छांगुर पीर बाबा केस में नपेंगें सहयोगी अफसर
बलरामपुर: छांगुर मामले में अधिकारियों पर गिरेगी गाज, तब के ADM-CO और इंस्पेक्टर की भूमिका संदिग्ध,जांच शुरू
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, 2019 से 2024 के बीच बलरामपुर में तैनात एक एडीएम, दो सीओ और एक इंस्पेक्टर की भूमिका संदिग्ध मानी गई है. ये वही दौर था जब छांगुर ने जिले में अपने काले साम्राज्य को खड़ा किया और धर्मांतरण के रैकेट को मनमाने ढंग से ऑपरेट किया.
छांगुर के खिलाफ पुलिस की जांच जारी
बलरामपुर ,16 जुलाई 2025, जमालुद्दीन उर्फ छांगुर प्रकरण में शासन बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, 2019 से 2024 के बीच बलरामपुर में तैनात एक एडीएम, दो सीओ और एक इंस्पेक्टर की भूमिका संदिग्ध मानी गई है. ये वही दौर था जब छांगुर ने जिले में अपने काले साम्राज्य को बड़ा किया और धर्मांतरण के रैकेट को मनमाने ढंग से ऑपरेट किया.
बताया जा रहा है कि इस एडीएम और इंस्पेक्टर के खिलाफ यूपी एसटीएफ को पहले भी साक्ष्य मिले थे, लेकिन उस समय कार्रवाई नहीं की गई. हालांकि, अब पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद इन चारों अफसरों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. इतना ही नहीं जल्द ही दो तहसीलदार समेत कुछ और अफसरों को भी जांच के दायरे में लाया जाएगा.
छांगुर बाबा का धर्मांतरण जाल, अफसरों पर शिकंजा!
बता दें कि छांगुर ने बलरामपुर के उतरौला के मनकापुर रोड स्थित पांच करोड़ के शोरूम को दहेज में लिया था. ये दहेज उसकी करीबी नीतू उर्फ नसरीन की बेटी से अपने नाती की शादी कराने के एवज में लिया गया था.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 12 नवंबर 2023 को नीतू के नाम पर जमीन खरीदी गई, जिसे खतौनी में भी दर्ज करवा दिया गया. बाद में सामने आया कि यह जमीन तालाब के रूप में दर्ज है. नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी ने एडीएम को पत्र भेजकर जमीन को पाटने से रोकने को कहा था. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, क्योंकि तत्कालीन अफसरों की मिलीभगत थी.
यही नहीं छांगुर के खिलाफ हुई FIR में उसको बचाने के आरोप में पुलिस विभाग के कई अधिकारी जांच के दायरे में हैं. आरोप यहां तक है कि कई अधिकारियों ने मोटी रकम और गाड़िया भी छांगुर से उसको बचाने के एवज में ली हैं, जो अब जांच-पड़ताल के दायरे में आ गई है. फिलहाल, विभागीय जांच की सुगबुगाहट से महकमे में हड़कंप मचा हुआ है.
उधर, यूपी एटीएस की गिरफ्त में आए छांगुर को लेकर लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. बताया गया कि छांगुर नेपाल सीमा से सटे गांवों में इस्लामिक मूवमेंट फैलाने क धर्मांतरण के अड्डे खोलने की साजिश रच रहा था. इसके लिए उसने 46 गांवों के लड़कों को टारगेट किया था, साथ ही एक पूरी टीम भी खड़ी कर ली थी.
जांच एजेंसियों का कहना है कि छांगुर ने इस्लामिक मूवमेंट फैलाने के लिए लगभग 10 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना रखी थी. विदेशों से उसके पास लगातार पैसे आ रहे थे. वह नेपाल में भी अपनी पैठ बनाने की कोशिश में जुटा था. साल 2020 के बाद वह आर्थिक रूप से बेहद मजबूत हो गया. गौरतलब है कि 2015 तक जो छांगुर पुरानी बाइक से अंगूठियां और नग बेचता था, वह अब लग्जरी गाड़ियों में घूमने लगा था. उसके करीबियों की संपत्तियां भी तेजी से बढ़ीं. फिलहाल, ईडी इन सबकी जांच कर रही है.
नीतू-नवीन के बाद उनकी बेटी को भी बनाया मुस्लिम, नाती से करवाई मंगनी, लेकिन नहीं हो पाया निकाह
छांगुर के करीबी बब्बू खान ने बताया कि दहेज में नीतू उर्फ नसरीन ने बलरामपुर के उतरौला में जमीन लेकर करीब 5 करोड़ रुपये की लागत से एक शोरूम बनवाया था. इसी साल अगस्त में निकाह की तैयारी थी, लेकिन यूपी पुलिस के शिकंजे के चलते पूरा प्लान फेल हो गया.
इस केस में मुख्य आरोपी छांगुर बाबा और नसरीन हैं.
