वक्फ संशोधन बिल पर जो हुआ खेला,अदरखाने जो हुआ वो है बहुत रोचक

वक्फ बिल की वोटिंग: मुस्लिम वोटों से कैसे कटे-बंटे सांसद, जानिए इनसाइड स्टोरी
Waqf Bill Voting in Rajya Sabha: वक्फ बिल पर राज्यसभा में मतदान के दौरान गजब का चमत्कार हुआ. यह चमत्कार NDA के साथ-साथ विपक्षी इंडी गठबंधन के लिए हैरान करने वाला था. कैसे हुआ ये खेल, समझें.

राज्यसभा में वक्फ बिल की वोटिंग में कैसे हुआ ये चमत्कार?
नई दिल्ली 05 अप्रैल 2025।  संसद के दोनों सदनों से वक्फ बिल (Waqf Bill) आसानी से पास हो गया. लेकिन ‘पासिंग मार्क’ बहुत कुछ बता रहे हैं. वक्फ बिल राज्यसभा (Voting in Rajya Sabha) में शुक्रवार तड़के दो बजकर 36 मिनट पर पारित हुआ. बिल के पक्ष में वोट पड़े 128 और विरोध में वोट पड़े 95. दोनों खेमे इसको लेकर कितने अलर्ट थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सोनिया गांधी खुद सदन में मौजूद थीं. पूरे समय वह अपनी सीट पर बैठी रहीं.

NDA का संख्याबल- 121, वक्फ बिल के समर्थन में वोट मिले 128
अब बात करते हैं पासिंग मार्क्स की. दरअसल NDA को बिल के समर्थन में 128 वोट मिले. यह उसके संख्या बल 121 (115 निर्वाचित + 5 मनोनीत) से 7 ज्यादा है. यानी सरकार को उम्मीद से 7 वोट ज्यादा मिले. अब जरा विपक्ष का नंबर देखिए. बिल के विरोध में 95 वोट पड़े. यह ऊपरी सदन में इंडिया गठबंधन की ताकत 85 की है. आखिर यह चमत्कार हुआ कैसे? जरा समझिए

मुस्लिम वोट बैंक के कारण ‘धर्मसंकट’ में फंसीं पार्टियों ने व्हिप जारी नहीं किया था. यानी उनके सांसद पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर भी वोट कर सकते थे. और हुआ भी यही.

Waqf Amendment Bill 2025: वो सांसद,जिन्होंने वक्फ बिल पर क्रॉस वोटिंग कर मोदी सरकार की राह आसान की
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 राज्यसभा में 13 घंटे की चर्चा के बाद  128 मुकाबले 95 वोटों से पारित हुआ. क्रॉस वोटिंग ने एनडीए की राह आसान की.

कौन हैं वो सांसद, जिन्होंने वक्फ बिल पर क्रॉस वोटिंग कर सरकार की राह की आसान

वक्फ संशोधन विधेयक 2025 राज्यसभा में पास हुआ.
क्रॉस वोटिंग से एनडीए को 128 बनाम 95 वोट मिले.

वक्फ बिल यानी वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को संसद की मंजूरी मिल गई. लोकसभा के बाद वक्फ बिल राज्यसभा से भी पास होगया. राज्यसभा में इस वक्फ बिल पर 13 घंटे तक चर्चा हुई. वक्फ बिल गुरुवार दोपहर को राज्यसभा में पेश हुआ. लंबी चर्चा के बाद वक्फ बिल शुक्रवार तड़के 2 बजे के आसपास पारित हो गया. अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह बिल कानून का रूप ले लेगा. यहां सवाल है कि जब राज्यसभा में नंबर गेम के मामले में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच फाइट टफ थी, तो ऐसे में मोदी सरकार की राह आसान कैसे हो गई?

राज्यसभा में एनडीए के पास जितने नंबर थे, उससे अधिक वोट मिले. राज्यसभा में वक्फ बिल के पक्ष में 128 और विरोध में 95 मत पड़े. इसका मतलब है कि वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पर राज्यसभा में क्रॉस वोटिंग हुई. राज्यसभा में कुछ गैर-एनडीए दलों के सांसदों ने पार्टी लाइन से हटकर वोटिंग की. कितनी क्रॉस वोटिंग हुई, इसका सटीक आंकड़ा तो नहीं है, मगर एक अनुमान लगाया जा सकता है.

