मत:भारत की बांग्लादेश नीति? गुंडे बनो मत, गुंडे पालो अमेरिका की तरह

 

*मित्रो, बहुत सारे लोग मोदी जी से नाराज है, कि बंगलादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर कुछ नहीं कर रहे है!..*

*नेता और गुंडा..*

*’अगर नेतागिरी करनी है तो गुंडे पालो’*
*’गुंडे बनो मत’*

एक प्रसिद्ध टीवी सीरिज का यह डायलॉग, राजनीति पर पहले भी खरा था, और आज भी खरा ही है!..

पर हमारे कुछ लोगो को लगता है कि –
कुल जमा तीस लाख की फौज,
विश्व की तीसरी सबसे शक्तिशाली एयरफोर्स
और विश्व की चौथी सबसे शक्तिशाली नौ सेना के होते हुए भी,

मोदिया बांग्लादेश पर हमला क्यों नहीं कर रहा?

क्या उसे नोबेल पुरुस्कार की चाहना है?

नहीं, क्यों कि वो जानता है कि वे जमाने गये
जब बड़े देश चुटकियों में छोटे व कमजोर देशों को डकार लेते थे।

अभी निकट अतीत में –

-अमेरिका व चीन
वियेतनाम को नहीं हरा पाये ।
-रूस और अमेरिकी
अफगानिस्तान को काबू नहीं कर पाए।
-पाकिस्तान व अमेरिका
बांग्लादेश को रोक नहीं पाए।

और अब वर्तमान में –

-रूस दो साल से
दो कौड़ी के यूक्रेन को नहीं हरा पा रहा।
-इजराइल एक साल से
हमास व हिजबुल्ला को नहीं मिटा पा रहा।
-आर्मीनिया
अजरबेजान को नहीं हरा पा रहा।

इन सभी मामलों में हमलावर देशों ने इसलिए मुँह की खाई
क्योंकि उसके विरोधी पक्ष की ओर से
इन देशों को मदद मिलती रही।

-जब अमेरिका ने वियेतनाम पर हमला किया
तो चीन वियेतनाम की मदद करता रहा
और जब चीन ने स्वयं हमला किया
तो इस बार रूस ने वियेतनाम की मदद की।

-जब रूस ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया तो अमेरिका ने मुजाहिदीनों की मदद की और जब स्वयं अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया तो पाकिस्तान ने तालिबान की मदद की।

-जब पाकिस्तान ने बांग्ला लोगों को दबाया
तो भारत ने उसकी मदद की , लेकिन वह मदद भी भारत को कितनी मंहगी पड़ी, कुछ पता भी है?
और जब अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद की तो रूस भारत की मदद को आया।

-रूस युक्रेन को सिर्फ सात दिन में कुचल सकता है लेकिन आज डेढ़ वर्ष से ज्यादा हो गया है,यूक्रेन अपराजित है क्योंकि पश्चिमी देश, यूक्रेन के पीछे खड़े हैं।

-इजरायल, एक वर्ष से दो इस्लामिक आतंकवादी संगठनों को नहीं कुचल पा रहा है क्योंकि ईरान व तुर्की उनकी मदद कर रहे हैं।

अतीत में अपवादस्वरूप अमेरिका, ईराक के खिलाफ खाड़ी युद्ध जीत पाया तो सिर्फ इसलिए क्योंकि उसके खिलाफ सद्दाम को अंदरखाने समर्थन देने के लिए कोई अमेरिका विरोधी पक्ष था ही नहीं।

अब कोई देश किसी को इतनी आसानी से नहीं जीत सकता
क्योंकि अगर आक्रांत देश को अन्य देश की ओर से हथियार व तकनीक की आपूर्ति होती रहे तो वह संघर्ष को चाहे जितना लम्बा चला सकता है और यही कारण है कि हथियार व तकनीक के मामले में हमसे दोगुना संसाधन रखने वाला चीन, ताईवान पर हाथ डालने से डर रहा है।

रूस के हश्र को देखकर चीन समझ गया है कि वह चाहे जितना जोर लगा ले, आज की तारीख में ताईवान को वह डंडे से हासिल नहीं कर पायेगा।

तो आप क्या सोचते हो, कि भारतीय सेना पहले की तरह इन्फेंट्री लेकर सात दिन में बांग्लादेश को हरा देगी।

हरा तो देगी लेकिन भारत को फिर एक लंबे युद्ध में फंसना पड़ेगा, जिसका परिणाम होगा मंहगाई, युवाओं का बलिदान, व आंतरिक दंगे
*और जिस देश में टमाटर-प्याज महंगे होने पर सरकारें बदल दी जाती हों*वहां के हिंदू क्या ही लंबी जंगें लड़ेंगें और जहाँ जाति को देखकर, हिंदुत्व को एक तरफ रख दिया जाता हो
वहां मुस्लिमों द्वारा फैलाये आंतरिक दंगों से, कौन हिंदू लड़ेगा?