जमालुद्दीन उर्फ छांगुर के बारे में एक और जानकारी सामने आई है. बताया जा रहा है कि छांगुर ने अपनी करीबी नीतू उर्फ नसरीन और उसके पति नवीन रोहरा के साथ-साथ उनकी बेटी का भी धर्मांतरण करवा दिया था. धर्मांतरण के बाद नीतू की बेटी का नाम सबीहा रखा था. इतना ही नहीं छांगुर ने सबीहा की शादी भी अपने नाती के साथ फिक्स कर दी थी. लेकिन सगाई के कुछ समय बाद वो पुलिस के हत्थे चढ़ गया. ऐसे में शादी का प्लान धरा का धरा रह गया.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, नवंबर 2015 में दुबई के इस्लामिक अफेयर्स एंड चैरिटेबल एक्टिविटीज डिपार्टमेंट (IACAD) की ओर से नीतू की बेटी का धर्मांतरण प्रमाणपत्र जारी हुआ था. सबीहा की उम्र 18 साल होते ही छांगुर ने उसकी मंगनी अपनी ही बेटी के बेटे यानी कि अपने नाती से करा दी थी.
छांगुर के करीबी बब्बू खान ने बताया कि दहेज में नीतू उर्फ नसरीन ने बलरामपुर के उतरौला में जमीन लेकर करीब 5 करोड़ रुपये की लागत से एक शोरूम बनवाया था. इसी साल अगस्त में निकाह की तैयारी थी, लेकिन यूपी पुलिस के शिकंजे के चलते पूरा प्लान फेल हो गया. फिलहाल, सबीहा लखनऊ स्थित आवास पर रह रही है, जिसमें छांगुर के अन्य परिजन भी रह रहे हैं. जांच एजेंसियां सबीहा से भी पूछताछ कर सकती हैं. नीतू और नवीन के पैतृक स्थान पर जाकर भी और जानकारी जुटाने की तैयारी है. इसके लिए एक टीम मुंबई भेजी जा सकती है.
गौरतलब है कि बलरामपुर के उतरौला के रहने वाले छांगुर की गोंडा जिले में भी गहरी जड़ें हैं. खासकर धानेपुर क्षेत्र के रेतवागाड़ा इलाके में. अयोध्या के करीब होने के कारण छांगुर गोंडा में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा था. साथ ही वजीरगंज तथा नवाबगंज तक अपना जाल फैला रहा था. अब एटीएस गोंडा में छांगुर के अड्डों की भी जांच करने की तैयारी में है. एक-एक कर उसके करीबियों पर शिकंजा कसा जा रहा है.
धर्मांतरण का खेल और लाचार पुलिस… जानिए कैसे ध्वस्त हुआ छांगुर बाबा का ‘काला साम्राज्य’?
बलरामपुर में धर्मांतरण का धंधा करने वाले जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को लेकर हर रोज बड़े खुलासे हो रहे हैं. उसकी करीबी नीतू रोहरा उर्फ नसरीन से 24 घंटे की पूछताछ के बाद यूपी एटीएस की एक टीम छांगुर बाबा को लखनऊ से बलरामपुर लाई है.
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में धर्मांतरण का धंधा करने वाले जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को लेकर हर रोज बड़े खुलासे हो रहे हैं. उसकी करीबी नीतू रोहरा उर्फ नसरीन से 24 घंटे की पूछताछ के बाद यूपी एटीएस की एक टीम छांगुर बाबा को लखनऊ से बलरामपुर लेकर पहुंची. उतरौला इलाके में स्थित बाबा की उस कोठी पर एटीएस की टीम छांगुर बाबा को लेकर पहुंची, जहां से धर्मांतरण का पूरा रैकेट चल रहा था. एटीएस छांगुर बाबा को अकेले लेकर आई थी. करीब डेढ़ घंटे तक उसको कोठी के हर हिस्से में ले जाया गया.
जानकारी के अनुसार छांगुर बाबा की निशान देही पर यूपी एटीएस को विदेश फंडिंग से जुड़े अहम दस्तावेज और एक लैपटॉप भी मिला है. सूत्रों के अनुसार बाबा भले ही लैपटॉप नहीं चला पता हो लेकिन नवीन रोहरा और नीतू रोहरा के साथ-साथ छांगुर बाबा का बेटा महबूब लैपटॉप में ही विदेशी फंडिंग का पूरा हिसाब किताब रखते थे. छांगुर धर्मांतरण के लिए लोगों को तरह-तरह से प्रताड़ित करता था. वो महिलाओं को पहले पैसे का लालच देता था. लेकिन बात नहीं मानने पर फर्जी मुकदमों में फंसाकर परेशान करता था.
