अमेरिकी 31 ड्रोन डील पक्की,कीमतों पर होगी सौदेबाजी
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अमेरिका के साथ भारत की ड्रोन डील हो गई पक्की? सरकार ने बताया साफ-साफ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान अत्याधुनिक प्रीडेटर ड्रोन की खरीद के समझौते को मंजूरी दे दी गई है। हालांकि, रक्षा मंत्रालय का साफ कहना है कि अमेरिका के साथ ड्रोन सौदे की कीमत अभी तक तय नहीं की गई है। रक्षा मंत्रालय ने ड्रोन सौदे से संबंधित कीमत और खरीद की शर्तों पर सोशल मीडिया में वायरल की जा रही रिपोर्ट को गलत बताया है।
नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका के साथ हुए ड्रोन सौदे में कीमत के साथ अधिग्रहण प्रक्रिया को लेकर सोशल मीडिया में साझा की जा रही रिपोर्ट को खारिज किया है। रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि भारत ने अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी ड्रोन की खरीद के लिए कीमत और अन्य शर्तों को अभी तय नहीं किया है। मंत्रालय ने कहा कि वह ड्रोन खरीद लागत की तुलना इसके विनिर्माता जनरल एटॉमिक्स (जीए) द्वारा अन्य देशों को बेची गई कीमत से करेगा और खरीद निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार की जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वाशिंगटन की उच्च स्तरीय यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका ने ड्रोन खरीद समझौते को मंजूरी दी थी। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में ड्रोन सौदे से संबंधित कीमत और खरीद की शर्तों पर सोशल मीडिया में प्रसारित की जा रहीं रिपोर्ट को अटकलबाजी बताया और कहा कि इन्हें किसी उद्देश्य से फैलाया जा रहा है।
बयान में कहा गया है, ‘इसके निहित स्वार्थ हैं और इनका उद्देश्य उचित अधिग्रहण प्रक्रिया को बाधित करना है। खरीद की कीमत और अन्य शर्तों को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है और इस पर बातचीत हो रही है।’ बयान के अनुसार, ‘इस संबंध में सभी से अनुरोध है कि वे फर्जी खबरें न फैलाएं, जो सशस्त्र बलों के मनोबल पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं और अधिग्रहण प्रक्रिया को बाधित कर सकती हैं।
प्रीडेटर रीपर ड्रोन की विशेषता
एमक्यू-9 रीपर ड्रोन 500 प्रतिशत ज्यादा पेलोड ले जा सकता है और इसका हॉर्स पावर पहले के एमक्यू-1 प्रीडेटर की तुलना में 9 गुना है. लगातार निगरानी करने समेत कई प्रकार से इसकी क्षमता ज्यादा बताई गई है. एमक्यू-9 रीपर की क्षमता 27 घंटे से ज्यादा है. इसकी स्पीड 240 केटीएएस है. यह 50,000 फीट तक उड़ान भर सकता है. भारत के पास एमक्यू 9बी रीपर होने से हिंद महासागर और चीन के साथ लगी सीमा पर निगरानी क्षमताओं में वृद्धि होगी.
Who Is Dr Vivek Lall Playing A Pivotal Role Behind India’s Relations With Us In The Defense Sector
जानिए कौन हैं यह डील कराने वाले डॉ. विवेक लाल
Dr Vivek Lall Profile: भारत को जल्दी ही अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन मिलने शुरू हो जाएंगे। इससे सीमाओं की निगरानी का काम आसान हो जाएगा। यह ड्रोन लगातार 36 घंटे तक उड़ान भरने के साथ ही मिसाइल और स्मार्ट बम से अचूक निशाना लगा सकता है। जानिए इस डील को संभव बनाने वाले शख्स डॉ विवेक लाल के बारे में…
हाइलाइट्स
भारत को अमेरिका से ड्रोन मिलने का रास्ता हुआ साफ
31 प्रीडेटर ड्रोन के लिए अगले महीने शुरू होगी प्रोसेस
इस डील को कराने में डॉक्टर विवेक लाल की महत्वपूर्ण भूमिका
