मिनी पाकिस्तान मेवात में क्या हैं हिंदू महिलाओं के हाल?
एक तरफ हिंदू विहीन हो रहे मेवात के गाँव, दूसरी तरफ लड़कों के कपड़े पहन पहचान छिपा रही लड़कियाँ, बाहर कपड़े भी नहीं सुखा सकतीं: वजह डेमोग्राफी चेंज
मेवात में लड़कियों के हाल
मेवात में लड़कियों के हाल (फोटो साभार: Leonardo.AI)
हत्या, अपहरण, लव जिहाद, धर्मांतरण, गोतस्करी, गोहत्या… ऐसे तमाम अपराधों के लिए कुख्यात मेवात (जो मुख्य रूप से हरियाणा के नूंह, राजस्थान के अलवर, भरतपुर और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है) एक बार फिर चर्चा में है।
कारण दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट में दो महिला पत्रकारों ने जमीन पर उतरकर इस क्षेत्र में रहने वाली लड़कियों के जीवन की उस हकीकत को बयान किया है जिसकी कल्पना मेवात इलाके से बाहर रहने वाले कर भी नहीं सकते। रिपोर्ट मुख्यत: अलवर के मेवात इलाके से जुड़ी है।
सोचकर देखिए, सुनकर ही कैसा लगता है कि घर की दहलीज तक जाने के लिए छोटी-छोटी बच्चियों को चेहरे पर नकाब लगाना पड़े या बाहर जाने के लिए लड़कियाँ अपने कपड़े छोड़कर लड़कों वाले कपड़े पहनें ताकि किसी की नजर उनपर न पड़े और उनके साथ कोई अनहोनी न हो। दिन की रौशनी में लड़कियाँ मुँह ऐसे ढककर घूमें जैसे अगर पर्दा हटा तो कुछ भी हो सकता है।
प्रेरणा साहनी और पूजा शर्मा की यह रिपोर्ट यही बताती है कि दिन के उजालों में पसरा सन्नाटा ही इलाके की असली तस्वीर है। डर और बेचैनी से भरे माहौल में दूर तक चलते हुए जब दोनों पत्रकारों को एक बुजुर्ग महिला मिलीं तो उन्होंने बताया कि उनके घर में 4 पोतियाँ लेकिन वह चारों को लड़के वाले कपड़े पहनाती हैं ताकि जब कोई उन्हें देखे तो लड़का ही समझे, वो यही कपड़े पहनकर आती-जाती हैं।
दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर
इसके अतिरिक्त जो घर इन पत्रकारों को दिखे उनमें कपड़े बाहर निकली धूप में सूखने की बजाय भीतर टँगे मिले। सवाल किया तो पता चला कि ऐसा इसलिए ताकि किसी को ये मालूम न चले कि इस घर में लड़कियाँ है। सोच सकते हैं कि इलाके में रहने वाले लोग लड़कियों को बाहर के माहौल से बचाए रखने के लिए कितने प्रयत्न करते हैं।
ऐसा भी नहीं है कि मेवात के इलाकों में लड़कियाँ बाहर नहीं निकलती… बाहर निकलती हैं लेकिन पहला झुंड में, दूसरा अपना मुँह पूरी तरह से ढककर। कहीं आना जाना होता है तो ये लड़कियाँ उन टैम्पो का इंतजार करती हैं जो भरे हों, क्योंकि खाली टैम्पो में बैठने से लड़कयों को डर रहता है कि कहीं कोई अकेला पाकर कुछ गलत न कर दे।
लड़कियों की सुरक्षा के यहाँ ये हाल हैं कि घर की चारदीवारी में जब बेटियाँ होती हैं तब भी घर के पुरुषों को बाहर रहकर उनकी रक्षा करना पड़ती है। शायद उन्हें ऐसा लगता हो कि कहीं दरवाजे से हटने पर कोई जबरन घर में घुस बेटियों को शिकार न बना ले। घरवालों के मन में बच्चियों की सुरक्षा का डर ऐसा है कि उनकी शादी 14 साल की उम्र से पहले कर दी जाती है।
मेवात क्षेत्र में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर पसरा यह भय निराधार ही नहीं है। मेवात के ग्रामों पर बनी रिपोर्ट में स्थानीयों के अलावा पूर्व सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ रवि माथुर का भी बयान है। डॉ माथुर कहते हैं कि उनके पास तो साल में रेप के ढाई सौ से ज्यादा मामले आते थे। हैवानियत के किस्से ऐसे होते थे कि दरिंदे जानवरों को भी नहीं छोड़ते थे।
डॉक्टर के अतिरिक्त इलाके की डिप्टी एसपी (स्पेशनल इन्वेस्टिगेशन यूनिट फॉर क्राइम अगेंस्ट विमन इंचार्ज) डॉ पूनम चौहान ने कहा कि उन्होंने कुछ ही माह में 70 से ज्यादा पॉक्सो के मामले देखे हैं। डिप्टी एसपी मानती हैं कि ये हालात तब तक नहीं बदलेंगे जब लड़कों को समझा, सिखाकर संवेदनशील नहीं बनाया जाएगा।
