हैदराबाद : टी राजा सिंह फिर अंदर, औवेसी के फोन पर ‘सर तन से जुदा ‘ वाले 90 उपद्रवी रिहा
मत: बात-बात में संविधान, कानून, आंबेडकर की रट और मौका आया तो उलट राह पकड़ लिए ओवैसी!
नवीन कुमार पाण्डेय
T Raja Singh : AIMIM चीफ और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी बात-बात में संविधान और कानून की दुहाई देते हैं, लेकिन ‘सर तन से जुदा’ नारा लगाने वालों के लिए उन्होंने जो किया, उससे उनके असल चरित्र पर सवाल उठता है। उपद्रवियों के बचाव में खुलकर खड़ा होने से उनकी मंशा पर बड़ा सवाल खड़ा हुआ है।
हाइलाइट्स
1-असदुद्दीन ओवैसी हर छोटी-बड़ी बात पर संविधान का हवाला देते हैं
2-कानून तोड़ने वालों के साथ खड़े हुए कानून पालन की सीख देने वाले ओवैसी
सर तन से जुदा का नारा देने वालों को रातों रात छुड़वाया, चेतावनी तक नहीं दी
नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी को आप जिस किसी भी मंच से बोलते हुए सुनेंगे, बात-बात में संविधान, कानून, भाईचारा, सद्भाव, शांति जैसे शब्द आपके कानों तक पहुंच रहे होंगे। तर्क यह दिया जाता है कि चूंकि वो बैरिस्टर हैं, इसलिए संविधान और कानून उनके जेहन गहरे समाया है। वो हर वक्त कहते हैं कि भारत के संविधान में अटूट आस्था है। यह अलग बात है कि उसी संविधान का रक्षक देश का सर्वोच्च न्यायालय अगर उनकी उम्मीद के उलट फैसला दे दे तो ओवैसी आग उगलने से तनिक भी नहीं कतराते हैं। खैर, वो तो बयानों की बात है, चलता है। लेकिन क्या जमीन पर ओवैसी अलग हैं? यह सवाल पूछने के कई मौके आए, लेकिन हैदराबाद में इन दिनों जो चल रहा है, उसने अब तक का सबसे बड़ा मौका मुहैया कराया है कि पूछें- आखिर ओवैसी असल में हैं कौन?
हैदराबाद में हो क्या रहा है?
इस सवाल का कोई निर्णायक जवाब तो नहीं दिया जा सकता, लेकिन तथ्यों की पड़ताल से जवाब का एक सिरा तो पकड़ा जा ही सकता है। खैर, इसकी बात बाद में, पहले यह जान लें कि तेलंगाना पुलिस ने बीजेपी विधायक टी राजा सिंह को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्हें मंगलवार को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वो रिहा हो गए थे। कहा जा रहा है कि कुछ महीने पहले दर्ज हुए एक केस के सिलसिले में उन्हें गिरफ्तार किया गया है। कहा यह भी जा रहा है कि पुलिस ने उन्हें एहतियातन गिरफ्तार किया है क्योंकि 26 अगस्त (आज) को जुम्मा है। जुम्मे के दिन मस्जिदों में सामूहिक नमाज पढ़ने की परंपरा है, इस कारण मुस्लिम समुदाय लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है। टी राजा सिंह के खिलाफ इस समुदाय के एक-एक व्यक्ति के मन में पल रहा गुस्सा, भीड़ में कहीं बेकाबू न हो जाए, इस कारण पुलिस ने संदेश देने के लिए यह कार्रवाई की है। दूसरी तरफ, ऑल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बयान जारी कर अपील की है कि शुक्रवार को जुमे पर शांति कायम रखें। सवाल है कि गुस्साए लोग उपद्रव नहीं करें, यह सिर्फ राजा सिंह की गिरफ्तारी और ओवैसी की अपील से सुनिश्चित हो पाएगा? हैदराबाद में पिछले कुछ दिनों की गतिविधियों पर नजर डालेंगे तो इस सवाल का महत्व समझ में आ जाएगा।
लगातार लगते रहे ‘सर तन से जुदा’ के नारे
