मत:अखंड भारत क्यों, कैसे और कब तक?
सजग-जागृत-समृद्ध हिंदू और अखंड भारत: 1 जनवरी 2025 का संकल्प और बाकी 364 दिन भी यही
1 January, 2025
चंदन कुमार
सजग-जागृत-समृद्ध हिंदू और अखंड भारत: 1 जनवरी 2025 का संकल्प और बाकी 364 दिन भी यही
साकार करना है अखंड भारत का सपना (फोटो साभार: Bing AI)
गणित में समय-दूरी-गति वाला सवाल सबने बनाया होगा। बना कर सही उत्तर मिलने पर इठलाए भी होंगे। अफसोस यह स्कूल तक ही चलता है। आगे की पढ़ाई करने वालों के लिए नोबेल विजेता हाइजनबर्ग भाई साहब ने यह खुशी भी छीन ली। अनिश्चितता का सिद्धांत दे दिया।
भौतिकी की शब्दावली में फँसने के बजाय मोटामोटी यह समझिए कि ‘एक समय में एक ही काम’ सटिक ढंग से हो सकता है, यही है हाइजनबर्ग की अनिश्चितता का सिद्धांत। जिस समय जो कार्य कर रहे हैं, ठीक उसी समय कोई और कार्य 100% सफलता के साथ हो जाए – यह असंभव है।
हर हिंदू हाइजनबर्ग के इसी सिद्धांत पर चले, यही अभी के समय की माँग है। हिंदू सिर्फ और सिर्फ हिंदू होकर सोचे, शत्रु-शक्तियों ने यही माहौल पैदा कर दिया है। जाति-भाषा-बोली-शैली-क्षेत्र-राज्य-देश के नाम पर आपको बाँटने का षड्यंत्र रचा जा चुका है, आपको हिंदू बने रहना है। इससे ध्यान भटकने पर असफलता की गारंटी है।
विकासशील से विकसित होते हिंदू पर हमले और तेज होंगे। समाज पर षड्यंत्र का असर और भी घातक होगा अगर बचाव हिंदू से परे होकर करने की रणनीति अपनाई तो। भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है, कोई नहीं जानता। भूतकाल से लेकिन यह सबक हमें बार-बार मिला है कि जब-जब हम हिंदू टुकड़े-टुकड़े बँट कर सोचे हैं, प्रतिकार/व्यवहार किए हैं – हम मुँह की खाए हैं, गुलाम तक बने हैं।
हर एक हिंदू को सजग रहना होगा। सजग रहेंगे तभी जागृत वाली प्रक्रिया में जाएँगे। जागृति आएगी तो वो समृद्धि की ओर ले जाएगी। नागरिक के तौर पर हर ईकाई की समृद्धि ही परिवार-समाज-गाँव-देश की उन्नति का रास्ता तैयार करेगी। विकसित भारत का सपना नागरिक विकास की कड़ी-दर-कड़ी से जुड़ा हुआ है, इस बात को हम सभी को गाँठ बाँध लेना चाहिए।
किसी RSS, किसी BJP ने अखंड भारत का सपना देखा, इसलिए आप भी मत देखिए। वो सिर्फ दिवास्वप्न होगा। सपना देखिए क्योंकि यह सभी हिंदुओं के अस्तित्व की लड़ाई है। आप सपना देखिए क्योंकि आपके निर्माण से अखंड भारत का निर्माण होगा। आपकी नींव जितनी मजबूत होगी, अखंड भारत उतनी तेजी से हकीकत में बदलेगा।
लेकिन कैसे? ऊपर दिए हाइजनबर्ग के उदाहरण से। रास्ता यही है। मंदिर जाकर पूजा कर लेने भर से आप हिंदू हो गए, इस भूलावे से बाहर आना होगा। समय की माँग इससे अधिक है।
दैनिक जीवन, सोशल मीडिया या फिर कहीं किसी के साथ बात-व्यवहार-प्रतिकार – हर समय आपको हिंदू बने रहना है – पढ़िए तो हिंदू बन कर, लड़िए तो हिंदू होकर। तन-मन-धन… विकसित हो रहे हिंदू समाज को इन तीनों की जरूरत है।
