मत:देवलसारी के क्लाइमेट एक्टिविस्ट और पर्यावरणप्रेमियों का दोगलापन

उत्तराखण्ड में भू-क़ानून की माँग के बीच देवलसारी में सक्रिय ‘क्लाइमेट एक्टिविस्ट्स’ ‘पर्यावरणप्रेमियों’ (होटल लॉबी/पर्यावरण माफिया) का दोगलापन देखिए

देवलसारी में तितली ट्रस्ट और देवलसारी सोसायटी में ONGC के पार्टनर लोकेश ओहरी के संगठन BTDT में ही उत्तराखंड में सड़कों की कमी के होने वाली समस्याओं पर महिला-पंचायत बिठाई जाती हैं—वही लोकेश ओहरी समाचार पत्रों में अपने रिपोर्ट में कहता है कि उत्तराखंड में अगर कंस्ट्रक्शन और सड़क निर्माण होगा तो पर्यावरण ख़राब हो जाएगा और वनों को नुक़सान होगा इस कारण ग्रामीणों को सड़क नहीं चाहिए।

वही लोकेश ओहरी उसी देवलसारी में भीड़ बुलाने के लिए अलने यार-दोस्तों से कहता है कि अधिक से अधिक संख्या में आकर के हमें एक रात के ₹20500 रुपए दो फिर हम तुम्हें तितली दिखाएँगे। इसके अलावा रात को ठहरने के पैकेज अलग हैं। और खाने-पीने के अलग पैकेज!

लेकिन स्थानीय लोग अपनी हड्डियाँ तुड़वाएँ, जंगली जानवरों के भय के बीच पैदल आठ किलोमीटर अपने बच्चों को स्कूल भेजें, रोज़ाना 60 रुपए का पनीर बेचने के लिए गाड़ी से जाएँ तो मुख्य बाज़ार तक जाने के ४० रुपए और लौटने के फिर ४० रुपए दें, और अगर इनके देवलसारी के होटल में बिठाए गए स्थानीय दलाल की बीवी को अगर गलती से गर्भ ठहर जाए तो उसकी डिलीवरी के लिए एंबुलेंस मँगवानी हो तो वो भी ना पहँचेगी टाइम से।

देहरादून का सोंधी-ओहरी, मिनी बस में ग्राहक भर-भरकर देवलसारी लाए, अपने होटल में उनको खिलाए, उनसे पैसे ले जमकर और स्थानीय महिलाएँ और बुजुर्ग-बच्चे अपने पारंपरिक मार्ग को सुधारने के लिए भी इकट्ठे हों तो उन्हें मसूरी से DFO तितली ट्रस्ट के संजय सोंधी के इशारों पर कॉल पर अरेस्ट करने के लिए पुलिस फ़ोर्स भेजेगा? उनके हथियार भी वापस नहीं करेगा? ये है पहाड़ियों के स्वप्न के लिए बने उत्तराखंड में पहाड़ियों का दुर्भाग्य!

अब ‘पार्टनर्स इन क्राइम’ देखिए-

उत्तराखंड का वन विभाग इस तितली ट्रस्ट के साथ हर जगह नज़र आ रहा है, जबकि इसी तितली ट्रस्ट और देवलसारी सोसायटी के लोग ONGC से देवलसारी में रोजगार देने के नाम पर ONGC से फंडिंग उठा रहे थे।

अभी इसी ONGC के भू-माफियों की देवलसारी में ज़मीन की संदिग्ध ख़रीद-फरोख्त की FIR सार्वजनिक करने का भी समय आ गया है। जिस उत्तराखंड में भू-क़ानून की माँग उठ रही है वहाँ ONGC के लोग वन विभाग के कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर ज़मीन की दलाली में शामिल हैं।

ONGC-उत्तराखंड का वन विभाग-देवलसारी सोसायटी-तितली ट्रस्ट इस पूरे उत्तराखंड के जंगलों को हाइजैक कर किसी मनी लॉंड्रिंग के नेक्सस का हिस्सा हैं। फ़िलहाल तक के सबूत और ONGC का स्पष्टीकरण तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं।

ONGC से हाल ही में जवाब मांगा तो पता चला कि पर्यावरण एक्टिविज्म के नाम पर जमकर पैसा रूट हो रहा था संजय सोंधी और लोकेश ओहडी टीम द्वारा। अब रोक लगा दी गई है मेरी ही पिछली शिकायत के बाद। वन विभाग अभी भी इस वेबसाइट में पार्टनर है। ONGC की फंडिंग से ग्रामीणों को रोजगार देने के वादे किए लेकिन लोगों को भनक तक नहीं इसकी।

होटल माफियाओं ने मनी लांड्रिंग के इस षड्यंत्र को बहुत सावधानी से बुना है- उत्तराखंड के अलग अलग स्थानीय जगहों पर कुछ अधपढ़/कुपढ़/अनपढ़ और गरीब परिवारों को इन होटल्स का चेहरा बनाया हुआ है ताकि मनी लांड्रिंग का नाम जब कभी आए तो बदनाम उसी इलाके का कोई वो युवा ही होगा, और इस षड्यंत्र के असली गुनहगार सामने कभी आ नहीं सकेंगे।

इस पूरे षड्यंत्र के तार देवभूमि उत्तराखंड में भूमि की अवैध खरीद-फरोख्त से जुड़ रहे हैं जिसके कि पर्याप्त सबूत भी इकट्ठे कर लिए गए हैं। अब पर्यावरण के नाम पर और जनजातीय समाज को रोजगार दिलाने के नाम पर उठाए गए पैसे और अवार्ड्स का काला चिट्ठा खुलने वाला है।

Pushkar Singh Dhami Uttarakhand DIPR PMO India Uttarakhand Forest, Government of Uttarakhand #devalsaritemple #Devalsari #Uttarakhand #NGT #ONGC #भूकानून

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *