पहलगाम का दोषी कौन? TRF तो मुखौटा है…कश्मीर में क्या जड़ें जमा रहा लश्कर?
Pahalgam Terror Attack 2025 Pakistan-based Terrorist Outfit Lashkar-e-taiba Trf Key Suspect In Valley
पहलगाम का गुनहगार कौन, टीआरएफ तो केवल मुखौटा…कश्मीर में क्या फिर से जड़ें जमा रहा लश्कर?
पहलगाम हमले में लश्कर-ए-तैयबा का हाथ होने का संदेह है, TRF सिर्फ एक दिखावा है। सुरक्षा एजेंसियों ने मूसा नामक एक पाकिस्तानी आतंकवादी का स्केच जारी किया है, जो पहले भी कई हमलों में शामिल रहा है। जांच में पता चला है कि हमले में 5-6 आतंकवादी थे, जिनमें कुछ पाकिस्तानी और कुछ स्थानीय लोग शामिल थे।
लश्कर-ए-तैयबा पर पहलगाम हमले का शक, TRF केवल मुखौटा
हमले में शामिल पाकिस्तानी आतंकियों की पहचान की जा रही है
एजेंसियां आतंकियों के समर्थन में स्थानीय लोगों से पूछताछ कर रही
TRF claims responsibility Pahalgam attack
लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के एक संगठन, द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने पहलगाम में पर्यटकों पर हुए भयानक हमले की जिम्मेदारी ली है।
नई दिल्लीः पहलगाम में हुए हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ होने का शक है। सुरक्षा एजेंसियां अब इस मामले में लश्कर को ही मुख्य संदिग्ध मान रही हैं। पहले लग रहा था कि TRF (The Resistance Front) ने हमला किया है, लेकिन अब पता चला है कि TRF सिर्फ एक दिखावा है। प्रत्यक्षदर्शियों ने कुछ बातें बताई हैं, जिनके आधार पर सुरक्षा एजेंसियों ने कुछ संदिग्धों के स्केच बनाए हैं। इन स्केच से पता चलता है कि इस हमले में मूसा नाम का एक पाकिस्तानी आतंकवादी शामिल था। मूसा लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य है और पहले भी कश्मीर में कई हमलों में शामिल रहा है। उसके साथ एक लोकल आतंकवादी भी था, जिसने पाकिस्तान में ट्रेनिंग ली थी और फिर J&K में घुसपैठ की थी।
TRF ने इस हमले की जिम्मेदारी ली
जांच में पता चला है कि हमले में 5-6 आतंकवादी शामिल थे। इनमें कुछ पाकिस्तानी थे, जो मुख्य हमलावर थे। इसके अलावा, कम से कम दो लोकल लोग भी थे। इनमें अनंतनाग का आदिल ठोकर और अवंतीपोरा का आसिफ शेख शामिल हैं। इन्होंने हमलावरों को रास्ता दिखाया और उनके रहने-खाने का इंतजाम किया। TRF ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। लेकिन सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि TRF सिर्फ एक मुखौटा है। लश्कर-ए-तैयबा ने TRF को इसलिए बनाया है ताकि वह अपने आतंकी हमलों को ‘लोकल विरोध’ बता सके और दुनिया को दिखा सके कि कश्मीर में लोग भारत सरकार से नाराज है।
सुरक्षा एजेंसियां अनंतनाग, श्रीनगर, कुलगाम और पुलवामा जैसे जिलों में कई लोगों से पूछताछ कर रही हैं। माना जा रहा है कि ये लोग आतंकियों के समर्थक हो सकते हैं। उनसे यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि हमलावरों की पहचान क्या है, वे कहां से आए थे और उन्हें लोकल लोगों ने कैसे मदद की। अधिकारी यह भी जानना चाहते हैं कि किसने हमलावरों को रहने के लिए जगह दी और उनके लिए बाकी चीजों का इंतजाम किया।
पाकिस्तान ने हमले से पल्ला झाड़ा
पाकिस्तान ने इस हमले से खुद को अलग बताया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि उनके देश का इस हमले से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने इसे भारत के ‘हिंदुत्व शासन’ के खिलाफ ‘घर में पनपा’ विद्रोह बताया है। हालांकि, पाकिस्तान की सरकार और सेना इस मामले पर बात करने के लिए एक मीटिंग करने वाले हैं। इस मीटिंग में वे भारत के उस फैसले पर भी बात करेंगे, जिसमें भारत ने सिंधु जल संधि को रद्द कर दिया है और पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंध कम कर दिए हैं।
पाकिस्तानी सैनिक हो सकते हैं आतंकवादी
जांचकर्ताओं को शक है कि हमले में शामिल पाकिस्तानी आतंकवादी पाकिस्तान की सेना के स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) के हो सकते हैं। इन आतंकवादियों के पास M-4 कार्बाइन और AK-47 जैसी बंदूकें थीं। माना जा रहा है कि ये बंदूकें पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैयबा के आकाओं ने ISI के साथ मिलकर मंगवाई थीं। यह भी शक है कि हमले के दौरान कुछ आतंकवादी इलाके में सुरक्षा बलों की गतिविधियों पर नजर रख रहे थे, जबकि बाकी पाकिस्तानी हमलावर फायरिंग कर रहे थे।
कौन हैं पहलगाम के हत्यारे?
