अपमानजनक कब हुआ ‘चमार’ जिस नाम पै हैं पर्वत
चलो इंसानों का नाम तो चमार रख दिया लेकिन इन पर्वत की चोटियों का नाम चमार किसने रखा जो कि भारत में नहीं बल्कि विदेशों मे है
चमार कोई नीच शब्द नहीं बल्कि एक सम्मानित शब्द है लेकिन कुछ ,,,,,,,,,,,,,द्वारा इस शब्द को इतना गिरा दिया गया ताकि हमारे लोग अपने आप को छोटा समझें
चमार” श्रृंगी (नेपाल) और ‘चमार’ डाबन (साईबेरिया, रूस)
“चमार” श्रृंगी या सेरांग हिमाल की सबसे ऊँची चोटी है, जो नेपाली हिमालय की एक उपश्रेणी है। चमार और संपूर्ण श्रृंगी हिमाल मध्य नेपाल में, तिब्बती सीमा के ठीक दक्षिण में, पूर्व में श्यार खोला घाटी और पश्चिम में टॉम खोला-त्रिसुली गंडकी घाटी के बीच स्थित है। चमार काठमांडू से लगभग 90 किमी उत्तर-पश्चिम में है, और निकटतम आठ-हज़ार मनासलु से लगभग 25 किमी पूर्व में है। श्रृंगी हिमाल भूमि क्षेत्र में छोटा है और हिमालय के मानकों से भी दूरस्थ है, इससे बाहरी लोगों से बहुत कम मुलाक़ात हुई है।
हालांकि नेपाल के प्रमुख पहाड़ों के बीच ऊंचाई में कम, चमार स्थानीय इलाके से ऊपर उठने में असाधारण है। उदाहरण के लिए, यह लगभग 13 किमी की क्षैतिज दूरी में टॉम खोला/त्रिसुली गंडकी संगम से 5500 मीटर ऊपर उठती है।
सबसे ऊंचा स्थान, ऊंचाई 7,165 मीटर (23,507 फीट)
शोहरत 2,061 मीटर (6,762 फीट)
लिस्टिंग अत्यंत
कोआर्डिनेट 28°33’19” उत्तर 84°56’43” पूर्व
भूगोल जगह गोरखा जिला,गंडकी प्रांत,उत्तर मध्य नेपाल
जनक सीमा श्रृंगी हिमाल
आरोहण पहली चढ़ाई जून 1953 एम. बिशप, नामग्याल द्वारा
सबसे आसान मार्ग, रॉक/स्नो/आइस क्लि
सोर्स:
चमार-डाबन (रसिनन में – Хамар-дабан, दक्षिण साईबेरिया, रूस ) पहाड़ मंगोलिया के साथ सीमा के उत्तर में स्थित हैं। चमार-डाबन रेंज इरकुत्स्क ओब्लास्ट में एक छोटे से खंड के साथ, बुरातिया में स्थित है। यह बैकल पर्वत के निकट बैकल झील से पास है। यह सायन पर्वत के भौगोलिक विस्तार का निर्माण करता है।
सबसे ऊँची चोटी 2,396 मीटर (7,861 फीट) पर उत्लिंस्काया पोडकोवा है;
भारत में चमार शब्द का पहली बार इस्तेमाल कब और कैसे हुआ था?
सिकन्दर लोधी ने सबसे पहले चमार शब्द का इस्तमाल किया ताकि वो चंवर वंश को बदनाम करके उनकी शक्ति को कम कर सके और हिंदुओं में फूट डाल कर आसानी से राज कर सके।
लोधी ने बदनाम करने को किया चंवर को चमार
संत रविदास चंवर वंश के थे और मेवाड़ के राजा राणा सांगा की अच्छी मित्रता थी। संत रविदास के लाखों अनुयायी थे। आपको आज भी राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में कई रविदासिया मिल जायेंगे।
लोधी ने चंवर को और शक्तिशाली होने से रोकने के लिए एक चाल चली। लोधी ने सोचा की हिंदुओ को चिकनी चुपड़ी बातों में फसाना ज्यादा आसान है और उन्हें आसानी से मुस्लिम धर्म में परिवर्तित किया जा सकता है।
इसलिए उसने एक मुस्लिम फकीर को संत रविदास के पास भेजा ताकि वो उनको अपने में शामिल कर सके। लेकिन वो मुस्लिम फकीर संत रविदास से प्रभावित हो कर हिंदू बन गया और अपना नाम रामदास रख लिया।
सिकन्दर लोधी बहुत ज्यादा परेशान हो गया और उसने हिंदू संतों और उनके अनुयायियों को गिरफ्तार करके प्रताड़ित करना शुरु कर दिया।
उसने रविदासियों को इस्लाम अपनाने को उन पर जुल्म ढाया। हिंदु मरे हुए जानवरो को छूने या उनकी खाल निकालने को अच्छा काम नहीं मानते थे।
ये सब काम मुस्लिम ही करते थे इसलिए सिकन्दर लोधी ने उन सारे संतो और सेवकों को जबरन मरे हुए जानवरों की खाल निकालने का काम दिया और जो ये काम नहीं करता उसे मार दिया जाता।