सजग-जागृत-समृद्ध हिंदू की आवश्यकता क्यों है अभी? पहले नहीं थी? आगे नहीं होगी? उत्तर है – पहले भी थी। हमने उसके उलट काम किया। फलस्वरूप हम गुलाम हुए। अभी पहले के मुकाबले जरूरत ज्यादा है, दुश्मन क्योंकि शातिर है, कुछ घर के भेदी भी हैं। सबसे बचते-लड़ते हुए आगे जाना है।
भविष्य में तो हम हिंदुओं को और भी इसकी जरूरत पड़ेगी। क्योंकि तब हमले डायरेक्ट होंगे। लड़ाई डायरेक्ट ताकत की होगी। इसलिए पहले की गलतियों से सीखते हुए, भविष्य में और मजबूती से डटे रहने के लिए… वर्तमान में हमें हिंदू बने रहना है, सजग रहना है, समृद्धि की ओर बढ़ते जाना है।
हिंदुओं के सामने वर्तमान में जो लड़ाई है, वो किसी तीर-धनुष, गोली-बंदूक या मिसाइल से नहीं जीती जा सकती। हिंदू सिर्फ हिंदू होकर सोचे-जिए-बोले-लड़े, तभी हम सशक्त भी होंगे, अखंड भारत का हिस्सा भी होंगे।
अगर आप चाहते हैं कि…
बांग्लादेशी/रोहिंग्या घुसपैठियों की खबरें नहीं मिले।
इस्लामी मुल्कों में रह रहे हिंदू भाइयों-बहनों-माताओं की स्थिति सुधरे।
इस्लामी मुल्कों की ज्यादतियों से तंग आकर भारत भाग आए लोगों, विस्थापितों की भाँति यहाँ रह रहे लोगों को नागरिकता मिलने में और भी आसानी हो।
न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आए, ऐसा कोई सिस्टम विकसित हो। आम लोगों को न्यायालय से न्याय की जगह जो नाउम्मीदी मिलती है, वो दूर हो।
अयोध्या में जैसे रामलला आ गए, वैसे ही काशी-मथुरा में भी हिंदू समाज अपने आराध्य को बिना रोक-टोक देख पाएँ।
ईसाई मिशनरियों का काला-जादू और षड्यंत्र हिंदुओं के धर्मांतरण से पहले ही छू-मंतर हो जाए।
लव-जिहाद और इस्लामी कंवर्जन माफिया के जाल में कोई बहन-बेटी-भाई न फँसे।
जो भाई-बहन कभी किसी कारण से सनातन से दूर चले गए, उन सभी की घर-वापसी हो।
…तो आपको सिर्फ और सिर्फ हिंदू ही रहना होगा।
हिंदुओं और हिंदुस्तान का उत्थान बँटने से नहीं होगा। न ही यह एक दिन का संकल्प है। 1 जनवरी 2025 हो या 31 दिसंबर 2025 या अगली सदी… हम हिंदुओं को हिंदू बन कर ही रहना होगा!
भारत के साथ और कौन-कौन… अखंड भारत पर RSS का पूरा कॉन्सेप्ट है क्या? आसान भाषा में समझें
अखंड भारत कब तक बनेगा? आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इसका जवाब दिया है. उन्होंने एक छात्र से कहा कि जब तक आप बूढ़े होंगे, तब तक अखंड भारत बन जाएगा. लेकिन ये अखंड भारत का पूरा कॉन्सेप्ट क्या है? और क्या ये मुमकीन है? समझिए…
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत. (फाइल फोटो-PTI)
देश का नाम ‘इंडिया’ और ‘भारत’ होगा? या सिर्फ ‘भारत’, इस पर बहस चल रही है. लेकिन इसी बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ‘अखंड भारत’ पर बड़ी बात कही है.
दरअसल, एक कार्यक्रम में भागवत से एक छात्र ने सवाल किया, ‘हम भारत को अखंड भारत के रूप में कब तक देख लेंगे?’ इस पर उन्होंने जवाब देते हुए कहा, ‘कब तक बनेगा, मैं ये तो नहीं बता सकता. उसके लिए ग्रह-ज्योतिष देखना पड़ेगा. मैं तो जानवरों का डॉक्टर हूं. लेकिन अगर आप उसको करने जाएंगे तो आपके बूढ़े होने से पहले आपको दिखेगा.’
