सोशल मीडिया:युद्ध के बहाने यूक्रेन की खुल गई पोल, घटिया मुल्क निकला युक्रेन

30 वर्षों तक, यूक्रेन में रही Ruchi Shukla की, यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों के बारे में, निम्न पोस्ट ध्यान देने योग्य है…

अपने 30 वर्षों के, यूक्रेन के साथ काम करने के सम्बन्धों में, यूक्रेन को भीतर और बाहर दोनो से जानती हूँ… सैंकड़ो यूक्रेनियन sea farerers को नौकरी दी है… नौकरी पर रखा है… रूस से अलग होने के बाद यूक्रेनियन पगला गए… उन्हें राष्ट्र तो मिल गया लेकिन राष्ट्रवाद रूस में ही छूट गया…

एक आम यूक्रेनियन 10 डॉलर के लिए साथी यूक्रेनियन की पिटाई कर सकता है… रूसी जितने मेहनतकश होते हैं, यूक्रेनियन उतने ही काहिल…

युक्रेन और टर्की का, बड़ा सपना है कि उन्हें शायद यूरोपियन यूनियन में शामिल कर लिया जायेगा… और गोरी चमड़ी की वजह से वो भी गोरे कहलायेंगे… लेकिन यूरोप वाले उन्हें घास नही डालते… एक आम यूक्रेनियन अपनी आधी कमाई शराब में उड़ा देता है… हमेशा hand to mouth रहते है… लेकिन झूठी शान में सबसे आगे… भृष्टाचार से सराबोर…

अगर आप विदेशी हैं तो एयरपोर्ट से ही लूट शुरू हो जायेगी… कस्टम वाले जब तक आपसे 100-200 डॉलर धरवा नही लेंगे तब तक आपको एयरपोर्ट से निकलने नही देंगे… फिर लूट शूरु होगी टॅक्सी वालों से लेकर होटल वालों तक… हर आदमी को टिप में डॉलर चाहियें… यूक्रेन की करेंसी दे दो, तो मुँह पर गाली दे देंगे…

वहाँ कोई बड़ी गाड़ियां नही चलती… बल्कि यूरोप की 2nd hand छोटी गाड़ियां चलती हैं क्योंकि पेट्रोल अत्यंत महँगा है…

आपको शायद ही कोई व्यक्ति मुस्कुराता दिखे… यूक्रेन में ठगी चोरी और लूटपाट आम बात है… जिस लड़की को आप फ्रेंड समझकर बियर पिलाने ले जाओगे और उसके साथ दिमागी हनीमून मना रहे होंगे, बाद में वो अपने साथियों के साथ आपको किसी गली में सिर्फ चड्ढी में छोड़ जायेगी और आपके कपड़े तक ले लेंगे…

यूक्रेन में 500 डॉलर की नौकरी पा जाने वाला खुशकिस्मत समझा जाता है…

*ये जो भारतीय स्टूडेंट वहां मेडिकल की पढ़ाई के नाम पर ऐश करने जाते हैं वो सब धक्कामार ग्रेड वाले होते हैं… जिन्हें भारत मे कहीं एडमिशन नही मिलता… 30-40 लाख में यूक्रेन से मेडिकल की डिग्री का झांसा देकर एजेंट उन्हें वहां पहुंचा देते हैं… ज्यादातर बच्चे या तो हरयाणा या पंजाब के ज़मींदारों के होते हैं… या घूसखोर सरकारी अधिकारियों के… जिनके माँ बाप को समाज मे स्टेटस की चिंता के चलते ये दिखाना होता है कि उनके बच्चे फॉरेन यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं… उन माँ बापों को ये नही पता कि ये बच्चे वहाँ पढ़ाई के सिवाय सबकुछ करते हैं…*

मुझे ऐसे ही कुछ मेडिकल के बच्चों के साथ रहने का मौका मिला था… तो सबने रोते हुए बताया कि उनके साथ कॉलेज में दुराभाव होता है… उनके सेक्शन को कूड़ा सेक्शन कहा जाता है… और उन्हें यूक्रेन के छात्रों से अलग पढ़ाया जाता है…

*इन बच्चों से वहां का एग्जाम ही पास नही होते, तो प्रोफेसर को घूस देनी पड़ती है… उसके लिए ये घरवालों से झूठ बोल बोलकर पैसा मंगाते हैं… लड़कियों का यौन शोषण होता है…*

एक आम यूक्रेनियन कर्ज़ो मे दबा रहता है… क्योंकि सरकार निकम्मी है… और एक जोकर वहां का शासक है… जो अपनी लिमोजिन के शीशे से बाहर नही देखता…

*यह नतीजा होता है गलत शासक चुनने का… जिस देश के लोग, देश की बागडोर गलत हाथों में दे देते हैं, उन्हें नतीजा भुगतना ही पड़ता हैं…*

आज़ादी का मतलब अव्यवस्था नही है… आज़ादी का मतलब स्थिर और सही चुनाव है…

ज्यादातर यह हालत सभी पूर्वी यूरोप के देशों की है… जब लोग आज़ादी को मख़ौल बना देते हैं तो उनका हश्र अफगानिस्तान, वेनेज़ुएला और यूक्रेन जैसा हो जाता है…

बाकी यूक्रेन समर्थक फेसबुकीयों को सलाह है कि ज्यादा चुपड़िये मत… यूक्रेन ने अपनी ये दुर्दशा एक जोकर को सत्ता देकर बनाई है… भारत को ऐसे जोकरों से बचा कर रखिये…

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