चीन में तबाही मचा रहे ह्यूमन मेटा न्यूमो वायरस का खतरा भारत में कितना?
human Hmpv First found case in India know how dangerous is this new virus
Human Metapneumovirus: चीन वाले खतरनाक वायरस की भारत में एंट्री, अमेरिकी डॉक्टर से जानिए आप कैसे रहें सुरक्षित
नई दिल्ली
चीन में तबाही मचाने वाला ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस अब भारत में भी पहुंच गया है। बंगलूरू में इसके पहले मामले की पुष्टि की गई है, यहां आठ महीने की बच्ची को इस वायरस से संक्रमित पाया गया है।
अमेरिका में एचएमपीवी संक्रमितों का इलाज कर रहे डॉक्टर रविंद्र गोडसे इस वायरस के बारे में सारी जरूरी जानकारी दी है।
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी)
पूरी दुनिया कोरोना महामारी से उबर ही रही थी, इसी बीच चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के कारण फिर से कोविड-19 के पीक जैसे हालात बनने लगे। अस्पतालों और श्मशान में बढ़ती भीड़ की खबरों और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो ने दुनियाभर की नींद उड़ा दी। वैसे तो ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस कोई नया वायरस नहीं है, हालांकि जैसी इसकी प्रकृति और संक्रामकता देखी जा रही है, कई रिपोर्ट यहां तक कहने लगे हैं कि अगर संक्रमण को कंट्रोल न किया गया तो ये पांच साल में एक और वैश्विक महामारी का कारण बन सकता है। 20-25 दिनों के भीतर ही एचएमपीवी ने चीन सहित दुनियाभर के स्वास्थ्य एजेंसियों की नींद उड़ा दी है।
चीन में फैलने वाला ये खतरनाक वायरस अब भारत में भी पहुंच गया है। सोमवार (6 जनवरी) तक देश में तीन बच्चों में संक्रमण पाया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कर्नाटक में दो बच्चों में एचएमपीवी संक्रमण पाया है। तीन महीने की बच्ची और आठ महीने के बच्चे में संक्रमण मिला है। इसके अलावा गुजरात के अहमदाबार में एक दो माह की बच्ची में भी संक्रमण की खबर है।
एचएमपीवी के वैश्विक खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को इससे बचाव के लिए उपाय करते रहने की सलाह दी है।
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस का खतरा – फोटो : freepik.com
अमेरिकन डॉक्टर ने दी सारी जानकारी
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के बढ़ते खतरों के बीच इस वायरस के बारे में समझने के लिए अमर उजाला ने अमेरिकी फिजिशियन डॉ रविंद्र गोडसे से बातचीत की। अमेरिका में एचएमपीवी संक्रमितों का इलाज कर रहे डॉक्टर रविंद्र बताते हैं ये बहुत गंभीर रोग वाला वायरस नहीं है। इससे ज्यादातर संक्रमितों में फ्लू जैसे लक्षण होते हैं, कुछ लोगों में इसके कारण अस्थमा या ब्रोंकाइटिस के मामले जरूर ट्रिगर हो सकते हैं। ये वायरस ज्यादातर कम उम्र के बच्चों और बुजुर्गों या फिर कमजोर इम्युनिटी वालों को अपना शिकार बना रहा है।
डॉक्टर कहते हैं, जैसे कोरोनावायरस में म्यूटेशन के बाद 2019-20 में नोवेल कोरोनावायरस आया और दुनियाभर में तबाही मचाई। माना जा रहा है कि एचएमपीवी में भी कुछ बदलाव हुए हैं, पर इसके ज्यादा खतरनाक साबित होने का डर कम है।
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) – फोटो : Freepik.com
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस को समझिए
डॉ रविंद्र गोडसे बताते हैं, एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है। ये दुनियाभर में 60 साल से अधिक समय से है और पिछले करीब 25 साल से हम सभी इसके बारे में जानते हैं। ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस को समझने के लिए पहले जानना होगा कि वायरस दो प्रकार के होते हैं- डीएनए और आरएनए। ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस, आरएनए वायरस है। डीएनए वायरस स्थिर होते हैं मतलब इसमें कोई बदलाव नहीं होता है वहीं आरएनए वायरस में म्यूटेशन होता रहता है।
डॉक्टर रविंद्र कहते हैं, अभी तक की प्रकृति या रोगियों को देखते हुए इतना समझा जा रहा है कि ये कोविड जैसी मुसीबतों का कारण तो नहीं बनने वाला है। हालांकि अभी एचएमपीवी के नए म्यूटेशनों पर विस्तृत अध्ययन की रिपोर्ट का इंतजार है।
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चीन में एचएमपीवी का खतरा – फोटो : Freepik.com
फिर चीन में कैसे बिगड़ गई स्थिति?
ऐसे में सवाल उठता है कि जब ये वायरस ज्यादा खतरनाक नहीं है तो फिर चीन में देखते ही देखते कैसे हालात खराब हो गए?
इस बारे में डॉक्टर रविंद्र बताते हैं, चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के बढ़ने और बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करने का मुख्य कारण वहां कोविड के दौरान लागू की गई ‘जीरो-कोविड पॉलिसी’ है। वहां मार्च 2020 में लॉकडाउन लगा जो बड़ी सख्ती के साथ दिसंबर 2023 तक चलता रहा। इस दौरान जन्म लेने वाले बच्चे न तो स्कूल गए, न ही उनका दूसरे लोगों से मिलना-जुलना या संपर्क ज्यादा हुआ। यही वजह रही कि ऐसे बच्चों में प्राकृतिक इम्युनिटी विकसित ही नहीं हो पाई। इस वजह से वहां बच्चे इन नए म्यूटेटेड वायरस से अधिक प्रभावित देखे जा रहे हैं।
भारत जैसे देश में बच्चे समय रहते अच्छी इम्युनिटी विकसित कर लेते हैं ऐसे में एचएमपीवी के भारत में बहुत फैलने या गंभीर रूप लेने की आशंका नहीं है।
संक्रमण से बचाव के लिए क्या उपाय करें? – फोटो : Freepik.com
भारत में बचाव से क्या करें?
डॉक्टर रविंद्र कहते हैं, भारत में न तो इससे बहुत ज्यादा खतरा है और न ही इससे बचाव के लिए कोई बहुत खास उपाय की आवश्यकता है।
श्वसन संक्रामक रोगों से बचाव के लिए कोविड में जो उपाय किए जाते रहे थे (जैसे हाथों की स्वच्छता और इम्युनिटी बढ़ाने के प्रयास) वही काफी हैं। जिन लोगों को पहले से कोमोरबिडिटी है या किसी गंभीर रोग का शिकार रहे हैं जिसने इम्युनिटी बहुत बिगाड़ दिया है उन्हें मास्क लगाने और सामाजिक दूर का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है, हालांकि सभी लोगों को न तो इससे बहुत चिंता की जरूरत है न ही ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस भारत में कोई बड़ा संकट लेकर आने वाला है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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