भागवत ने आगे कहा, ‘क्योंकि परिस्थितियां अब ऐसी करवट ले रही हैं. जो भारत से अलग हुए हैं, उनको लगने लगा है कि गलती हो गई, हमको फिर से भारत होना चाहिए.
हालात बदल गए, जज्बात बदल गए… इंडिया बनाम भारत पर बीजेपी और विपक्ष दोनों का यू-टर्न!
ये पहली बार नहीं है जब भागवत ने अखंड भारत की बात कही है. पिछले साल अप्रैल में उन्होंने कहा था, ’20-25 साल में तो भारत अखंड भारत बन जाएगा, लेकिन हम कोशिश करेंगे तो 15 साल में भी ऐसा हो सकता है.’
देश में अखंड भारत को लेकर बहस लंबे समय से होती रही है. नए संसद भवन के अंदर भी अखंड भारत की एक तस्वीर लगी है. इस पर काफी विवाद भी हुआ था. तब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि संसद में जो लगा है, वो अशोक के साम्राज्य को दिखा रहा है.
पर ये अखंड भारत क्या है?
अखंड भारत को लेकर तीन तरह के कॉन्सेप्ट हैंः-
– पहलाः ऐसा भारत जिसमें पाकिस्तान और बांग्लादेश भी हों.
– दूसराः ऐसा भारत जिसमें पाकिस्तान-बांग्लादेश के अलावा नेपाल, भूटान, तिब्बत, म्यांमार, अफगानिस्तान और श्रीलंका भी हों.
– तीसराः ऐसा भारत जिनमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, तिब्बत, म्यांमार, अफगानिस्तान और श्रीलंका के साथ-साथ कंबोडिया, मलेशिया, वियतनाम और इंडोनेशिया भी हों.
अखंड भारत का इतिहास क्या है?
एक मंत्र बोला जाता है- जम्बूद्वीपे भरतखण्डे आर्याव्रत देशांतगर्ते… इस मंत्र में जम्बूद्वीप को पृथ्वी के सात द्वीपों में से एक बताया है.
ये सात द्वीप हैं- जम्बू, प्लक्ष, शाल्मल, कुश, क्रौंच, शाक और पुष्कर. जम्बूद्वीप को इन्हीं सब द्वीपों के बीच में बताया है.
1941 में भंडारकर रिसर्च इंस्टीट्यूट से पंडित पांडुरंग वामन की छपी किताब में लिखा था- ‘भारतवर्ष के अंदर कई सारे देश आते थे. भारतवर्ष ‘जम्बूद्वीप’ के अंदर था.’
चंद्रगुप्त मौर्य ने किया था भारत को एकजुट ?
प्राचीनकाल में अखंड भारत कई गणराज्यों में बंट गया था. इसे एकजुट किया था मौर्य वंश के सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने. चाणक्य ने उनका मार्गदर्शन किया था.
322 ईसा पूर्व में चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद साम्राज्य को हराकर उसपर कब्जा कर लिया. फिर सिकंदर के कब्जे वाले इलाकों पर कब्जा करना शुरू किया. 305 ईसा पूर्व में चंद्रगुप्त मौर्य ने सिकंदर के सेनापति सेल्युकस को भी हरा दिया था.
राधा कुमुद मुखर्जी की किताब ‘चंद्रगुप्त मौर्य एंड हिज टाइम’ में लिखा है कि चंद्रगुप्त के बाद उनके बेटे बिंदुसार और पोते अशोक ने पूर्वी तट पर कलिंग और दक्षिणी तट पर तमिल राज्य पर भी कब्जा कर लिया था.
इस तरह मौर्य साम्राज्य में भारत पश्चिम में फारस यानी ईरान से पूर्व में बंगाल तक और उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में तमिलनाडु तक फैला था. इसे ही ‘अखंड भारत’ माना जाता है.