लेकिन चलिए, अगर इन तथाकथित वीरों की बात मानकर मोदी बांग्लादेश पर हमला कर भी दें, तो जरा देखें कि दोनों देशों के साथ कौन-कौन आएगा?

भारत का साथ कौन-कौन देश देगा?भारत के साथ कोई नहीं आएगा,अगर अमेरिका भारत के पक्ष में नहीं आया तो।

रूस और इजराइल का समर्थन मिल भी गया तो वह किसी मतलब का नहीं क्योंकि फिलहाल दोनों अपने ही युद्धों में उलझे पड़े हैं।

और अब देखें कि बांग्लादेश के पक्ष में कौन-कौन देश आएगा?

पाकिस्तान,चीन,तुर्की,वैश्विक मुस्लिम आतंकवादी और, अमेरिका की हथियार लॉबी,जॉर्ज सोरोस और संपूर्ण इंडी गठबंधन विपक्ष सहित कांग्रेस मंडली*

अब पुराने युद्धों के दिन गये।

मॉडर्न वॉरफेयर में खुद युद्ध नहीं लड़ा जाता बल्कि गुंडे पाले जाते हैं जो आपकी जंग लड़ता है और आप उसे अंदरखाने सपोर्ट करते हैं।

इसलिए अब अमेरिका ने एक सबक ले लिया है कि वह स्वयं युद्ध में नहीं उतरता बल्कि अपने पाले हुए राष्ट्रों को, हथियार व पैसा देकर उनसे जंग लड़वाता है।

इस काम के लिए अमेरिका ने-

यूरोप में यूक्रेन,मध्यपूर्व में इजराइल,
दक्षिण पूर्व में ताईवान और सुदूरपूर्व में फिलिपीन्स को पाला हुआ है इस नीति का पालन अब सभी देश कर रहे हैं

और यहाँ तक कि ‘यूरोप के मरीज’ तुर्की की भी इतनी हिम्मत हो चुकी है कि वह पूरी इस्लामी दुनियां को हथियारों से सपोर्ट कर रहा है।
वह उन्हें विश्व के श्रेष्ठतम ड्रोन्स सप्लाई कर रहा है।

जी हाँ, अब ड्रोन्स का युग है और आपको सुनकर बुरा लगेगा
लेकिन फिलहाल हमारे पास, तुर्की के ड्रोन्स का कोई तोड़ नहीं है।

इसके अलावा अगर आपने ध्यान दिया हो तो बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न पर, गांधी परिवार का एक भी बयान नहीं आया है!..*

राहुल & इटालियन कंपनी लगातार प्रयत्न कर रही है
कि भारत सरकार पूर्वोत्तर में मणिपुर में आंतरिक संघर्ष में लिप्त हो जाये ताकि पूरे विश्व में हिंदू बनाम ईसाई का नैरेटिव चला सके।

अगर आपने ध्यान दिया हो तो बांग्लादेश के मसले पर, कांग्रेस ने हिंदू उत्पीड़न पर एक शब्द नहीं बोला है और न सरकार से कोई मांग की है और इसका मूल कारण है
‘सरकार की चुप्पी’

अभी राहुल बांग्लादेश पर कुछ बोलने से बच रहा है
तो इसका एक ही कारण है कि ब्रेकिंग इंडिया फोर्सेज यह तय नहीं कर पा रही हैं, कि भारत सरकार की योजना बांग्लादेश के संदर्भ में क्या है।

*जिस दिन कांग्रेस को यह अंदाजा हो जायेगा, कि सरकार बांग्लादेश के मामले पर कोई एक्शन नहीं लेगी!..*
*उसी पल राहुल गांधी बांगलादेश के विरुद्ध कार्यवाही की मांग करने लगेगा!..*

*अभी उसे अंदेशा है, कि देर सवेर बांगलादेश में कुछ न कुछ अवश्य होगा!..* और ऐसी स्थिति में अगर आज उसने मोदी सरकार से बांग्लादेश के विरुद्ध कार्यवाही की मांग कर दी, तो उसे सरकार का समर्थन तो करना ही पड़ेगा, साथ ही उसके मुस्लिम मतदाता भी बिदक जाएंगे!..*

