आचार्यश्री सौरभ सागर महामुनिराज की विद्यार्थियों को अहिंसा मार्ग अपना सात्विक भोजन की प्रेरणा
देहरादून 09 सितंबर 2025। परम पूज्य संस्कार प्रणेता 108 आचार्य श्री सौरभ सागर महामुनिराज ने अपने आशीर्वचन में छात्र-छात्राओं को अहिंसा के मार्ग पर चलने तथा सात्विक भोजन करने का संदेश दिया।
परम पूज्य संस्कार प्रणेता ज्ञानयोगी आचार्य श्री सौरभ सागर महाराज के पावन सानिध्य में आज 09 सितम्बर को श्री वर्णी जैन कॉलेज में विज्ञान प्रयोगशाला भवन का भूमि पूजन व सबमर्सिबल पंप का लोकार्पण किया गया ।
विद्यालय में प्रयोगशाला कक्षों का निर्माण अल्पसंख्यक आयोग के सौजन्य से कराया जा रहा हैं । इस अवसर पर आयोग के पूर्व अध्यक्ष डाॅक्टर आर के जैन तथा आयोग के सचिव जे॰एस ॰रावत ने छात्र- छात्राओं को अल्पसंख्यक आयोग की छात्रवृत्तियों के बारे में बताया।
विद्यालय के प्रबंध कार्यकारिणी समिति ने समस्त दानदाताओं का भी आभार व्यक्त किया जिनके सहयोग से विद्यालय सबम्रसिबल पंप की व्यवस्था की गई ।
महामुनिराज जी ने अपने आशीर्वचन में छात्र- छात्राओं को अहिंसा के मार्ग पर चलने तथा सात्विक भोजन करने का संदेश दिया।
श्री वर्णी जैन इंटर कॉलेज के बच्चों ने मंगलाचरण एवं स्वागत गीत पर सुंदर व भव्य प्रस्तुति दी । इस अवसर पर विद्यालय प्रबंध कार्यकारिणी समिति ,विद्यालय की प्रधानाचार्य डॉक्टर शुभि गुप्ता, नरेश चंद जैन, मधु सचिन जैन व समस्त शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।
दिगंबर जैन महासमिति *आदि अनादि संभाग* ने आचार्य श्री सौरभ सागर महाराज के सानिध्य में आज 9 सितंबर 2025 को आदि अनादि संभाग के सौजन्य से संभाग अध्यक्ष कल्पना जैन ने एक गोष्ठी का आयोजन किया जिसका विषय था युवा पीढ़ी क्षमा वाणी पर्व की कितनी प्रासंगिकता है
कार्यक्रम में सर्वश्रेष्ठ वक्ता को सम्मानित किया गया गोष्ठी में सभी ने अपने विचार रखे जिनमें कहा गया कि युवा पीढ़ी के लिए क्षमावाणी पर्व आज भी अत्यधिक प्रासंगिक है क्योंकि यह प्रेम, मैत्री, करुणा, और आत्म-शुद्धि का संदेश देता है, जो आधुनिक जीवन की भाग-दौड़ में संबंधों को मधुर बनाए रखने और व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक हैं। यह पर्व अहंकारी भावनाओं से मुक्ति दिलाकर जीवन में विनम्रता और सहनशीलता का भाव लाता है, जिससे समाज में शांति और सद्भाव का प्रसार होता है।
युवा पीढ़ी के लिए क्षमावाणी पर्व की प्रासंगिकता का आशय है कि यह पर्व अपनी गलतियां स्वीकार करने, अहंकार पर विजय पाने और स्वयं को शुद्ध करने का अवसर प्रदान करता है। यह युवाओं को अपनी कमियों को पहचानकर उन्हें सुधारने को प्रेरित करता है।