अमरनाथ गुफा किसने खोजी? महाराज अनंगपाल ने सपत्नीक यात्रा की थी अमरनाथ की
अमरनाथ गुफा किसने खोजी ?
अमरनाथ गुफा किसने खोजी ?कई टीवी चैनल वाले बार-बार दिखा रहे हैं कि अमरनाथ गुफा की खोज एक मुस्लिम गडरिये ने सौलहवी सदी में की थी।हे तुष्टिकरण के आकाओ! 12 सदी में महाराज अनंगपाल ने अमरनाथ गुफा की यात्रा की थी महारानी सुमनदेवी के साथ….वंशचरितावली में पढें,जो 16वीं सदी से पहले लिखी गई थी।कल्हण की राजतरंगिनी तरंग द्वितीय में उल्लेख मिलता है कि कश्मीर के राजा सामदीमत शिव के भक्त थे और वे पहलगाम के वनों में स्थित बर्फ के शिवलिंग की पूजा करने जाते थे। बर्फ का शिवलिंग कश्मीर को छोड़कर विश्व में कहीं भी नहीं है। भृगू संहिता में भी इस गुफा का उल्लेख है। बृंगेश संहिता, नीलमत पुराण, कल्हण की राजतरंगिनी आदि में अमरनाथ तीर्थ का बराबर उल्लेख मिलता है।बृंगेश संहिता में कुछ महत्वपूर्ण स्थानों का उल्लेख है, जहां तीर्थयात्रियों को अमरनाथ गुफा की ओर जाते समय धार्मिक अनुष्ठान करने पड़ते थे। उनमें अनंतनया (अनंतनाग), माच भवन(मट्टन), गणेशबल (गणेशपुर), मामलेश्वर(मामल), चंदनवाड़ी (2,811 मीटर),सुशरामनगर (शेषनाग, 3454 मीटर),पंचतरंगिनी (पंचतरणी, 3,845 मीटर)और अमरावती शामिल हैं।
अब बात वैज्ञानिक: यह गुफा पूर्णरूपेण प्राकृतिक है, शिवलिंग प्राकृतिक कारणों से बनता है!ईश्वर,जीव और प्रकृति त्रेतवाद के सिद्धांत के अनुसार यदि कोई वस्तु प्राकृतिक तरीके से बनती है तो उसी प्रकार वह खत्म होती है,जैसे यह शिवलिंग गर्मी पाकर खत्म हो जाता है। यहां आस्था है लोगों की ईश्वर के चमत्कार पर,जबकि यह चमत्कार है प्रकृति का…फूल,पेड़ पौधे क्या ये चमत्कार नहीं हैं? बादलों का बनना क्या चमत्कार नहीं है…नहीं…नहीं…यह चमत्कार नहीं सब वैज्ञानिक सिद्धांतों के कारण हैं। मेरा ईश्वर जिसे महादेव भी कह सकते हैं,उसे दयालु और न्यायकारी कहा जाता है। वह बड़ा ही दयालु है,क्योंकि उसने हमें कर्म करने की स्वतंत्रता दी है और वह बड़ा ही न्यायकारी भी है, क्योंकि जैसा हम जैसा कर्म करते हैं,वह वैसा ही फल देता है…
बाबा अमरनाथ का सबसे बड़ा राज, इसलिए नहीं है अमरनाथ ज्योतिर्लिंग
अमरनाथ तीर्थ का नाम लेते ही एक ऐसी गुफा का ध्यान हो आता है जहां भगवान शिव और देवी पार्वती का निवास माना जाता है। कश्मीर की मनोरम पहाड़ियों के बीच बसा यह गुफा न जाने कितने रहस्यों को समेटे हुए है। कहते हैं कि शिव पार्वती यहां आज भी एक कबूतर के रूप में वास करते हैं। इस गुफा में साल के कुछ महीनों में एक अद्भुत शिवलिंग प्रकट होता है जो हिम का बना होता है। इसलिए बाबा अमरनाथ को भक्त बाबा बर्फानी के नाम से भी जाने जाते हैं।
शिव पार्वती का है निवास फिर भी अमरनाथ ज्योतिर्लिंग क्यों नहीं?