सुरक्षा एजेंसियों ने हमले में शामिल तीन आतंकवादियों के स्केच जारी किए हैं। NIA की एक टीम J&K पुलिस के साथ मिलकर इस मामले की जांच कर रही है। गृह मंत्रालय जल्द ही इस मामले की जांच NIA को सौंप सकता है।
पाकिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग ली
जिन हमलावरों की पहचान हुई है, उनमें आदिल ठोकर उर्फ आदिल गुरी भी शामिल है। वह अनंतनाग का रहने वाला है और उसने पाकिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग ली थी। आसिफ शेख अवंतीपोरा का है और वह पहले भी विदेशी आतंकवादियों को रास्ता दिखा चुका है। आसिफ फौजी नाम का एक और संदिग्ध है, जिसके बारे में एजेंसियों को शक है कि वह मूसा है। मूसा लश्कर-ए-तैयबा का एक खतरनाक आतंकवादी है और वह काफी समय से कश्मीर में एक्टिव है।
जुनैद भी लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी
मूसा पहले जुनैद अहमद भट के साथ काम करता था। जुनैद भी लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी था और कुलगाम का रहने वाला था। दिसंबर 2024 में सुरक्षा बलों ने उसे Dachigam इलाके में मार गिराया था। जुनैद का नाम अक्टूबर 2024 में गांदरबल के गागनगीर में हुए हमले में भी आया था। उस हमले में छह मजदूर और एक डॉक्टर मारे गए थे। इसके अलावा, उसी महीने बारामूला के बूता पथारी में हुए हमले में भी जुनैद का हाथ था। उस हमले में सेना के दो जवान और दो पोर्टर मारे गए थे। मूसा एक बार सोपोर में एक मुठभेड़ में फंस गया था, लेकिन वह भागने में सफल रहा था।
लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े दो आतंकी
जांच में दो और आतंकवादियों के नाम सामने आए हैं – सुलेमान शाह और अबू तलहा। ये दोनों भी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए हैं। हालांकि, J&K सरकार के एक अधिकारी ने कहा है कि अभी तक उनकी पहचान पूरी तरह से नहीं हो पाई है। बाइसरन में स्टॉल लगाने वाले कुछ लोगों ने भी इस हमले को देखा था, लेकिन उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ। उनसे भी पूछताछ की जा रही है ताकि इस साजिश के बारे में कुछ पता चल सके।
एक अधिकारी ने कहा, ‘एक बात साफ है, लश्कर-ए-तैयबा ने पाकिस्तान से इस हमले की योजना बनाई और इसे अंजाम दिया। उन्होंने जानबूझकर इस हमले को उस समय करवाया, जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे डी वेंस भारत दौरे पर थे और पीएम नरेंद्र मोदी सऊदी अरब की यात्रा पर थे। उन्होंने इस जगह को इसलिए चुना क्योंकि यहां पर्यटकों की भीड़ होती है, यहां सिर्फ पैदल ही पहुंचा जा सकता है और यहां नागरिकों को छिपने के लिए कोई जगह नहीं है। हालांकि, आसपास के जंगल हमलावरों को आसानी से भागने में मदद करते हैं।’
एक सुरक्षा अधिकारी से पूछा गया कि आतंकवादियों ने महिलाओं को क्यों नहीं मारा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में बैठे आतंकी आकाओं को डर था कि अगर वे ऐसा करते हैं तो भारत की सेना कड़ी कार्रवाई कर सकती है। इसलिए, वे हमले को एक सीमा में रखना चाहते थे। अधिकारी ने कहा, ‘यह उनकी एक बड़ी गलती थी।” बाइसरन के आसपास के जंगलों में तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। कई टीमें आतंकवादियों का पीछा कर रही हैं। हवाई निगरानी भी की जा रही थी, लेकिन खराब मौसम के कारण इसे बंद करना पड़ा।’