उसने चंवर वंश को बदनाम करने को इस शब्द को चमार कह कर फैला दिया और इस तरह चमार शब्द की उत्पत्ति हुई।
भारत में लगभग 30 करोड़ मुसलमान हैं और करीब 35 करोड़ अनुसूचित जन जातियों के लोग हैं। अब आप खुद सोचिए अगर इन सब लोगों ने मुस्लिम आक्रांताओं के विरुद्ध युद्ध नहीं किया होता और इस्लाम अपना लिया होता तो अब भारत में 60 करोड़ मुस्लिम होते और भारत अब तक इस्लामिक देश बन चुका होता।
भारत में भी शरिया कानून लागू हो गया होता और तालिबान जैसे हालात भारत के होते। हमें अपनी ये एकता और अखंडता बना के रखनी है ताकि हम इस्लामिक मुल्क ना बन पाए अब आपको समझ आ गया होगा कि चमार कोई अपमानित करने वाला शब्द नहीं है।
चंवर वंश ने हिंदु धर्म को बचाने और मुस्लिम आक्रांताओं से लोहा लेने की ये कीमत चुकाई। अगली बार किसी को चमार शब्द का इस्तमाल करते हुए सुने तो उसे ये इतिहास जरूर बताएं।
चमार कोई अपमानजनक शब्द नहीं है बल्कि यह एक वंश का नाम है जिसने इब्राहम लोदी की नाक में दम कर दिया था और हिंदुओ को एकजुट किया था। इब्राहम लोदी ने हिंदुओं की एकता को तोड़ने और बदनाम करने के लिए इसे चंवर वंश से चमार में अपभ्रंश कर दिया और वो उसमें सफल भी रहा क्योंकि हिन्दू कभी एक नहीं रहा और उसे आसानी से भटकाया जा सकता है।
[1] चमार शब्द का पहली बार इस्तेमाल कब और कैसे हुआ था | Chamar vansh ka itihas
✍️पुराने जमाने में लोग जाति पूछकर पानी पीते थे उसी समय जाति सूचक नाम से बुलाया जाता था लेकिन अब समय में बड़ा बदलाव आया है और किसी की हिम्मत ही नहीं है कि किसी को भी जाति सूचक नाम से बुलाना ही महंगा पड़ जाता है।
चमार जाति की उत्पत्ति कहाँ से हुई?
भारत में इतिहासों को दबाया गया। सबसे बड़ा इतिहास चंवर वंश का है। लोग चमार चमार कहकर संबोधित करते हैं। लेकिन चमार शब्द नहीं है। इनका असली नाम चंवर वंश है। जो कि राजा चंवर सेन से लिया गया। यह चंवर शब्द कहां से प्राप्त हुआ यह थोलिंग मठ से जुड़ी कथा है। हिंदू धर्म में गाय को माता माना गया है वैसे तो हिंदू किसी नस्ल की गए हो उसको गाय माता का आदर देता है । लेकिन सबसे पवित्र जो गाय होती है जिसे सुरा , चवंरी में गाय कहा जाता है। यह चवंरी गाय हिंदू धर्म में सबसे पवित्र मानी जाती है इसी गाय का चंवर बनता था। यह चंवर छाता प्रकार होता था। इसीलिए राजा चंवर सेन ने इस चंवर नाम को पवित्र मानकर चंवर नाम रखा था
चमार शब्द का उत्पति किस भाषा से लि गई है?
हिन्दी भाषा से 👉👇
सूता (निम्न श्रेणी की क्षत्रिय) और उच्च श्रेणी की क्षत्रिय महिला कि संतान को चमार कहते है।
पर समय के साथ चमारों की छवि को खराब करने के लिए उन्हें चमड़े के साथ जोड़ दिया गया और उन्हें चर्मकार बना दिया गया। हालांकि, चर्मकार और चमार दो अलग-अलग जातियां समूह है।
मानव जाति चमार बताइए कैसे हुए थे?
प्रिय मित्र अहंकार में मनुष्य सत्य नहीं बोलेगा कहेगा क्योंकि सत्य उसने कभी जाना ही नहीं। आपने बिल्कुल सही सवाल किया है। हर मनुष्य को इतना पता भी होना चाहिए।
हां समस्त जीव शरीर मनुष्य चमार ही है। पहला बना शरीर ही चमार था। चमार का मतलब समझे। चर्म अर्थात जो खाल धारण किये हो। वह नही जो खाल का काम करता है। वह तो चर्म सेवक है जो आपकी रक्षा करता अर्थात शरीर की। इसलिये इसका अन्य नाम हरी भी है। जो जन अर्थात जगत की सहायता करता है वह हरीजन है। आपने अज्ञानता व अहंकार से चमार को जाती बनाकर घृणा का पात्र बना दिया। इसी प्रकार अन्य बनी जाति भाषा का रहस्य है। जिसमे अज्ञानी मनुष्य मर कट रहा है अपने बुने जाल में।
चमार शब्द का संधि विच्छेद?
