तुष्टिकरण: बिहार में गांधी जयंती और मजदूर दिवस की छुट्टियां बंद, ईद-बकरीद पर तीन-तीन दिन छुट्टियां
बिहार छुट्टी विवाद: नीतीश-तेजस्वी के लिए गांधी पर भारी पड़ गए आंबेडकर, राष्ट्रपिता अब कहां जाएं?
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को फिर अपमानित होना पड़ा. पहले आम आदमी पार्टी ने उन्हें दिल्ली और पंजाब के सरकारी कार्यालयों से हटाया अब बिहार सरकार ने भी कुछ ऐसा ही किया है. बिहार सरकार ने गांधी जयंती की छुट्टी को खत्म कर दिया है. जबकि आंबेडकर जयंती की छुट्टी जारी रखी है. जाहिर है कि डॉक्टर आंबेडकर को महात्मा गांधी पर वरीयता दी गई है.
बिहार के सरकारी स्कूलों के छुट्टियों के कैलेंडर जारी, नीतीश सरकार पर मुस्लिम तुष्टिकरण के लग रहे आरोप
नई दिल्ली,28 नवंबर 2023,बिहार के सरकारी स्कूलों में छुट्टियों को लेकर राजनीतिक बवाल मचा हुआ है. बिहार में पहली बार हिंदुओं और मुसलमानों के लिए छुट्टियों बांट दी गईं हैं. यह संभव हुआ है उर्दू और गैर उर्दू स्कूलों के लिए अलग-अलग कैंलेंडर जारी करने के चलते. दरअसल उर्दू स्कूलों में पढ़ने वाले 99 परसेंट छात्र मुस्लिम ही होते हैं इसलिए कहा जा रहा है कि यह फैसला समाज को बांटने वाला है. भाजपा ने बिहार सरकार के फैसले को तुगलकी फरमान बताया है. मुस्लिम समुदाय के लिए रामनवमी, महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी, रक्षाबंधन, तीज और वसंत पंचमी की छुट्टियां कैंसल कर दी हैं. इसके बदले ईद और बकरीद की छुट्टियां 3-3 दिन की कर दी हैं. बिहार भाजपा के नेताओं ने तंज कसा है कि इससे अच्छा तो यही होता कि नीतीश सरकार बिहार को इस्लामिक स्टेट ऑफ बिहार घोषित कर दे. इस बीच बिहार सरकार के इस फैसले में नीतीश कुमार की एक और तुष्टिकरण भरी चाल नजर आई है. वह है गांधी जयंती की छुट्टी को कैंसल करना और आंबेडकर जयंती की छुट्टी जारी रखना.
आम आदमी पार्टी के बाद अब बिहार सरकार ने भी महात्मा गांधी को प्रदेश निकाला करार दिया है. पहले आम आदमी पार्टी ने पंजाब और दिल्ली के सरकारी कार्यालयों से राष्ट्रपिता को हटाकर आंबेडकर को जगह दी थी अब बिहार सरकार ने गांधी जयंती की छुट्टी खत्म कर कुछ ऐसा ही संदेश दिया है. बिहार सरकार ने उर्दू स्कूलों और गैर उर्दू स्कूलों के लिए दोनों ही के लिए गांधी जयंती की छुट्टी कैंसल करने का सीधा संदेश है कि राष्ट्रपिता बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के लिए फिट नहीं बैठ रहे हैं.
गांधी जयंती ही नहीं मजदूर दिवस की छुट्टी भी खत्म कर दी गई है. हां पर आंबेडकर जयंती के दिन छुट्टी उर्दू स्कूलों और गैर उर्दू स्कूलों दोनों जगहों पर रहेगी.मतलब साफ है. इसे लेकर बिहार में फिर से राजनीतिक घमासान मचना तय है.
