भारत ने पाकिस्तान पर हमला किया तो….

वॉर गेम: ऐसी हो सकती है भारत-पाकिस्तान जंग… जहां दुश्मन का निकलेगा दम और धरे रह जाएंगे उसके परमाणु बम!
भारत की सैन्य सोच में लंबे समय से ऐसी रणनीतियों पर चर्चा होती रही है, जो पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की हद तक ना जाएं. मतलब है कि भारत ऐसे हमले करना चाहता है, जो नुकसान तो करें, लेकिन परमाणु युद्ध की स्थिति न पैदा हो. इसके लिए भारतीय सेना की कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रिन उल्लेखनीय है, जिसमें तेज और सीमित हमले की बात की होती है.

भारत-पाकिस्तान का वॉर गेम!

राहुल कंवल
नई दिल्ली,25 अप्रैल 2025,कश्मीर के पहलगाम में जघन्य आतंकी हमले के बाद भारत-पाक के बीच तनाव चरम पर है. हमले का आरोप पाकिस्तान सेना समर्थित आतंकी समूहों पर है. भारत इस बार पुराने तरीकों (जैसे 2016 का उरी हमला या 2019 का बालाकोट हवाई हमला) से हटकर जवाब दे सकता है. पहले तो भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने और पाक से कूटनीतिक रिश्ते कम करने जैसे गैर-सैन्य कदम उठाए लेकिन इन कदमों का असर खत्म होने के बाद, सवाल उठेगा कि भारत सरकार ऐसे कौन से नए और स्मार्ट सैन्य कदम उठाए जिससे आतंकियों को सजा भी दी जा सके, लेकिन दोनों देशों के बीच पूर्ण युद्ध की नौबत भी न आए.

भारत की सैन्य सोच में लंबे समय से ऐसी रणनीतियों पर चर्चा होती रही है, जो पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की हद तक ना जाएं. मतलब है कि भारत ऐसे हमले करना चाहता है, जो नुकसान तो करें, लेकिन परमाणु युद्ध की स्थिति न पैदा हो. इसके लिए भारतीय सेना की कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रिन उल्लेखनीय है, जिसमें तेज और सीमित हमले की बात की जाती है. इस रणनीति में भारत अपनी सेना को जल्दी से सीमा पार भेजकर छोटे लेकिन प्रभावी हमले करे, ताकि पाकिस्तान को जवाब देने का ज्यादा समय न मिले.

दूसरी ओर, पाकिस्तान अपनी रक्षा के लिए फुल स्पेक्ट्रम डिटरेंस नीति पर चलता है. इसके तहत वह छोटे परमाणु हथियारों, जैसे नस्र (हत्फ-9) मिसाइल, का इस्तेमाल कर सकता है. यह मिसाइल छोटी दूरी तक मार करती है और इसका मकसद भारत को डराना है, ताकि वह कोई बड़ा हमला न करे.

भारत और पाकिस्तान दोनों ही मानते हैं कि वे सीमित स्तर पर लड़ाई को बढ़ा सकते हैं, लेकिन परमाणु युद्ध की स्थिति से बच सकते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, दोनों देशों के पास अभी भी कई ऐसे कदम बाकी हैं, जिन्हें पहले कभी नहीं आजमाया गया. इसका मतलब है कि दोनों देश नई सैन्य रणनीतियां आजमा सकते हैं, जहां परमाणु हथियारों का इस्तेमाल ना हो. इस पृष्ठभूमि में नीचे प्रस्तुत है 15 चरणों का एक काल्पनिक वॉर गेम परिदृश्य.

1. भारत का हमला: इंडियन नेवी का पश्चिमी बेड़ा अंधेरे की आड़ में प्रचंड आक्रमण शुरू करता है. अरब सागर में भारतीय नौसेना का गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर कराची के पास पाकिस्तान के तट पर मौजूद आतंकी ट्रेनिंग सेंटर पर ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की बौछार करता है. यह पहला मौका है जब भारत ने पाकिस्तानी धरती पर नेवी से अटैक किया. पाकिस्तानी रक्षा तंत्र भौचक्का रह जाता है. सटीक मिसाइलें न्यूनतम अतिरिक्त नुकसान के साथ लक्ष्य को नष्ट कर देती हैं, मैसेज यह जाता है कि नई दिल्ली संघर्ष को नए क्षेत्रों तक विस्तार देने को तैयार है.

2. पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: पाकिस्तान शुरुआती भ्रम में डगमगाता है और अपने डिफेंस सिस्टम को तुरंत सक्रिय करता है. समुद्र से किए गए हमले से पाकिस्तान नौसेना और वायुसेना आश्चर्यचकित रह जाती हैं. कराची के आसपास की पाकिस्तानी वायु रक्षा बैटरियां जल्दबाजी में हाई अलर्ट पर चली जाती हैं, जबकि नौसेना के फ्रिगेट और समुद्री गश्ती विमान तट की तलाशी लेते हैं, उन्हें डर है कि कोई पनडुब्बी या जहाज फिर से हमला कर सकता है.

पाकिस्तानी सेना तुरंत जवाबी हमले से बचती है और नुकसान का आकलन करती है, लेकिन प्रमुख शहरों के ऊपर लड़ाकू विमान स्क्वाड्रनों को गश्त पर तैनात करती है. कराची में हवाई हमले के सायरन सक्रिय हैं, ताकि जनता को आश्वस्त किया जाए. इस्लामाबाद में पाकिस्तानी लीडरशिप आपातकालीन बैठक बुलाती है, वो भारत के गैर परंपरागत शुरुआती कदम से स्तब्ध है और ऐसा जवाब सोच रही हैं जो और विनाश को न्योता न दे.

3. भारत का फिर से अटैक: भारत साइबर वारफेयर झोंक देता है, और स्पेस टेक्नॉलजी से जैमिंग शुरू कर देता है. जब पाकिस्तान अभी भी प्रतिक्रिया दे ही रहा होता है, भारतीय एजेंसियां पाकिस्तानी सैन्य कमांड नेटवर्क और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के खिलाफ बड़े पैमाने पर साइबर हमला करती हैं. भारतीय मैलवेयर पाकिस्तान के बिजली ग्रिड के कुछ हिस्सों को ठप कर देता है और रेलवे सिग्नलिंग को बाधित करता है, जिससे रावलपिंडी में ब्लैकआउट हो जाता है और कई घंटों तक संचार व्यवस्था ठप हो जाती है.
साथ ही, भारत की रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपग्रहों का उपयोग करके पाकिस्तान के सैन्य उपग्रह संचार को जैम करती है, जिससे बॉर्डर पर उसके रडार और संचार लिंक क्रैश हो जाते हैं. यह कोऑर्डिनेटेड साइबर-अंतरिक्ष हमला पाकिस्तानी सेना में बिना खून बहाए भ्रम पैदा करता है. और मॉर्डन वारफेयर में भारत की तकनीकी श्रेष्ठता दिखाता है. यह कदम जानबूझकर गैर-घातक रखा जाता है, इसे स्वीकार नहीं किया जाता है. तनाव को नियंत्रित करते हुए यह संदेश जाता है कि भारत पाकिस्तान के सिस्टम को पंगु बना सकता है.
4. पाकिस्तान का जवाब: पाकिस्तान कंट्रोल बहाल करने के लिए जूझ रहा होता है और साइबर स्पेस में जवाबी हमला करता है. पाकिस्तानी इंजीनियर और CERT टीमें ग्रिड और संचार को वापस ऑनलाइन लाने के लिए तेजी से काम करती हैं, बैकअप लिंक के जरिए सिस्टम को री-रूट करके धीरे-धीरे बिजली और सैन्य नेटवर्क बहाल करती हैं. इस्लामाबाद सार्वजनिक रूप से भारत के साइबर हमलों की निंदा करता है, इसे “साइबर स्पेस में अकारण आक्रामकता” बताता है, और जवाब में पाकिस्तान समर्थित हैकर्स कई भारतीय सरकारी वेबसाइटों को खराब करते हैं और भारतीय सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार फैलाने की कोशिश करते हैं.

भारतीय बैंकिंग सिस्टम में भी कुछ समय के लिए साइबर घुसपैठ होती है, जिससे कुछ ATM बंद हो जाते हैं, लेकिन पाकिस्तान का साइबर जवाबी हमला असर में सीमित रहता है. कूटनीतिक रूप से, पाकिस्तान चीन और OIC (इस्लामिक सहयोग संगठन) से संपर्क करता है ताकि भारत की तनाव बढ़ाने वाली रणनीतियों पर ध्यान दिलाया जाए और भारत के साइबर युद्ध की अंतरराष्ट्रीय निंदा की मांग की जाए. ये कदम पाकिस्तान की दृढ़ता दिखाते हैं, लेकिन पाक सरकार ग्लोबल प्लेयर्स के सामने यह भी सावधानी से जोर देती है कि अब तक पाकिस्तान ही संयम बरत रहा है, ताकि कूटनीतिक समर्थन हासिल किया जा सके.
5. भारत का फिर से हमला: भारत के स्पेशल फोर्सेज पाकिस्तानी जमीन पर कोवर्ट ऑपरेशन करते हैं. इधर इलेक्ट्रॉनिक लड़ाई का दायरा बढ़ रहा है. भारत एक गुप्त ऑपरेशन के साथ नया मोर्चा खोलता है. एक अंधेरी रात में पंजाब सेक्टर के पास सीमा पार कर, भारतीय पैरा (SF) कमांडो की एक विशिष्ट टीम लाहौर के पास एक सुरक्षित ठिकाने पर छापा मारती है, जहां पहलगाम हमले के हैंडलरों के छिपे होने की जानकारी होती है.

