उत्तराखंड में एक लाख जनों को मिलेगा संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण: धामी
उत्तराखंड में हिंदी नहीं संस्कृत होगी सामान्य जन की बोलचाल की भाषा, एक लाख लोगों को दिया जाएगा प्रशिक्षण
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड योग आयुष ऋषि-मुनियों और संस्कृत की भूमि रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सचिवालय में उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की सामान्य समिति की 10वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए ये निर्देश दिए कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी कार्यालयों में नाम पट्टिका संस्कृत भाषा में भी हो। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार संस्कृत के प्रचार-प्रसार को प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं.
यज्ञ, कर्मकांड और वेद में सर्टिफिकेट कोर्स की होगी व्यवस्था: धामीपहले चरण में 100 बच्चों को 16 संस्कार के बारे में मिलेगा प्रशिक्षण
सभी कार्यालयों में संस्कृत में नामपट्टिका अनिवार्य
देहरादून 24 अप्रैल 2025। राज्य में संस्कृत शीघ्र सामान्य बोलचाल की भाषा बनेगी। इसके लिए एक लाख व्यक्तियों को चरणबद्ध तरीके से आनलाइन और आफलाइन माध्यम से सरल संस्कृत संभाषण का प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ में यज्ञ, कर्मकांड और वेद में सर्टिफिकेट कोर्स प्रारंभ किए जाएंगे। पहले चरण में 100 बच्चों, और इसके बाद प्रत्येक वर्ष एक लक्ष्य निर्धारित कर युवाओं को 16 संस्कारों के बारे में बताया जाएगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सचिवालय में उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की सामान्य समिति की 10वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए ये निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा से युवाओं को रोजगार से जोड़ने को विशेष प्रयास किए जाएं।
संस्कृत का अध्ययन कर रहे बच्चों को 16 संस्कार के बारे में बेहतर प्रशिक्षण की व्यवस्था की होनी चाहिए। संस्कृत के क्षेत्र में शिक्षण, लेखन एवं संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्द्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वालों को प्रत्येक वर्ष सम्मान राशि दी जाए।
सभी कार्यालयों में संस्कृत में नामपट्टिका अनिवार्य
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड योग, आयुष, ऋषि-मुनियों और संस्कृत की भूमि रही है। राज्य की द्वितीय राजभाषा संस्कृत को तेजी से बढ़ावा देने को जिलों में नोडल अधिकारियों की तैनाती हा। विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में संस्कृत में वाद-विवाद, निबंध लेखन, श्लोक प्रतियोगिताएं कराई जाएं।
यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी कार्यालयों में नाम पट्टिका संस्कृत भाषा में भी हो। जिन राज्यों में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए अच्छा कार्य हुआ है, उनकी बेस्ट प्रैक्टिस का अध्ययन कर उत्तराखंड में भी क्रियान्वित किया जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए और प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।
संस्कृत ग्राम योजना ब्लाक स्तर तक होगी विस्तारित: डाक्टर धन सिंह
संस्कृत शिक्षा मंत्री डाॅक्टर धन सिंह रावत ने कहा कि अभी प्रत्येक जिले के एक गांव समेत कुल 13 गांवों को संस्कृत ग्राम बनाया जा रहा है। इसे चरणबद्ध तरीके से ब्लाक स्तर तक विस्तारित किया जाएगा। उन्होंने राज्य में संस्कृत के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना और पुजारियों को प्रोत्साहन योजना का सुझाव दिया। बैठक में समिति के सदस्यों ने सुझाव दिए कि प्रतियोगी परीक्षाओं में संस्कृत के प्रश्न जोड़े जाने चाहिए। संस्कृत में शोध को बढ़ावा दिया जाए। राज्य में संस्कृत को बढ़ावा देने के संबंध में भावी कार्ययोजना पर विस्तार से चर्चा हुई।
वेद अध्ययन केंद्र बनेंगे
यह तय किया गया कि वेदों के अध्ययन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए वेद अध्ययन केंद्र बनेंगे। सराहनीय कार्य करने वाले संस्कृत विद्यालयों को पुरस्कृत किया जाएगा। संस्कृत में विभिन्न समसामयिक विषयों पर लघु फिल्म बनाने के लिए प्रतियोगिता होगी।
संस्कृत के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए देश -विदेश के विश्वविद्यालयों, संस्कृत अकादमी, संस्कृत संस्थानों की ओर से चलाए जा रहे कार्यक्रमों, गतिविधियों से संबंधित सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए राज्य में सम्मेलन किया जाएगा। संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार ने राज्य में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे कार्यों और भावी योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
आतंकी हमले में मृत व्यक्तियों को श्रद्धांजलि
बैठक में दो मिनट का मौन रखकर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए कायराना आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष व्यक्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर प्रमुख सचिव रमेश कुमार सुधांशु, प्रमुख सचिव न्याय प्रदीप पंत, सचिव वी षणमुगम, संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार के कुलपति प्रोफेसर दिनेश चंद्र शास्त्री, अपर सचिव ललित मोहन रयाल एवं समिति के अन्य सदस्य उपस्थित थे।