‘हिजाब क्यों नहीं?’ तुरीन अफरोज के काटे बाल,पांव ज़ख़्मी

‘तुमने हिजाब क्यों नहीं पहना?’: बांग्लादेश में जिस महिला वकील ने कट्टरपंथियों को दिलाई सजा, सरे आम इस्लामी भीड़ ने काटे उनके बाल, पैरों में पेंसिल से किए कई वार

तूरीन अफरोज और शेख हसीना (साभार: Daily Star/ PTI)

शेख हसीना का तख्ता पलटने के बाद बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हो गया है। इसके बावजूद वहाँ हिंसा रूकने का नाम नहीं ले रही है। वहाँ शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के सदस्यों के साथ-साथ हिंदू अल्पसंख्यकों के घर-मंदिरों को जलाया जा रहा है। महिलाओं के साथ कट्टरपंथी रेप कर रहे हैं। अब प्रदर्शनकारियों के वेश में कट्टरपंथियों ने वकील तूरीन अफरोज के घर पर हमला किया है।

बैरिस्टर तूरीन अफरोज अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार की अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण बांग्लादेश (ICT-B) में पूर्व मुख्य अभियोजक हैं। उन्होंने साल 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए कई रजाकरों के खिलाफ मुकदमा चलाने की देखरेख की थी। कहा जा रहा है कि उन पर दो बार हमले हो चुके हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामी भीड़ ने उनके घर को घेर लिया और उन पर हमला किया। हमलावरों ने उन्हें पकड़कर जबरन उनके बाल काट दिए और उनके पैरों को घायल कर दिया। सोशल मीडिया पर इस घटना की कई परेशान करने वाली तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिसे पीड़िता की बताई जा रही हैं। हालाँकि, ऑपइंडिया इन तस्वीरों की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं कर सका।

तूरीन अफ़रोज़ ने 6 अगस्त 2024 को इंडिपेंडेंट टेलीविज़न से कहा, “उन्होंने (हमलवारों ने) पूछा- ‘तुमने हिजाब क्यों नहीं पहना है? तुम्हारी माँ देश छोड़कर चली गई है। तुम क्यों नहीं गईं?’ उन्होंने लगातार मेरे पैरों पर पेंसिल से वार किया। मैं मधुमेह से पीड़ित हूँ। मेरी 16 वर्षीय बेटी मेरे साथ थी। मैं बहुत डरी हुई थी। अगर उन्होंने उसके साथ बलात्कार किया होता तो एक माँ के तौर पर मैं क्या करती?”

पूर्व आईसीटी-बी अभियोजक ने कहा कि भीड़ ने उसे फेसबुक पर लाइव होने के लिए धमकाया। उन्हें न्यायाधिकरण के फैसले को गलत बताने के लिए कहा गया, जिसमें कई रजाकरों को फाँसी दी गई थी। उन्होंने कहा, “हमलावर चाहते थे कि मैं कहूँ- न्यायाधिकरण का फैसला गलत था। मैंने जो किया वह गलत था। अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के सभी फैसले गलत थे।”

तूरीन अफरोज को अगले दिन यानी 7 अगस्त तक घर से बाहर नहीं निकलने दिया गया। अपनी सुरक्षा को लेकर भयभीत होने के बावजूद तूरीन अफरोज ने इंडिपेंडेंट टेलीविजन को बताया कि वह कहीं नहीं जाएँगी और बांग्लादेश में ही रहेंगी। हालाँकि, गुरुवार (8 अगस्त) को उन्होंने फेसबुक पर लिखा, “मदद कीजिए। उत्तरा के रिहायशी इलाके पर हमला हुआ है। कृपया मदद कीजिए।”

यहाँ ये बताना आवश्यक है कि तूरीन अफरोज ने साल 2023 के चुनावों में शेख हसीना और अवामी लीग सरकार के लिए खुले तौर पर प्रचार किया था। इसलिए प्रदर्शनों में बीएनपी और कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी को देखते हुए आशंका थी कि 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के रजाकारों पर मुकदमा चलाने में उनकी भूमिका के लिए तुरीन अफरोज को निशाना बनाया जा सकता है।

बता दें कि बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) की स्थापना 2009 में पाकिस्तानी सेना और उनके समर्थकों – रजाकारों, अल-बद्र और अल-शम्स द्वारा किए गए अत्याचारों की जाँच के लिए की गई थी। तूरीन अफरोज़ इसकी मुख्य अभियोजक थीं। हालाँकि, साल 2019 में एमडी ओहिदुल हक नामक युद्ध अपराधी के साथ एक ‘गुप्त बैठक’ के कारण उन्हें पद से हटा नहीं दिया गया था।

TOPICS:Bangladesh Hindu Islamic Fundamentalism Violence इस्लामी कट्टरपंथ बांग्लादेश में हिंदू घृणा

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