दरअसल, तेलंगाना की गोशामहल विधानसभा सीट से भाजपा विधायक टी राजा सिंह के पैगंबर को लेकर दिए बयान पर हैदराबाद में हंगामा है। माहौल बिगड़ता देख विधायक मंगलवार को ही गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन कुछ घंटों बाद ही उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई और वो रिहा हो गए। विरोध में सड़कों पर उतरे मुसलमानों की भीड़ उग्र हो गई और ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगातार बुलंद होने लगे। विरोध-प्रदर्शन की आड़ में कानून हाथ में लेकर उपद्रव पर आमदा भीड़ की हिम्मत इतनी बढ़ी कि पुलिस कमिश्नर के ऑफिस के बाहर भी ‘सर तन से जुदा’ के नारे गूंज उठे। एक बार सोचिए, यह तालिबानी नारा सड़कों पर खुलेआम लगाया जा रहा है, बिना डरे, बेहिचक। और टी राजा सिंह पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग करने वाले राजनीतिक दल AIMIM के कार्यकर्ताओं से नेताओं तक का इसके प्रति क्या रुख है, यह भी जान लीजिए। यह जानना इसलिए जरूरी है कि एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी का हैदराबाद में काफी रसूख है।
मेरी आप सबसे गुजारिश है कि कल जुमा है और जुमे पर शांति से अपने परिजनों के साथ मुहल्लों और आसपास की मस्जिदों में जुमे की नमाज अदा करें। हम सबकी पूरी कोशिश होनी चाहिए कि जिस शांतिपूर्ण तरीके से विरोध किया और हमारे विरोध से उसे (टी राजा सिंह को) जेल भी जाना पड़ा। इसी तरीके से हमको कोशिश करनी है कि हमारा कल का जुमा शांतिपूर्ण तरीके से गुजर जाए। हम खास तौर से बुजुर्गों और हमारी मां-बहनों से अपील करना चाहूंगा कि वो अपने औलादों की, अपने नौजवान बच्चों की सरपरस्ती करें और आपसे ये भी गुजारिश करूंगा कि जुमा की नमाज के बाद कोई ऐसा नारा ना लगाए, ना कोई ऐसी वारदात हो कि देश को तकलीफ हो।
गुरुवार देर रात आया AIMIM चीफ और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी का बयान
पुलिस की कार्रवाई हुई तो उपद्रवियों के बचाव में उतरे ओवैसी
तो आइए बात करते हैं असदुद्दीन ओवैसी की। जो ओवैसी मीडिया के सामने ‘सर तन से जुदा’ के नारे की भर्त्सना करते हैं और यह नारा लगाने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी सजा की मांग करते दिखते हैं, उन्होंने रातोंरात उपद्रवियों को ना सिर्फ पुलिस से छुड़ाया बल्कि ट्वीट कर अपनी पीठ भी खुद ही थपथपा ली। उन्होंने ट्वीट करके बताया कि हिरासत में लिए गए 90 लड़कों को छुड़ा लिया। दरअसल, तीन-चार दिनों से हैदराबाद की सड़कों पर तालिबानी नारों के बीच बेहद तनावपूर्ण माहौल में तैनात पुलिस और रैपिड ऐक्शन फोर्स (RAF) के जवानों का सब्र बुधवार रात को टूट गया जब कुछ उपद्रवियों ने उनकी तरफ पत्थरबाजी शुरू कर दी। भीड़ के हिंसक हो उठने की आशंका में रैफ जवानों ने उपद्रवियों को खदेड़ना शुरू किया और जो हाथ लगे, उन्हें पकड़कर थाने पहुंचा दिया गया। फिर क्या था, हर बात में संविधान, कानून, बाबा साहब आंबेडकर की दुहाई देने वाले हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ऐक्टिव हो गए। उन्होंने अपनी फौज मौके पर भेज दी। उनके पार्षद मुस्तफा अली मुजफ्फर शाह उपद्रवियों को छुड़ाने के लिए पूरे दलबल के साथ मैदान में उतर गए। वो सभी पुलिस से भिड़ने लगे। सभी ने पुलिस पर आंखें तरेंरी और धौंस जमाकर उपद्रवियों को उनसे छुड़ाकर ले जाने की भरपूर कोशिशें कीं। उनके प्रयासों से जो उपद्रवी छूट पाए, छूटे और जिन्हें थाने ले जाया गया, उन्हें खुद असदुद्दीन ओवैसी ने छुड़वाया। उन्होंने रात में ही पुलिस कमिश्नर को फोन किया और कमाल देखिए- फोन आते ही 90 उपद्रवी छोड़ दिए गए।
खूब हो रही है उपद्रवियों की होंसलाअफजाई
