अयोध्या ने कांग्रेस को भेजा न्याय यात्रा पर
Uttar Pradesh Ayodhya Congress Leader Sonia Gandhi Mallikarjun Kharge May Not Attend Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha Mahotasava
I.N.D.I.A. के बड़े नेता नहीं जाएंगे अयोध्या, सोनिया -खरगे भी खामोश, जानिए क्यों उलझन में है कांग्रेस
22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में इंडिया गठबंधन के नेता दूर ही रहेंगे। अयोध्या में कांग्रेस नेताओं की मौजूदगी को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। गांधी परिवार के करीबी सैम पित्रोदा और शशि थरूर ने जो राय रखी है, उससे लगता है कि कांग्रेस ज्यादा उलझन में है। जिन नेताओं को निमंत्रण दिया गया है, वे भी खामोश हैं। कांग्रेस नेताओं के बयान और समारोह के दौरान ही राहुल गांधी की न्याय यात्रा प्लान कर पार्टी ने संकेत जरूर दिए हैं।
मुख्य बिंदु
1-कांग्रेस के नेता निमंत्रण नहीं मिलने पर सवाल उठाते रहे, आमंत्रित होने के बाद नहीं आया बयान
2-इंडिया गठबंधन के नेता सीताराम येचुरी, ममता बनर्जी, लालू यादव और नीतीश नहीं जाएंगे अयोध्या
3-कांग्रेस की आशंका, राम मंदिर समारोह में जाने से खिसक सकता है मुस्लिम वोट बैंक
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से क्यों दूर रहेगी कांग्रेस
अयोध्या 28 दिसंबर: राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह से जहां भाजपा खुलकर राजनीतिक पिच पर बैटिंग कर रही है, वहीं इंडी गठबंधन खासकर कांग्रेस उलझन में दिख रही है। 30 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में होंगे। भाजपा नेता अयोध्या की गलियों में घूम रहे हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस नेतृत्व अभी तक यह तय नहीं कर पाया है कि सोनिया गांधी, अधीर रंजन चौधरी और मल्लिकार्जुन खरगे जैसे वरिष्ठ नेता प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे या नहीं। इंडिया गठबंधन की पार्टनर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी और टीएमसी प्रमुख ने साफ कर दिया है कि वे इस कार्यक्रम में नहीं जायेंगें। हालांकि टीएमसी ने अभी आधिकारिक तौर से अपने फैसले के बारे में जानकारी नहीं दी है। कांग्रेस राम मंदिर पर अभी भी असमंजस में है। पार्टी की दुविधा यह है कि अगर सोनिया और खरगे जैसे नेता प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाते हैं तो मुस्लिम वोट बैंक नाराज हो सकता है, जो लंबे समय बाद दक्षिण भारत में कांग्रेस से जुड़ा है। अगर पार्टी इस समारोह से किनारा करती है तो हिंदुत्व विरोधी का ठप्पा और गहरा हो जाएगा, जिसका असर लोकसभा चुनावों में दिखेगा।
अयोध्या के राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। समारोह को श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से राजनेताओं, उद्योगपति, एक्टर्स और खिलाड़ी जैसे सेलिब्रिटी को न्योता भेजा गया है। न्योते को लेकर विपक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा पर हमला भी बोला। इंडिया गठबंधन के दलों ने आरोप लगाया कि विपक्ष के नेताओं को निमंत्रण नहीं दिया जा रहा है, जबकि राम मंदिर का निर्माण चंदे से हुआ है। इसके बाद विपक्ष के कई नेताओं को ट्रस्ट की ओर से निमंत्रण गया। इन नेताओं में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, अधीर रंजन चौधरी, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, लालू यादव, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी शामिल हैं। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव को अभी न्योता नहीं मिला है, हालांकि सांसद डिंपल यादव ने बयान दिया कि वह राम मंदिर में दर्शन जरूर करेगी। अखिलेश यादव ने भी समारोह में जाने के संकेत दिए हैं। इस बीच सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने बताया कि वह किसी धार्मिक कार्यक्रम में शामिल नहीं होगे जबकि ममता बनर्जी ने इसे राजनीतिक कार्यक्रम बताते हुए अयोध्या आने से इनकार कर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नीतीश कुमार और लालू यादव भी समारोह में शामिल नहीं होंगे।
