हाथों में बीयर नहीं,T20 ट्राफी है:जीत रोहित स्टाइल, खिलाड़ियों की आंखों में आंसू हैं, मार्श की तरह हेकड़ी नहीं
Learn From World Champion Charismatic Captain Rohit Sharma How To Respects World Cup Trophy
हाथों में बीयर नहीं आंखों में आंसू हैं, पैरों से रौंदा नहीं, छाती से लगा रखी है ट्रॉफी… वाह कप्तान वाह!
विश्व विजेता बनने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान का जश्न देखते बन रहा था। मस्तमौला अंदाज के लिए मशहूर रोहित शर्मा खुशी से पागल हुए जा रहे थे, लेकिन एक बात जो खास थी वह यह कि इस खास मौके पर वह ट्रॉफी का सम्मान कैसे करते हैं यह नहीं भूले।
मुख्य बिंदु
भारत की जीत के बाद रोहित शर्मा विश्व कप ट्रॉफी छाती से लगाए घूम रहे थे
इसे देख यूं ही ऑस्ट्रेलियाई मिचेल मार्श का ट्रॉफी का अपमान याद आ गया
मार्श ट्रॉफी पर पैर रखे दिखे थे और यह बात फैंस को नागवार गुजरी थी
नई दिल्ली 30 जून 2024. : समय को यूं ही बलवान नहीं कहते हैं। 2023 वनडे विश्व कप का फाइनल था और पूरे भारत में गजब का जोश था। उत्साह था। भारत 10 मैच लगातार जीतकर पहुंचा था कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली गजब की फॉर्म में थे। ऑस्ट्रेलिया को लीग चरण में हरा चुके थे तो लग रहा था कि अब फाइनल में उसे हराना बाएं हाथ का खेल है, लेकिन खचाखच भरे ऐतिहासिक नरेंद्र मोदी स्टेडियम में रोहित सेना चूक गई। विश्व विजेता बनने का सपना टूटने के बाद खिलाड़ी सदमे में थे तो दूसरी ओर ऑस्ट्रेलियाई घमंड में चूर थे। कप्तान पैट कमिंस ने एक लाख को चुप कराने की बात कही तो मिचेल मार्श विनिंग ट्रॉफी पर पैर रखकर पोज देते नजर आए थे।
फिर समय का चक्र घूमा। समय बदला। भावनायें बदल गई। अब भारत टी20 विश्व विजेता है तो दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया को अफगानिस्तान ने बुरी तरह से हरा दिया। यह वही ऑस्ट्रेलिया थी, जिसने भारत को आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में हराया था। यह वही ऑस्ट्रेलिया थी, जिसने 2021 में टी20 विश्व कप जीता था। तब आरोन फिंच कप्तान थे, लेकिन इस बार कप्तान मिचेल मार्श थे। वही मार्श, जिसके हाथों में बीयर थी और पैरों तले वनडे विश्व कप की विनिंग ट्रॉफी। इसे लेकर उस समय काफी आलोचना भी हुई, लेकिन मार्श बेपरवाह थे।
अब जब भारत चैंपियन बना है तो रोहित शर्मा ट्रॉफी को किसी बच्चे की तरह सीने से लगाए घूमते नजर आए। अर्जेंटीना जब फुटबॉल विश्व कप विजेता बनी थी तो महान लियोनेल मेसी रातभर ट्रॉफी से बच्चे की तरह चिपके सोते रहे थे। महान सचिन जब विश्व विजेता बने तो किसी बच्चे की तरह रो पड़े थे। यह प्यार था। यह वह भावावेग था, जो लंबे संघर्ष के बाद उपजा था। ऐतिहासिक जीत की झलक थी। उस ट्रॉफी के प्रति सम्मान था, जिसे दिखाने जताने का शायद इससे बेहतर कोई तरीका नहीं हो सकता था। अब रोहित हैं। उन्होंने मेसी के अंदाज में ट्रॉफी उठाई तो नोवाक जोकोविच की तरह घास खाकर उस पिच को सम्मान दिया, जो ऐतिहासिक जीत की गवाह बनी।
रोहित शर्मा उस भक्त की तरह हैं, जो अपने भगवान के प्रति आसक्त होता है। वह चाहकर भी खुद को ट्रॉफी से अलग नहीं कर पा रहे थे। वह छाती से लगाए ट्रॉफी घूमते रहे। उन्हें पता है इस ट्रॉफी की कीमत। इसके लिए उन्होंने दिन रात एक कर दिया था। इस ट्रॉफी से जब-जब दूर हुए तो जो दर्द हुआ उसे व्यक्त कर पाना मुमकिन नहीं। खिलाड़ी के नाम कितने भी रिकॉर्ड हों, लेकिन अगर उसकी कैबिनेट में क्रिकेट की दुनिया की सबसे सम्मानित ट्रॉफियां नहीं हैं तो सब बेकार है। सर्वोच्च सम्मान को किस कदर खिलाड़ी जीते हैं उसका जीता जागता नजारा बारबाडोस स्टेडियम में देखने को मिला। टीम इंडिया की विश्व कप जीत के बाद हर खिलाड़ी रो रहा था। बस इतना ही अंतर है कि इस बार यह आंसू जीत की खुशी के थे, जिसकी खुमारी शायद जब तक वे जिंदा रहेंगे तब तक रहेगी।
इस जीत से आनंदित हर भारतीय गर्व कर रहा है। अब वनडे विश्व कप का वह अंधियारा मिट चुका है। टी20 विश्व कप जीत के सूरज ने अपनी बांहों में समेट लिया। ऐतिहासिक पल जीने देने को टीम इंडिया को हर कोई बधाई दे रहा है, धन्यवाद दे रहा है तो दूसरी ओर विराट कोहली और कप्तान रोहित शर्मा टॉप पर रहते हुए खेल को विदा कह चुके हैं। वह अपनी उम्र के उस पड़ाव पर हैं, जहां खिलाड़ी क्रिकेट किट को खूंटी पर टांग देते हैं, लेकिन बावजूद इसके हर भारतीय चाहेगा कि यह पल 2025 चैंपियंस ट्रॉफी और आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप-2025 में भी जीत के साथ दोहराया जाए। वे वनडे और टेस्ट को इसी आईसीसी ट्रॉफी में भारत को विजेता बनाने के बाद अलविदा कहें।