घातक और नजदीकी लड़ाई में, SF टीम एक महत्वपूर्ण आतंकी चेहरे को मार गिराती है और पूरे ठिकाने को आग के हवाले कर देती है. वे सुबह होने से पहले हेलीकॉप्टर से वापस निकल जाते हैं, जिससे पाकिस्तानी अधिकारी हक्के-बक्के रह जाते हैं. भारत आधिकारिक तौर पर इस छापे की जिम्मेदारी नहीं लेता, लेकिन भारतीय मीडिया “डीप स्ट्राइक बाय स्पेशल यूनिट्स” की ओर इशारा करता है. अब पाकिस्तानी सेना के लिए संदेश स्पष्ट है. अब पाकिस्तान के भीतर मौजूद ठिकाने भी सुरक्षित नहीं हैं. यह गुप्त कदम, हालांकि जोखिम भरा है, लेकिन पाकिस्तान न्यूक्लियर दायरे की परिभाषा से नीचे रहता है. इस तरह के गुप्त सीमा-पार ऑपरेशन ऐतिहासिक रूप से दक्षिण एशिया में युद्ध के विकल्प के रूप में उपयोग किए गए हैं.

6. पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर जबरदस्त गोलीबारी के साथ जवाब देता है.भारत के खुफिया हमले से आहत होकर, पाकिस्तान की सेना पारंपरिक तरीके से जवाब देती है. जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर भारी तोपखाने से गोले बरसाए जाते हैं. पाकिस्तानी सेना की इकाइयां पुंछ और उरी में भारतीय अग्रिम चौकियों और सीमावर्ती गांवों पर बमबारी करती हैं, ताकि चोट पहुंचाई जाए और यह संदेश दिया जाए कि सीमा पार खेल में दोनों पक्ष हिस्सा ले सकते हैं.

LoC पर गोलीबारी में अचानक वृद्धि वाले पाकिस्तान के सैन्य जवाब का मतलब है कि वार थियेटर को कश्मीर से बाहर नहीं ले जाना है.दोनों पक्षों के सैकड़ों नागरिकों को गोले बरसने से इलाका छोड़ना पड़ता है.साथ ही,पाकिस्तान की सेना सीमा के कमजोर हिस्सों के पास अपनी विशिष्ट SSG कमांडो इकाइयों को तैनात करती है, ताकि किसी भी भारतीय जमीनी घुसपैठ को तैयार रहा जाए.

रावलपिंडी से संदेश स्पष्ट है- भारत के हाई-टेक हमलों के बावजूद, पाकिस्तान पारंपरिक युद्धक्षेत्र पर कड़ा जवाब दे सकता है और देगा.

7. भारत का अटैक: भारत सशस्त्र ड्रोन्स के झुंड के साथ मल्टी टारगेट हमला शुरू करता है. सीमाओं को और आगे बढ़ाते हुए, भारतीय सेना पंजाब के एक हवाई अड्डे से AI-नियंत्रित ड्रोन स्वार्म तैनात करती है, जिसमें दर्जनों मानवरहित युद्धक हवाई वाहन (UAV) सीमा पार भेजे जाते हैं. तड़के, यह ड्रोन झुंड कम ऊंचाई पर पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में घुसता है और कई समूहों में बंटकर पाकिस्तानी पंजाब और PoK (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) में आतंकी शिविरों और अग्रिम रसद केंद्रों पर हमला करता है.

कुछ ड्रोन आत्मघाती हमले करते हैं, आतंकी ठिकानों और गोला-बारूद डिपो को नष्ट करते हैं, जबकि अन्य रियल टाइम निगरानी के लिए आसपास मंडराते हैं. स्वार्म के ऑनबोर्ड इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सिस्टम पाकिस्तानी संचार और रडार को जैम करते हैं, जिससे अफरातफरी मच जाती है, सुबह तक, कई दुश्मन ठिकाने आग की लपटों में घिर जाते हैं.