समारोह से पहले राहुल ने किया न्याय यात्रा का प्लान
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस की ओर से कौन शामिल होगा? अभी तक पार्टी से कोई जवाब नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपनी उम्र और स्वास्थ्य की वजह इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगें। सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन पर सबकी नजरें टिकी हैं। कांग्रेस महासचिव से जब यह सवाल पूछा गया तो उन्होंने इसे टाल दिया। दूसरी ओर सांसद शशि थरूर और गांधी परिवार के करीबी सैम पित्रोदा के बयान से संकेत मिले कि कांग्रेस भी इस आयोजन से दूरी बना सकती है। शशि थरूर ने कहा कि वह धर्म को व्यक्तिगत विशेषता के रूप में देखते हैं, न कि राजनीतिक दुरुपयोग को। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा मंदिर निर्माण का राजनीतिक लाभ चाहती है। सैम पित्रोदा ने भी कहा कि कभी-कभार मंदिर जाना तो ठीक है, मगर उसे मेन स्टेज नहीं बना सकते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में शामिल होने पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मंदिरों में समय बीता रहे हैं, यह मुझे परेशान करती है। वह भारत के प्रधानमंत्री है, न कि किसी पार्टी के। इस बीच कांग्रेस ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से एक सप्ताह पहले राहुल गांधी की न्याय यात्रा शुरू करने की घोषणा कर दी। जब राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव शुरू होगा, तब राहुल गांधी नॉर्थ ईस्ट में पदयात्रा पर होंगें।
धर्मसंकट में कांग्रेस, मुस्लिम वोटर न छिटक जाए
जब से राम मंदिर का मुद्दा राजनीति में आया, कांग्रेस इससे बचकर ही रही। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सॉफ्ट हिंदुत्व की नीति पर चलते हुए कई मंदिरों में दिखे, मगर वे राम मंदिर पर खामोश ही रहे। सुप्रीम कोर्ट फैसले के बाद जब राम मंदिर का श्रेय भाजपा और हिंदू संगठनों ने खुलकर बटोरना शुरू किया, तब कांग्रेस नेता ताला खुलवाने का श्रेय राजीव गांधी को देते नजर आए। हालांकि कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं ने हमेशा राम मंदिर पर संभलकर ही बयान दिया। कांग्रेस पिछले एक दशक से मुस्लिम वोटर अपने पक्ष में लाने का यत्न कर रही है। उत्तर प्रदेश,बिहार समेत पूरे देश में 1989 तक मुस्लिम वोटर कांग्रेस के पक्ष रहे। इसका परिणाम रहा कि कांग्रेस लंबे समय तक केंद्र और राज्यों की सत्ता में बनी रही। बाद में उसका यह वोट बैंक आरजेडी, समाजवादी पार्टी, डीएमके, वीआरएस जैसे क्षेत्रीय दलों की ओर खिसक गया। दक्षिण के राज्यों कर्नाटक और तेलंगाना के पिछले विधानसभा चुनाव में एक बार फिर मुसलमानों ने कांग्रेस को वोट किया और वह सत्ता में लौटी। इन चुनावों में मुसलमान वोटरों ने कांग्रेस को भाजपा के मुकाबले क्षेत्रीय दलों को वरीयता दी। अभी तक के चुनावी सर्वे में कांग्रेस के दक्षिण भारत के राज्यों में बढ़त मिलती नजर आ रही है। यही पार्टी का धर्मसंकट है। अगर वह राम मंदिर समारोह में जाती है तो यह वोट बैंक खिसक सकता है।