इतिहास: न्यायिक स्वतन्त्रता और कांग्रेस के प्रतिबद्ध भारत के मुख्य न्यायाधीशगण
भारतीय न्याय व्यवस्था में कांग्रेस का काला इतिहास
1973 में इंदिरा गाँधी ने
न्यायमूर्ति A.N. रे को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में बैठा दिया वो भी तब जब उनसे वरिष्ठ न्यायधीशों न्यायमूर्तिगण JM शेलात, KS हेगड़े और AN ग्रोवर की सूची सामने थी.
अंततः हुआ यह कि नाराज़ इन तीनों न्यायधीशों ने त्यागपत्र दे दिया,,.।। आज ऐसा हो तो क्या होगा? कल्पना करके देखिये तो जरा!!!!!
इसके बाद कांग्रेस ने पार्लियामेंट में बेधड़क जवाब दिया, कि ‘यह सरकार का काम है कि किसे मुख्य न्यायधीश रखें और किसको नहीं । हम उसी को बिठाएंगे जो हमारी विचारधारा के पास हो. ।।
और आज वही लोग न्यायाधीशों की आज़ादी की बात करते हैं,,?
1975 में न्यायाधीश जगमोहन सिन्हा को एक फैसला सुनाना था. फैसला था राजनारायण बनाम इंदिरा गांधी के चुनावी भ्रष्टाचार के मामले का. उनको फ़ोन आता है जिसमें कहा जाता है, ‘अगर तुमने इंदिरा गाँधी के ख़िलाफ़ फैसला सुनाया, तो अपनी पत्नी से कह देना कि इस साल करवा चौथ का व्रत न रखे। इसका न्यायमूर्ति सिन्हा ने शांत दिया कि मेरा भाग्य,मेरी पत्नी का देहांत 2 महीने पहले ही हो चुका है ।।
इसके बाद न्यायमूर्ति सिन्हा ने एक ऐतिहासिक निर्णय दिया जो आज भी उज्ज्वल उदाहरण माना जाता है. इसने कांग्रेस सरकार की चूलें हिला दी और इसी से बचने को इंदिरा गाँधी और कांग्रेस ने ‘इमरजेंसी’ जनता पर थोप दी . देश को नहीं, इंदिरा गाँधी को बचाना था।।
1976 में A.N. रे ने इंदिरा गाँधी की कृपा का बदला चुकाया शिवकांत शुक्ला बनाम ADM जबलपुर के केस में. उनकी बैठाई पीठ ने उनके सभी मौलिक अधिकारों को खत्म कर दिया….
उस पूरी पीठ में मात्र एक बहादुर न्यायाधीश थे जिनका नाम था न्यायमूर्ति HR खन्ना जिन्होंने साथी मुख्य न्यायधीश को कहा कि ‘क्या आप खुद को आईने में आँख मिलाकर देख सकते हैं?’
इस पीठ में न्यायाधीश AN रे, HR खन्ना, MH बेग, YV चंद्रचूड़ और PN भगवती शामिल थें.
यह सब मुख्य न्यायाधीशों की लिस्ट में आये सिर्फ एक न्यायधीश को छोड़ कर। जिनका नाम था न्यायधीश HR खन्ना जी. खन्ना जी को इंदिरा गाँधी की सरकार ने दण्डित किया और अनुभव तथा वरिष्ठता में उनसे नीचे बैठे न्यायधीश MH बेग को देश का मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया.
यह था भारत के लोकतंत्र का हाल कांग्रेस के राज में!
यही न्यायाधीश MH बेग रिटायरमेंट के बाद नेशनल हेराल्ड के डायरेक्टर बना दिये गए. यह नेशनल हेराल्ड अखबार वही अखबार है जिसके घोटाले में आज सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी ज़मानत पर छूटे हुए हैं. यह पूरी तरह से कांग्रेस का अखबार था और एक प्रकार से कांग्रेस के मुखपत्र की तरह काम करता था. आश्चर्यजनक रूप से न्यायाधीश बेग ने अपॉइंटमेंट स्वीकार कर लिया.
राहुल गाँधी का ‘संविधान को खतरा’ वाले सवाल पर उनके मुँह पर यह जानकारियां मारी जानी चाहिए और उनसे पूछना चाहिए कि क्या इस प्रकार से ही बचाना चाहते हो लोकतंत्र को?
बात यहीं खत्म नहीं हुई बल्कि 1980 में इंदिरा गाँधी सरकार में वापस आयी और इसी MH बेग को अल्पसंख्यक कमीशन का चैयरमैन नियुक्त कर दिया गया. वह इस पद पर 1988 तक रहे और उनको ‘पद्म विभूषण’ से राजीव गाँधी की सरकार द्वारा सम्मानित भी किया गया था.
1962 में न्यायाधीश बेहरुल इस्लाम का एक और नया केस सामने आया जो आपको जानना अति आवश्यक है.
इस्लाम कांग्रेस के राज्य सभा के MP थें 1962 के दौरान ही और उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था. हार गए थे.
वो दोबारा 1968 में राज्य सभा के MP बनाये गए. कांग्रेस की ही तरफ से (सीधी सी बात है.)
उन्होंने 1972 में राज्य सभा से इस्तीफा दे दिया और उनको गुवाहाटी हाई कोर्ट का न्यायाधीश बना दिया गया.
1980 में वो सेवानिवृत्त हो गए।
परंतु जब इंदिरा गाँधी 1980 में दोबारा वापस आयी तो इन्हीं श्रीमान इस्लाम को ‘न्यायाधीश बेहरुल इस्लाम’ की उपाधि वापस दी गयी और सीधे सुप्रीम कोर्ट का न्यायधीश बना दिया गया. गुवाहाटी हाई कोर्ट से सेवानिवृत्त होने के 9 महीने बाद का यह मामला है भाई साहब।
इंदिरा गांधी पूरी तरह से यह चाहती थी कि सभी न्यायालयों पर उनका ‘कंट्रोल’ हो. उस समय इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी और कांग्रेस पर लगे आरोपों की सुनवाई विभिन्न न्यायालयों में हो रही थी. वो इंदिरा गाँधी के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुए और साफ तौर पर कांग्रेस के लिए भी।
‘न्यायाधीश’ इस्लाम ने एक महीने बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया और फिर एक बार असम के बारपेटा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े. लोकतंत्र का इससे बड़ा मज़ाक क्या होगा…?
जिस चुनाव में वो खड़े होने वाले थे उस साल चुनाव नहीं हो पाए। अतः उनको एकबार फिर से कांग्रेस की तरफ से राज्य सभा का MP बना दिया गया।
याद रखें, लोकतंत्र के लिए जिस प्रकार से कांग्रेस आज छाती पीट रही है, उसी ने लोकतंत्र का गला सबसे ज़्यादा बार घोंटा है ।।