अमरनाथ तीर्थ के बारे में कहा जाता है कि यहां पर भगवान शिव ने देवी पार्वती को एक दिव्य कथा सुनाई थी जिसे सुनने के बाद मृत्यु नहीं आती यानी व्यक्ति अमर हो जाता है। इस घटना की याद दिलाने के लिए अमरनाथ तीर्थ के यात्रा मार्ग में कई निशानियां मौजूद हैं। माना तो यह भी जाता है कि जो व्यक्ति अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन करता है उसके पाप कट जाते हैं और व्यक्ति को शिव लोक की प्राप्ति होती है। इतनी खूबियों और शक्तियों के बावजूद अमरनाथ तीर्थ को ज्योतिर्लिंग के रुप में मान्यता प्राप्त नहीं है। आइये जानें आखिर इसकी क्या वजह है।
शिव पार्वती का है निवास फिर भी अमरनाथ ज्योतिर्लिंग क्यों नहीं?
why amarnath is not a jyotirling
अमरनाथ ज्योतिर्लिंग नहीं है इसे जनने से पहले यह भी जानना जरुरी है कि ज्योतिर्लिंग कौन कौन हैं तो सबसे पहले इनके नाम जान लीजिए- सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ॐकारेश्वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, काशी विश्वनाथ, त्रयम्बकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर, घृष्णेश्वर। इन सभी ज्योतिर्लिंगों में एक बात समान है जो अमरनाथ में नहीं है।
शिव पार्वती का है निवास फिर भी अमरनाथ ज्योतिर्लिंग क्यों नहीं?
अमरनाथ शिवलिंग की उत्पत्ति किसी भक्त की श्रद्धा और भक्ति से नहीं हुई है। अमरनाथ में शिव और देवी पार्वती अपनी इच्छा से अमर कथा सुनने सुनाने आए थे। जिसका प्रतीक चिन्ह है हिमलिंग। जबकि सभी ज्योतिर्लिंग शिव के भक्तों की प्रार्थना और तपस्या से प्रकट हुआ है जैसे सोमनाथ चन्द्रमा की तपस्या से, केदारनाथ भगवान विष्णु के नर नारायण रूप की तपस्या से, रामेश्वरम भगवान श्री राम की तपस्या से।
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शिव पार्वती का है निवास फिर भी अमरनाथ ज्योतिर्लिंग क्यों नहीं?
दूसरी बात जो सभी ज्योतिर्लिंग में समान है वह यह है कि सभी ज्योतिर्लिंग नित्य हैं यानी हमेशा कायम रहते हैं। जबकि अमरनाथ में ऐसा नहीं है यहां कुछ समय के लिए ही हिम का लिंग निर्मित होता है और विलीन हो जाता है। ज्योतिर्लिंग होने की दूसरी शर्त यह है कि लिंग नित्य और स्थायी होना चाहिए।
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शिव पार्वती का है निवास फिर भी अमरनाथ ज्योतिर्लिंग क्यों नहीं?
बाबा बर्फानी का यह चित्र गुफा का सबसे ताजा चित्र बताया जा रहा है, हालांकि आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
ज्योतिर्लिंग के बारे में शिव पुराण में बताया गया है कि यह भक्तों की भक्ति से प्रकट होता है। सृष्टि में जब पहले बार भगवान शिव प्रकट हुए तो वह अनंत स्तभ वाले ज्योति रूप में प्रकट हुए थे। इसके आदि अंत का पता भगवान विष्णु और ब्रह्मा भी नहीं लगा पाए थे। उसी समय भगवान शिव ने कहा था कि वह भक्तों के कल्याण के लिए उनकी प्रार्थना पर प्रकट होंगे। जहां-जहां भगवान शिव इस तरह प्रकट हुए वह ज्योतिर्लिंग कहलाया।
शिव पार्वती का है निवास फिर भी अमरनाथ ज्योतिर्लिंग क्यों नहीं?
ज्योर्तिलिंग की सबसे बड़ी बात यह है कि यह साक्षात शिव स्वरूप होता है क्योंकि और ऐसा भक्तों को दिए गए वरदान के कारण है जबकि अमरनाथ ऐसा नहीं है वह शिव पार्वती का प्रतीक चिन्ह है। यह शिव का स्थायी निवास न होकर अस्थायी निवास है।