ऐसे में फिलहाल वह चुप रहकर जनवरी के बाद अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार बनने के बाद का माहौल को देखेगा,
मोदी व ट्रंप के बीच समीकरण को परखेगा और तब जाकर राहुल & सोरोस कंपनी कोई स्टैंड लेगी।

भारत सरकार भी न तो सीधे सैन्य हस्तक्षेप करेगी
और न करना चाहिए बल्कि वह इन्तजार करेगी या गठित करेगी
‘हिंदू मुक्तिबाहिनी’ और फिर चलेगा एक लम्बा संघर्ष
और यदि अमेरिका से गुप्त समझौता हो सका, तभी भारत सरकार बांग्लादेश के खिलाफ सीधी कार्यवाही कर सकेगी।

अगर ट्रंप से समीकरण सही बने तो घटनाओं का क्रम कुछ ऐसा होना चाहिए –

-भारत से अवैध बांग्ला व रोहिंग्या घुसपैठियों को बांग्लादेश की ओर खदेड़ा जायेगा।
-प्रतिक्रिया में बांग्लादेश के हिंदुओं को भारत की ओर खदेड़ा जायेगा।
-भारत बांग्लादेश के हिंदुओं को चिकननैक के क्षेत्र में रखेगा
और उसमें से ‘हिन्दू मुक्तिबाहिनी, का गठन होगा।
-बांग्लादेश की सेना उकसावे में आकर भारत की सीमा पर आक्रामक कदम उठाएगी।
-भारत प्रतिकार के सिद्धांत का हवाला देकर कार्यवाही करेगा
और ऊपरी उत्तरी क्षेत्र को कब्जे में लेकर हिंदुओं का होमलैंड बना देगा।
-हिंदू होमलैंड की सरकार अपना विलय भारत में कर देगी
और पूरा क्षेत्र त्रिपुरा में मिला दिया जायेगा।
-बांग्लादेश से आने वाले बंगाली हिंदू मिजोरम, नागालैंड आदि में भी बसाये जाएंगे, ताकि वहां इसाईं प्रभुत्व खत्म हो।

बहरहाल, यह कोई भविष्यवाणी नहीं, बल्कि एक अनुमान है
और यह तभी संभव होगा जब आज के भू सामरिक परिदृश्य में, मौजू कहावत को घोंट लिया जाये कि –

*”राजनीति करनी है तो गुंडे पालो”*
*”खुद गुंडे बनो मत”*
*संजय अग्रवाल ‘हाईवे’*
*जब विश्व के सबसे बड़े गुंडे अमेरिका ने इस पाठ को रट लिया है!..*
*तो भारत के कुछ लोगो को यह छोटी सी बात क्यों समझ नहीं आ रही!..*

भारत में कुछ लोगों को दिमाग से सोचना चाहिए कि
बांग्लादेश मे तख्तापलट होता है, सीरिया में विरोधी उग्र हो गए,
पाकिस्तान मे अचानक से नरसंहार शुरू हुआ, साउथ कोरिया में सैन्य शासन लग गया,भारत में किसानों की आड़ में, बिना बात के अचानक से आंदोलन होने लगे।
संसद का सत्र नहीं चलने दिया जा रहा है।
ये सच मे यह क्या सिर्फ संयोग है??

ये हो ही नहीं सकता,
चिन्मय दास जी चार महीने से विरोध कर रहे थे मगर गिरफ्तार अब हुए।
एक माहौल बनाया जा रहा है कि भारत, बस किसी भी तरह बांग्लादेश पर हमला कर दे?

जब तक डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति नहीं बनते, कुछ ना कुछ आकस्मिक होता रहेगा।
ये समय हमारे धैर्य का है, चिन्मय दास तो कुछ नहीं है
अभी आने वाले इन महीने, दो महीनो मे बांग्लादेश के हिन्दुओ के साथ बहुत कुछ होगा।
जो विपक्ष अभी तीन-चार महीने से मुँह मे दही जमाये बैठा था
वो अब अचानक हिन्दुओ के लिये आवाज़ उठा रहा है।

एक कोशिश है बस कि भारत युद्ध छेड़ दे,
और ये युद्ध अभी हुआ, तो इस युद्ध का कुछ भी परिणाम नहीं आएगा क्योंकि जो अन्य युद्ध चल रहे है, वे भी बस चल रहे है।
गलवान वैली के बाद एक बात जो समझ आयी
वो ये, कि भारतीयों का माइंडसेट युद्ध वाला नहीं है।