भारतीय थिंक-टैंक विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की थी कि ऐसे झुंड “दुश्मन नेटवर्क को प्रभावी ढंग से बाधित कर सकते हैं” और सैनिकों के लिए जोखिम को कम कर सकते हैं, ये भविष्यवाणियां अब युद्धक्षेत्र में सही साबित हो चुकी हैं.

8. पाकिस्तान का जवाब: पाकिस्तान हवा और समुद्र में जवाबी कार्रवाई करता है, साथ ही अपनी क्षमताओं का संकेत देता है. पाकिस्तानी वायुसेना के लड़ाकू विमान (F-16 और JF-17) भारतीय ड्रोनों से मुकाबला करने को तुरंत उड़ान भरते हैं. मैदानी इलाकों में एक थ्रिलिंग हवाई झड़प में, वे कई UAVs मार गिराते हैं, लेकिन तब तक UAVs का ये झुंड अपने अधिकतर लक्ष्यों को पूरा कर चुका होता है. ड्रोन हमले की सफलता से गुस्साए पाकिस्तान ऐसा तरीका ढूंढता है, जिससे भारत को याद दिलाया जाए कि वह भी तनाव बढ़ा सकता है.

पाकिस्तानी नौसेना, भारत के और नौसैनिक हमलों के डर से, अपनी अगोस्ता-श्रेणी की पनडुब्बियों को अरब सागर में तैनात करती है.एक दुस्साहसिक कदम में,पाकिस्तानी नौसेना की तटीय बैटरी एक हर्बाह एंटी-शिप क्रूज मिसाइल (पाकिस्तान का स्वदेशी संस्करण) उस भारतीय नौसैनिक टास्क फोर्स की ओर दागती है, जो ब्रह्मोस हमले का जवाब देने को एक साहसिक कदम था.

ये मिसाइल अरब सागर में एक भारतीय फ्रिगेट से कुछ किलोमीटर दूर पानी में गिरती है. यह या तो निशाना चूक गया या जान बूझकर चेतावनी थी. भारतीय युद्धपोत पूर्ण युद्ध स्थिति में चले जाते हैं और दूसरी मिसाइल रोकने को अपनी बराक मिसाइलों का उपयोग करते हैं. पाकिस्तान का संदेश स्पष्ट है. भारतीय नौसैनिक संपत्तियां अब उसके निशाने पर हैं. इस बीच, पाकिस्तानी मीडिया भारतीय ड्रोनों के मलबे की फुटेज प्रसारित करता है, जिसे वे अपनी जीत बताते हैं, घरेलू समर्थन जुटाते हैं और यह बताते हैं कि पाकिस्तान ने भारत का हाई-टेक हमला कुंद कर दिया है.

9. भारत का फिर से जवाब: भारत सीमित स्तर पर जमीनी आक्रमण शुरू करता है कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत के तहत. नौसेना, साइबर, और वायु क्षमताओं का प्रदर्शन करने के बाद, भारत अब पाकिस्तान पर जमीनी दबाव डालता है. भारतीय सेना अपने आक्रामक रिजर्व से IBG को सक्रिय करती है और राजस्थान सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के आसान ढंग से नियंत्रित हिस्से की ओर तेज बख्तरबंद हमला शुरू करती है.

एक त्वरित कार्रवाई में भारतीय टैंक और मशीनीकृत पैदल सेना पाकिस्तानी क्षेत्र में प्रवेश करती है और आश्चर्यजनक रूप से एक उथले भू-भाग (एक पाकिस्तानी सीमावर्ती गांव और उसके आसपास का क्षेत्र) पर कब्जा कर लेती है. यह कोल्ड स्टार्ट शैली का ऑपरेशन जानबूझकर सीमित दायरे में डिज़ाइन किया गया है, जो “पाकिस्तान की परमाणु लाल रेखाओं को पार करने से बचता है” क्योंकि यह बहुत गहराई तक नहीं जाता.
इसका लक्ष्य एक सामरिक आधार हासिल करना है जिसे बाद में सौदेबाजी में इस्तेमाल किया जा सके, साथ ही पाकिस्तानी सेना को सजा देना. भारतीय सेनाएं 15-20 किलोमीटर बाद रुक जाती हैं और रक्षात्मक स्थिति में जम जाती हैं.

10. पाकिस्तान का रिक्शन: पाकिस्तान न्यूक्लियर रेड लाइंस का संकेत देता है. नस्र सामरिक मिसाइलों के इस्तेमाल की चर्चा होती है. भारत का घर में घुसकर मारना इस्लामाबाद में खतरे की घंटी बजा देता है. पाकिस्तान का सैन्य कमांड भारतीय IBG हमले को अपनी संप्रभुता के लिए अस्तित्वगत खतरे के रूप में देखता है. भारत को आगे बढ़ने से रोकने पर मजबूर करने को, पाकिस्तान नाटकीय रूप से अपने परमाणु क्षमता का मुजाहिरा करता है. पाकिस्तान सेना के रणनीतिक बल कमांड कई हातफ-9/नस्र छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्चरों का प्रदर्शन करते हैं.

