विश्लेषण: महाराष्ट्र और आंध्र लेता है पैट्रोल डीजल पर सर्वाधिक टैक्स
Tax on Petrol-diesel: तेल पर आपकी जेब कौन काट रहा, केंद्र से भी ज्यादा टैक्स वसूल रहे हैं ये आठ राज्य
बढ़ती महंगाई से आम लोगों को राहत देने को केंद्र ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी (duty on petrol-diesel) घटाई लेेेेकिन..
कई राज्यों में पेट्रोल की कीमत अब भी 100 रुपये लीटर से अधिक है।
हाइलाइट्स
केंद्र पेट्रोल-पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती की थी
कई राज्यों ने भी वैट घटाने का दावा किया था
असल में एक्साइज ड्यूटी घटने से वैट कम हुआ है
आठ राज्यों में पेट्रोल पर टैक्स केंद्र से ज्यादा है
नई दिल्ली 26 मई: आम लोगों को महंगाई से राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने हाल में पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी (Duty cut on petrol and diesel) में कटौती की थी। इसके बाद केरल, राजस्थान और महाराष्ट्र ने भी पेट्रोल-डीजल पर वैट (VAT) घटाने का दावा किया। केरल की एलडीएफ सरकार ने पेट्रोल पर 2.41 रुपये और डीजल पर 1.36 रुपये कम करने का दावा किया। राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने पेट्रोल पर वैट में 2.48 रुपये और डीजल पर 1.16 रुपये घटाने की बात कही। महाराष्ट्र में शिव सेना की अगुवाई वाली सरकार ने पेट्रोल पर वैट 2.08 रुपये और डीजल पर 1.44 रुपये घटाने का दावा किया। लेकिन इन राज्यों के दावे हकीकत से परे हैं। वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे के वी सुब्रमण्यन का कहना है कि इन राज्यों ने वैट में कटौती नहीं की है बल्कि केंद्र के एक्साइज ड्यूटी कम करने से वैट कम हुआ है।
सुब्रमण्यन ने टाइम्स ऑफ इंडिया में एक लेख में कहा कि पेट्रोल और डीजल जीएसटी में शामिल नहीं है। ऐसे में उपभोक्ताओं को सेंट्रल टैक्स पर स्टेट टैक्स देना होता है। जीएसटी लाने का मूल मकसद टैक्स पर टैक्स को खत्म करना था। केरल, राजस्थान और महाराष्ट्र में वैट की दरें क्रमशः 30.08 परसेंट, 31 परसेंट और 26 परसेंट है। केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी में आठ रुपये की कमी की। इस हिसाब से इन राज्यों में वैट में कमी आई है। मसलन महाराष्ट्र ने पेट्रोल पर वैट में 2.41 रुपये की कटौती की है जो आठ रुपये का 30.08 फीसदी है। यानी इन राज्यों का वैट में कमी का दावा खोखला है। असल में यह कमी केंद्र के एक्साइज ड्यूटी में कमी के कारण हुई है।
किन राज्यों में टैक्स सबसे ज्यादा
इन राज्यों को दूसरा दावा यह है कि सेंट्रल टैक्स के कारण उपभोक्ताओं पर ज्यादा बोझ पड़ा है। लेकिन आंकड़े कुछ और बयां करते हैं। आठ राज्यों महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, केरल और पश्चिम बंगाल में पेट्रोल पर टैक्स केंद्र और पड़ोसी राज्यों से अधिक है। महाराष्ट्र का ही उदाहरण ले लीजिए। राज्य में पेट्रोल पर टैक्स देश में सबसे अधिक है। 26 फीसदी वैट के जरिए यहां एक लीटर पेट्रोल पर टैक्स 31 रुपये है और साथ ही 10.12 रुपये का फिक्स चार्ज है।
राज्य टैक्स की दर (रु)
पड़ोसी राज्य में टैक्स (रु) सेंट्रल टैक्स (रु) राज्य बनाम पड़ोसी (%) केंद्र बनाम राज्य (%)
महाराष्ट्र VS गुजरात 31.1 12.1 24 257 129
आंध्र प्रदेश Vs कर्नाटक 30.1 21.1 24 143 126
तेलंगाना Vs कर्नाटक 29.0 21.1 24 138 121
राजस्थान Vs उत्तर प्रदेश 26.8 15.6 24 171 112
मध्य प्रदेश Vs गुजरात 26.8 12.1 24 222 112
बिहार Vs उत्तर प्रदेश 25.6 15.6 24 164 107
केरल Vs कर्नाटक 24.4 21.1 24 121 106
पश्चिम बंगाल Vs असम 24.6 16.0 24 154 102
पड़ोसी राज्य गुजरात में वैट की दर 13.7 फीसदी है जो 12.4 रुपये बैठती है। साथ ही राज्य में वैट पर सेस चार फीसदी है। इस तरह महाराष्ट्र में हरेक लीटर पेट्रोल पर टैक्स 2.5 गुना अधिक है। 22 मई को एक लीटर पेट्रोल पर सेंट्रल टैक्स 24 रुपये था। महाराष्ट्र में पेट्रोल का रेट 111.6 रुपये लीटर है। इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है जो केंद्र से करीब 30 फीसदी ज्यादा टैक्स वसूलती है।
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कितनी घट जाएगी कीमत
अगर महाराष्ट्र सरकार प्रति लीटर पेट्रोल पर 10.12 रुपये का फिक्स चार्ज हटा दे और वैट की दर गुजरात के बराबर ले आए तो पेट्रोल की कीमत 92.9 रुपये रह जाएगी। इसी तरह दूसरे राज्य भी पेट्रोल की कीमत में 10 रुपये की कटौती करके अपने उपभोक्ताओं को राहत दे सकते हैं। महंगाई को देखते हुए इन राज्यों को अपने लोगों को राहत देनी चाहिए। सभी दक्षिणी राज्य पेट्रोल पर ज्यादा टैक्स वसूलते हैं। कर्नाटक में टैक्स की दर प्रति लीटर 21.1 रुपये है जो दक्षिणी राज्यों में सबसे कम है। फिर भी यह मेघालय (11.4 रुपये), गुजरात, अरुणाचल प्रदेश और पुड्डुचेरी के 12 रुपये के मुकाबले बहुत अधिक है। कर्नाटक के मुकाबले आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल में पेट्रोल पर टैक्स कहीं ज्यादा है।