घरवापसी कर रहे समृद्धि के लोभ और लाल पानी पीकर ईसाई बने लोग
‘लाल पानी’ पिलाकर बनाया ईसाई, दिन बदलने का दिया था झाँसा, 4 साल बाद भी झोपड़े में कट रहे दिन… मीना ने की घर वापसी, बताया- चर्च के लोग ही हमसे लेते थे पैसा
ईसाई में धर्मांतरण
ईसाई में धर्मांतरण की प्रतीकात्मक तस्वीर (साभार: AI Leonardo)
राजस्थान के बाँसवाड़ा में ईसाई धर्म अपनाए लोग खुद ही घर वापसी कर रहे हैं। वहाँ की चर्च को मंदिर में बदला जा रहा है। सोडलदूधा गाँव के मंदिर में भैरवनाथ, भगवान राम आदि देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित की जा रही हैं। इस गाँव के चर्च के पादरी सहित 30 से अधिक ईसाइयों ने घर वापसी कर ली है। इन लोगों का दावा है कि बाकी के बचे हुए कुछ लोग जल्दी ही घर वापसी कर कर लेंगे।
गौतम गरासिया 30 साल पहले ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए थे। इसके बाद उनके साथ गाँव के 45 से अधिक लोगों ने ईसाई धर्म अपना लिया। उन्होंने धर्म का प्रचार करने के लिए मिशनरियों के सहयोग से एक चर्च भी बनवाया। उन्हें इस चर्च का पादरी बना दिया। चर्च के बदले उन्हें 1500 रुपए मासिक मिलते थे। यहीं पर हर रविवार को प्रार्थना सभा का आयोजन होता था। हालाँकि, वे घर वापसी कर चुके हैं।
हमारी ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक, पाँचवीं कक्षा तक पढ़े गौतम ने बताया कि वे मानसिक तनाव से गुजर रहे थे। इससे छुटकारा पाने के लिए वे हॉस्पिटल से लेकर देवी-देवताओं के चक्कर काटे, लेकिन फायदा नहीं हुआ। आखिरकार उनकी मुलाकात ईसाई धर्म का प्रचार करने वाले मिशनरियों से हुई। गौतम का कहना है कि मिशनरी के लोगों ने कहा कि यीशु की आराधना करो, शांति मिलेगी।
गौतम ने बताया कि मिशनरी के लोगों ने कुछ समय के बाद लाल रंग का दाकरस (खास प्रकार का जूस) पिलाते और मन परिवर्तन की बात करते थे। इस तरह उन लोगों ने इन्हें झाँसे में लेकर ईसाई धर्म में परिवर्तन करा दिया। चर्च बनाने के लिए पैसे देने के साथ-साथ किराया के रूप में 1500 महीना देने का लालच देकर अन्य लोगों को भी ईसाई धर्म से जोड़ने के लिए कहा। गौतम ने ऐसा ही किया।
गौतम का कहना है कि पिछले 30 सालों में ऐसा कुछ नहीं लगा कि उन्हें मानसिक शांति मिली है। उनका कहना है कि मानसिक से लेकर आर्थिक हालात आज भी जस के तस है। तीस साल में पक्की छत तक नहीं बना पाया। उन्होंने कहा कि ईसाई बन जाने के बाद अपने लोगों ने उनसे बोलना तक बंद कर दिया था। गौतम की 6 बेटियाँ और 5 बेटे सहित कुल 30 लोगों का परिवार है।
गौतम का कहना है कि कुछ समय पहले उन्होंने अन्य लोगों के साथ घर वापसी कर ली है। हालाँकि, उनकी पत्नी ईसाई धर्म छोड़ने के तैयार नहीं है। गौतम का कहना है कि ईसाई धर्म से सबसे ज्यादा वही प्रभावित थी। अब वह कहती है कि पति को छोड़ देगी, लेकिन ईसाई धर्म नहीं छोड़ेगी। फिलहाल वह गौतम को छोड़कर अपने मायके में है। इस तरह गौतम का परिवार भी बर्बाद हो गया।
वहीं, धर्मांतरण करने वाली मीना गरासिया ने बताया कि उसके पति मजदूरी करते हैं। प्रार्थना सभा में आने वाले लोग बच्चों की पढ़ाई, इलाज और रोजगार की बातें करते थे। इससे मीना को लगा कि उसके परिवार का भी भला हो जाएगा। इसके बाद मीना ने अपने पति और बच्चों के साथ ईसाई धर्म अपना लिया। अब मीना का कहना है कि ईसाई बने चार साल हो गए, लेकिन उसका जीवन नहीं बदला।
मीना का कहना है कि वह और उसका पति आज भी मजदूरी ही करते हैं। मीना ने बताया मिशनरियों के आने वाले लोगों की सेवा करते करते उसके घर गहने भी बिक गए। वे पैसा नहीं देते थे और आने-जाने को पेट्रोल एवं खाने-पीने के पैसे अलग से माँगते थे। मीना का कहना है कि इससे परेशान होकर वह वापस अपने धर्म में लौट आई। इसी तरह एक हिंदू लड़के से शादी करने को एक ईसाई हिंदू बन गई।
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय सह-मंत्री स्वामी रामस्वरूप का कहना है कि इस इलाके में पिछले 150 साल से ईसाई धर्मांतरण चल रहा है। उन्होंने कहा कि बांसवाड़ा और डूंगरपुर में धर्मांतरण कराने वाले दूसरे प्रदेश से आकर रहने लगे। धीरे-धीरे 400 छोटे स्कूल खोले। वे लोगों के लिए दवा की व्यवस्था करते थे। दवा के बहाने प्रार्थना सभा करते और फिर चर्च खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि लोगों में अब जागरूकता आ रही है और वे खुद ही इसका विरोध कर रहे हैं. Topics:Christians Hindu Rajasthan Religious Conversion ईसाई धर्मांतरण राजस्थान हिंदू