क्षेत्र के हालातों के परखने के बाद जब दोनों महिला पत्रकार उन क्षेत्रों की ओर बढ़ने चलीं जहाँ से रेप के मामले सबसे ज्यादा आए- जैसे रामदढ़, नौगाँव आदि तब उन्हें भी सलाह दी गई कि वो लोग रात के अंधेरे में उस तरफ न जाएँ क्योंकि वहाँ खतरा बहुत ज्यादा है।
सोच सकते हैं कि अंजान महिलाओं को लेकर इतनी चिंता में रहने में ग्रामीण अपने घर की बहन-बेटियों को कैसे रखते होंगे और उनकी चिंता में कैसे दिन-रात बीतती होगी…।
मेवात से बाहर रहने वालों को शायद ये बातें अतिश्योक्ति भरी लगें या दिमाग में ऐसा आए कि ये सब हो कैसे सकता है… लेकिन हकीकत वही जानतें है जो स्थानीय हैं।
मेवात के हाल और बढ़ती मुस्लिम आबादी
मेवात के हालात समझने के लिए पुरानी खबरें पढ़िए। ये इलाका पहली दफा चर्चा में नहीं आया है। इसकी पूरी टाइमलाइन पुरानी है।
इंटरनेट पर केवल क्षेत्र का नाम डाल देने भर से तमाम घटनाएँ निकलकर सामने आती हैं जो सोचने पर मजबूर करती हैं कि ऐसा आखिर यहाँ क्या है जो अपराध घटने की बजाय बढ़ते जा रहे हैं… फिर नजर यहाँ के डेमोग्राफी और एक ही पैटर्न में घटती घटनाओं पर जाती है, तब जाकर समझ आता है कि समस्या आखिर है कहाँ।
याद हो अगर साल 2020 में भी मेवात की खबरें चर्चा में आई थीं जिन्होंने सबको चौंका दिया था। उसी समय इलाके की जनसंख्या को लेकर खूब चर्चा हुई थी। चिंता जताई गई थी कि कैसे हिंदुओं की आबादी इन इलाकों से कम हो रही है और मुस्लिम बढ़ रहें हैं… फिर धर्मांतरण, लव जिहाद, मारपीट, पलायन की घटनाएँ पता चली थीं।
हरियाणा के मेवात में हिंदूविहिन गाँवों पर रिपोर्ट
जस्टिस पवन कुमार की अगुवाई में जाँच समिति ने एक रिपोर्ट बनाकर ये बताया था कि कैसे मुस्लिम बहुल मेवात हिंदुओं खासकर दलितों के लिए कब्रिस्तान बनता जा रहा है। उन्होंने कहा था कि समुदाय विशेष (बहुसंख्यक आबादी) का अल्पसंख्यकों पर अत्याचार इतना भीषण है कि जिले के करीब 500 गाँवों में से 103 गाँव ऐसे हैं जो हिंदू विहीन हो चुके हैं। 84 गाँव ऐसे हैं जहाँ अब केवल 4 या 5 हिंदू परिवार ही शेष हैं।
उसी रिपोर्ट में बताया गया था कि मेवात में महिलाओं को अगवा करना, दुष्कर्म और जबरन धर्म परिवर्तन की कई घटनाएँ वैसे ही सामने आए हैं, जैसी खबरें पाकिस्तान से आती रहती है। इन्हीं घटनाओं की वजह से उस समय मेवात को मिनी पाकिस्तान तक कहकर चलाया गया था।
मेवात की जनसंख्या
आज भी आँकड़े यही बताते हैं कि मेवात जिले की जनसंख्या वैसी ही है। आधिकारिक जनगणना 2011 और 2025 की जनसंख्या डेटा से पता चलता है कि यहाँ कि सबसे अधिक आबादी मुस्लिमों की है। जनगणना 2011 के अनुसार, मेवात की आबादी में मुस्लिमों की हिस्सेदारी 79.20 फीसद है और यहाँ हिंदुओं की आबादी मात्र 20.37% है।
मेवात से आई कुछ खबरें
2024 के नवंबर में ही यहाँ पुलिस ने 100+ गोवंशों को तस्करों के चंगुल से छुटाया था। 2024 की ही एक खबर है जो बताती है कि मेवात में सरकारी ट्यूबवेल से दलितों के पानी भरने पर मुस्लिम महिलाओं ने उन्हें किस कदर पीटा था। हिंदुओं की जलाभिषेक यात्रा पर मेवात में हमला करने की बात हो या पुलिस पर इस्लामी भीड़ का अटैक करना… ये सारी घटनाएँ इन इलाकों से आती रही हैं। इसके अलावा दलितों के उत्पीड़न के अनेक मामले ढूँढने पर पता चल जाएँगे।
आखिर में, ये बात बिलकुल सच है कि समाज में हो रहे दुष्कर्म के मामलों में कमी तभी आएगी जब लोगों की सोच में न बदलाव आए, लेकिन मेवात जैसे इलाकों में ये सोच कैसे बदलेगी ये ज्यादा सोच का विषय है।
Topics:Rape Women Safety बलात्कार महिला सुरक्षा
जयन्ती मिश्रा opindia में