एकलव्य
प्रथम तो एकलव्य कोई दलित, पिछड़ा, आदिवासी, शोषित वंचित नहीं था। एकलव्य मगध साम्राज्य के प्रधान सेनापति हिरण्यधनु का पुत्र था और हिरण्यधनु स्वयं श्रींगेरपुर राज्य का राजा था। दूसरी बात की द्रोणाचार्य ने उसे उसकी जाति की वजह से शिक्षा देने से मना नहीं किया, क्योंकि द्रोणाचार्य ने शूद्रों के साथ-साथ ब्राह्मण और वैश्यों को भी शिक्षा नहीं दी उन्होंने केवल अपने पुत्र अश्वत्थामा को ही शिक्षा दी और वही एक मात्र ब्राह्मण था। यदि शुद्र को शिक्षा न देने से द्रोणाचार्य शुद्र विरोधी हुए तो फिर ब्राह्मण और वैश्य को शिक्षा न देने से वह ब्राह्मण और वैश्य विरोधी क्यों नहीं हुए?
द्रोणाचार्य ने केवल राजपूतों को ही शिक्षा देने का वचन ले रखा था क्योंकि उनका उद्देश्य द्रुपद से बदला लेना था।