उत्तराखंड बनने पर क्या हुआ?-1 सीमांत घेस में यूं खुला इंटर कॉलेज
बहुत सारे लोग यह कहते हैं कि इस राज्य का गठन नहीं होना चाहिए था। इससे अच्छे तो हम उत्तर प्रदेश में ही थे। विकास तो कुछ हुआ नहीं, हां इतना जरूर हुआ है कि पटवारी एसडीएम बन गये और जिनको प्रधान नहीं बनना था वो मंत्री बन गये। इस तरह की बहुत सारी बातें इस राज्य के तथाकथित हितैषी बनने वाले तमाम लोग कहते हैं।
नवंबर २००० में जब इस राज्य का गठन हुआ तो मेरा दावा है कि जनपद चमोली के देवाल विकासखंड की कैल घाटी (घेस घाटी) सबसे ज्यादा अविकसित व पिछड़ी रही होगी। इस सबसे पिछड़े क्षेत्र में इन १८ वर्षों में क्या क्या हुआ उसकी एक-एक कड़ी को जोड़ने की कोशिश करूंगा। पिछली पोस्ट में इस क्षेत्र के विकास में सहयोगी रहे प्रमुख लोगों का संक्षिप्त आभार जताने की कोशिश थी अब विकास के प्रत्येक पत्थर की कहानी अलग-अलग। प्रस्तुत है पहला भाग:-
####@#@##############
आली बुग्याल में लिखी गयी थी घेस इंटर कालेज की स्क्रिप्ट
घेस के सफर का पहला कदम।
—————————————————————–
बात २००३ की है, दिन तो ठीक से याद नहीं है। मेरे चाचा जी और तब घेस के प्रधान कैप्टन केशर सिंह जी का फोन आया। पूछने लगे कि कमिश्नर गढ़वाल सुभाष कुमार साहब वेदिनी के भ्रमण पर आ रहे हैं क्या। मैंने कहा पता करके बताता हूं। कमिश्नर साहब जा रहे थे, मैंने उनसे कहा आप भी साथ में जाओ, अच्छा परिचय हो जाएगा। कुछ दिन बाद उनका फोन आया तो बताने लगे, हम लोग रूपकुंड तक घूम कर आ गये। उनको आली बुग्याल से घेस भी दिखा दिया, उनको स्कूल की जरूरत के बारे में बताया है। अब इसको तुम देख लेना। इस साल कैसे भी हो हाईस्कूल खुलवानी है। वे रोज पूछते कि कमिश्नर से मुलाकात हुई कि नहीं। एक दिन तो नाराज़ भी हो गये।
कमिश्नर साहब की व्यस्तता की वजह से मुलाकात नहीं हो पा रही थी। फिर मुलाकात हुई तो रूपकुंड के बारे में काफी चर्चा हुई। मैंने कहा सर आपने घेस भी देखा तो कहने लगे हां तुम्हारा गांव तो बहुत कम हाइट पर है मेरा तो ११००० फीट पर है। अरे हां वो कैप्टन क्या नाम है उनका, वेरी इंट्रैस्टिग पर्सन। स्कूल की बात हुई तो उन्होंने तुरंत तब के शिक्षा सचिव एम. रामचन्द्रन साहब को फोन लगा दिया। मेरी बात भी करवा दी। रामचन्द्र साहब ने कहा तुम प्रस्ताव मंगा लो फिर देखते हैं।
फिर शुरू हुआ काम। उस समय के घेस-हिमनी के बीडीसी मेंबर कलम सिंह पटाकी को इस काम में लगाया। कलम सिंह ने फाइल को ब्लाक से, जिला मुख्यालय से अग्रसारित कराते हुए पौड़ी तक पहुंचाया। पौड़ी में उस समय संयुक्त निदेशक मौजूद नहीं थे तो कलम को लौटना पड़ा। पौड़ी से फिर इस फ़ाइल को अग्रसारित करवाने में पत्रकार मित्र राकेश रमण शुक्ला ने सहयोग किया और देहरादून निदेशालय से केएस पिमोली जी ने फाइल शासन को भिजवायी।
ये कहानी बताने के पीछे दो कारण है एक तो यह कि इस काम में जिन लोगों का सहयोग रहा उनका आभार जताना जरूरी है। और दूसरा यह कि यह इतना आसान भी नहीं था क्योंकि विकासखंड देवाल से ही वाण, जैनबिष्ट, सवाड़, मानमती खेता, चोटिंग और तोरती सहित कई और स्कूलों को उच्चारण करने की मांग पिछले कई सालों से चल रही थी। वाण, जैनबिष्ट और सवाड़ स्कूलों के उच्चीकरण के लिए तो चमोली के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता रामचंद्र उनियाल जी जैसे बड़े नेता पैरवी कर रहे थे, लेकिन घेस स्कूल के लिए हम लोग ही जूझ रहे थे। ऐसे में समझा जा सकता है कि घेस हाईस्कूल के रास्ते में हैं बहुत सारी अड़चनें भी थी।
