कहां छोड आये अध्ययन मनन और चिंतन?
‘Hello I am leaving on 11th November’ वाला पोस्ट आपने कई लोगों की सोशल मीडिया वाल पर पढ़ लिया होगा | ये है क्या ? अगर आपको भी ये अजीब सा मज़ाक लगा हो तो थोड़ा सा पीछे जाइए | पीछे मतलब कबीर के युग में | फिर आप कबीर के दोहे याद कीजिये |
एक जो प्रसिद्ध सा दोहा था वो कुछ ऐसा कहता है :-
कबीरा खड़ा बाजार में, लिए लुकाठी हाथ |
जो घर बारे आपना, सो चले हमारे साथ ||
आपको क्या लगता है कबीर आपको अपना घर जला के अपने साथ कहीं की यात्रा पर चलने कह रहे हैं ? जाहिर है जवाब नहीं है | वो किसी घर को जलाने की बात नहीं कर रहे | वो prejudice को, inhibitions को, आपकी मूर्खता को जलाने और पीछे छोड़ने की बात करते हैं | आखरी बार पांच सौ पन्ने कब पढ़े थे पूरे – पूरे वो भी सोचिये | जिसकी रोज की जॉगिंग की आदत है उसके साथ एक दिन में अचानक पांच किलोमीटर आप नहीं दौड़ सकते ये भी याद रखिये |
अगर आपको कबीर, नानक, तुलसीदास, या कहिये कि किसी भी लेखक का लिखा समझना है तो आपको पूरी बात पढ़नी होगी | अगर दोहा है तो पूरा सन्दर्भ पढ़ना होगा फिर दोहे को देखिये | अगर चौपाई है तो चार लाइन में से एक लाइन पढ़ के हा हुसैन का विलाप मत शुरू कर दीजिये | कई बार लोगों का पढ़ने का अभ्यास कम होता है | आखरी किताब पूरी बरसों पहले पढ़ी थी | शब्दों के अर्थ और उनके प्रयोग की जानकारी कभी रही भी होगी तो भूल गए होंगे इतने साल में |
कई बार आपको शब्द ही नहीं शब्दों के बीच में भी पढ़ना होगा | जो लिखा गया है वही नहीं, जो बिना लिखे कह दिया गया वो भी पढ़ना होगा | कम से कम शब्दों में कई बार ज्यादा बात कही जाती है | जंगल की आग जैसा फैलना कहने के लिए एक शब्द दवानल भी काफी होगा | लेकिन दवानल का मतलब पता हो तब ना ? कम अभ्यास और उस से भी कम पृष्टभूमि की जानकारी पर पूरा कैसे समझ लिया ?
पूरा – पूरा समझने के लिए कई बार लिखे हुए को बार – बार पढ़ने की जरूरत भी होती है | कई बार पूरा समझाने के लिए लेखक अपने लिखे को बार- बार सुधारता भी है | जिसे कई बार हजारों सालों में सुधारा गया है ऐसा कुछ पढ़ रहे हैं तो गलती ढूंढ पाने की संभावना कितनी होगी ? और हमने जो फेसबुक पोस्ट आज लिखा मगर फिर खुद ही भूल गए और दोबारा देखा ही नहीं, उसके पूरा सही होने की संभावना कितनी होगी ?
बाकी शब्दों के बीच पढ़ने की बात पर आश्चर्य है तो, ऊपर के किसी भी पैराग्राफ में “मूर्ख” या “घमंडी” जैसे शब्द तो कहीं इस्तेमाल नहीं हुए हैं ना ? क्या कहा गया है वो फिर कैसे समझ आया ?
✍🏻आनन्द कुमार