Bharti Jain
मूसा, तल्हा, ठोकर.. पहलगाम हमले में शामिल तीन में से दो आतंकी पाकिस्तानी, तीनों लश्कर से जुड़े
मूसा, तल्हा, ठोकर.. पहलगाम हमले में शामिल तीन में से दो आतंकी पाकिस्तानी, तीनों लश्कर से जुड़ेPahalgam Terrorist Attack: जम्मू-कश्मीर पुलिस की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार ये तीनों ही लश्कर ए तैयबा के आतंकी है और इनमें से दो पाकिस्तान के हैं.
मूसा, तल्हा, ठोकर.. पहलगाम हमले में शामिल तीन में से दो आतंकी पाकिस्तानी, तीनों लश्कर से जुड़ेपहलगाम हमले में शामिल तीन में से दो आतंकी पाकिस्तानी, तीनों का लश्कर ए तैयबा से ताल्लुक
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जिम्मेदार तीन आतंकियों की पहचान कर ली गई है. जम्मू-कश्मीर पुलिस की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार ये तीनों ही लश्कर ए तैयबा के आतंकी है, इनमें से दो पाकिस्तान के हैं. इनकी पहचान हासिम मूसा उर्फ सुलेमान, अली भाई उर्फ तल्हा भाई और आदिल हुसैन ठोकर के रूप में हुई है. मूसा और तल्हा पाकिस्तानी नागरिक हैं. तीनों पर ही पुलिस ने 20-20 लाख रूपए का ईनाम रखा है. जो भी इनके बारे में जानकारी देगा, उसे यह राशि पुलिस के तरफ से दी जाएगी. 22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाकर किए गए इस कायराना आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई जबकि कई अभी घायल हैं.
हमले के बाद भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियां एक्शन मोड में हैं. भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि पर रोक लगाने का फैसला किया है. पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को कम कर दिया है, दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग से राजनयिकों और रक्षा बलों के अधिकारियों को निष्कासित कर दिया है. साथ ही पाकिस्तानी नागरिकों को दिए गए सभी वीजा रद्द कर दिए हैं, और उन्हें 48 घंटों में छोड़ने के लिए कहा है. इसने अटारी सीमा चेकपोस्ट को भी तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है और पाकिस्तानी नागरिकों को मिले सार्क वीजा को भी निलंबित करने का निर्णय लिया है.
धरती के अंतिम छोर तक पीछा करके मारेंगे, आतंकियों को पीएम मोदी की दो टुक
बिहार के मधुबनी में गुरुवार, 24 अप्रैल को एक रैली में पीएम मोदी ने इस आतंकी हमले को लेकर अपने इरादे साफ कर दिए हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों और उनके आकाओं को ऐसी सजा मिलेगी, जिसकी उन्होंने कल्पना तक नहीं की होगी. जो लोग इस आतंकी साजिश के पीछे हैं, उन्हें सजा मिलकर रहेगी. भारत की आत्मा पर हमला करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि एक अरब 40 करोड़ लोगों की इच्छाशक्ति से देश इसका मुंहतोड़ जवाब देगा. उन्होंने पहलगाम पर भारत के भावी ऐक्शन की बात को अंग्रेजी में भी दोहराया. इसे दुनिया के देशों को संदेश माना जा रहा है।