मतभेद के बीच केरल में 31 अगस्त को होगी संघ-भाजपा पदाधिकारियों में बैठक
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पहले बयान फिर बनाई दूरी, संघ का भाजपा को संदेश… चुनाव नतीजों के बाद RSS के क्यों बदले तेवर?
RSS BJP Analysis: क्या संघ और भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा? जिस तरह से हाल ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से कुछ बयान आए उसे लेकर राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। खास तौर से 2024 के चुनावी रण में बहुमत से बीजेपी जिस तरह दूर रह गई, उसी के बाद राजनीतिक परिदृश्य बदल से गए। आखिर पूरा मामला है क्या बताते हैं आगे।
क्या संघ और भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा?
पहले भागवत और फिर इंद्रेश कुमार के बयान से उठे सवाल
लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन को लेकर कई गई टिप्पणी
बहुमत से दूर हुई भाजपा तो उठे सवाल, फिर दी गई सफाई
नई दिल्ली: ‘400 पार’ का नारा बुलंद कर लोकसभा चुनाव में उतरी केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को अपेक्षित परिणाम नहीं आए। हालांकि, भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन फिर सरकार बनाने में सफल रहा। नरेंद्र मोदी ने हैट्रिक लगाते हुए लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इसी बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से कुछ ऐसे बयान आए जिससे सवाल उठे कि क्या संघ और भाजपा में सबकुछ ठीक है? ये चर्चा इसलिए शुरू हुई क्योंकि संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने बिना नाम लिए भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भगवान राम की भक्ति करने वाली पार्टी अहंकारी हो गई थी,इसलिए 241 पर सिमट गई। चुनाव में भाजपा का अहंकार ध्वस्त हो गया। जैसे ही ये कमेंट आया तो राजनीतिक गलियारों में भाजपा संघ में मतभेद की अटकलें तेज हो गईं। इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी कुछ ऐसी टिप्पणी की थी जिससे लगा कि वो भी लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन से कुछ रुष्ट हैं। यही नहीं भाजपा-संघ के बीच मतभेद की चर्चा अब राष्ट्रीय बहस का विषय बन गई।
संघ प्रमुख भागवत के बयान से उठे सवाल
पहले बताते हैं कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने क्या कहा था। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद इसका विश्लेषण करते हुए नागपुर में सरसंघचालक मोहन भागवत ने पिछले दिनों टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि जो मर्यादा का पालन करते हुए काम करता है, गर्व करता है लेकिन अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों में सेवक कहलाने का अधिकारी है। इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को सीख भी दी। उन्होंने मणिपुर हिंसा का भी जिक्र किया और कहा कि कर्तव्य है कि इस हिंसा को अब रोका जाए। संघ प्रमुख के इस बयान में कहीं न कहीं निशाना प्रधानमंत्री मोदी पर था क्योंकि वे खुद को प्रधान सेवक कहते हैं । चुनाव परिणाम के तुरंत बाद आए मोहन भागवत की टिप्पणी से राजनीतिक घमासान तेज हुआ ही थी। इसके बाद संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने भी भाजपा नेतृत्व की आलोचना की थी।
फिर संघ के मुखपत्र में चुनाव नतीजों पर टिप्पणी
ऑर्गनाइजर ने लिखा कि लोकसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी के अति आत्मविश्वासी नेताओं और कार्यकर्ताओं को आईना हैं। हर कोई भ्रम में था और किसी ने लोगों की आवाज नहीं सुनी। संघ के मुखपत्र पांचजन्य में भी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन पर लेख छपा, जिसका शीर्षक था लोकसभा चुनाव 2024: सबक हैं और सफलताएं भी। इसमें भी बीजेपी के प्रदर्शन को लेकर सवाल उठाए गए। इसी दौरान आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार का बयान आया जिसने मानो बीजेपी और संघ में चल रहे घमासान को सबके सामने रख दिया।
इंद्रेश कुमार के कमेंट ने कर दिया सब साफ!
इंद्रेश कुमार ने कहा, ‘इन लोगों ने भगवान राम की भक्ति तो की थी, मगर इनमें धीरे-धीरे अहंकार आ गया। आज भगवान राम ने इनके अहंकार को खत्म कर दिया है। ये लोग इस चुनाव में प्रशंसनीय परिणाम नहीं दे पाए। शायद अब इन्हें लोकतंत्र की ताकत का एहसास हो चुका होगा। हालांकि, यह राम जी की ही कृपा थी कि भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी बन सकी, लेकिन इसके बावजूद भी ये लोग राम जी कृपा को नहीं समझ पाए। शायद इसलिए जो शक्ति भाजपा को इस चुनाव में मिलनी चाहिए थी, वो राम जी ने अहंकार के कारण रोक दी।’
प्रभु का न्याय विचित्र नहीं है- इंद्रेश कुमार