सवाल है कि आखिर पुलिस ने तुरंत कैसे तय कर लिया कि जिन उपद्रवियों को उसी के जवानों ने मौके से उठाकर लाया था, वो सभी निर्दोष हैं और उन्हें बिना देर किए रिहा दर दिया जाना चाहिए। बहरहाल, ओवैसी ने रिहा होने के बाद उपद्रवियों के एक लीडर से रात में ही फोन पर बात की। ओवैसी ने क्या-क्या कहा, उसे जानेंगे तो यह सवाल और भी गंभीर लगने लगेगा कि क्या टी राजा सिंह की गिरफ्तारी के बाद हैदराबाद शांत हो जाएगा। उपद्रवियों के लीडर के साथ फोन पर हुई ओवैसी की बातचीत से यह भी पता चल जाएगा कि आखिर उनकी कथनी और करनी में कितना अंतर है। वो बातचीत हम बाद में बताएंगे। पहले यह जान लें कि ओवैसी की पार्टी की एक महिला पार्षद तो बाकायदा उपद्रवियों के बीच पहुंचीं और उनकी मौजूदगी में ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगे। नजरीन सुल्ताना हैदराबाद के मुगलपुरा से एआईएमआईएम की कॉर्पोरेटर हैं। कितनी अजीब बात है कि छोटे-छोटे बच्चों को बुलाकर उनसे ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगवाए गए। किसी को कोई आपत्ति नहीं, किसी ने नहीं कहा कि बार-बार सीमाएं लाघीं जा रही हैं और विरोध-प्रदर्शन के नाम पर तालिबानी मानसिकता को खाद-पानी दी जा रही है। यहां किसी से मतलब बात-बात में संविधान और बाबा साहब आंबेडकर का हवाला देने वाले असुद्दीन ओवैसी और उनकी पार्टी से है। आप पूछ सकते हैं, फोकस उन पर ही क्यों? जवाब ऊपर दिया जा चुका है।
कांग्रेस नेता की खुली धमकी, प्रशासन के रवैये पर सवाल
प्रशासन के रवैये को लेकर कई और बातें भी हैं। हैदराबाद के चंचलगुडा और शाहअली बंडा इलाके में जब ‘सर तन से जुदा’ के नारे लग रहे थे तभी कांग्रेस नेता फिरोज खान एक वीडियो बनाकर लोगों को भड़का रहा था कि राजा सिंह जहां दिखे, उसे घेरकर मारो। उसने खुलेआम पुलिस-प्रशासन को चुनौती दी कि वह लाखों बार कानून को हाथ में लेने को तैयार है। कांग्रेस नेता ने वीडियो में अपील की, ‘हरेक…. को बोल रहा हूं, राजा सिंह जिधर दिखे, गाड़ी रोककर मारो उसे। कानून हाथ में लेना है तो एक बार नहीं, एक लाख बार लूंगा।’ वह आगे राजा सिंह के लिए कहता है, ‘…. जो घिनौनी बात की, उसके लिए तुम्हें जूता मारना जरूरी है।’ राजा सिंह का वीडियो आया तो उसकी गिरफ्तारी हुई, बीजेपी ने भी निलंबित करते हुए कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। लेकिन, फिरोज खान भड़काऊ बयानों का वीडियो बनाकर भी मीडिया से बातचीत कर रहा है।
भड़काने वाला गिरफ्तार हुआ, तुरंत छूट भी गया
एक न्यूज चैनल ने जब उससे पूछा कि क्या उसे इस बात का अंदाजा है कि उसने वीडियो में जो बातें कहीं हैं, उससे उपद्रव हो सकता है, हिंसा भड़क सकती है? जवाब में उसने बड़े फक्र से कहा कि उसे अपने कहने पर कोई पछतावा नहीं है। उसने बिल्कुल बेफिक्र होकर कहा कि अगर राजा सिंह गिरफ्तार नहीं होता तो वह खुद ऐक्शन लेता। उसने आगे कहा, ‘नाली का कीड़ा था, उसकी सोच को सबक सिखाना था। ऐसे नाले के कीड़ों को मारना था, तेलंगाना सरकार नहीं पकड़ती तो मैं उसे…’ इतना कहने के बाद उसने धड़ाधड़ गालियां बकने लगा। प्रशासन कहां है, पता नहीं? दूसरी तरफ, सैयद अब्दुह कशफ नाम के एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ने भी खूब जहर उगला। उसने भी न्यूज चैनल पर आकर अपना बचाव किया। उसने मीडिया के सवाल पर न्यूटन के गति का तीसरा नियम बता दिया, ‘हर क्रिया की समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।’ बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया, लेकिन कुछ घंटों में ही जमानत पर रिहाई हो गई। हैदराबाद के एसीपी (लॉ एंड ऑर्डर) डीएस चौहान अब सबसे अपील कर रहे हैं कि शहर और प्रदेश में शांति बहाल रखने में मदद करें। उन्होंने कहा कि पुलिस और सरकार ने बड़े प्रयासों से हालात पर काबू पाया है। सवाल फिर से यही कि क्या राजा सिंह को गिरफ्तार कर लेने भर से शहर शांत पाएगा?