ये सामरिक परमाणु-सक्षम मिसाइलें हैं, जिनकी रेंज केवल 60-70 किलोमीटर है, और इन्हें विशेष रूप से भारतीय बख्तरबंद घुसपैठ के इस परिदृश्य का मुकाबला करने को विकसित किया गया था. एक शीर्ष पाकिस्तानी जनरल राष्ट्रीय टीवी पर स्पष्ट रूप से कहता है कि ये हथियार “हर कीमत पर पाकिस्तान की धरती की रक्षा करेंगे.” यह एक परमाणु धमकी है. अगर आक्रमण वापस नहीं लिया गया तो पाकिस्तान अपनी ही धरती पर भारतीय सैनिकों के खिलाफ कम-क्षमता वाले परमाणु हथियारों का उपयोग करने को तैयार है. पाकिस्तान वाशिंगटन और बीजिंग को सूचित करते हैं कि अगर भारतीय सेनाएं पीछे नहीं हटतीं तो पाकिस्तान को “किसी भी आवश्यक साधन” का सहारा लेना पड़ सकता है. नस्र प्रदर्शित करके, इस्लामाबाद इस बात पर जोर देता है कि उसकी परमाणु लाल रेखाएं- जो पहले केवल धमकी थीं, अब पार होने की कगार पर हैं.

11. भारत का हमला: भारत अपनी बढ़त रोकता है और जवाब में रणनीतिक संकेत बढ़ाता है. पाकिस्तान की परमाणु-सक्षम मिसाइलों का दृश्य नई दिल्ली को रोक देता है, परमाणु खतरे के क्षेत्र में प्रवेश करने से सतर्क भारत अपने IBG को आगे बढ़ने से रोकने का आदेश देता है.

हालांकि, भारत को पाकिस्तान की परमाणु धमकियों का जवाब अपनी दृढ़ता के प्रदर्शन के साथ देना है (बिना परमाणु हथियारों को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किए). इसके लिए, भारत अपनी ओर से एक “चेतावनी शॉट” देता है. भारतीय रणनीतिक बल कमांड तटीय परीक्षण स्थल से बंगाल की खाड़ी में एक अग्नि-II मध्यवर्ती दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण लॉन्च करता है.

यह डमी मिसाइल कुछ सौ किलोमीटर उड़कर खुले समुद्र में गिरती है, जिससे यह प्रदर्शित होता है कि अगर पाकिस्तान परमाणु उपयोग की ओर बढ़ता है तो भारत कड़ा जवाबी हमला कर सकता है. इस तरह के मिसाइल परीक्षणों को शक्ति प्रदर्शन के रूप में भारत के संकटकालीन रणनीति में पहले भी शामिल किया गया है.

पाकिस्तान को मैसेज जाता है कि भारत का रणनीतिक शस्त्रागार तैयार है और बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई अभी भी मेज पर है. और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संदेश जाता है कि भारत अभी भी जिम्मेदारी से कार्य कर रहा है, क्योंकि यह किसी शहर को निशाना बनाने के बजाय समुद्र के ऊपर परीक्षण कर रहा है. साथ ही, भारत चुपके से अपनी परमाणु ताकतों को उच्च अलर्ट पर रखता है और एयर पावर फैलाता है, जबकि प्रधानमंत्री राष्ट्र को संबोधित करते हैं, वह भारत के संयम को रेखांकित करते हुए और पाकिस्तान को अंतिम रेखा पार करने के खिलाफ चेतावनी देते हैं.

यह नाटकीय सैन्य टकराव संकट को परमाणु सीमा के कगार पर लाता है . “परमाणु युद्ध के बारे में सोचने योग्य होने से पहले की सबसे ऊंची सीढ़ी”.

12. पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: वैश्विक दबाव में, पाकिस्तान परमाणु कगार से पीछे हटता है. पाकिस्तान की जोखिम भरी रणनीति से तत्काल अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप होता है. संयुक्त राज्य, चीन, और अन्य प्रमुख शक्तियां इस्लामाबाद (और नई दिल्ली) को परमाणु तबाही रोकने को तत्काल संदेश भेजती हैं. बंद कमरों में, बीजिंग अपने सहयोगी पाकिस्तान को चेतावनी देता है कि परमाणु हथियारों का कोई भी उपयोग आत्मघाती होगा, और वाशिंगटन मध्यस्थता की पेशकश करता है बशर्ते पाकिस्तान आगे तनाव न बढ़ाए.