आरएसएस नेता ने कहा, ‘आश्चर्य है कि भगवान राम के विरोधी इस चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर पाए। बेशक नंबर एक पर नहीं आ पाए, लेकिन नंबर दो पर बेहतर प्रदर्शन के साथ अपनी जगह मजबूत करने में सफल हुए। इसलिए हम सभी को एक बात समझ लेनी चाहिए कि प्रभु का न्याय विचित्र नहीं है, बल्कि बड़ा ही सत्य है। प्रभु की लीला अपरंपार है, जिसे इंसानी दिमाग नहीं समझ सकता। जिस पार्टी ने भगवान राम की भक्ति की उसे बेशक 241 सीट ही मिली, लेकिन वो सरकार बनाने में सफल हुई और जिन लोगों ने भक्ति नहीं की, वो अच्छा करने में सफल तो हुए, लेकिन सरकार बनाने से चूक गए। जिन लोगों के मन में राम जी को लेकर श्रद्धा नहीं थी, उन्हें 234 पर ही रोक दिया। प्रभु जी ने कहा कि यह तुम्हारा फल यही है, इसलिए मैं कहता हूं कि जो राम की भक्ति करे वो बिना अहंकार के करे और जो ना करे, तो उसका कल्याण प्रभु खुद कर देगा।’
‘भगवान राम भेदभाव नहीं करते… सबको न्याय देते हैं’
इंद्रेश कुमार ने आगे कहा, ‘भगवान राम भेदभाव नहीं करते। सबको उसकी नीयत के आधार पर प्रतिफल देते हैं। राम जी सजा नहीं देते हैं और ना ही किसी को विलाप करने का मौका देते हैं। राम जी सबको न्याय देते हैं, देते थे और आगे भी देते रहेंगे। राम जी सदैव न्याय प्रिय रहे हैं। मैं आपको बता दूं कि भगवान राम ने 100 वर्षों के शासनकाल के बाद अश्वमेध यज्ञ किया। इसलिए यह यज्ञ हुआ कि कोई रोगी ना रहे, कोई अशिक्षित ना रहे, कोई बेरोजगार ना रहे। इसलिए भगवान 100 वर्षों के शासनकाल के बाद अश्वमेध यज्ञ करवाया करते थे, ताकि संपूर्ण राज्य में शांति बनी रहे। इसी यज्ञ के कारण भगवान राम 11 हजार सालों तक शासन करने में सफल रहे। दुनिया में आज तक कोई भी इतने वर्षों तक शासन नहीं कर सका।’
बयान पर मचा बवाल तो संघ नेता ने दी सफाई
जैसे ही इंद्रेश कुमार का ये बयान तो सियासी गलियारों में बीजेपी-आरएसएस में सब ठीक नहीं होने के कयास लगने लगे। हालांकि, संघ सूत्रों ने ऐसी किसी भी बात से इनकार किया। आरएसएस ने इंद्रेश कुमार के उस बयान से भी पल्ला झाड़ लिया जिसमें उन्होंने बीजेपी पर उसके चुनावी प्रदर्शन को लेकर निशाना साधा था। आरएसएस के एक पदाधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि यह उनकी निजी राय है और यह संगठन के दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित नहीं करता। उधर, अपने बयान को लेकर पैदा हुए विवाद के बीच इंद्रेश कुमार ने भी शुक्रवार को सफाई दी। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन और मोदी के लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से वह खुश हैं। इस समय, ताजा खबर यह है कि जो भगवान राम के खिलाफ थे वे सत्ता से बाहर हैं और जो भगवान राम के भक्त थे वे सत्ता में हैं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में देश प्रगति करेगा।
इंद्रेश कुमार के बयान से RSS ने किया किनारा
भागवत के भाषण पर चल रही बहस के बारे में पूछे जाने पर इंद्रेश कुमार ने कहा कि बेहतर होगा कि आप संघ के अधिकृत पदाधिकारियों से इस बारे में पूछें। उधर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी के साथ अपने मतभेद की खबरों को खारिज किया और इसे भ्रम पैदा करने की कोशिश करार दिया। संघ सूत्रों ने इस बात को भी मानने से इनकार किया कि लोकसभा चुनाव परिणामों को लेकर सरसंघचालक मोहन भागवत की आलोचनात्मक टिप्पणियां सत्तारूढ़ पार्टी को निशाना बनाकर की गई थी। सूत्रों ने यह भी कहा कि आरएसएस और बीजेपी सहित उसके सहयोगी संगठनों की तीन दिवसीय वार्षिक समन्वय बैठक केरल के पलक्कड़ जिले में 31 अगस्त से शुरू होगी। बैठक में बीजेपी अध्यक्ष समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है।
आरएसएस-बीजेपी में कोई दरार नहीं : संघ
आरएसएस सूत्रों ने आगे कहा कि आरएसएस और भाजपा के बीच कोई दरार नहीं है। संघ का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि विपक्षी नेताओं समेत लोगों के एक वर्ग का दावा है कि भागवत की नागपुर में की गई टिप्पणी लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं करने के बाद बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को एक संदेश है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘सच्चा सेवक कभी अहंकारी नहीं होता’। सूत्रों ने कहा कि ‘2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद भागवत ने जो भाषण दिए थे और इस बार का जो भाषण है, इनमें बहुत अधिक अंतर नहीं है। किसी भी संबोधन में राष्ट्रीय चुनावों जैसी महत्वपूर्ण घटना का संदर्भ होना लाजिमी है।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन इसका गलत मतलब निकाला गया और भ्रम पैदा करने के लिए इसे संदर्भ से बाहर ले जाया गया। उनकी ‘अहंकार’ वाली टिप्पणी कभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या बीजेपी के किसी नेता के खिलाफ नहीं थी।’
संघ के बदले तेवर से सियासी गलियारे में चर्चा तेज
भले ही आरएसएस की ओर से भागवत और इंद्रेश कुमार के बयानों पर सफाई दी गई हो लेकिन विपक्षी नेताओं ने उनकी टिप्पणियों को हथियार बना लिया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि भले ही ‘एक तिहाई’ प्रधानमंत्री की अंतरात्मा या मणिपुर के लोगों की बार-बार की पुकार भी उन्हें पिघला न पाई, शायद भागवत आरएसएस के पूर्व पदाधिकारी को मणिपुर जाने के लिए राजी कर सकते हैं। फिलहाल आरएसएस ने बीजेपी संग मतभेद की खबरों से इनकार किया है, लेकिन जिस तरह से चुनाव नतीजों के बाद संघ ने तेवर कड़े किए हैं उसने सियासी गलियारे में नई चर्चा जरूर छेड़ दी है।