रेखा गुप्ता:ABVP की DUSU अध्यक्ष से मेदिल्ली की CM तक
DUSU अध्यक्ष से पहली बार विधायक, अब CM… जानें कौन हैं दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता
रेखा गुप्ता ने दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है और कॉलेज टाइम से ही वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ी रहीं. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ में अध्यक्ष और सचिव पद का चुनाव भी जीता था.
रेखा गुप्ता के सिर सजा दिल्ली CM का ताज
नई दिल्ली,19 फरवरी 2025,दिल्ली में बीजेपी ने मुख्यमंत्री के नाम से अब पर्दा उठा लिया है और विधायक दल की बैठक में रेखा गुप्ता के नाम पर मुहर लग गई है. दिल्ली की शालीमार बाग सीट से पहली बार जीत कई आईं रेखा गुप्ता अगली मुख्यमंत्री होंगी. बीजेपी ने तमाम कयासों को पीछे छोड़ते हुए महिला चेहरे पर दांव खेला है और वैश्य समाज से आने वाली रेखा गुप्ता को सीएम बनाने का फैसला किया है. अब गुरुवार को रामलीला मैदान में वह दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगी.
डीयू छात्रसंघ की अध्यक्ष से शुरुआत
रेखा गुप्ता ने दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है और कॉलेज टाइम से ही वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ी रहीं. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ (DUSU) में अध्यक्ष और महासचिव पद का चुनाव भी जीता था. इसके अलावा वह तीन बार दिल्ली नगर निगम में पार्षद रही हैं और साउथ दिल्ली (SDMC) की मेयर भी रह चुकी हैं. उन्होंने शालीमार बाग सीट से AAP की उम्मीदवार बंदना कुमारी को 30 हजार वोटों से हराया है.
मूल रूप से हरियाणा के जींद से आने वाली रेखा गुप्ता का जन्म साल 1974 में जुलाना में हुआ था. एसबीआई बैंक में पिता की नौकरी लगने के बाद उनका परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया था. हालांकि अब भी उनका परिवार जुलाना में कारोबार करता है. दिल्ली से सटे हरियाणा से ताल्लुक रखने की वजह से रेखा गुप्ता का अपने गृह राज्य में आना-जाना होता रहता है. रेखा गुप्ता की शादी दिल्ली के बिजनेसमैन मनीष गुप्ता से हुई है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी के दिनों की रेखा गुप्ता की तस्वीर
महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
विधायक बनने से पहले रेखा गुप्ता बीजेपी में संगठन के स्तर पर भी अहम जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं. वह बीजेपी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और दिल्ली बीजेपी में महासचिव का पद संभाल चुकी हैं. डीयू के दौलत राम कॉलेज से पढ़ाई करने वाली रेखा गुप्ता के पास M.A और M.B.A और एलएलबी की डिग्री है. खास बात यह है कि वह लंबे वक्त से आरएसएस की सक्रिय सदस्य हैं और संघ के कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती आई हैं.
1994-95 में दौलत राम कॉलेज की सेक्रेटरी रहीं
1995-96 में दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ में सेक्रेटरी रहीं
1996-97 में दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ में की अध्यक्ष रहीं
2003-04 में दिल्ली प्रदेश महिला मोर्चा की सेक्रेटरी रहीं
2004-06 में बीजेपी युवा मोर्चा की नेशनल सेक्रेटरी रहीं
2007 में पीतमपुरा नॉर्थ से पार्षद चुनी गईं
2009 में दिल्ली प्रदेश महिला मोर्चा की महासचिव बनीं
2010 में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य चुनी गईं
प्रवेश वर्मा ने रखा नाम का प्रस्ताव
इससे पहले भाजपा ने सांसद रविशंकर प्रसाद और ओपी धनखड़ को पर्यवेक्षक नियुक्त किया जिन्होने दिल्ली में भाजपा विधायकों के साथ बैठक कर रेखा गुप्ता को विधायक दल का नेता चुना है. उनके नाम का प्रस्ताव प्रवेश वर्मा और विजेंद्र गुप्ता ने रखा.
विधानसभा चुनाव में भाजपा इस बार 27 साल बाद दिल्ली में जीती है. दशकभर से राजधानी में आम आदमी पार्टी सत्ता में थी जो इस बार सिर्फ 22 सीटों पर जीती. वहीं भाजपा ने 70 में से 48 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया. भाजपा लहर में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत AAP के तमाम वरिष्ठ नेता भी अपनी सीट गंवा बैठे हैं.