गलवान वैली देखा जाए तो भारत की विजय हुई थी
मगर हमारे 20 सैनिको की वीरगति का जिस तरह विधवा आलाप करके अपमान किया गया वो दर्शाता है, कि हम मन से मजबूत नहीं है।
बांग्लादेश से लड़ोगे तो तैयार रहो 500-1000 तो इस तरफ भी मारे जाएंगे।

मीडिया उनकी विधवाओं की तस्वीरें दिखायेगा
सोशल मीडिया पर क्या, सेक्युलर क्या, हिंदूवादी क्या, सब आंसू बहाकर सेना और सरकार का मोरल डाउन करेंगे
और फिर मोदी सरकार को हटाने के लिये एक सत्ता विरोधी आंदोलन होगा।

यदि किसी को ये बस थ्योरी लग रही हो तो फ्रेंच और रशियन क्रांति को डिटेल में पढ़ लो ।ये ही सब उस समय भी हुआ था।
जब विपक्ष कमजोर होता है, तो राजा को युद्ध मे उलझाकर तख्तापलट किया जाता है।

बांग्लादेश को आप आसानी से हरा दोगे लेकिन मन की लड़ाई हार जाओगे क्योंकि फिलिस्तीन में 50 हजार के मरने पर भी वो मौत से नहीं डर रहेज्ञऔर आपने 5 हजार के मरते ही आंसू बहाने शुरू कर देंगें और अपनी सरकार को कोसना भी।

बांग्लादेश मे जो हो रहा है वो बस उकसाने वाली बात है, कि बस किसी तरह भारत आक्रमण कर देज्ञऔर 2-3 सालों के लिये नए भूराजनैतिक समीकरण में उलझ जाए।
सरकार ये समझ गयी है, जनता का भी एक वर्ग समझ गया है
मगर कुछ अपवाद है, जिन्हे युद्ध चाहिए।

उन्हें लग रहा है कि युद्ध 1 बजे शुरू होगा और 2 बजे तक बांग्लादेश के सारे हिन्दू भारत मे आ चुके होंगे।
बांग्लादेश शमशान बन जाएगा और भारत का ना कोई सैनिक और ना कोई नागरिक मरेगा।
भारत के शहरों पर कोई गोला नहीं गिरेगा और बस रामायण  की तरह, धर्म की पताका लहरा रही होंगी।

इन लोगों के लिये राजनीति एक गली मोहल्ले के झगड़े बराबर है, युद्ध तो निश्चित होगा।
भारत ने पिछले एक महीने मे ही कुछ सैन्य परिक्षण भी किये है, चीन से तो अभी लड़ना नहीं है,
पाकिस्तान से भी नहीं तो संभव है युद्ध बांग्लादेश से ही हो।

युद्ध से विरोध नहीं है मगर युद्ध तैयारियों, अवलोकनों, और अपने समय के हिसाब से होना चाहिए ना कि दुश्मन के एजेंडे में फंसकर और उसके उकसावे मे आकर।
यदि बांग्लादेश से युद्ध करना है, तो अभी कुछ महीने और लो,
शेख हसीना के कुछ लोग होंगे, जो अंडरग्राउंड होंगें, और ख़ुफ़िया जानकारी देंगें।

कौन सी मिसाइल किस क्षेत्र के लिये उपयुक्त रहेगी, उसकी गणना होंगी। यदि राजशाही पर रासायनिक बम गिरा दिया
तो 40 किलोमीटर दूर ही भारत के गाँव हैं, वे भी झूलसेगें।
ऐसी और ना जाने कितनी ही गणना है, जिनमे समय लगता है, और इसे करके ही युद्ध हमारे फेवर में होगा।

*इन चिल्लम चिल्लाई और उकसावे में युद्ध की मांग करने वालों के कहने में आकर, दिमाग़ को पर्दा करने की आवश्यकता नहीं।*
*हर काम समय के साथ ही होता है,जल्दबाजी में बस तराइन और पानीपत जैसे हाल होते है!..*

*और फिलहाल हमने इसमें देश में गृह युद्ध छेड़ने को तैयार बैठे गद्दारों के बारे में कुछ भी नहीं कहा है, जो भारत के अंदर ही प्रत्येक स्थान पर अपनी आबादी के अनुपात में संभल की तरह “गैर मुस्लिम” आम जनता, पुलिस, सेना, प्रशासन के अधिकारियों और सैन्य दलों के प्रति सशस्त्र विद्रोह करने को तैयार बैठे हैं।*
*देहरादून के ‘ मैं हिंदू NORTH से आने को तैयार’ वाट्स एप ग्रुप में SK JAIN

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