छांगुर बाबा ने मदद मांगने आई एक महिला के साथ पहले बलात्कार किया, फिर उससे कहा, ”हिंदू धर्म में अब कुछ नहीं रखा है, अब तुम इस्लाम में आ गई हो.” सबसे ताज्जुब की बात की बाबा की इन ज्यादतियों की सुनवाई कहीं नहीं होती थी. बलरामपुर में तैनात रहे कुछ पुलिस के कुछ अफसरों के नाम पर आरोप लग रहे हैं कि वो बाबा के ही इशारे पर अर्जी सुनते और उनका निपटारा करते थे. वो खाकी वर्दी पहनकर तनख्वाह सरकार की लेते थे, लेकिन काम छांगुर बाबा जैसे समाज और देशद्रोही के लिए करते थे.
छांगुरा पीर बाबा मामले में जैसे अनावरण हो रहे हैं उससे ये बात साफ हो गई है कि ये सिर्फ धर्म परिवर्तन का मामला नहीं है बल्कि राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और बेशुमार काली कमाई का एक गहरा जाल है. छांगुर बाबा को 500 करोड़ रुपए की विदेशी फंडिंग मिलने का खुलासा हुआ है. उसे तुर्किए और पाकिस्तान से भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने के लिए फंडिंग मिल रही थी. सोचिए जिस छांगुर बाबा का आलीशान घर जमींदोज किया जा चुका हो, जिसकी गर्दन कानून के शिकंजे में हो, फिर भी उसके खिलाफ आवाज उठाने वाले दावे करते फिर रहे हैं कि उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. क्या इसकी वजह छांगुर बाबा की अकूत दौलत है, जिसके दम पर बरसों तक कानून के लंबे हाथ उस तक नहीं पहुंचे. वो चाहता था वो करता ।
छांगुर बाबा की सबसे बड़ी ताकत उसकी बेशुमार दौलत है. पिछले तीन वर्षों में छांगुर बाबा को 100-200-300 नहीं बल्कि 500 करोड़ रुपए की विदेशी फंडिंग मिली है. इनमें 200 करोड़ रुपए की पुष्टि हो चुकी है. बाकी 300 करोड़ रुपए नेपाल के जरिए भेजे गए, जिसमें हुंडी से फंडिंग की गई. इस विदेशी फंडिंग के लिए काठमांडू, नवलपरासी, रुपनदेही और बांके जैसे नेपाल के सीमावर्ती जिलों में 100 से ज्यादा बैंक खाते खोले गए. इनमें मुस्लिम देशों से पैसा आया. पाकिस्तान, दुबई, सऊदी अरब और तुर्किए से पैसों की बरसात हुई.
इस विदेशी फंडिंग को नेपाल के एजेंट 4 से 5 फीसदी कमीशन पर छांगुर तक पहुंचाते थे. दावा है विदेशों से मिली इसी बेशुमार दौलत के दम पर छांगुर बाबा बलरामपुर का बेताज बादशाह बन गया था. उसकी वहां तूती बोलती थी. उसकी इजाजत के बिना पत्ता भी नहीं हिलता था. दावा है बलरामपुर में तैनात सभी पुलिस अफसर उसके गुलामों की तरह थे. उसके इशारे पर चलते थे. उसके खिलाफ कार्रवाई के बाद उसके सताए लोगों ने इस तरह के दावों की झड़ी लगा दी है. उसके द्वारा सताए गए लोगों की संख्या बहुत है.
Jalaluddin alias Chhangur Baba
हरजीत कश्यप नामक एक शख्स छांगुर बाबा के यहां मुंशी का काम करता था. उसे भी धर्म बदलने के लिए पहले पैसा का लालच दिया गया. बात नहीं मानने पर फर्जी मुकदमे लाद दिए गए. हरजीत कहते हैं, ”मैंने मना किया, तो नवीन ने गाली दी. धमकी दी. केस दर्ज करवाकर दबाव बनाने लगा. रेप का केस दर्ज करवाया.” बात यही नहीं रुकी. दावा है कि छांगुर बाबा ने इसके बाद हरजीत कश्यप को बयान वापस लेने. सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि भले ही छांगुर बाबा पुलिस की गिरफ्त में हो. उसका नेटवर्क ध्वस्त होने के दावे हो रहे हों, लेकिन दावा है कि उसकी तरफ से अब भी पीड़ितों को धमकाया जा रहा है. उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारी और पुलिसकर्मी तमाशबीन बने हुए हैं. उसके खिलाफ सुनवाई तक नहीं हो रही है.
पुलिस प्रशासन में पैठ की वजह से छांगुर बाबा धड़ल्ले से धर्मांतरण करवाता रहा. उसके इरादे कितने खराब थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो हिंदुओं के पवित्र शहरों में धर्मांतरण करवाने में लगा था. उसने अयोध्या जिले में धर्मांतरण पर सबसे ज्यादा पैसा खर्च किया. वहां हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण कराया गया. उसका प्लान इन धर्मस्थलों की डेमोग्राफी बदलने का था. इसके लिए हनी ट्रैप और प्रलोभन के जरिए लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने की एक सुनियोजित स्क्रिप्ट भी तैयार की गई थी.
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