उपद्रवियों के लीडर से ओवैसी ने क्या-क्या कहा, जान लीजिए
अब आइए जानते हैं कि हैदराबाद के एएआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने उपद्रवियों के उस लीडर को क्या कहा। बुधवार की रात करीब डेढ़ बजे फोन पर ओवैसी से शिकायत होती है कि पुलिस ने लोगों घरों से उठा लिया। जवाब में ओवैसी कहते हैं, ‘मतीन भी है ना उसमें, इरफान रियाज भी है ना, एहतेशाम भी है… यह बहुत बुरा हुआ… मुझे मालूम हुआ तो मुजफ्फर को बोला।’ इस बीच लड़का ओवैसी का शुक्रिया अदा करता है और कहता है कि हां, मुजफ्फर और कॉर्पोरेटर साहब आए थे, उन्होंने बहुत मदद की। फिर ओवैसी कहते हैं, ‘डेढ़ बज रहे हैं… घर जाओ… घरवाले परेशान होंगे… आराम से जाओ, परेशान मत हो… इंशा अल्लाह, मालूम होते ही हम हरकत में आए, नहीं होना चाहिए था वो।’ क्या यह सवाल नहीं पूछा जाना चाहिए कि चलो, जनप्रतिनिधि होने के नाते उपद्रवियों को भी पुलिस से छुड़ा लिया, कोई बात नहीं, लेकिन चेतावनी क्यों नहीं दी कि आगे कानून को हाथ में लिया गया तो किसी मदद की उम्मीद नहीं करनी होगी? चेतावनी देना तो दूर की बात, उल्टे उन्हें उनकी हौसला-आफजाई कर रहे हैं कि परेशान नहीं होना है।
मुंह में राम बगल में छुरी
दरअसल, नेताओं का चाल, चरित्र और चेहरा किसी को समझ में नहीं आता, उनकी कथनी और करनी में कितना अंतर होगा, इसकी माप का भी कोई पैमाना आज तक नहीं बन सका। सार्वजनिक तौर पर देश-समाज के उत्थान की बात करने वाले, बात-बात में संविधान और कानून का हवाला देने वाले नेता पर्दे के पीछे कैसे-कैसे खेल कर दें, इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता है। हमारे देश में ऐसे नेताओं की कोई कमी नहीं है जिन पर ‘मुंह में राम, बगल में छुरी’ की कहावत बिल्कुल फिट बैठती है। यें कारगुजारियां देख कोई भी समझ सकता है कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIMI) के चीफ हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ऐसे नेताओं की अग्रिम पंक्ति में हैं।
क्या शांति से गुजर जाएगा जुम्मा?
ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि मीडिया पर बार-बार संविधान, कानून, शांति और भाईचारे का पाठ पढ़ाने वाले असदुद्दीन ओवैसी को किसी ने शायद ही सद्भाव कायम करने के लिए जमीन पर उतरते देखा होगा। हैदराबाद तो उनका संसदीय क्षेत्र है। क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं बनती है कि वो मीडिया के जरिए अपील करने के साथ-साथ मौके पर भी ‘सर तन से जुदा’ के नारा लगाने वालों का विरोध करें और साफ संदेश दें कि कानून को हाथों में लेने के लिए उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है और होनी भी चाहिए? लेकिन, उन्होंने किया क्या? ठीक उलट। कार्रवाई हुई तो उन्हें बचा लिया और कोई चेतावनी नहीं दी। संदेश क्या गया- उपद्रव करो, कानून तोड़ो, हम तुम्हारे साथ हैं। देर रात ओवैसी की वीडियो अपील सामने आई है। वो लोगों से जुमे पर शांति कायम रखने की अपील कर रहे हैं। देखना होगा उनकी यह अपील कितनी कारगर होती है? हैदराबाद का शुक्रवार कैसा गुजरता है? इससे भी बड़ा सवाल यह है कि क्या ओवैसी का हर वक्त संविधान, कानून और आंबेडकर की दुहाई देना, उनके राजनीतिक पाखंड का एक हिस्सा मात्र है,?
Asaduddin Owaisi And Other Aimim Leaders Should Play Decisive Roles For Peace Of Hyderabad Amid Sar Tan Se Juda Slogan Over T Raja Singh Comment