इस्लामाबाद जोर देता है कि भारतीय आक्रामकता के सामने उसे “परमाणु रक्षा तैयार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था,” ताकि अपनी कार्रवाइयों को दुनिया के सामने उचित ठहराया जाए. पाकिस्तानी अधिकारी निजी तौर पर भारतीय बैकचैनल्स के माध्यम से संदेश देते हैं कि यदि भारत अपने आक्रमण रोकता है और वार्ता को सहमत होता है, तो पाकिस्तान परमाणु उपयोग से रुकेगा. संकट अपने चरम पर पहुंच चुका है, और अब पाकिस्तान एक एग्जिट की तलाश में है.

13. भारत का अटैक:भारत युद्धविराम को सहमत होता है, अपनी बात मजबूती से साबित करने के बाद. पाकिस्तान के झुकने और तनाव कम करने की अंतरराष्ट्रीय मांगों के चरम पर होने के साथ, भारत इस अवसर को भुनाता है और अपने उद्देश्यों की प्राप्ति की घोषणा करता है.
भारत सरकार घोषणा करती है कि अभियान रोक दिए जाएंगे, इसे पाकिस्तान के परमाणु खतरों से पीछे हटने के “समझदारी भरे फैसले” के जवाब के रूप में प्रस्तुत करती है. भारतीय सेनाएं अभी को कब्जाए क्षेत्र बनाए रखती हैं, लेकिन आगे मार्च रोक देती हैं, कूटनीतिक वार्ताओं का इंतजार करती हैं.

नई दिल्ली अमेरिका और अन्य माध्यम से संदेश देती है कि वह उम्मीद करती है कि पाकिस्तान संकट समाप्ति समझौते के हिस्से के रूप में पहलगाम हमले को जिम्मेदार आतंकी समूहों पर कार्रवाई करेगा. घरेलू स्तर पर, भारत का नेतृत्व इस परिणाम को जीत के रूप में प्रस्तुत करता है. एक “नया भारत” जिसने मल्टी डोमेन हमलों के माध्यम से आतंकवाद को दंडित किया और पाकिस्तान को बिना डगमगाए किनारे कर दिया.

ब्लू आर्मी धीरे-धीरे उच्च अलर्ट से हटती है, लेकिन किसी भी पुनरावृत्ति के मामले में सतर्क रहती है.

14. पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: पाकिस्तान अनमने ढंग से पीछे हटकर जीत का दावा करता है. पाकिस्तानी सेना, हालांकि हिली हुई है, अपनी जनता के सामने घटनायें इस तरह पेश करती है कि उनकी इज्जत बची रहे. इस्लामाबाद युद्धविराम स्वीकार करता है और अपनी सेनायें अग्रिम चौकियों से पीछे हटाने का आदेश देता है. नस्र लॉन्चर सीमा से हटाकर स्टैंडबाय रखे जाते हैं.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में, पाकिस्तानी अधिकारी दावा करते हैं कि पाकिस्तान की मजबूत रक्षा ने भारत को और आक्रमण से रोका. वे पूर्ण युद्ध टालने को पाकिस्तानी ताकत और जिम्मेदार नेतृत्व का प्रतीक बताते हैं. चुपके से, पाकिस्तान कुछ आतंकी नेताओं को पकड़ता है (भारत और अंतरराष्ट्रीय दबाव कम करने को एक दिखावटी कदम), हालांकि वह चुपके से आतंकी समूहों को समर्थन देना जारी रख सकता है. दोनों पक्ष सामरिक सफलता का दावा करते हुए, तनावपूर्ण संकट एक असहज गतिरोध के साथ समाप्त होता है.

15. युद्ध विराम के बाद: बंदूकें शांत होने के साथ एक तनावपूर्ण शांति छा जाती है और एक नई अनौपचारिक सहमति बनती है. वैश्विक शक्तियों की मदद से गुप्त बातचीत के बाद दोनों देश पीछे हटते हैं. भारत कुछ हफ्तों बाद कब्जाए गए पाकिस्तानी गांव से अपनी सेना हटाता है.