Delhi CM Rekha Gupta: अंतिम दौर तक रेस में थे 4 नाम, रेखा गुप्ता ने ऐसे बनाई बढ़त, आंतरिक कथा
दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को चुनने के पीछे लंबा मंथन, गहरी राजनीति और कई बड़े नेताओं की सिफारिशें शामिल थीं. दिल्ली बीजेपी के अंदरखाने में जो मंथन चला, उसे समझना जरूरी है.
Inside Story of Delhi CM Race: दिल्ली सीएम रेस के सस्पेंस को भाजपा ने काफी देर तक बनाए रखा. अंतिम दौर तक यह क्लियर नहीं हो रहा था कि कौन दिल्ली के नए मुख्यमंत्री होंगे. विधायक दल की बैठक में थोड़ी ही देर बाद मीडिया को बाहर कर दिया गया. विधायकों का फोन बंद करा दिया गया. बैठक में शामिल होने आ रहे विधायक साफ तौर पर यह कहते रहे कि नहीं, नहीं मैं मुख्यमंत्री नहीं हूं. मुख्यमंत्री चुनना पार्टी का फैसला है. विधायक दल की बैठक में भी पार्टी ने मुख्यमंत्री रेस में शामिल 4 नेताओं के साथ एक अलग मीटिंग की. इससे यह सस्पेंस और बढ़ा. लेकिन अंतिम दौर में रेखा गुप्ता के नाम का ऐलान किया गया.
आखिरी पलों में कैसे रेखा गुप्ता के नाम पर मुहर लगी? कौन थे वो लोग, जिन्होंने उनके नाम को आगे बढ़ाया? और पीएम मोदी ने क्यों दिया उनका साथ? आज आपको पूरी इनसाइड स्टोरी बताएंगे-हर एक मोड़, हर एक मीटिंग की पूरी कहानी!
दरअसल दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को चुनने के पीछे लंबा मंथन, गहरी राजनीति और कई बड़े नेताओं की सिफारिशें शामिल थीं. दिल्ली बीजेपी के अंदरखाने में जो मंथन चला, उसे समझना जरूरी है. अब सवाल ये कि रेखा गुप्ता ही क्यों? कौन-कौन से नाम थे दौड़ में? और आखिरी समय में कैसे उनके नाम पर मोहर लगी? चलिए, पूरा मामला डिटेल में समझते हैं.
सबसे पहले जानिए रेखा गुप्ता कौन हैं?
सबसे पहले जानिए, रेखा गुप्ता कौन हैं और उनका पॉलिटिकल सफर कैसा रहा है? रेखा गुप्ता का जन्म हरियाणा के जींद जिले के जुलाना में हुआ था, लेकिन उनके पिता की नौकरी की वजह से उनका परिवार दिल्ली आ गया. यही वजह है कि उन्होंने अपनी शिक्षा और राजनीति दोनों दिल्ली में ही की. रेखा गुप्ता की राजनीति की जड़ें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ी हैं.
दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति से लेकर आज मुख्यमंत्री बनने तक, उन्होंने लंबा सफर तय किया है. वो दिल्ली यूनिवर्सिटी में छात्र संघ सचिव भी रह चुकी हैं. इसके बाद उन्होंने दिल्ली नगर निगम (MCD) में पार्षद के तौर पर लंबा वक्त बिताया. एमसीडी की कई महत्वपूर्ण कमेटियों की चेयरमैन भी रहीं.
रेखा गुप्ता का संगठन पर पकड़, प्रशासनिक अनुभव भी तगड़ा
दिल्ली बीजेपी की महामंत्री रहते हुए उन्होंने संगठन में भी बड़ी भूमिका निभाई. पार्टी के बड़े आयोजनों, जैसे कि राष्ट्रीय अधिवेशन, कार्यकारी परिषद की बैठकें, प्रधानमंत्री और वरिष्ठ नेताओं के प्रोग्राम—इन सबकी जिम्मेदारी उन पर रहती थी. यानी, वो संगठन को भी बखूबी समझती हैं और प्रशासनिक अनुभव भी रखती हैं!
रेखा गुप्ता के नाम पर मोहर कैसे लगी?
