कू बोनो?
कू बोनो याद है ? अर्थात् किसी घटना से कौन लाभ उठा रहा है ?
गांधी वध ने किस पार्टी को 70 वर्ष तक निर्बाध सत्ता मिली ?
किसकी पाँचवी पीढ़ी रेहन राजीव गांधी अपना नाम लिख रही है ?
अब कुमार पवन जी की पोस्ट ध्यान से पढ़िए ।
20 जनवरी 1948 के दिन गांधी की सभा में एक बम धमाका हुआ।
बम फेंकने वाले का नाम था …मदन लाल पहवा !
जो पाकिस्तान से आया शरणार्थी था ! नाथूराम गोडसे के साथ गाधी की हत्या की योजना बनाई थी !
20 जनवरी को ही मदन लाल पहवा पकड़ लिया गया !
कहते हैं कि पुलिस की पूंछताछ मे उसी दिन मदन लाल पहवा ने बता दिया था कि.. महाराष्ट्र के एक समाचारपत्र का एडीटर षड्यंत्र में शामिल हैं ..और मुख्यतः उसी का षड्यंत्र हैं !
गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को हुई !
20 जनवरी को बमकांड गिरफ्तार किये गये मदन लाल पहवा ..से प्राप्त सूचना के आधार पर नेहरू के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार , दिल्ली पुलिस व मुम्बई पुलिस ..ये पता नहीं लगा पायी की बमकांड कर्ता व प्रमुख षड्यंत्र कर्ता कौन हैं ??
दस दिन तक बाम्बे मे इसकी …सूचना प्रसारित नहीं हूई…???
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उपरोक्त तथ्यों को ध्यान से पढ़िये ..मनन करिये और फिर प्रश्न करिये ..स्वयं से !
30 ..जनवादी 1948 को शाम पांच बजे के लगभग गांधी की हत्या की गयी …!
उस समय न तो फेसबुक था ..न ही व्हाटस् एप !
टेलीविजन भी नहीं था !
और न ही साधारण लोगो के पास टेलीफोन ही हुआ कर्ता था !
लेकिन ..चार घटे के अंदर अंदर …पूरे बाम्बे व महाराष्ट्र में न केवल हत्यारे के नाम व उसकी जाति की खबर फैला दी गयी..अपितु ये तक फैला दिया गया कि..वो किस किस्म का ब्राह्मण था !
जी हा…खबरें फैला दी गयी कि वो चित्तपावन ब्राह्मण था !
अब तो परिणाम क्या हुआ ??
जिन चित्तपावन ब्राह्मणो के वर्ग के व्यक्तियो ने मुगलो से लेकर अंग्रेजो के तक के विरुद्ध संघर्ष में नेतृत्व प्रदान किया…उन्ही के विरुद्ध …गांधीवादी ,अहिंसा के पुजारी…लोग आक्रमण शुरू कर दिया !
हा…तत्कालीन सरकार ने ये जरूर ध्यान रख कि चित्तपावन ब्राह्मण मारे तो जाये …लेकिन कितने मारे जाये इसका समाचार देश के दूसरे कोने में न फैले !!
जरा,…फिर से दिमाग लगाये…।
चित्तपावन ब्राह्मणों के खिलाफ हिंसा की खबर दिल्ली व उत्तर प्रदेश में प्रसारित न हो सकी सालो तक …तो कैसे दिल्ली से महाराष्ट्र तक ये खबर फैल गयी …कि गांधी को मारने वाला चित्तपावन ब्राह्मण था ..??
20 जनवरी 1948 ..के बमकांड मे जो गिरफ्तार हुआ था ..उसी से प्राप्त सूचना के आधार पर खबर क्यु नहीं फैली ?? किसी अखबार का एडीटर की पहचान न हो पाये दस दिन तक ???.
यो चार घंटे में हत्यारे कि जाति ब्राह्मण …न केवल ब्राह्मण बल्कि कौन सा ब्राह्मण था उसकी भी खबर प्रसारित हो गयी ?????
और उन्ही ब्राह्मणो के खिलाफ दंगो उनके हत्याकांड की खबर उत्तर भारत में प्रसारित न हो पायी साठ वर्षों तक ??
पाप छुपता नहीं ! जिन विदेशी अखबारो ने गांधी की हत्या की खबरे छापी थी ..उन्ही अखबारो ने बाम्बे के दंगो व उसमे मरने वालो की कुछ संख्या की भी खबरे छाप दी थी !! अन्यथा गाधी की सत्य व अहिंसा पर चलने वाले गांधी प्रेमी / अहिंसक गांधीवादी तो …बिल्कुल झूठ बोल कर निकल जाते हैं !?
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सावरकर के एक छोटे भाई थे। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। समाज सेवक थे ! डाक्टर थे ! अच्छे डाक्टर थे !
अहिंसक गांधीवादियो की भीड़ ने उनको पीट पीट कर मरणासन्न कर दिया !! कुछ दिनो में उनकी मृत्यु हो गयी थी।
और उत्तर भारत के लोग…??
कितनी …धूर्त व बेशर्म लोग हैं… जिनको गोंडसे का कृत्य तो याद हैं…
लेकिन उन अहिंसा के पुजारियो द्वारा किया गया नरसंहार ..नहीं याद आता ???