संघ कैसे देखता है?
आरएसएस से जुड़े सुरुचि प्रकाशन की किताब ‘पुण्यभूमि भारतः मानचित्र परिचय’ में अखंड भारत का कॉन्सेप्ट बताया गया है.
जुगल किशोर शर्मा की इस किताब में अफगानिस्तान को उपगनाथन, काबुल को कुभा नगर, पेशावर को पुरुषपुर, तिब्बत को त्रिविष्ट, श्रीलंका को सिंघलद्वीप और म्यांमार को ब्रह्मदेश बताया है.
सुरुचि प्रकाशन की ओर से प्रकाशित एक और किताब में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार, श्रीलंका और तिब्बत को अखंड भारत का हिस्सा बताया है.
नए संसद भवन में लगी अखंड भारत की तस्वीर.
कब-कब खंड-खंड हुआ भारत?
– पाकिस्तानः 1947 में बंटवारा हुआ. भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग देश बने.
– बांग्लादेशः पहले पाकिस्तान का हिस्सा था. 1971 में बांग्लादेश एक अलग मुल्क बना.
– नेपालः 1904 में गोरखाओं और अंग्रेजों में एक संधि हुई. इससे नेपाल अलग देश बना.
– भूटानः ब्रिटेन ने 1907 में भूटान में उग्येन वांगचुक की राजशाही स्थापित कर दी.
– तिब्बतः 1914 में मैकमोहन लाइन बनी. इससे तिब्बत चीन का हिस्सा बन गया.
– श्रीलंकाः ब्रिटेन का कब्जा था, लेकिन वो अलग देश मानता रहा. 1948 में श्रीलंका आजाद हुआ.
– म्यांमारः भारत से 10 साल पहले 1937 में ब्रिटेन ने बर्मा (म्यांमार) को आजाद कर दिया.
– अफगानिस्तानः 1876 में रूस-ब्रिटेन की संधि से ये बफर स्टेट बना. 1919 में आजादी मिली.
कैसा होगा अखंड भारत?
– एरियाः भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, तिब्बत, म्यांमार और श्रीलंका अखंड भारत में आते हैं तो देश का कुल क्षेत्रफल 83.97 लाख वर्ग किलोमीटर का होगा.
– आबादीः मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक, अखंड भारत की आबादी 170 करोड़ से ज्यादा होगी. 55 करोड़ मुस्लिम और 100 करोड़ हिंदू होंगे. मुस्लिम आबादी 32% और हिंदू 60% से कम होंगे.
– अर्थव्यवस्थाः अखंड भारत की जीडीपी 300 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की होगी. सबसे ज्यादा जीडीपी भारत की ही होगी. अभी भारत की जीडीपी 272 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है.
– संसदः ये सभी देश अखंड भारत का हिस्सा बनते हैं तो देश में 3 हजार 283 सांसद होंगे. इनमें सबसे ज्यादा 795 सांसद भारत में होंगे. दूसरे नंबर पर म्यांमार होगा, जहां 664 सांसद होंगे.
पर क्या ये मुमकिन है?
फिलहाल तो बिल्कुल नहीं. क्योंकि सभी देश आजाद हैं. सबका अपना संविधान है. सबकी अपनी राजनीतिक व्यवस्था है. ये सारे देश फिर से एकजुट होंगे और भारत में मिलेंगे, इसकी गुंजाइश बेहद कम है.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू भी इसकी वकालत करते रहे हैं. 2014 में उन्होंने कहा था कि अखंड भारत ही कश्मीर समस्या का समाधान है.
हालांकि, जस्टिस काटजू यूरोपियन यूनियन की तर्ज पर भारत को संगठित करने का फॉर्मूला देते हैं. यानी, जिसमें भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश साथ रहें और इन तीनों की अपनी-अपनी सरकारें भी हों. इन तीनों सरकार के ऊपर एक और सरकार होगी. यही फॉर्मूला यूरोपियन यूनियन में चलता है. वहां सभी देशों की अपनी-अपनी सरकार है और एक यूरोपियन यूनियन की भी सरकार जिसकी संसद भी है.
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मोहन भागवत
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