अब बात करते हैं असली खेल की—आखिरी समय में उनके नाम पर कैसे फाइनल फैसला हुआ? दरअसल, दिल्ली में मुख्यमंत्री की रेस में चार बड़े नाम थे:
रेखा गुप्ता
अजय महावर
मनजिंदर सिंह सिरसा
प्रवेश वर्मा
शुरुआती दौर में किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन रही थी. लेकिन रेखा गुप्ता के पक्ष में तीन बड़ी बातें थीं:
(1) महिला फैक्टर और पीएम मोदी की रणनीति
पीएम मोदी पिछले कुछ समय से पार्टी की बैठकों में बार-बार एक बात कह रहे थे—महिलाओं को आगे लाना है. 27 साल पहले भी दिल्ली में बीजेपी सरकार की कमान एक महिला मुख्यमंत्री यानी सुषमा स्वराज के हाथों में थी.पीएम मोदी चाहते थे कि दिल्ली में महिला लीडरशिप को फिर से आगे लाया जाए. इससे महिला वोटर्स को मजबूत संदेश जाएगा और बीजेपी की ‘महिला सशक्तिकरण’ की छवि को फायदा मिलेगा.
(2) RSS और ABVP का सपोर्ट
रेखा गुप्ता की राजनीति आरएसएस की छात्र इकाई ABVP से शुरू हुई थी, और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी. बजरंग लाल (दिल्ली आरएसएस के बड़े नेता) ने बीजेपी नेतृत्व से कहा कि अगर महिला को मौका देना है तो रेखा गुप्ता बेस्ट ऑप्शन हैं. सुनील बंसल, जो पहले यूपी बीजेपी के संगठन महामंत्री थे और अब राष्ट्रीय महामंत्री हैं, उन्होंने भी उनका समर्थन किया. एबीवीपी के पुराने कनेक्शन भी उनके हक में गए. धर्मेंद्र प्रधान, जो अभी केंद्रीय मंत्री हैं, उनकी पत्नी रेखा गुप्ता की अच्छी दोस्त हैं. इसी वजह से धर्मेंद्र प्रधान का भी समर्थन उन्हें मिला.
(3) संगठन में पकड़ और प्रशासनिक अनुभव
रेखा गुप्ता सिर्फ संगठन की नेता नहीं हैं, बल्कि MCD में पार्षद रही हैं, प्रशासनिक कामकाज का अनुभव है और पार्टी की अंदरूनी राजनीति भी समझती हैं. बड़े आयोजनों और रणनीतिक बैठकों में हमेशा उनकी भूमिका रही. पार्टी नेतृत्व को भरोसा था कि वो दिल्ली सरकार को अच्छे से संभाल सकती हैं.
आखिरी कैसे हुआ रेखा गुप्ता को चुनने का फैसला?
जब इतने बड़े दांव लगे हों, तो फैसला लेना आसान नहीं होता. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जब रायशुमारी की तो रेखा गुप्ता का नाम सबसे तेजी से उभरा. केंद्रीय नेतृत्व ने चार नामों की लिस्ट तैयार की—रेखा गुप्ता, अजय महावर, मनजिंदर सिरसा और प्रवेश वर्मा. ये लिस्ट पीएम मोदी के पास गई. और फिर हुआ फैसला! पीएम मोदी ने कहा कि “महिलाओं को आगे लाने का समय है,” और रेखा गुप्ता के नाम पर मुहर लगा दी गई.
अगले कदम क्या होंगे?
अब दिल्ली को गुरुवार दोपहर 12 बजे रामलीला मैदान में नई मुख्यमंत्री मिलने जा रही हैं. वो शालीमार बाग सीट से विधायक बनी हैं और अब दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी संभालेंगी. उनके सामने बड़ी चुनौतियां हैं—MCD और दिल्ली सरकार के तालमेल से लेकर, बीजेपी का वोटबेस मजबूत करना.
तो ये थी दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के चयन की पूरी इनसाइड स्टोरी. रेखा गुप्ता को अचानक नहीं चुना गया, बल्कि लंबी प्लानिंग, और हाई-लेवल रणनीति के तहत उनकी ताजपोशी हुई. अब देखना ये होगा कि क्या वो दिल्ली में बीजेपी की पकड़ को और मजबूत कर पाएंगी?