टीएस्टेट नकली रजिस्ट्री घोटाले का मुख्य अभियुक्त एडवो. इमरान बंदी, रजिस्ट्रार कर्मी को भी जेल
main Accused In dehradun Fake Registry Scam Imran And A Registrar Employee Arrested
फर्जी रजिस्ट्री घोटाले का मुख्य आरोपित इमरान अहमद और एक रजिस्ट्रार कर्मी गिरफ्तार
देहरादून 18 अगस्त। इससे पहले पुलिस देहरादून रजिस्ट्रार कार्यालय में तैनात कर्मचारी डालचंद के साथ ही असम (डिब्रूगढ़) निवासी दो टिंबर व्यापारी भाइयों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।
रायपुर स्थित टी-एस्टेट की 12.5 एकड़ जमीन की फर्जी रजिस्ट्री घोटाले के मामले में भागे हुए मुख्य आरोपित एडवोकेट इमरान अहमद और एक रजिस्ट्रार कर्मी अजय क्षेत्री को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। दोनों को गुरुवार देहरादून सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया हैं। आरोपित अजय रजिस्ट्रार कार्यालय में बाइडिंग का कार्य करता था।
इससे पहले पुलिस देहरादून रजिस्ट्रार कार्यालय में तैनात कर्मचारी डालचंद के साथ ही असम (डिब्रूगढ़) निवासी दो टिंबर व्यापारी भाइयों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। मामले में पुलिस की जांच जारी है। अभी और कई लोग गिरफ्तार हो सकते हैं।
विदित है कि रायपुर (चक) स्थित टी-एस्टेट की 12.5 एकड़ भूमि की फर्जी रजिस्ट्री व दस्तावेज तैयार कर करोड़ों की हेराफेरी का मामला सामने आया था। पुलिस के किये अनावरण के अनुसार मास्टरमाइंड एडवोकेट इमरान अहमद सहित अन्य लोगों ने एक सोचे-समझे षड्यंत्र में पहले रायपुर स्थित टी-एस्टेट जमीन के फर्जी रजिस्ट्री तैयार कीं और फिर उन दस्तावेजों को रजिस्ट्रार ऑफिस में तैनात कर्मचारी डालचंद की मदद से रिकॉर्ड दस्तावेजों से बदला। फिर उन्हीं जाली दस्तावेजों के आधार पर यह बहुमूल्य जमीन करोड़ों रुपए में बेच दी।
इस मामले में पुलिस ने 12 अगस्त को असम डिब्रूगढ़ के टिंबर व्यापारी संतोष अग्रवाल, दीप चन्द अग्रवाल व रजिस्ट्रार कार्यालय में नियुक्त कर्मचारी डालचंद को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में कुछ और लोगों के नाम भी सामने आए थे। बृहस्पतिवार को पुलिस ने मुख्य आरोपित एडवोकेट इमरान अहमद (निवासी 226/2 आकाशदीप काॅलोनी बल्लूपुर रोड़ देहरादून )को नेहरू कॉलोनी क्षेत्र से, जबकि रजिस्ट्रार कार्यालय में तैनात कर्मचारी अजय सिंह क्षेत्री (निवासी गांधी नगर) को बल्लपुर क्षेत्र से बंदी कर लिया। दोनों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया।
एडवोकेट इमरान और केपी करते थे टी-स्टेट की खाली जमीनों के कागज तैयार
इमरान में इमरान ने पुलिस को बताया कि अन्य सहयोगियों के माध्यम से उसकी मुलाकात सहारनपुर के केपी सिंह (कुंवरपाल सिंह) से हुई थी। इमरान रजिस्ट्रार कार्यालय में नियुक्त अजय के साथ मिलकर खाली पड़ीं विवादित जमीनों के कागजात जिल्द फाइलों से निकालकर केपी सिंह को देता था। इसके बाद केपी सिंह अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर उन प्रपत्रों की नकली रजिस्ट्रियां बनाकर उनकी प्रतियां उन्हीं फाइलों में अजय के माध्यम से लगवा देते थे।
अजय ने बताया कि वह केपी सिंह के संपर्क में काफी समय से था। केपी ने उसे लालच दिया था, जिसके कारण वह रिकॉर्ड रूम से बरसों पुरानी जिल्द फाइलों से निकालकर उन्हें देता था और फिर फर्जी जिल्द उन फाइलों में लगा देता था। इसके बाद केपी, इमरान व उसके अन्य सहयोगी संबंधित भूखंडों पर कब्जा कर विभिन्न प्रॉपर्टी डीलरों के माध्यम से बेच देते थे। इसका लाभ वे आपस में बांट लेते थे।
आरोपितों ने जमीन बेचकर बटोरे 15 करोड़ रुपए से अधिक
पुलिस जांच में सामने आया कि बाइंडर अजय ने वर्ष 1984-85 व वर्ष 1980 की जिल्द फाइलों में से ऐसे प्रपत्र जो लोन,लीज, किरायेनामा आदि से संबंधित थे,फाइलों से निकालकर केपी सिंह को दिए। इसके बाद आरोपितों ने देहरादून की रिंग रोड, रानीपोखरी, नवादा आदि की जमीनों की अपने आदमियों के नाम पर फर्जी रजिस्ट्रियां कर प्रपत्र तैयार किए। इस खेल में उन्होंने लगभग 15 करोड़ रुपए से अधिक बटोरे।
अजय को दिया था 45 लाख का प्लॉट व 15 लाख रुपये
केपी सिंह ने इस काम के लिए अजय क्षेत्री को रिंग रोड पर करीब 45 लाख का 166 गज का एक भूखंड दिया था। इसके साथ ही 15 लाख रुपए की नकद आर्थिक मदद भी की थी। पुलिस को अजय के कब्जे से रिंग रोड पर खसरा नंबर 1584 रकबा 166 गज भूखंड की रजिस्ट्री व उसके बैंक अकाउंट की पासबुक मिली है। पासबुक में लाखों रुपये का लेनदेन मिला है।
केपी सिंह और अन्य की तलाश में पुलिस मार रही छापे
पुलिस के अनुसार इस मामले में केपी सिंह के अलावा अन्य कई लोगों के शामिल होने की बात सामने आई है। उन्हें पकड़ने को लगातार छापे मारे जा रहे हैं।