भारत को अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन (Predator-B drone) मिलने का रास्ता साफ हो गया है। माना जा रहा है कि जुलाई में इन्हें खरीदने की प्रोसेस शुरू हो जाएगी। इसी फिस्कल ईयर में इनकी खरीद के लिए अमेरिका के साथ कॉन्ट्रैक्ट पर साइन होने की संभावना है। उसके बाद अगले छह-सात साल में चरणबद्ध तरीके से इन ड्रोन्स को खरीदा जाएगा। यह डील करीब 29,000 करोड़ रुपये की हो सकती है। सरकार की योजना इनमें से 15 ड्रोन नौसेना को और आठ-आठ ड्रोन सेना और एयर फोर्स को देने की योजना है। इस ड्रोन को MQ-9 Reaper भी कहा जाता है। यह एक बार में 36 घंटे तक उड़ान भर सकता है। इसका इस्तेमाल सीमाई इलाकों में दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया जा सकता है। साथ ही इस पर मिसाइल और स्मार्ट बम भी लगे होते हैं जो दुश्मन के ठिकाने को तबाह कर सकती है। इस डील को संभव बनाने में जनरल एटॉमिक्स ग्लोबल कॉरपोरेशन में चीफ एग्जीक्यूटिव डॉक्टर विवेक लाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
जनरल एटॉमिक्स के सीईओ विवेक लाल का भारत के साथ गहरा जुड़ाव रहा है। वह भारतीय मूल के हैं जिनका जन्म इंडोनेशिया के जकार्ता में हुआ था। उनका यह स्ट्रॉन्ग कनेक्शन भारत के लिए बहुत मददगार साबित हुआ है। लाल बोइंग, रेथिअन और लॉकहीड मार्टिन जैसी बड़ी रक्षा कंपनियों के साथ भी अहम पदों पर काम कर चुके हैं। वह बोइंग की इंडिया यूनिट के भी हेड रह चुके हैं। साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ भी काम कर चुके हैं। लेकिन जून 2020 में उनके जनरल एटॉमिक्स का सीईओ बनना भारत के लिए महत्वपूर्ण टेक्नॉलाजी हासिल करने को बड़ा मौका था
डिफेंस डील में महत्वपूर्ण भूमिका
विवेक लाल ने भारत-अमेरिका के बीच हुए कई रक्षा सौदों में अहम भूमिका निभाई है। इन रक्षा सौदों में ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट C-17 ग्लोबमास्टर की डील, P-81 एंटी-मरीन वारफेयर एयरक्राफ्ट और हार्पून मिसाइल सौदे शामिल हैं। जनरल एटॉमिक्स पहले से ही दोनों सरकारों के साथ मिलकर भारत को डिफेंस सेक्टर में टेक्नॉलजी सपोर्ट मुहैया कराने की दिशा में काम कर रही है। साथ ही उसने भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ देसी कंपनियों से भी पार्टनरशिप की है। मोदी की पिछले अमेरिका यात्रा में लाल ने उनसे वन-टू-वन मीटिंग की थी जिसमें भारत को प्रीडेटर ड्रोन का रास्ता साफ हुआ था।
डॉ. विवेक लाल ने साल 2007 में बोइंग में टॉप पोजिशन हासिल की थी। उनके चलते ही भारत और अमेरिका के बीच डिफेंस डील कराई थी। बोइंग में अपने पूरे करियर के दौरान उन्होंने एक से बढ़कर एक मिलिट्री डील को अंजाम दिया। इसमें भारत के साथ P8I Anti Submarine Warfare Aircraft से लेकर C17 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, एंटी-शिप हारपून मिसाइल्स, अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्टर और अन्य रक्षा सौदे शामिल हैं।इसके बाद वह लॉकहीड मार्टिन एरोनॉटिक्स में स्ट्रैटजी और बिजनेस डेवलपमेंट के वाइस प्रेसिडेंट रहे। बाद में उन्हें अमेरिका की सरकार ने फेडरल एडवाइजरी कमेटी में अहम सलाहकार नियुक्त किया। इसके बाद वह दो साल तक वाशिंगटन डीसी के ट्रांसपोर्टेशन डिपार्टमेंट में रहे और इस तरह उन्हें अमेरिका के साथ-साथ ग्लोबल लेवल पर एविएशन पॉलिसी को प्रभावित करने का मौका मिला। उनकी ही कोशिशों का फल रहा कि भारतीय नौसेना को एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर्स हासिल हुए। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने पिछले साल अक्टूबर में लाल को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया था।
ड्रोन की खूबी
यह ड्रोन हवा में लगातार 36 घंटे तक उड़ान भर सकता है। यह 50 हजार फीट की ऊंचाई पर 3000 किमी तक सफर कर सकता है। कहने के लिए यह ड्रोन है लेकिन किसी भी अडवांस्ड फाइटर जेट से कम नहीं है। इस पर खतरनाक मिसाइलें फिट हो सकती हैं। यह अचूक निशाने के साथ दुश्मन के ठिकाने को तबाह कर सकता है। यह न सिर्फ अडवांस्ड सर्विलांस सिस्टम से लैस है बल्कि खामोशी से टारगेट पर सटीक निशाना लगाने में माहिर है। प्रीडेटर ड्रोन से ही अमेरिका ने ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी को मारा था।