4 अप्रैल 2025 को यह बिल 128 बनाम 95 वोटों से पास हुआ. राज्यसभा की प्रभावी संख्या 236 है. बहुमत के लिए 119 वोट चाहिए थे. एनडीए के पास अपनी ताकत 125 थी. इसमें बीजेपी के 98, जेडी(यू) के 4, एनसीपी (अजित पवार) के 3, टीडीपी के 2 और अन्य सहयोगी शामिल थे. इसके अलावा, 6 नामित सांसदों का समर्थन भी एनडीए के साथ था.

किसने की क्रॉस वोटिंग?
वहीं, विपक्ष यानी इंडिया ब्लॉक के पास राज्यसभा में 95 वोट थे, मगर बीजेडी (7) और वाईएसआरसीपी (9) जैसे गैर-एनडीए दलों के कुछ सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की. सूत्रों की मानें तो बीजेडी के कम से कम 4-5 और वाईएसआरसीपी के 3-4 सांसदों ने सरकार के पक्ष में वोट दिया. इसका मतलब है कि करीब 7 से 9 वोट क्रॉस वोटिंग के जरिए एनडीए को मिले. यही क्रॉस वोटिंग वक्फ बिल पर निर्णायक साबित हुई. क्योंकि एनडीए का अपना नंबर 125 होने के बावजूद 128 वोट मिले, जो अतिरिक्त समर्थन को दर्शाता है.

किसने बनाया क्रॉस वोटिंग का वातावरण?
क्रॉस वोटिंग करने वाले सांसद कौन थे,  पता लगाना मुश्किल है. हालांकि, यह तय है कि नवीन पटनायक की बीजेडी और जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी ने भी बिल के पक्ष में वातावरण बनाया.  बीजेडी ने अपने सांसदों को विवेक पर फैसला लेने को छोड़ दिया था. यहां जानना जरूरी है कि इससे पहले तक बीजेडी कहती रही थी कि वह वक्फ बिल पर सरकार का किसी भी कीमत पर समर्थन नहीं करेगी.  क्रॉस वोटिंग नहीं होती तो शायद सरकार की राह थोड़ी मुश्किल हो जाती.

अन्तरात्मा की आवाज पर वोट देने की छूट से बदला गेम
बीजू जनता दल (BJD) और YSR कांग्रेस वे पार्टियां थीं, जिन्होंने अपने सांसदों को अंतरात्मा की आवाज पर वोट करने की छूट दी थी. अब जरा समझिए ‘अंतरात्मा’ की आवाज पर कौन से सांसद पक्ष और विपक्ष के बीच कैसे बंटे. सबसे चौंकाऊ स्टैंड रहा AIADMK का. तमिलनाडु में भाजपा के साथ नई पार्टरनशिप की तैयारी की बीच AIADMK ने भाजपा को सरप्राइज दिया.

बीजू जनता दल के सांसदों ने बिल के समर्थन में किया वोट
उसके एक सांसद ने बिल के खिलाफ वोट किया. ओडिशा में जिस बीजू जनता दल का भाजपा ने सूपड़ा साफ किया, उसके दो सांसदों ने बिल के पक्ष में वोट किया. दरअसल इस वोट के जरिए अपने वोट बैंक को भी साधने का खेल चला.

वाईएसआर कांग्रेस ने विपक्षी गठबंधन को चौंकाया
वोटिंग में इंडिया गठबंधन को भी सरप्राइज मिला. वाईएसआर कांग्रेस इंडिया गठबंधन का हिस्सा नहीं, लेकिन मुस्लिम भावनाओं के जुड़ा विषय होने के कारण उसके सांसद विपक्ष के साथ लामबंद हो गए. 8 में से 7 सांसदों ने बिल का विरोध किया.

उसके एक सांसद ने बिल के समर्थन में वोट दिया. आपको फिर एक बार याद दिला दें कि वाईएसआर कांग्रेस वह पार्टी थी, जिसने अपने सांसदों को व्हिप के बंधन में नहीं बांधा था. कपिल सिब्बल ने भी बिल के विरोध में वोट दिया.

वोटिंग के दौरान विपक्ष के 4 सांसद रहे गैरहाजिर
वोटिंग के दौरान कुछ सांसद अलग-अलग कारणों से गैरहाजिर भी रहे. इसमें इंडिया गठबंधन के चार सांसद शामिल थे. शरद पवार, शिबू सोरेन, महुआ मांझी और टीएमसी के एक सांसद ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.

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