पाकिस्तान सैद्धांतिक रूप से आतंकवादी घुसपैठ रोकने को सहमत होता है (इस वादे की सच्चाई की जांच अभी बाकी है). दोनों देश परमाणु युद्ध से बचने की राहत महसूस करते हैं. वार गेम एक संभावित तनाव कम करने के साथ समाप्त होता है. भारत अपनी नई सैन्य ताकत और नवाचार जवाबी कार्रवाई की इच्छा दिखाता है, जबकि पाकिस्तान का चोटिल नेतृत्व पूरी तरह से अपमान या विनाश से बच जाता है. दुनिया भर के रणनीतिकार इस संघर्ष के कई पहलुओं पर ध्यान देते हैं – नौसैनिक मिसाइल हमले, साइबर हमले, ड्रोन हमले, और सामरिक परमाणु हथियारों के लगभग उपयोग – क्योंकि दक्षिण एशिया खतरनाक खेल के नए युग में प्रवेश कर गया है. अंततः यह संकट दिखाता है कि सावधानीपूर्वक नियोजित आक्रमण, सिद्धांत और वॉर गेम की दूरदर्शिता तबाही बचा सकती है. रेड और ब्लू दोनों अपने-अपने कोनों में लौटते हैं, प्रत्येक ने सबक सीखा है, और दक्षिण एशिया में एक असहज शांति फिर से स्थापित हो जाती है.

पाकिस्तान की परमाणु हमले की धमकी, भारत के सामने जानें उसकी हैसियत

India Pakistan Nuclear Power: स्वीडिश थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, भारत के पास 172 न्यूक्लियर वॉरहेड हैं. वहीं पाकिस्तान के पास इनकी संख्या 170 है.
विजय शंकर पांडेय

Pakistan Threatens Nuclear Attack: पाकिस्तान ने दुनिया को परमाणु हमले की धमकी दी है।

पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक टीवी साक्षात्कार में चेतावनी दी है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में पूर्ण युद्ध हो सकता है. ख्वाजा आसिफ ने स्काई न्यूज से कहा कि दुनिया को दोनों देशों के बीच युद्ध संभावना को लेकर चिंतित होना चाहिए, क्योंकि दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं. रक्षा मंत्री ने दावा किया कि भारत के साथ बढ़ते कूटनीतिक तनाव के बीच पाकिस्तानी सेना किसी भी स्थिति के लिए तैयार है. आसिफ ने कहा, “हम भारत द्वारा शुरू की गई किसी भी कार्रवाई का जवाब देंगे. यह एक मापा हुआ जवाब होगा… अगर कोई चौतरफा हमला या ऐसा कुछ होता है, तो जाहिर है कि एक चौतरफा युद्ध होगा. अगर चीजें गलत हुईं, तो इस टकराव का दुखद परिणाम हो सकता है.”

पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री इशाक डार ने भी पाकिस्तान की संसद में परमाणु ताकत होने का बयान देकर तसल्ली देने की कोशिश की है, लेकिन उनकी आवाज लड़खड़ा रही थी.ऐसा लग रहा था कि वो भारत की जवाबी कार्रवाई से घबराए हुए हैं. इससे पहले इशाक डार ने संसद में एक प्रस्ताव रखा, जिसमें उन्होंने आतंकवाद की निंदा की. साथ ही पहलगाम हमले में पाकिस्तान का हाथ होने से इनकार कर दिया.
पाकिस्तान और भारत के पास कितने परमाणु बम
स्वीडिश थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, भारत के पास 172 न्यूक्लियर वॉरहेड हैं. वहीं पाकिस्तान के पास इनकी संख्या 170 है. पाकिस्तान टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों (TNWs) पर ज्यादा ध्यान दे रहा है. टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों को सामरिक परमाणु हथियार भी कहा जाता है, पारंपरिक परमाणु बमों से आकार और विनाश की सीमा में छोटे होते हैं. इन्हें विशेष रूप से युद्ध के मैदान में सीमित क्षेत्र में दुश्मन के सैन्य ठिकानों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है. इनका मकसद बड़े पैमाने पर जनसंहार नहीं बल्कि एक सीमित क्षेत्र में त्वरित और प्रभावी हमला करना होता है.

टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार क्या
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने पिछले कुछ वर्षों में TNWs का निर्माण तेज कर दिया है. इनका मकसद भारत को सीमित युद्ध या पारंपरिक सैन्य कार्रवाई से रोकना है. खास बात यह है कि इन बमों को छोटे और मोबाइल लॉन्च प्लेटफॉर्म से दागा जा सकता है, जिससे इन्हें युद्ध क्षेत्र में आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है. पाकिस्तान का दावा है कि ये हथियार भारत की कोल्ड स्टार्ट रणनीति को रोकने के लिए बनाए गए हैं. कोल्ड स्टार्ट रणनीति के तहत भारत सीमित समय में सीमित क्षेत्र में सैन्य कार्रवाई कर सकता है, ताकि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने का समय न मिले. ऐसे में पाकिस्तान का मानना है कि TNW एक त्वरित और प्रभावी जवाब हो सकते हैं.

टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार से कितनी तबाही
भले ही टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों को ‘सीमित’ माना जाता है, लेकिन इनमें भी भारी तबाही फैलाने की क्षमता होती है. इनकी शक्ति आमतौर पर 100 से 1000 किलोटन तक होती है. तुलना के लिए बताया जाए तो जापान के हिरोशिमा पर गिराए गए बम की क्षमता लगभग 15 किलोटन थी. यानी पाकिस्तान के TNWs, अगर इस्तेमाल किए जाते हैं, तो 70 से 100 किलोमीटर के दायरे में पूरी तबाही मचा सकते हैं. इनकी सबसे खतरनाक बात यह है कि पाकिस्तान ने इन्हें अपने मध्य स्तर के सैन्य अधिकारियों और क्षेत्रीय कमांडरों को सौंप दिया है, जिससे यह चिंता पैदा होती है कि किसी स्थानीय या सीमित संघर्ष के दौरान इनका अनियंत्रित या जल्दबाजी में इस्तेमाल हो सकता है.

भारत की परमाणु ताकत

भारत की परमाणु नीति आज भी No First Use पर आधारित है. यानी भारत कभी पहले परमाणु हथियार से हमला नहीं करेगा, लेकिन यदि उस पर हमला हुआ तो उसका जवाब पूरी ताकत के साथ देगा. मतलब वो टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों का भी पारंपरिक परमाणु बमों से जवाब देगा. भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल है ,जो Nuclear Triad रखते हैं. पाकिस्तान के पास ये ताकत नहीं है. सिर्फ संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, भारत और चीन के पास ही ये ताकत है. इसका मतलब है कि भारत जमीन, आसमान या समुद्र कहीं से भी हमला कर सकता है. ये ऐसी ताकत है कि अगर भारत पर किसी ने परमाणु हमला कर भी दिया तो भारत के पास इतनी ताकत है कि वो उस देश को खत्म कर देगा.

जमीन से
अग्नि मिसाइल सीरिज: अग्नि-I से अग्नि-VI तक, जिनकी रेंज 700 किमी से 6,000+ किमी तक है.
पानी से
INS अरिहंत जैसी परमाणु पनडुब्बियां, जो गहराई से परमाणु मिसाइल दाग सकती हैं.
आकाश से
राफेल, सुखोई-30 MKI, मिराज 2000, जगुआर जैसे लड़ाकू विमान जो परमाणु बम गिराने में सक्षम हैं.
पाकिस्तान ने माना आतंकवादी उनके
स्काई न्यूज से बातचीत में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने आतंकवादी संगठनों को समर्थन, प्रशिक्षण और धन मुहैया कराने के अपने देश के इतिहास को भी इंटरव्यू में मान लिया. उन्होंने कहा कि इस गलती के लिए पाकिस्तान को नुकसान उठाना पड़ा है. स्काई न्यूज के साथ रात में प्रसारित एक साक्षात्कार में, न्यूज एंकर यल्दा हकीम ने आसिफ से पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद आतंकवाद पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और रुख के बारे में सवाल किया. हकीम ने पूछा, “आप स्वीकार करते हैं, सर, कि पाकिस्तान का इन आतंकवादी संगठनों को समर्थन, प्रशिक्षण और धन मुहैया कराने का एक लंबा इतिहास रहा है?”

आसिफ ने जवाब दिया, “ठीक है, हम लगभग तीन दशकों से संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन सहित पश्चिम के लिए यह गंदा काम कर रहे हैं. यह एक गलती थी, और हमें इसका खामियाजा भुगतना पड़ा, और इसीलिए आप मुझसे यह कह रहे हैं. अगर हम सोवियत संघ के खिलाफ युद्ध में और बाद में 9/11 के बाद के युद्ध में शामिल नहीं होते, तो पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड… एक बेदाग ट्रैक रिकॉर्ड होता.” उन्होंने कहा, “इस क्षेत्र में जो कुछ भी हो रहा है, उसके लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराना बड़ी शक्तियों के लिए बहुत सुविधाजनक है. जब हम 80 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ उनकी तरफ से युद्ध लड़ रहे थे, तब आज के ये सभी आतंकवादी वाशिंगटन में मौज-मस्ती कर रहे थे और फिर 9/11 का हमला हुआ. फिर से वही स्थिति दोहराई गई. मुझे लगता है कि तब हमारी सरकारों ने गलती की थी.” साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उस समय पाकिस्तान को “प्रॉक्सी के रूप में इस्तेमाल किया गया था.

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