जांच निष्कर्ष: ओड़िशा रेल दुर्घटना स्टेशन मास्टर की चूक से
Odisha Train Accident Coromandel Express Station Master Failed To Notice Signal
ओडिशा के भीषण ट्रेन दुर्घटना में गलती किसकी? रेलवे की जांच में सब पता चल गया
पिछले महीने ओडिशा ट्रेन दुर्घटना ने सैकड़ों परिवारों को जीवनभर का दर्द दिया। करीब 300 लोगों की जान गई और हजारों परिवार इस दुर्घटना से प्रभावित हुए। रेलवे की जांच रिपोर्ट सामने आई है। इसमें बाहानगा बाजार के स्टेशन मास्टर की गलती पता चली है। अगर वह थोड़े अलर्ट होते तो दुर्घटना टाला जा सकती थी।
हाइलाइट्स
बालासोर ट्रेन दुर्घटना के लिए मानवीय गलती जिम्मेदार
कमिश्नर रेल सेफ्टी की जांच में हादसे की वजह पता चली
रेल मंत्री, रेलवे बोर्ड को सौंपी गई ओडिशा हादसे की रिपोर्ट
नई दिल्ली/भुवनेश्वर 04 जुलाई: ओडिशा ट्रेन सुरझकी जांच में कई खामियां सामने आई हैं और सीधे तौर पर स्टेशन मास्टर की गलती पता चली है। बाहानगा बाजार स्टेशन पर 2 जून को तीन ट्रेनों के क्रैश होने से 292 लोगों की मौत हो गई थी और 1000 से ज्यादा यात्री घायल हुए थे। हमारे सहयोगियों ने रेलवे की जांच रिपोर्ट देखी है। कमिश्नर (रेलवे सुरक्षा) की इस रिपोर्ट के मुताबिक अगर बाहानगा बाजार के स्टेशन मास्टर ने कर्मचारियों को दो समानांतर पटरियों को जोड़ने वाले स्विचों के बार-बार असामान्य व्यवहार की सूचना दी होती, तो दुर्घटना को टाला जा सकता था। उस रोज कोरोमंडल एक्सप्रेस गलती से लूपलाइन पर आकर एक मालगाड़ी से टकरा गई थी। रिपोर्ट में सिग्नल के फेल होने और टेलिकॉम (S&T) डिपार्टमेंट की कई त्रुटियां की तरफ इशारा किया गया है। यह रिपोर्ट रेल मंत्री और रेलवे बोर्ड को सौंप दी गई है।
रेलवे की जांच में क्या पता च
रेलवे की जांच में सामने आया है, ‘सिग्नलिंग में खामियों के बावजूद… क्रॉसओवर 17 A/B पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग गड़बड़ी का पता लगाया जा सकता था।’ क्रॉसओवर 17 ए/बी वह पॉइंट है जिससे होकर कोरोमंडल एक्सप्रेस चेन्नई न जाकर लूपलाइन पर चली गई।
स्टेशन मास्टर की गलती क्या थी?
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टेटस बदलने के लिए स्टेशन मास्टर एसबी मोहंती के सिग्नल स्विच-ऑन करने के बाद, ऐसा होने में 14 सेकेंड लगने चाहिए थे। लेकिन सिग्नल तुरंत बदल गया जो असामान्य था। रिपोर्ट के मुताबिक स्टेशन मास्टर को इस पर गौर करना चाहिए था कि सिग्नल में अचानक बदलाव इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम की खामी थी क्योंकि ट्रैक की ग्राउंड पोजीशन तत्काल नहीं बदल सकती है।
रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि इस असामान्य बदलाव पर स्टेशन मास्टर को ध्यान देना चाहिए था क्योंकि उन्हें इस काम में लगने वाले समय के बारे में जानकारी होती है। अगर वह तत्परता दिखाते तो इस असामान्य चीज को पकड़ सकते थे और कोरोमंडल एक्सप्रेस को आगे बढ़ने से रोक सकते थे।
रेलवे की जांच में सामने आया है कि बाहानगा बाजार स्टेशन पर लेवल क्रॉसिंग गेट 94 पर ‘इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर’ को बदलने के लिए सर्किट डायग्राम न देना एक गलत कदम था, जिसके कारण गलत वायरिंग हुई। फील्ड पर्यवेक्षकों की एक टीम ने वायरिंग डायग्राम में बदलाव किया और इसे दोहराने में फेल रही। गलत वायरिंग और केबल की खराबी के कारण 16 मई 2022 को दक्षिण पूर्व रेलवे के खड़गपुर डिवीजन के बंकरनयाबाज स्टेशन पर भी ऐसी ही घटना हुई थी। इस जांच में स्पष्ट कहा गया है कि अगर पिछली चेतावनी को ध्यान में रखा जाता, तो रेल दुर्घटना से बचा जा सकता था।