‘चमार’ तद्भव भाषा का शब्द है। इसका तत्सम रूप है – चर्मकार। यह दो शब्दों से मिलकर बना है ‘चर्म’ और ‘कार’। इसमें संधि नहीं है बल्कि ‘चर्म’ मूल शब्द में ‘कार’ प्रत्यय का प्रयोग हुआ है। चर्म का अर्थ है – चमड़ी या त्वचा, और कार का अर्थ है – करने वाला। अर्थात जो चमड़ी का काम करे, वह चमार या चर्मकार है। इस कार्य को बहुधा छोटी जाति के लोग करते थे, वे लोग जानवरों की चमड़ी से जूते आदि बनाने का कार्य करते थे। अतः यह शब्द उन्हें उनके कार्य के कारण दिया गया है, जिसे कुछ लोगों ने स्वार्थवश जाति से जोड़ दिया।
आज स्थिति भिन्न है। आज बहुत से ऊंची जाति के लोग भी जूते आदि बनाने और बेचने का कार्य कर रहे हैं, जबकि
क्या आप चमार रेजिमेंट के बारे में जानते हैं ?
रेजिमेंट आर्मी की यूनिट होती है. भारतीय सेना में चमार रेजिमेंट नाम से सेना की कोई यूनिट नहीं है. मराठा, मद्रासी, सिख, राजपूत, जाट, बंगाल बिहार आदि के नाम से भारतीय सेना में रेजिमेंट है. एक महार रेजिमेंट भी है जिसमे महाराष्ट्र के महार जाती के लोग शामिल है. ये महार लोगों ने, पेशवा कि सेना को, अंग्रेजों की तरफ से लड़ते हुए हरा दिया था।
क्या चमार शब्द का प्रयोग करना कानून गलत है?
हिन्दू समाज की सबसे बड़ी कुरीति है – जन्मना जातिगत बंटवारा और उनसे उसके अनुसार भेदभाव और व्यवहार या सही शब्दों में कहें तो दुर्व्यवहार। बड़ी संख्या में अपमानित ‘छोटी जातियों ‘ ने मुग़ल काल में इस्लाम को अपनाया।
इन्हीं में से कुछ जातिवालों ने ब्रिटिश साम्राज्य में ईसाई धर्म को अपना लिया।
जब तक जाती प्रथा समाप्त नहीं होगी तब तक हिन्दू धर्म का उत्थान संभव नहीं है।
चमार जाति की उत्पत्ति कहाँ से हुई?
चमार भारतीय उपमहाद्वीप (Indian Subcontinent) में पाया जाने वाला एक दलित समुदाय है. दलित का अर्थ होता है-जिन्हें दबाया गया हो, प्रताड़ित किया गया हो, शोषित किया गया हो या जिनका अधिकार छीना गया हो. ऐतिहासिक रूप से इन्हें जातिगत भेदभाव और छुआछूत का दंश भी झेलना पड़ा है. इसीलिए आधुनिक भारत के सकारात्मक भेदभाव प्रणाली (Positive Discrimination System) के तहत चमार जाति की स्थिति को सुधारने के लिए उन्हें अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है. आइए जानते हैं चमार जाति का इतिहास, चमार शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?
क्या चमार क्षत्रिय थे?
सिकन्दर लोदी (1489-1517) के शासनकाल से पहले पूरे भारतीय इतिहास में ‘चमार’ नाम की किसी जाति का उल्लेख नहीं मिलता | आज जिन्हें हम चमार जाति से संबोधित करते हैं और जिनके साथ छूआछूत का व्यवहार करते हैं, दरअसल वह वीर चंवर वंश के क्षत्रिय हैं जिन्हें सिकन्दर लोदी ने चमार घोषित करके अपमानित करने की चेष्टा की |
इतिहासकार कर्नल टाड ने अपनी पुस्तक द हिस्ट्री आफ राजस्थान में चंवर वंश के बारे में विस्तार से लिखा है |
क्या आप चमार रेजिमेंट के बारे में जानते हैं ?
चमार रेजिमेंट 🤜
लडाई-:
● कोहिमा की लड़ाई
● कामो की लड़ाई
● टोक्यो की लड़ाई
● इम्फाल की लड़ाई
● मंडला की लड़ाई
● रंगून की लड़ाई
● सिंगापुर की लड़ाई
● बर्मा की लड़ाई
पुरस्कार और अलंकरण-:
● 5 ब्रिटिश साम्राज्य पदक
● 3 सैन्य पदक
●3 मिलिट्री क्रॉस
● 4 पेसिफिक स्टार
●7 बर्मा स्टार
● 4 युद्ध पदक
● 26 प्रेषण में उल्लेखित
● 1 युद्ध सम्मान
युद्ध -:
द्वितीय विश्व युद्ध
● कोहिमा की लड़ाई 1944, प्रथम चमार