बिहार में छुट्टियां कम करने पर छिड़ा ‘धर्म युद्ध’
political uproar in Bihar on cancellation of Scool holidays
बिहार में स्कूली छुट्टियों को लेकर BJP ने नीतीश को घेरा
स्कूलों में हिंदू त्यौहारों की छुट्टियां रद्द! भाजपा ने नीतीश सरकार पर साधा निशाना
बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (फाइल फोटो)
छुट्टियों पर छीछालेदर के बीच सामने आया बिहार में स्कूल हॉलिडे का एक और कैलेंडर
फिर आया मुस्लिम तुष्टिकरण का ट्रेंड
देश में कुछ दिनों से मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति खत्म हो रही थी. भाजपा के उभार के बाद एक ट्रेंड देखने को मिल रहा था कि हर राजनीतिक दल खुद को सॉफ्ट हिंदुत्व की ओर झुका दिखाने की कोशिश कर रहा था. यही कारण था समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसी पार्टियों ने भी मुसलमानों को हाशिये पर रखना शुरू कर दिया था. अपने आपको मुसलमानों का हितैषी कहने वाले दलों ने भी मुस्लिम कैंडिडेट उतारने में कटौती कर रखी थी. पर इस बार हो रहे विधानसभा चुनावों में फिर पुराना ट्रेंड जोर पकड़ रहा है. भाजपा विरोधी सभी पार्टियां मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए खुलकर हर चाल चल रही हैं. तेलंगाना में बीआरएस ने मुस्लिम कम्युनिटी के लिए अलग आईटी पार्क बनाने की घोषणा की है तो कांग्रेस ने मुस्लिम मेनिफेस्टो ही जारी कर दिया. इस बीच जैसी बिहार से खबर आ रही है कि नीतीश कुमार ने मुस्लिम समुदाय के लिए अलग छुट्टियों का कैलंडर ही जारी कर दिया है.
नीतीश कुमार के दांव पर दांव
हालांकि बिहार सरकार को भाजपा कितना भी घेर ले नीतीश कुमार दिन प्रति दिन अपनी राजनीतिक चालों से खुद को मजबूत कर रहे हैं.पहले जाति जनगणना फिर 75 प्रतिशत आरक्षण,प्रदेश के 96 लाख गरीब परिवारों को 2-2 लाख की मदद की घोषणा अब मुस्लिम समुदाय के ईद-बकरीद पर अधिक छुट्टियां.ये नीतीश कुमार के कुछ ऐसे कदम हैं जिनका 2024 के लोकसभा चुनावों में तोड़ निकालना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा.भाजपा जितना इस्लामिक स्टेट ऑफ बिहार का नारा लगाएगी नीतीश कुमार के वोट बैंक उनसे उतना ही जुड़ता चला जाएगा.बिहार की पॉलिटिक्स ऐसी ही रही है.
गांधी पर क्यों भारी पड़ रहे हैं आंबेडकर
बिहार सरकार के फैसले से लगता है देश में राष्टपिता महात्मा गांधी का कोई नामलेवा नहीं रह जाएगा.पहले आम आदमी पार्टी ने उन्हें पंजाब और दिल्ली से देश से निकाला कर दिया.अब यही काम बिहार सरकार कर रही है.पंजाब और दिल्ली के सरकारी कार्यालयों में अब महात्मा गांधी की फोटो नहीं लगती है.वहां पर शासन कर रही आम आदमी पार्टी की सरकार ने आदेश दिया हुआ है कि सरकारी कार्यालयों में डॉक्टर भीमराव आंबेडकर और सरदार भगत सिंह की फोटो लगेगी. अब ऐसा ही कुछ बिहार में होने वाला है. बच्चा होश संभालने के बाद से ही डॉक्टर आंबेडकर को तो जानेगा पर गांधी का नाम उनके लिए कोई मायने नहीं रखेगा. भारतीय जनता पार्टी पर विपक्ष पहले ही आरोप लगाता रहा है कि यह पार्टी महात्मा गांधी की जगह हेडगेवार और सावरकर को अपना हीरो मानती है.पर जब खेत ही मेड़ काटने लगे तो फिर कौन बचाने आएगा.जब गांधी को किनारे लगाने का काम उनके ही चेले करने लगे तो देश में गांधी को जगह कहां मिलेगी ?
गांधी,न हिंदुओं के न मुसलमानों के
दरअसल भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने नीतीश कुमार को तुष्टिकरण का सरदार कहा है.तुष्टिकरण के चलते ही आज आंबेडकर राष्ट्रपिता पर भारी पड़ रहे हैं.गांधी के नाम से कोई वोट बैंक नहीं है.शायद यही कारण है कि उर्दू और गैर उर्दू दोनों ही कैटेगरी में गांधी जी के नाम छुट्टी की घोषणा नहीं करना चाहती है सरकार.इसी तरह आंबेडकर जयंती पर उर्दू और गैर उर्दू दोनों ही कैटेगरी में छुट्टी की घोषणा की गई.सीधा मतलब है कि हिंदुओं और मुसलमानों दोनों में आंबेडकर की लोकप्रियता बरकरार है.ऑम्बेडकर को अवायड करने का साहस देश की किसी भी पार्टी में नहीं है.नीतीश कुमार जानते हैं कि अगर बिहार में जनसमर्थन बनाए रखना है तो अतिपिछड़ों और दलितों का समर्थन बनाए रखना होगा.वैसे भी बिहार में दलितों को दो फेस जिन्हें जनता पहचानती हैं वे हैं चिराग पासवान और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी.संयोग से दोनों नीतीश कुमार के घोर विरोधी हैं.