एक रोज सूचना निदेशालय के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी गोपाल सिंह राणा जी का फोन आया कि स्कूलों के उच्चीकरण की लिस्ट निकलने की बात हो रही है तुम्हारी स्कूल का क्या हुआ। मैंने पता किया तो लिस्ट में देवाल ब्लाक का कोई भी स्कूल नहीं था। बहुत निराशा हुई। सुभाष कुमार साहब को फोन लगाया तो बताने लगे कि रामचन्द्र साहब ने वादा किया था। मैं अभी त्यूणी जा रहा हूं, वहां मुख्यमंत्री जी को नयी तहसील का उद्घाटन करना है। रास्ते में सिग्नल कम है और रामचन्द्रन साहब से बात करने की कोशिश करता हूं। करीब एक घंटे बाद कमिश्नर साहब का कालबैक आया तो बताया कि आपका स्कूल हो रहा है एक और लिस्ट निकल रही है। और कुछ दिन बाद चार पांच स्कूलों की लिस्ट निकली तो उसमें देवाल से सिर्फ जूनियर हाईस्कूल घेस का ही नाम था। रामचन्द्र साहब और सुभाष कुमार साहब का विशेष आभार।
हाईस्कूल से इंटर कालेज की चुनौती भी बहुत बड़ी थी हरीश रावत जी के कार्यकाल में जैसे तैसे इसका शासनादेश हो ही गया। तत्कालीन शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी जी ने इसके लिए बड़ी पहल की सब कुछ ठीक-ठाक चला था, लेकिन अचानक 2016 में एक बड़ा झटका लगा मेरे ही गांव के 1 शिक्षक हैं डा. कृपाल सिंह भंडारी। उनका फोन आया और बताया कि भाई साहब वो इंटर कालेज का तो गड़बड़ लग रहा है। गांव के नरेंद्र बिष्ट का चयन इस बार प्रवक्ता के लिए हुआ है वह घेस में अपनी सेवाएं देना चाहता है, लेकिन वहां काउंसलिंग सूची में घेस इंटर कॉलेज का नाम ही नहीं है। इसलिए नरेंद्र ने ल्वाणी चुन लिया।
अगले दिन गांव के कई लोग जिनमें मोहन सिंह बिष्ट, धन सिंह भंडारी और कुछ अन्य साथियों के साथ मैं भी शिक्षा निदेशक के पास पहुंचा। कुंवर साहब ने पूरा मामला दिखाया और बताया कि आप के यहां से छात्र संख्या मांगी थी और छात्र संख्या न आने की वजह से यह संख्या 0 लिखी गयी है। इसलिए काउंसलिंग सूची में नव उच्चीकृत विद्यालय के रूप में घेस शामिल नहीं था। उन्होंने कहा कि देखते हैं क्या कर सकते हैं।
इसके ठीक अगले दिन संभवतया 5 या 6 जुलाई की बात है शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे जी की पत्रकार वार्ता विधानसभा में थी। इसी बीच पौड़ी के एक व्यक्ति ने उनके सामने इसी तरह का प्रकरण रखा कि उनके इंटर कॉलेज का जीओ हो गया है लेकिन काउंसलिंग में नाम नहीं है और प्रवेश शुरू नहीं हो पा रहे। पांडे जी ने उसकी चिट्ठी रख ली और कहा कि आप बाद में मिलिए मैं पत्रकार भाइयों से बात कर लूं। मैंने पांडे जी को कहा कि भाई साहब ऐसा ही मामला मेरे गांव के स्कूल का भी है। जीओ हो रखा, लेकिन प्रवेश नहीं हो रहे हैं। वो कहने लगे अरे अर्जुन भाई ये हरीश रावत जी ने दुनिया भर की स्कूलों के जीओ कर दिया है और मैं तो एक भी स्कूल नहीं खोल रहा। क्योंकि कहीं स्कूल चलाने के लिए कहीं एकमोडेशन नहीं है तो कहीं बच्चे भी नहीं हैं। इस पर मैंने कहा मेरे गांव में 60 बच्चे एडमिशन लेने के लिए तैयार बैठे हैं अगर स्कूल नहीं खुला तो अगले 10 दिन बाद वे सब आपके आवास के बाहर धरने पर बैठ जाएंगे। पांडे जी बोले नहीं अब तो बहुत समय हो गया बच्चे अन्य स्कूलों में चले गए होंगे। मगर काफी बहस के बाद उन्होंने बात मान ली और एक एप्लीकेशन लिखने को कहा। उसके तुरंत बाद उन्होंने महानिदेशक शिक्षा कैप्टन आलोक शेखर तिवारी जी को फोन किया और बताया कि भाई चमोली में एक गांव है घेस। यहां इंटर कॉलेज का जीओ हो रखा है। जैसी भी हो तुरंत एडमिशन शुरू करवा लो स्टाफ बाद में भेजते रहेंगे।
इतनी सारी कहानी लिखने के पीछे है मेरा उद्देश्य है कि घेस इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे उस संघर्ष को समझें कि आज आप अपने गांव में ही रहकर इंटर तक की पढ़ाई कर कर पा रहे हैं। आपको पूरे मनोयोग से पढ़ना है और अपने गांव के लिए आगे काम करना है इसी शुभकामना के साथ आपका शुभेच्छु। Kalam Pataki # Drkripal Bhandari # Gopal Singh Rana Trilok Bisht Ram Singh Bisht Dharmendra Singh Bisht. Dhan Shing Dhan Singh Bhandari Dhan Singh Bisht. Kapoor Chandra Mishra