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया कार्डधारक हैं।

क्या है ओआईसी कार्ड, यह किस तरह का विकल्प है
भारत में दोहरी नागरिकता का प्रावधान नहीं है। यानी कि अगर आप किसी और देश की नागरिकता चाहते हैं तो आपको भारत की नागरिकता छोड़नी होगी। विदेश में बसे और वहां की नागरिकता ले चुके भारतीय लोगों के लिए एक खास तरह की सुविधा का नाम है OCI कार्ड। ओसीआई का मतलब है-ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया। ओसीआई एक तरह से भारत में जीवन भर रहने, काम करने और सभी तरह के आर्थिक लेन-देन करने की सुविधा देता है, साथ ही ओसीआई धारक व्यक्ति जब चाहे बिना वीजा भारत आ सकता है। यह जीवन भर के लिए मान्य है।

OCI कार्ड होल्डर नहीं कर सकते हैं यह काम
भारतीय गृह मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, ओसीआई कार्ड के धारकों के पास भारतीय नागरिकों की तरह सभी अधिकार हैं लेकिन ये पांच काम वे नहीं कर सकते हैं-
चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।
वोट नहीं डाल सकते हैं।
सरकारी नौकरी नहीं पा सकते हैं।
संवैधानिक पद पर नहीं हो सकते हैं।
खेती वाली जमीन नहीं खरीद सकते हैं।
कुछ भारतीवंशियों को PIO कार्ड क्यों दिया जाता था
दरअसल, दुनिया के कई देशों में दोहरी नागरिकता की सुविधा है, लेकिन भारतीय नागरिकता कानून के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति किसी और देश की नागरिकता ले लेता है तो उसे अपनी भारतीय नागरिकता छोड़नी पड़ती है। ऐसे लोगों की संख्या लाखों में है जो अमेरिका, ब्रिटेन या कनाडा जैसे देशों की नागरिकता ले चुके हैं, लेकिन उनका भारत से जुड़ाव बना हुआ है। ऐसे ही लोगों की सुविधा का ख्याल करते हुए 2003 में भारत सरकार पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन (PIO) कार्ड का प्रावधान किया। यह कार्ड पासपोर्ट की ही तरह दस साल के लिए जारी किया जाता था। 2015 में पीआईओ का प्रावधान खत्म कर दिया गया। अब बस ओसीआई कार्ड ही चलन में है।

नागरिकता छोड़ने की वह बड़ी वजह क्या है
भारत में एकल नागरिकता का प्रावधान है। भारत का संविधान भारतीयों को दोहरी नागरिकता रखने की अनुमति नहीं देता है। इटली, आयरलैंड, पराग्‍वे, अर्जेंटीना जैसे देशों में दोहरी नागरिकता के प्रावधान हैं। इन देशों की नागरिकता आसानी से पाई जा सकती है। भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार नागरिकता प्राप्त की जा सकती है, लेकिन भारत के नागरिक रहते हुए आप दूसरे देश के नागरिक नहीं रह सकते हैं।

विदेशों में बेहतर रहन-सहन, पढ़ाई-लिखाई के मौके
2030 तक जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय में अभी भी लंबा रास्ता तय करना है। लोगों के पास पढ़ाई, कमाई और दवाई के मौके दूसरे देशों के मुकाबले बहुत कम हैं। इसके अलावा प्रदूषण जैसी समस्या के चलते भी लोग विदेशों में बसना चाहते हैं।

विदेशों में ज्यादा कमाई भी बड़ी वजह
अमेरिका में बसे भारतीयों पर गहन अध्ययन करने वाले आर्थर डब्ल्यू हेलवेग के मुताबिक, भारत छोड़ने के पीछे पैसा सबसे बड़ा कारण है। हेलवेग के मुताबिक यूनिवर्सिटी की पढ़ाई, नौकरी, बच्चों के करियर और रिटायरमेंट जैसे विषयों पर विचार करने के बाद ही लोग भारत छोड़ते हैं।

काम के हर घंटे के हिसाब में से ज्यादा पैसे
भारत में एवरेज लेबर कॉस्ट प्रति घंटे 170 रुपए है, ब्रिटेन में 945 रुपए और अमेरिका में 596 रुपए है। इसके साथ ही इन देशों में लेबर लॉ का सख्ती से पालन किया जाता है। इसलिए इन देशों में काम करना लोग ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

हायर एजुकेशन के लिए जाते हैं युवा
भारतीय छात्र विदेशों में हायर एजुकेशन के लिए जाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, विदेश जाने वाले भारतीय छात्रों में से 60 फीसदी से ज्यादा युवा वतन नहीं लौटते हैं। वो वहीं नौकरी पाने के बाद वहां की नागरिकता हासिल कर लेते हैं।

दिनेश मिश्र
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